अचानक उनके मूह से छोड़ने ये वर्ड सुन कर मुझे मज़ा आया और उन्हे भी एहसास हो गया की वो क्या बोल गयी.
मैने कहा: शांटबैई नखरे मत कर. अब खड़ी हो जेया.
तो वो चुप-छाप खड़ी हो गयी, और मुझसे कहा: अब क्या करना है तुझे?
तब मैने उनसे कहा: अब तो असली खेल की शुरुआत करनी है. अब तू मुझे बता तू अपनी पनटी उतरेगी या मैं उतारू?
तब उन्होने मुझसे कहा: देखो मुझे तो शरम आ रही है. तू अपना मूह फेर ले. फिर मैं अपनी पनटी उतरुँगी. लेकिन तुझे मुझसे वादा करना होगा, की तुम अपनी आँखें नही खॉलोगे. क्यूंकी मैं जानती हू तू अब मुझे बिना छोड़े तो छ्चोढेगा नही.
शांटबैई: लेकिन याद रखना, ये पहली और आखरी चुदाई है हम दोनो के बीच में. इसके बाद तू वीडियो डेलीट कर देगा, और हमेशा के लिए ये सब भूल जाएगा.
मैने कहा: ओके डार्लिंग, तू जैसा कहे. लेकिन अभी इस वक़्त मुझे बहुत सारे सुख चाहिए जो तू सूर्या के बाप को देती थी.
तब उन्होने कहा: ठीक है, लेकिन ये डील टूटनी नही चाहिए.
मैने उनसे कहा: ठीक है, लेकिन एक काम करो, पहले जेया कर मुझे एक ग्लास पानी पिलाओ. बहुत प्यास लगी है.
तब उन्होने कहा: लाती हू, और कितना पानी पीना है?
ये कहते हुए वो किचन की और चली गयी. मैने मौके का फ़ायदा देख करके बेडरूम के एक कोने में मोबाइल इस तरीके से च्छूपा के रखा, की वो शांटबैई को नही दिखे. फिर मैने उस पर वीडियो मोड ओं कर दिया, और बेड पर आ कर वापस बैठ गया. शांटबैई हाथो में पानी का ग्लास लेकर मेरी तरफ आ रही थी. ब्लाउस उनका फटा हुआ था, और उनके दोनो मुममे झूल रहे थे.
पेटिकोट को संभालते हुए वो मेरे पास आई और कहा: लो पानी पी लो, और जल्द से जल्द काम करके चले जाओ.
मैने उनसे कहा: अब मुझे पानी नही पीना है, क्यूंकी मैं अपनी प्यास किसी और चीज़ से बूझौँगा. चलो आ कर मेरे सामने खड़ी हो जाओ.
तो उन्होने गुस्से में कहा: जब पानी पीना नही था तो मुझसे पानी क्यूँ मँगवाया?
मैने कहा: चल छिनाल, अब नखरे बंद कर, और मेरे सामने आ कर खड़ी हो जेया, और अपनी पनटी निकाल दे.
तब शांटबैई ने मुझसे कहा: ठीक है ठीक है, निकालती हू. पहले अपनी आँखें बंद कर लो.
फिर मैने उनसे कहा: ठीक है.
और ये कह कर मैने अपनी आँखें बंद कर ली. मुझे महसूस तो हुआ की वो धीरे-धीरे अपनी पनटी निकाल रही थी.
शांटबैई: लो मैने अपनी पनटी निकाल दी.
मैने आँखें बंद करके उनकी दोनो टाँगो को अपने हाथो से टटोला, और धीरे-धीरे अपने हाथ उनके जांघों तक ले जाने लगा. वो तोड़ा सा काँप रही थी. मैं धीरे-धीरे उनके पेटिकोट को उपर करते हुए अपने हाथ उनके जांघों पर फेर रहा था.
फिर अचानक से मैं उनके सामने बैठ गया, और उनकी दोनो जांघों के बीच में आ कर उनकी छूट को टटोलने लगा. इससे एक बात पता चली, की साली अपनी सारी झांतो को सॉफ करके रखती थी. मैने अपनी ज़ुबान निकली, और उनकी छूट पर रख दी. और जैसे ही मैने ये किया, उन्होने झट से मेरे सर को पकड़ लिया.
क्यूंकी मेरा सर उनकी जांघों के बीच पेटिकोट के अंदर था, उन्होने पेटिकोट के उपर से ही मेरे सर को पकड़ रखा था, और कहा-
शांटबैई: ये क्या कर रहे हो? ऐसा मत करो, कुछ अजीब लग रहा है.
मैने कहा: शांटबैई तूने आज तक सिर्फ़ छूट और लंड का खेल ही खेला है. लेकिन आज मैं तुझे जन्नत ले जौंगा.
ये कह कर मैने अपनी ज़ुबान उसकी छूट पर फेरनी शुरू कर दी. उनकी छूट तो वैसे ही गीली हो चुकी थी, और उनके हाथो का दबाव मेरे सर पर बढ़ने लगा था.
मैने उनसे कहा: शांटबैई अब एक काम करो. अब यहा लेट जाओ.
तो उन्होने मेरा सर पकड़ कर रखा अपनी छूट पर और मुझसे कहा-
शांटबैई: नही-नही, अब जो भी करना है ऐसे ही करो. मेरी हालत खराब हो रही है. मैं समझ गया उनकी छूट का फव्वारा खुलने वाला था.
तब मैने उनसे कहा: नही आपको लेटना पड़ेगा.
अचानक उनके मूह से निकला: मद्रचोड़, जब मज़ा आ रहा था तब नाटक कर दिया तूने.
तब मैने उनसे कहा: क्यूँ मज़ा आ रहा था!
तो उन्होने मुझे गुस्से भारी नज़र से देखा. लेकिन मैं उन्हे देख नही पाया, क्यूंकी मेरी आँखें बंद थी. तब वो मेरे पास आ कर लेट गयी. मैने उनके पैरों के अंगूठे से उनको चाटना-चूसना शुरू कर दिया, और धीरे-धीरे उनकी जांघों तक पहुँच गया.
अब उन्होने मेरे बालों को पकड़ कर अपनी छूट पर रख दिया, और मुझसे कहा: जल्दी से चाट कर और छोड़ कर मुझे छ्चोढ़ दो. मुझे घर के बहुत काम करने है.
मैने उनसे कहा: मज़ा तो तुझे भी आ रहा है ना, सच-सच बता.
तब उन्होने मुझसे कहा: मज़ा आ रहा है. लेकिन मेरे बेटे का दोस्त मेरे साथ ये करेगा ये सोच कर मुझे कुछ अजीब लग रहा है.
मैने उनसे कहा: अपनी दोनो टांगे थोड़ी फैला दीजिए, ताकि आपकी छूट खुल जाएगी, और उसमे मेरी ज़ुबान अंदर तक जेया सकेगी. और इस तरह से मैं आपको और ज़्यादा मज़ा दूँगा.
तब उन्होने अपनी दोनो टांगे फैला दी. मैने पेटिकोट को उनके पेट के उपर धकेल दिया, और अपनी पूरी ज़ुबान निकाल कर उनकी छूट पर लगा दी. फिर मैं अपनी आँखें खोल कर उनकी छूट को देखने लग गया. क्या सीन था वो यार. क्लीन शेव की हुई छूट, सच काहु तो गुलाबी छूट. उसमे से आती हुई वो खुश्बू, और उसकी छूट का रिस्ता हुआ पानी मुझे पागल बना रहे थे.
मैने अपनी ज़ुबान निकाल कर उनकी छूट को सता-सात चाटना शुरू कर दिया. जैसे-जैसे मैं चाट रहा था, उनके मूह से सिसकियाँ निकल रही थी.
वो कह रही थी: हरमज़ड़े! तेरी मा की छूट भद्वे, और चाट, और चाट, और चाट.
मैं उनकी छूट की गहराइयों में अपनी ज़ुबान घुसा रहा था. उनकी छूट से निकलता पानी मुझे बहुत मज़ेदार लग रहा था. सच काहु तो शराब से भी ज़्यादा नशीला था शांटबैई की छूट का पानी.
मेरी ज़ुबान उनकी छूट पर चल रही थी, और वो नीचे से कमर उठा-उठा कर अपनी छूट मेरे मूह में घुसने की कोशिश कर रही थी, और मुझे बहुत सारी गालियाँ दे रही थी. लेकिन उन गालियों में भी उन्हे मज़ा आ रहा था, और ये मुझे पता चल रहा था.
फिर अचानक से उन्होने मेरा सर अपनी छूट पर पूरी ताक़त से दबा दिया, और अपनी दोनो टाँगो से मेरी गर्दन को जाकड़ लिया.
शांटबैई: चाट मेरी छूट को, और चाट भदवे. इसे छ्चोढ़ मत अब. अगर मुझे पता होता की तू इस तरीके से मुझे खुश करेगा, तो मैं तेरे पास बहुत पहले आ जाती.
मे: तो अब भी कों सा टाइम गया है. आज के बाद हम दोनो जब भी मिलेंगे, इसी तरह मज़े करेंगे.
शांटबैई: उई मा दिलीप, मेरा पानी छ्छूटने वाला है. और अपनी ज़ुबान अंदर तक डाल. आज इस हरमज़ाडी छूट को छ्चोढना नही. तूने बहुत तडपया है मुझे. एक तो सूर्या का बाप मुझे कभी ठीक से छोड़ नही पाया, इसलिए मुझे मजबूरी में आरती के पास जेया कर लेज़्बीयन सेक्स करना पड़ा. लेकिन आज के बाद तू ही मेरी छूट का राजा है.
और ये कहते हुए, उन्होने ज़ोर-ज़ोर से कमर को झटके मारते हुए अपनी छूट से पानी का फव्वारा मेरे मूह में छ्चोढ़ दिया. मानो वो जानम-जानम की प्यासी थी. उसका इतना पानी निकला, की मैं चाट-चाट के परेशन हो गया. लेकिन उतना ही मज़ा भी आ रहा था.
उसने कम से कम 2 मिनिट तक मुझे उसी तरह जाकड़ के रखा. दो मिनिट बाद जब उसने मुझे छ्चोढा, तब मैं अपने सर को उठा कर उसे देखने लगा. जैसे ही उसकी नज़र मुझ पर पड़ी, उसको शरम आ गयी और हेस्ट हुए मुझे कहा-
शांटबैई: बस कर ना भद्वे, और क्या देखेगा? मुझे नंगी तो कर दिया. अब क्या करना है तुझे?
इसके आयेज की कहानी अगले पार्ट में. आप लोगों को ये कहानी कैसी लगी, आप मुझे मैल करके बताए. मेरी मैल ईद