दीदी का पूरा प्यार तन बदन से

फिर मुझे नींद कब आई.. पता ही नहीं चला।

अगले दिन दीदी दूसरे कमरे में सोने जाने लगीं.. तो मैंने जिद की ‘मैं आपके साथ सोऊंगा..’
दीदी ने हँस कर हामी भर दी।

उस दिन भी मैंने वही किया।
ऐसा कई दिनों तक किया और फिर मैं हॉस्टल चला गया।

हॉस्टल में अब मेरा मन नहीं लग रहा था। बस हर पल दीदी की ही याद आती थी, बार-बार वो गुदगुदी गांड मेरे मन में आती रही।
वहाँ मैं दीदी के नाम की मुठ मारकर काम चलाता रहा।

अब वक्त आ गया है कि मैं उसके फिगर की बात आप सबके सामने लिखूँ।
मेरी दीदी की हाइट 5 फुट 4 इंच है। बदन एकदम गोरा।
चूतड़ मोटे-मोटे, बड़े-बड़े तरबूजों जैसे गोल।

उन्हें याद करके कई बार कच्छे में ही अपना माल टपका देता था।

अब बोर्ड एग्जाम के लिए बस एक ही महीना बाकी था और मैं तो साल भर बस दीदी की ही गांड याद करता रहा। मुझे डर लगने लगा था।
मैंने एक महीने ढंग से पढ़ाई की और इस बीच मैं दीदी को भूल ही गया।

अब पेपर भी खत्म हो गए थे, अब मुझे हमेशा के लिए हॉस्टल छोड़कर घर आना पड़ रहा था।
एक हफ्ता घर रहने के बाद मैं शहर आ गया।
यहाँ दीदी किराए के कमरे में रहती थीं।

मैंने कोचिंग करने का मन बना लिया था। मैं हर हाल मैं आइआइटी क्लियर करना चाहता था। अभी यहाँ आए हुए सिर्फ दो ही हफ्ते बीते थे कि दीदी को एक दिन शाम को अचानक मार्किट जाना था।

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दीदी ने मुझसे कहा- मुझे चेंज करना है।
मैं पढ़ रहा था.. तो मैंने मना कर दिया।

दीदी ने कहा- चल आँखें बंद कर ले।

मैं वापिस अपनी बुक को पढ़ने लगा।

मैंने नज़रें उठाईं तो देखा कि दीदी ने पजामा उतार दिया था और हैंगर से पैन्ट उतार रही थी।

उनकी गोरी-गोरी टांगें और गुलाबी फ्रेंची जो कि दीदी की चूत और गांड को ढके हुई थी।

इस नजारे को देखकर मैं खो सा गया, वाह क्या चूतड़ थे।

मैंने पहली बार दीदी के चूतड़ों को ढंग से देखा था। क्या मस्त गोल-गोल.. मोटे-मोटे थे। मैं उन्हें खा जाना चाहता था।
दीदी ने पैन्ट पहन ली।

अभी उन्हें ये पता नहीं था कि मैं पीछे से उन्हें निहार रहा हूँ।
दीदी ने टी-शर्ट उतारी तो मैं उनकी लाल ब्रा देखकर सारी आइआइटी ही भूल गया।

दीदी ने शर्ट हैंगर से उतारी और मेरी तरफ मुड़ीं।
मैं उनके उठे हुए मस्त मम्मे देखने लगा.. जो कि उनकी ब्रा के अन्दर महफूज़ थे.. उनको देखकर भूल ही गया कि मैं कहाँ हूँ।

मेरा लंड मेरी पैन्ट से बाहर आना चाह रहा था, यह एकदम से खड़ा हो गया था।

दीदी ने जैसे ही मुझे देखा.. उन्होंने एकदम पीछे मुड़कर झट से शर्ट पहन ली और फिर मुझे डांटा- तमीज़ नहीं है तुझे।
मैं चुप ही बैठा रहा।

दीदी की नज़र मेरी पैन्ट पर पड़ी.. मेरा तम्बू देख लेने के बाद गुस्से से पैर पटक कर बाज़ार चली गईं।
इसके बाद दीदी देर से कमरे पर वापस आईं।

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मैंने उन्हें ‘सॉरी’ बोला तो उन्होंने मुझे अपने गले से लगा लिया।
मैं उनके उठे हुए मम्मों में अपना सर छिपा कर चिपक गया।

आज मुझे मम्मों का मजा कम आ रहा था पर शायद दीदी को मेरे जिस्म को भींचने में ज्यादा सुख मिल रहा था।
तभी उन्होंने मेरे मुँह ऊपर उठाया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
मेरा जिस्म झनझना गया।

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