पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कैसे जग्गू, अंजलि, और दया की चुदाई करता है, और अंजलि की छूट में झाड़ जाता है. अब आयेज-
जग्गू और अंजलि बहुत बुरी तरह तक गये थे. अंजलि की छूट सूज जाती है. उसको बहुत दर्द था, तो वो सो गयी. दया की छूट में खुजली मची थी. अब वो जग्गू भाई का लंड हाथ में पकड़ लेती है. जग्गू भाई नींद में थे, और दया उसका लंड सहला रही थी.
दया को और चूड़ना था, तो वो उसका लंड मूह में ले लेती है, और चूसने लगती है. उसकी इस हरकत से उसका लंड फिरसे खड़ा होने लगता है, और नींद खुल जाती है. वो दया को देखता है तो दया नॉटी स्माइल पास करती है, और उसका लंड मस्त है ऐसा इशारा करती है. अब जग्गू दया के बालों को पकड़ कर उसके मूह को छोड़ता है, और वो पूरा लंड दया के मूह में डाल देता है.
दया के गले तक लंड चला जाता है. उसको साँस लेने में तकलीफ़ होती है, और उसकी आँखों से आँसू निकल जाते है. दया एक झटके से लंड बाहर निकाल देती है.
दया: जग्गू तू बहुत बड़ा कमीना है. मेरी तो जान निकल जाती छूतिए. लेकिन तेरे लोड पे मेरा दिल आ गया है. इसलिए तेरे सारे ज़ुल्म से रही हू.
अब दया लंड पे बैठ जाती है, और उछालना स्टार्ट कर देती है. पूरा बेड हिल रहा होता है. उससे अंजलि की आँख खुल जाती है. दया को चुदाई करता देख अंजलि दया की और नॉटी स्माइल पास करती है और कहती है-
अंजलि: वाह दया भाभी, आप तो अकेले-अकेले छुड़वा रही हो. हमे भूल गयी.
जग्गू अंजलि को बाहों में कस्स लेता है, और उसके बूब्स को दबाते हुए कहता है-
जग्गू तो अंजलि: अर्रे तू मेरी रंडी है. तेरी छूट का भोंसड़ा बनाया है. अभी तेरी गांद फाड़ता हू.
अब जग्गू अंजलि के गांद पे एक छमात मारता है. दया अभी भी जग्गू के लंड पे उछाल रही थी. दया का जोश बढ़ गया था. जग्गू अंजलि की गांद में एक उंगली डालता है. अंजलि की आ निकल गयी. अब वो एक उंगली अंदर-बाहर करने लगा. वो उंगली से उसकी गांद चुदाई कर रहा था.
अंजलि को बड़ा मज़ा आ रहा था. फिर धीरे से जग्गू ने एक और उंगली डाली, तो अंजलि की आ निकल गयी. उसको दर्द होने लगा. 2 उंगलियों से उसकी गांद की 2-3 मिनिट चुदाई की. अब वो दया को उसके लंड से उतार देता है, और दया से आचे से लंड चुस्वता है.
दया को पता था की अंजलि की गांद फटने वाली थी, तो वो अंजलि की गांद चाटने लगती है, पूरी गांद में उसका थूक भर देती है. जग्गू अब अंजलि को घोड़ी बना देता है, और अपना लंड गांद पे सेट करता है.
अंजलि बहुत दररी हुई थी. जग्गू एक ज़ोर का झटका देता है, और आधा लंड गांद में घुस जाता है. अंजलि ज़ोर से चीख देती है, और उसकी पूरी बॉडी काँप जाती है. उसकी गांद में से खून निकल रहा था.
अंजलि: मॅर गयी मदारचोड़! मुझे छ्चोढ़ दे. मुझे गांद नही मर्वानी. प्लीज़ मुझे जाने दो.
जग्गू ऐसे ही लंड सेट रखता है, और थोड़ी देर बाद आधे लंड से चुदाई स्टार्ट कर दी. अंजलि की गांद में से बहुत खून निकल रहा था. वो बहुत चिल्ला रही थी. थोड़ी देर बाद वो रिलॅक्स हो जाती है. जग्गू के सर पर तोड़ा जुनून सॉवॅर था. उसको गांद फाड़ने में और औरतों की चीखें सुनने का शौंक था.
अब वो एक और जोश से झटका देता है, और उसका पूरा लंड गांद में घुसा देता है. अंजलि वो से नही पाती, और बेहोश हो जाती है. जग्गू फिर भी अंजलि की गांद फाड़ रहा था. दया दर्र गयी और वो जग्गू के शिकंजे से अंजलि को च्चूधा लेती है. दया अब जग्गू के आयेज घोड़ी बन जाती है, और वो खुद उसके लंड को गांद में सेट कर देती है. उसकी इस हरकत से जग्गू को और जोश आ गया.
जग्गू एक ही झटके में पूरा लंड दया की गांद में उतार देता है. दया की चीख निकल गयी, और उसकी आँखों में आँसू आ गये. जग्गू बिना रुके बड़ी बेरेहमी से दया की गांद मार रहा होता है. वो दया के बालों को पकड़ लेता है, और ज़ोरो से चुदाई करता है.
जग्गू: अब बता रंडी, तूने कितने लंड लिए? सब का पानी निकाला है, तो अब मेरा भी निकाल के दिखा.
दया: अया मॅर गयी. जग्गू तुमने सच में मेरी गांद फाड़ डाली. मेरी ऐसी चुदाई आज तक नही हुई. तुम एक असली मर्द हो. मैं तो हमेशा के लिए तुम्हारी रंडी बनने को तैयार हू. जग्गू प्लीज़ मुझे धीरे से छोड़ो ना बहुत दर्द होता है.
जग्गू: मैने बहुत रंडिया छोड़ी, पर दया मैने तेरी जैसा मस्त माल नही छोड़ा. तुमने मुझे वो मज़ा दिया है, जो आज तक नही मिला.
दया: हा जग्गू मेरी भी बहुत मर्दों से चुदाई हुई है. पर किसी ने ऐसी चुदाई नही की. तुमने मेरी हालत खराब कर दी. आज लग रहा है कोई मुझे निचोढ़ रहा है. अब जब भी मौका मिलेगा यहा छुड़वाने आ जौंगी.
जग्गू दया की अलग-अलग पोज़िशन में आधे घंटे तक गांद मारता रहा. दया की गांद फटत गयी थी. उसकी गांद में से तोड़ा खून निकल गया था. वो तक गयी थी. गांद चुदाई से उसकी चूत पानी छ्चोढ़ रही थी. जग्गू का निकालने वाला था. वो सांड की तरह दया की चुदाई कर रहा था.
अब वो दया की गांद में अपना माल छ्चोड़ दिया. फिर वो और दया निढाल हो कर बेड पर गिर गये. दया अब जग्गू को चिपक कर लेट गयी. अंजलि की हालत इतनी खराब थी, की वो खुद से खड़ी हो नही पा रही थी. दया अब अंजलि को उठा कर बातरूम में ले गयी. अंजलि और दया ने बातरूम में शवर लिया. बाद में वो रूम में आ गये.
जग्गू अभी भी नंगा ही था. दया और अंजलि की चुदाई करके वो बहुत बुरी तरह तक गया था. दारू का नशा भी उतार गया था. अब वो फ्रेश होने चला गया. अंजलि और दया अपने कपड़े पहन कर रेडी हो गयी.
जग्गू फ्रेश होके नंगा ही खड़ा था. दया फिरसे सारी में आ गयी. टाइट सारी पहनी थी उसने, और पूरा कर्व फिगर दिख रहा था.
अची चुदाई के बाद उसका चेहरा खिल गया था. अंजलि का भी सेम हाल था. उसको अभी भी दर्द था, पर चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे. दोनो जग्गू के पास जाती है, और उसको हग कर देती है. फिर एक साथ गाल पर किस देती है.
अंजलि: जग्गू मेरी जान मार डाला तूने. आज दया भाभी नही होती तो तू मेरी जान निकाल देता. पर बहुत मज़ा आया. ये चुदाई हमेशा याद रहेगी.
दया: इसने तो मुझे भी बहुत आचे से छोड़ा है. असली मर्द है. कहा से इतना जोश आता है?
जग्गू: तुम दोनो जैसी रंडिया मिल जाए तो जोश आ ही जाता है. दया सारी में तुम बहुत ही सेक्सी लग रही हो. तुझे जाने देने का मॅन नही कर रहा.
( दया उसके लंड को हाथ में पकड़ कर)
दया: मुझे भी इस लंड को छ्चोढ़ कर नही जाना.
अंजलि: हा दया भाभी, मुझे भी अब इसमे मज़ा आ रहा है. बहुत तगड़ी चुदाई करता है.
दूसरी और तारक और मीनाक्षी चुदाई के बाद सो गये थे. वो दोनो साथ में शवर लेते है, और बातरूम में एक बार और चुदाई करते है. चुदाई के बाद वो दोनो भी गार्डेन में आके बैठ जाते है. शाम हो गयी थी. थोड़ी देर बाद दया, अंजलि और जग्गू भाई भी गार्डेन की और आ जाते है.
दया तो बहुत ही सेक्सी लग रही थी. उसको देख कर तारक का एक बार और मॅन मचल जाता है. अंजलि की गांद ऐसे फाटती थी, की उसको चलने में परेशानी हो रही थी. मीनाक्षी वो नोटीस कर रही थी.
मीनाक्षी: अर्रे अंजलि भाभी क्या हुआ? आप ऐसे क्यूँ चल रही है?
( दया, अंजलि और जग्गू भाई ये सुन कर थोड़े हड़बड़ा जाते है, लेकिन अंजलि कवर कर लेती है)
अंजलि: वो स्विम्मिंग पूल के पास तोड़ा पानी गिरा हुआ था, तो पैर फिसल गया. दया भाभी ने गिरते हुए बचा लिया, पर मसल पाईं हो गया लगता है.
अंजलि की बात सुन कर दया को हसी आ जाती है, और वो जग्गू भाई की और देखती है. अंजलि भी शर्मा जाती है. वैसे भी आज दया ना होती तो अंजलि की गांद का क्या होता? रात का टाइम हो गया था, तो वो सब साथ में डिन्नर करते है.
तारक की नज़र अब दया पर टिक गयी थी. दया ने भी नोटीस कर लिए था, की मेहता साब उसको लाइन मार रहे थे. दया भी च्छूप-च्छूप के उसको देखती है. दोनो की आँख-मिचोली शुरू हो गयी थी. डिन्नर के बाद वो सब टॅक्सी में बैठ कर गोकुलधाम की और निकल पड़ते है.
ये कहानी यहा ख़तम होती है. पर दया और तारक के बीच एक और कहानी शुरू हो गयी थी. और एक नयी कहानी के साथ मुलाकात होगी. आपको कहानी अची लगी हो, या कोई सुझाव हो तो मुझे मूडछंगेरबोय@गमाल.कॉम पर मैल करे.