दूध भरे मम्मे से प्यार किया

doodh bhare mammo se pyaar रिश्ते मे मेरी बड़ी साली की बेटी देल्ही मे ही रहती है, उसका नाम शीमा, उमर अभी 29 साल , मॅरीड,मदर ऑफ 2/मेल किड्स, हब्बी आ
बिज़्नेसमॅन. में अक्सर उसके घर आता-जाता हूँ. यह 5 साल पहले गर्मियों के दिन की घटना है, तब वो 24 की थी. बदन भरा- भरा, गदराया हुआ,
लंबाई 5-5″. मम्मे(बूब्स) भारी(हेवी), बड़े-बड़े(लार्ज), गोल-गोल, फेले हुए, नित्तम्भ(चूतड़) कामुक(सेक्सी). कुल बात यह कि वो शरीर से
पंजाबी जाटनी लगती है. मेरे सामने ही वो बच्ची से जवान हुई. वो कामुक नहीं है, लेकिन मिलनसार और खुश-मिज़ाज़ है. हम दोनो आपस मे
पहले से ही काफ़ी फ्रॅंक है. वो 3-रूम के फ्लॅट मे रहती है.

मेने बेल बजाई तो सुबह के 11 बजे थे. शीमा ने दरवाजा खोला “अहहा, रमेश अंकल आप?” वो बहुत खुश हुई मुझे अपने यहाँ देख कर. मुझे हाथ
से पकड़ कर सोफा पर बिठा दिया और पानी लेकर आई,

“अंकल आज इधर का रुख़ केसे किया, लगता है हम 6-8 महीनों के बाद एक दूजे को देख रहे है?”

“हां, तुम्हे देखे एक अरसा हो गया था, आज अचानक याद आई तुम से मिलने की ओर अब सामने हैं तुम्हारे.”

वो मेरे सामने बैठी हुई थी, सलवार-कमीज़ मे. मेरी नज़र पहले उसके चेहरे पर, फिर मम्मो पर, फिर उसके नीचे फिसल्ती हुई उसके पाओं
तक गई. उसकी आँखें मेरी नज़र पर टिकी थी.

“क्या देख रहे हो बहुत गहरी नज़र से?”

“तुम बहुत ही सुंदर लग रही हो. शादी से पहले तो तुम सुंदर थी ही, लेकिन आज जब तुम एक बेटे की मा हो अब तो अति-सुंदर हो गई हो.”

“अंकल में आप की रग-रग से वाक़िफ़ हूँ. में जानती नही. आप लड़कियों को बहलाने-फुसलाने मे माहिर हैं, आपकी निगाहें हमेशा लड़कियों की
गोल.गोल. पर रहती है. कोई लड़की आप के साथ आधा घंटा भी नही बैठ सकती इतमीनान से.”

“आइ आम सीरीयस, शीमा.”

शी लाफ्ड आंड वेंट टू किचन. बेटा जो 1+साल का था उस समय वो सो रहा था अंदर बेडरूम मे. कुच्छ देर बाद वो चाइ वगेरह ले कर आई
टेबल पर रखा, एक कप मेरे हाथ मे देकर सामने बैठ गई.

“अंकल, इफ़ इट ईज़ ट्रू वॉट यू साइड, देन, थॅंक यू फॉर दा कॉंप्लिमेंट्स.”

“शीमा, हम अपने शब्द नहीं बदलते, जो सच है वो कह दिया.”

अब वो बदन को उपर-से- नीचे आदम कद शीशे मे देख रही थी जो हमारे सामने ही था. चेहरे पर लाली और आँखों मे चमक आ गई
उसके. और इधर उधर की बातों मे सम’य गुजर गया – 1 बजा था-

“अंकल, आप नहा लो. बाथरूम की चितखनी काम नहीं कर रही, डोर बंद हो जाता है, में तब तक रसोई मे काम करती हूँ.”

मेने दरवाज़ा बंद किया, कपड़े उतारे और शवर खोला. सारे बदन मे साबुन लगाया एक दफ़ा, रोज़मर्रा की तरह आज भी लंड को मेने 3-4
मर्तबा साबुन लगा कर मला,धोया, जिस कारण लंड का अग्र-भाग(हेड) लाल सुर्ख हो गया और लंड मोटा और लंबा होता जा रहा था. मेरा ध्यान
लंड की ओर ही रहा. मेने फिर शवर खोला और सारे बदन को पानी से सॉफ किया, .अचानक देखा बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा-सा खुला है ,मेने
दरवाज़ा बंद कर दिया. में ड्राइ कर के लूँगी(ओपन-एंड क्लोथ शीट) बंद कर बाहर आ गया और सोफे पर बैठ गया. फिर हम दोनो ने आमने-सामने
बैठ कर खाना खाया. शायद उसके बेटे की नींद खुल गयी थी ,रोने की आवाज़ सुनाई दी, वो बेडरूम की ओर गई , बेटे को उठा कर पेशाब करा
कर, मुँह सॉफ किया और बेटे को गोद मे उठा कर बेडरूम में चली गयी. कुच्छ देर बाद-

“अंकल तुम भी इधर आ जाओ हमारे पास, अकेले बैठे बोर हो जाओ गे.”

में उसके पास जाकेर बेड की एक ओर बैठ गया, फिर बेटे को उठाया, प्यार किया, और चूमा, बच्चा हँसने लगा. फिर मेरे नंगे पेट पर पेशाब
कर दिया और लूँगी गीली कर दी.

“ओह, नट-खट, तुमने नाना को नहला दिया, नाना तो पहले से ही नहा लिए हैं.”

“कोई बात नहीं यह तो बच्चा है, यहाँ तो बड़ी-बड़ी लड़कियों ने मेरी लूँगी गीली कर रखी है.”

“इसके दूध पीने का समय हो गया है.” उसने मेरी गोद से बेटे को उठा कर अपनी गोद मे लिटा दिया.

में बाथरूम से बदन सॉफ कर के दूसरी लूँगी बाँध कर वापस आकर बेड पर उसके सामने बैठ गया. (सीन) कमीज़ आधी उपर उठी हुई थी
, वो अपनी दो उंगली से मम्मे को दबाए हुए अपने बेटे के मुँह मे डाले हुई थी और बेटा दूध चूसे जा रहा था, तततूऊज़ .तततूऊज़. तततूऊज़
आवाज़ करते हुए ,और एक हाथ मा के मम्मे पर फेर रहा था. कमीज़ उपर होने से दूसरा मम्मा आधा और पेट पूर्ण नगन था- मेरी नज़र वही
टिक गयी.

“अंकल, क्या कुच्छ दिख रहा है जो आप टिक्टीकी लगाए देख रहे हो?”

“शीमा, में सोच रहा हूँ कि दूध पिलाते हुए मा कितनी प्रशन्न(खुश) व तृप्त(मुठमिं) होती है.”

“क्यों नहीं. दूध जब भर जाता है तो पीड़ा(दर्द) होती है, जब बच्चे को दूध पिलाती हूँ तो दिल मे गुदगुदी होती है, आनंद(मज़ा) मिलता है
और पीड़ा भी कम होते-होते ख़तम हो जाती है.”

“सीना, आइ रीड सम्वेर दट ‘देर आर केसस ऑफ विमन हॅविंग फ्रीक्वेंट ऑर्गॅज़म्स वाइल नर्सिंग देयर बेबीस.’

“तुम्हारा कहने का मतलब?”

“लगता है तुम नीचे से गीली हो रही हो” उसका हाथ फॉरन चूत के उपर था और सलवार गीली(वेट) थी -वो शर्मा गई.

“क्या एसा भी होता है?”

“हां,लेकिन कभी कभी.” शी यूज़्ड टू गेट ऑर्गॅज़म्स ‘कभी-कभी’ वाइल फीडिंग हर सन- शी अफर्म्ड इट. माइ फ्रॅंकनेस मेड हर मोर नियर टू
मी.

“अगर बेटे को दूध पिलाते हुए तुम्हारा यह हाल है, तो अगर मर्द मम्मे चूसे तो तुम्हारा क्या हाल होगा, बताओ?” वो चुप—अपने बाजू से
आँखें धक लेती है.

“जवाब दो ना?”

“हां-यही तो मेरी दिली ख्वाइश है.”

“तुम्हारा हब्बी इस फील्ड मे क्या और कहाँ तक पार्ट प्ले करता है.”

“तुम्हे बताया था ना, कि वो देर रात आते हैं, खाना खाया और सो गये. हाँ, कभी वीक मे एक बार फक करते हैं-मम्मों पर हाथ फेरते
हैं दबाते हैं-उनको बूब्स चूसने का शौक नही है, 10-5 धक्के लगाए और खलास हो गये, मुझे पूरा मज़ा नही दे पाते.”

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बेटा अब दूध पीते-पीते सो गया था. उसने मेरे सामने ही अपनी चूची बेटे के मुँह से बाहर निकाल कर कमीज़ को नीचे किया, और बेटे को बेड
पर लेटा दिया. (मज़ाक से):

“ओह ..कमीज़ क्यों नीचे करती हो..आओ.अब में तुम्हारी पीड़ा कम कर दूं.”

यह सुनते ही उसके गालों पर लाली और बदन मे सिहरन सी दौड़ने लगी. उसने चेहरे को दुपट्टे से धक लिया उसी वक़्त. अब मेरी आँखें उसके
बदन को कामुकता(सेक्षुयली) की नज़र से देख रहीं थीं. मेरा लंड हरकत मे आकर खड़ा हो रहा था, तन कर तंबू बन गया उस स्थान पर. उसने
दुपट्टा उठा कर उठे हुए तंबू को देखा, फिर मेरी आँखों की तरफ, नज़रें मिली, झट से अपने चेहरे को बाँहों से छुपा लिया. अब उसका
बदन फड़कने लग रहा था. कुच्छ क्षण वो एसे ही बैठी रही. फिर वो उठी और उठ कर मेरी तरफ आ गई और मेरा सिर अपनी गोद मे रख
लिया. (मुस्कराते हुए, बोली:

“चलो.शुरू हो जाओ.अब तुम्हारी बारी है दूध पीने की.”

उसने फिर शरारत से दोनो हाथों से मेरी छाति को दबोच दिया(मेरी छाती गुद-गुदि, व भारी-भारी है) मुझे जोश आगया. अब हम दोनो के
बीच शरम व हया ना थी. वो मेरी छाती को और ज़ोर से मसल्ने लगी

, मुझे दर्द होने लगा. फिर मेरा हाथ अपने मम्मो पर रख दिया. मेरा ध्यान दर्द से हट कर उसके मम्मो की ओर आ गया. अब मेरे लिए सबर
रखना मुश्किल हो गया था . में उठा और उसकी कमीज़ उपर की और सरका कर अलग कर दी, और उसको सीधा पीठ के बल कर दिया, और अब में उसकी राइट साइड लेट गया और उसको अपनी तरफ कर लिया. पहले उसके होंठों(लिप्स) को अपनी जीब(टंग) से गीला किया, गालों(चीक्स) पर हल्की आवाज़ के , फिर भारी आवाज़ के चुंबन(किस्सस) रसीद (स्टॅंप्ड)कर दिए तडा-तड, फिर उसके रसीले होंठो का शहद(हनी) चूसना शुरू कर
दिया. उसके होंठ फड़कने लगे, मुँह खुल गया, उसकी जीब मेरे मुँह मे जाने के लिए बेताब थी, यह इन्विटेशन था-में उसकी जीभ को
चूस्ते-चूस्ते अपने मुँह के भीतर ले गया. फिर उसकी जीभ को अपनी जीभ से घर्षण करते हुए घूमना शुरू कर दिया.

“उन्ह.उन्ह.उन्ह..” मदहोशी की आवाज़ कही दूर से आई. वो छटपटा रही थी. मेरी छाती को ज़ोर-ज़ोर से पीट रही थी. मेने उसकी जीब को
आज़ाद कर दिया. वो लंबी-लंबी साँसें ले रही थी और दिल ज़ोर-ज़ोर से धडक रहा था.

में कुच्छ देर रुका फिर अपने होंठ उसके गाल पर रख दिए और मेरा एक हाथ उसके मम्मो पर था. उसके मम्मे धक-धक..धक-धक कर रहे
थे. जब साँसें नॉर्मल हुईं तो मेने उसके बालों के अंदर दोनो हाथ डालते हुए उसकी गर्दन को चूमा, ठोड्डि को , कान के पीछे चूमा. एक मस्ती
सी छा गई उस पर.

“रमेश में पागल हो जाउन्गि, तुम्हारी एक-एक हरकत मे नशा है, बदन मे तूफान बरपा रहा है, ऐसी शरीरक अनुभूति(सेनुयल फील) आज से
पहले कभी नहीं हुई मुझे,. यू आर डिफरेंट.”

मेने उसके मम्मो को अपने हाथों मे ले लिया . अब मेरी नज़र उसके मम्मो की गोलाइयाँ नाप रही थी. हाथ चारों ओर घूम रहे थे. मेरा
मुँह मम्मो के उपर झुका, होंठ खुल गये, मेरी जीभ उसके चुचक(निपल) पर फिरने लगी, फिर दूसरे चुचक पर, बारी-बारी. उसके बाद मम्मे
को दोनो हाथों से कप करते हुए अपने मुँह के अंदर सक किया, और प्राणिक क्रिया (अन्द्रुनि ताक़त) से और अंदर ले गया और रुक कर अपनी
जीभ(टंग) और तालू से चुचक को चूस रहा था. चूस्ते-चूस्ते मम्मे से दूध निकलना शुरू होगया और में पी रहा था . तततूऊज़.
तततूऊज़. तततूऊज़ आवाज़ करते हुए, और एक हाथ दूसरे मम्मे से छेड़खानी करने मे लगा हुआ था. वो मचल रही थी. उसका बदन उपर -नीचे
हो रहा था,वो सरूर मे आ रही थी : ओह..अहह.. हााए ..

“अब इसको डालो अपने मुँह मे और चूसो ज़ोर ज़ोर से.”

अब पहला मम्मा मुँह के बाहर खींच कर उसने अपने हाथों से पकड़ कर दूसरा मम्मा मेरे खुले मुँह के भीतर सरका दिया जब मम्मे का
काफ़ी हिस्सा मुँह के अंदर खींच लिया, तो मेरा मुँह पूरा गोल-गोल हो गया, चुचक जीभ के काफ़ी अंदर तक पहुँच चुका था. जीभ अब कस्स कर
चूचक को चूस रही थी. पहले की तरह अब दूध की धार मम्मे से बहनी शुरू हो गई, जिसे पीते हुए मेरे बदन मे मस्ती छा रही थी.

“आआहह.. दूऊद.. णीईीईईकल.. रहाा.. हेिइ..प्लीज़्ज़.. आराअंम्म.. से. चूऊओस्स्सूऊओ…आआअहह..हहााअ. आब्ब्भह बहहुउऊउउट
मज़्ज़ाआ आआ रहााअ हेईईइ… उहह.. हाऐईयईई.आआअँ…उूुउउइईई इहह ..आआआं.”

वो फड़फदा रही थी, अपने नितंब ज़ोर-ज़ोर से,उपर-नीचे पटक रही थी, उसकी चूत मेरे लंड को पीड़ित कर रही थी.

.”आअहहाा …छोड़ो भी?” जेसे ही मेरा ध्यान उसकी उच्छल-कूद की ओर गया मेरा मुँह ढीला हो गेया. फॉरन उसने मम्मे को बाहर
खींच लिया. “बेशरम , बहाया, बदतमीज़ कहीं के .मेरे मम्मो को निचोड़ लोगे क्या?..(ठंडी साँस भरते हुए).आगे चलो .में बेसबर हो रही हूँ”.

“ओ.के.”

अब मेरा सिर उसकी नाभि(धुन्नी/नेवेल/बेल्ली-बटन) के पास था. अपनी जीभ को उसकी नाभि के अंदर घुमाने लगा , फिर पेट पर चूँबन की
बारिश कर दी. वो थर-थराई, फड-फडाइ.. उत्तेजित होने लगी. काम-वासना अब उसके पूरे बदन मे वेर्चुल(एन्सर्कलिंग) बना रही थी. उसने हाथ
नीचे करके मेरी लूँगी की गाँठ खोल दी और परे कर दी. मेरा शरीर पूरे जोश से भर रहा था. नाभि के अंदर घर्षण करते-करते इधेर
मेरी जीभ मज़ा ले रही थी उधर वो काम के आवेश से उत्तेजित हो रही थी. मेरे दोनो हाथ अभी भी उसके चुचकों को मसल रहे थे.

“रमेश, सलवार का नाडा खोलो ना प्लीज़. मेरा शरीर बेकाबू हो रहा है. आग फेल रही है पूरे बदन मे.”

यह सुनते ही मेरा बदन मे मर्दानगी का तूफान उठ चुका था. में घुटने के बल बैठ गया. उसकी सलवार का नाडा खोल कर उसकी चूत को आज़ाद कर
दिया. उसने गहरी साँस ली. कुछ देर तक मेरी नज़र उसकी चूत की जियामेट्री को निहार रही थीं, यानी चूत की बनावट, शकल, उस पर काले
घुँगरले बाल, बीचों-बीच एक लंबी लकीर जेसे दो पंखुड़ीयाँ आपस मे जुड़ी हुई हों. मुझ पर नशा चढ़ गया ऐसी शुद्ध<पर्फेक्ट> वुल्वा.
माउंट ऑफ वीनस(एल आराइड)! को देख कर. हाथों से वुल्वा को स्पर्श किया, सहलाया, दबाया. चूत घने बालों में छुपि हुई थी. चारों ओर फेली
हुई, सख़्त, उपर से नीचे तक लंबाई लिए हुए. उसकी चूत को निहारते हुए, मेरे हाथ खूदबखुद उसके बालों पर फिरने लगे. चूत बहुत
गर्म लग रही थी. लंड का सिर अब उपेर-नीचे हो रहा था. फिर मेने अपना लंड उसके हाथ मे रख दिया, उसने लंड को सहलाया, लंबाई नापी, वज़न
तोला और बोली:

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“वाउ..इतना मोटा, इतना लंबा , सख़्त, आगे से गोरा, पीछे से काला.” मेरे लबों पर अपने लब को सख्ती से मिलाते हुए बोली:

“राज-प्लीज़ खुस कर दो मेरी चूत को.”

अब में पहली स्थिति मे आगया था. मुँह पर मुँह , छाती मम्मो के भीतर, नाभि पर नाभि, चूत(वुल्वा) के उपर लंड(मेंबर)
का स्पर्श(टच), जांघों पर जंघें , टाँगे और पर लिपटे हुए. मेरा लंड अब चूत को छू ही रहा था कि उसके नित्तम्ब(चूतड़) उपर को
उच्छलने लगे. मेने पहले अपने लंड को हाथ से पकड़ कर उसकी चूत के बाहरी लिप्स पर फेरा दो पहाड़ियों के बीच , मेरा लंड उत्तेजित हो कर
और सख़्त, लोहे के खंबे की माफ़िक़ तंन गया. मेने उसके कंधो को पकड़ कर थोड़ा उपर को उठाया और सिर के नीचे से तकिया खिसका कर उसके
चूतडो को उठा कर उनके नीचे लगा दिया. (उसके चूतड़ माखन की माफ़िक़ लगे). चूतड़ अब तकिये के कारण उठे-उठे थे. उसकी जंघें
फेल गई थी. चूत कुच्छ और उपर को उठी हुई प्रतीत हो रही थी. उसने अपनी जंघें और चौड़ी कर लीं. में उसकी जांघों के अंदर था,
उसकी जांघों को हाथों से सहला रहा था, उसने जंघें और ज़्यादा फेला दी. फिर मेने उसकी टाँगों को घुटनों से मोड़ कर अपने घुटनों को मोड़
लिया उसकी टाँगें अब मेरी जांघों के बाहर और मेरी जंघें उसके चूतड़ के आर-पार थीं.

अब चूत का दरवाजा मेरे लंड के बिल्कुल सामने था. मेरे लंड ने चूत के दरवाजे पर दस्तक दी, धक्का दिया हल्का सा, फिर धक्का दिया थोड़ा ज़ोर
से, चूत का दरवाजा काँप कर थोड़ा खुल गया. फिर तो मूसल लिंग(लंड) धीरे-धीरे चूत मे प्रवेश करने लगा, पहले धीरे-धीरे फिर अधिक ज़ोर से
लंड को फसा ही दिया चूत के भीतर. वो चीखी ज़ोर से. “आअहह..आआआआआहह.. ढीईररर्रररीई . ढीईर्र रररीईए
.कररूह…हाां …माअज़ाअ एयाया रहाआ हाऐी…. उउउहह. आआआआआहह्ा.. प्लीईज़ ढीईरए.ढीईएरए.. करते जाऊओ.और भीताअर और
भीताअर”.

मुझे कस्स लिया ज़ोर से अपने आलिंगन में. मेने लंड को कुच्छ सेकेंड्स के लिए बाहर निकाल लिया. उसकी चूत से तरल पदार्थ (कम) बाहर रिस
रहा था. उसको राहत मिली. वेन हर ब्रेत केम टू नॉर्मल, शी अटर्ड: “राजे, आगे चलो.”

अब लंड और चूत के मधुर-मिलन की घड़ीयां नज़दीक आ चुकी थीं. मेरा समूचा पौरुष हरकत में था . अब योनि द्वार(गेट्वे टू हेवेन)
गीला और कोमल हो गया था. अपने होंठो से उसके होंठो को सील किया. अपने लिंग(मेंबर) को फिर धीरे- धीरे चूत मे सरकाने लगा. फिर
रुका, बाहर निकाला, हल्के से अंदर फिर बाहर, फिर अंदर. जब लंड अंदर जाता है तो चूत खुश, जब बाहर आता हुआ क्लिट्स को छेड़ता हुआ(टीज़िंग ) आता है तो पार्ट्नर को और ज़यादा उत्तेजित(एग्ज़ाइट) करता है, ऐसे ही कुच्छ एक मिनिट के बाद, फिर ज़ोर से लिंग को बाहर खींच कर एक ज़ोर का धक्का लगाया. वो छटपटा उठी.”उूुुुउउइईईईईईईईईई…म्‍म्म्मममाआआआआआं.” 3-4 हल्के हल्के घर्षण करने के बाद पाँचवीं बार ज़ोर का घर्षण किया वो तडपी. अपने मुँह को मेरे मुँह से पीछे किया और चीखी

“हा आयईईए..दूओशमम्मान…. मीईएरर्रृिईई. ज़ाआाआआअन्न के ..ऊओ ऊओह ..ऊऊओह.” “मेरी तो जान ही निकाल दी.” में रुक गया
था, वो गहरी- गहरी साँसें ले रही थी.

कुच्छ क्षण बाद साँसें नॉर्मल हुई. मेने उसकी आँखों पर ,गालों पर हल्के हल्के चूँबन लगाए.पहली वजह थी कि इस युध(वॉर) मे
काफ़ी वक़्त गुज़र चुका था, दूसरी बात कि मामला गर्म-गर्म था, तीसरी यह कि वो बहुत थक चुकी मालूम हो रही थी: इसलिए लंड को बाहर तक
खींच कर थोड़ी थोड़ी देर मे हूल देकर लंड को चूत मे घुसाया, तो फॉरन उसने अपनी टाँगों से मेरी कमर पर केँची (क्लास्प्ड) लगा दी. फिर
में क्या करता. मूसल लिंग(लंड) अंदर था, बाहर केसे निकलता. (शरारत भरी मुस्कराहट से)”अब तो तुम फहसे हुए हो मेरे भीच. बड़े बहादुर बनते हो, अब देखती हूँ केसे लंड को बाहर निकालते हो, बच्चू?”

(शी वाज़ आब्सोल्यूट्ली राइट!) मुझे एक युक्ति सूझी. मेने उसके लंबे-लंबे बालों को प्यार से पकड़ा एक हाथ से और दूसरे हाथ से उसकी
ठोड्डी(चीन) उठा दी प्यार से. फिर उसके होंठों पर, फिर मम्मो पर चूँबन की झड़ी लगा दी. उसका बदन सिहर उठा, और उसकी टाँगें खुद- बखुद
सीधी ,लंबी हो गई. मेरा लंड अब उसकी चूत मे ही फसा हुआ था. उसके गाल पर अपने गाल लगाए हुए – मूसल-लिंग को उसकी चूत से बाहर
खींच कर मेरे अपने रुमाल से सॉफ कर के फिर चूत के उपेर रखा कि उसमे और ज़यादा जोश आ गया. चूत का मुँह चूमते हुए मेरा लंड आल्मास्ट
हो गया. लगता था कि बहुत पूरानी जान-पहचान है इन दोनो की.. तुरंत खंबे के मानिंद तन गया. झट से अपना मुँह उसके मुँह पर रख के
लबो को चूस्ते हुए…. एक जोरदार घर्षण किया लंड ने तो गर्भाशय(वूंब) का द्वार(डोर) थरथरा गया. आहिस्ता से 3/4थ बाहर निकाल कर
लाबो पे लब रखते हुए और दोनो हाथों से उसके चूतडो को नीचे से कस कर (हर अटेन्षन दस फोकस्ड ऑन माइ हॅंड्ज़ न माउथ) फिर मेने
लंड को जोरदार हूल करते हुए घुसा दिया उसकी कोख(बच्चेदानी) के भीतर. वो तडपि..

“आआहह..फ़्फ़ाआड़..दडिईईई…फ्फुऊडिइ..मेर्र्रिई…आअहह.हहुउईइ. .म माआ… हााईयईईईई…” हाँ राजा बस डाल दो आपना पानी

मैने दो टीन झटके और लगाए मेरा वीर्य उसकी छूट मे निकालने लगा मेरे साथ वो भी झड़ने लगी . इसी तरह हमने एक बार और सेक्स किया
आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताए



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