कज़िन सिस्टर के साथ बातरूम में रोमॅन्स

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की कैसे रात को मैं नेहा की छूट में उंगली कर रहा था, और मुझे पता चला की वो सोने का नाटक करके मेरी उंगलियों का मज़ा ले रही थी. ये सब जानने के बाद मैने एक प्लान बनाया.

हेलो दोस्तों, मेरा नाम है निक. आज इस पार्ट में पढ़िए की मैने रात में मामा के कमरे से क्या बातें सुनी, और नेहा ने अपना इज़हार मुझसे कैसे किया?

रात में नेहा के झड़ने को अधूरा छ्चोढ़ कर, उसके मॅन और छूट में मेरे लिए और भी तड़प बढ़ने के बाद, मैं जैसे-तैसे सो गया. मैं जानता था की अब जो नेहा की छूट ने मेरी उंगलियों की आग पकड़ ली थी, मेरे लंड के अलावा वो किसी और चीज़ से शांत नही होगी.

अब मैं जब सुबह उठा, तो वही पिछले दिन जैसा रुटीन. नेहा मुझे उठा के अपने रूम में भाग गयी, और मैं कपड़े पहन के सो गया. फिर मामी ने सुबह-सुबह अपने हसीन चेहरे और हुस्न की पारी जैसे फिगर के साथ मुझे तडपा के उठा दिया.

मामा शहर के लिए जल्दी निकल गये. मैने छाई पी, और कुछ देर बाद मामी सब्ज़ी लेने मंदी चली गयी. मैने नेहा को देखा तो एक छोटी सी स्माइल दी, जैसे मैने कल रात उसके साथ कुछ करा ही ना हो. उसने भी बिल्कुल साधारण बर्ताव करा. मुझे देख कर वो बोली-

नेहा: और भैया, उठ गये?

मैं: हा, और तू?

नेहा: हा बस नहाने की तैयारी है अब.

उसका बर्ताव और हौंसला मानो और बुलंद हो गया था. जैसे उसे पता था की जो उसे चाहिए, वो उसे लेकर रहेगी. और फिर वही, जब मैं नहाने गया, तो बाहर के बातरूम में पानी नही आया, और मुझे नेहा के कमरे में नहाना पड़ा. मेरे बाद वो नहाई और फिर से मैने च्छूप कर नेहा को नहाते देखा.

वो छलकता पानी उसके चिकने चमकते बदन से फिसलता हुआ. वो पानी उसके गोरे, बड़े और गोल बूब्स के निपल्स से धार की तरह बहता हुआ. उसकी मखमली छूट को सहलाते हुए नीचे गिर जाता वो पानी. आए-हाए! ये बस मैं जानता हू की रात भर मैं खुद को कैसे कंट्रोल करता हू. नेहा ने फिर मुझे आवाज़ लगाई और अपनी ब्रा पनटी माँगी और मैने डेडी.

रात होती, तो मामा शहर से आ जाते. हम सब मिल कर खाना करते. पहले की तरह मैं वही देखता, की मामी मामा के सामने मूह फेर लेती, या बस हा और ना में जवाब देती.

मामी का बर्ताव देख कर मुझे उनके कमरे से च्छूप कर सुनी हुई बातें याद आ गयी. वो बात थी.

पिछली रात-

मामी: अगर ऐसा चलता रहा तो मेरी खुद के लड़के की चाहत कभी पूरी नही हो पाएगी.

मामा: अर्रे अब इसमे मैं क्या कर सकता हू?

मामी: हा सही है, तुम करोगे भी क्या? पहेले मुश्किल से 3-4 मिनिट्स तो चलता था. अब तो वो भी ख़तम हो गया है! अगर ऐसा ही चलता रहा, तो मैं.

और वो बिल्कुल चुप हो गयी, जैसे उन्होने खुद को कंट्रोल कर लिया हो.

मामा: तो मैं क्या? तो मैं क्या? ज़्यादा मूह ना चला कर शांति से सो जाओ, कल सुबह जल्दी उतना है.

और फिर मामा चादर ओढ़ के अपनी पीठ मामी की तरफ करके सो गये. और मामी, वो बेचारी खुद से ही अपने आप को शांत करने लग गयी. पकड़े जाने के दर्र से मैं वाहा ज़्यादा देर नही रुका, और वापस कमरे में सोने आ गया.

प्रेज़ेंट-

अब जब सोने की बारी आई, तो मामा-मामी अपने कमरे में, और नेहा चुपके से मेरे कमरे में. हम दोनो अंधेरे कमरे में एक-दूसरे से बस टाइम पास की बातें करते. जब तक वो सो जाने का नाटक नही करती.

जैसे ही वो सो जाती, मेरे हाथो का जादू उसके नंगे बूब्स पे चालू हो जाता. पिछली रात की तरह मैं उसके शरीर का पूरा मज़ा उठता, और जैसे ही उसकी साँसे तेज़ होने लगी, मैं मेरा हाथ वापस ले लेता. फिर चादर ओढ़ के सो जाता.

ये सिलसिला लगभग 6 दीनो तक चला. रोज़ नेहा मेरे साथ सोती, और मैं उसे क्लाइमॅक्स के बिल्कुल आखरी तिनके पे तड़प्ता हुआ अधूरा छ्चोढ़ देता. नेहा अब इतनी गरम और बेसबर हो चुकी थी, की मैं जब उससे दिन के टाइम भी बात करता, तब भी वो हकलाने लगती.

शायद अब वो दिन आ गया था. सब सुबह रोज़ की तरह अपना-अपना काम कर रहे थे. मामा शहर को और मामी सब्ज़ी लेने चली गयी. अब मैं और नेहा घर में अकेले थे. वो च्चत से नीचे आई, और मुझसे नज़रें चुरा रही थी. उसने शर्मा कर बोला-

नेहा: भैया वो… मैं नहाने जेया रही हू.

उसने उसके रूम की और इशारा किया, और चुप-छाप नहाने चली गयी. उसके बर्ताव से मैं समझ गया की आज के बाद हमारा भाई-बेहन का रिश्ता पहले जैसा नही रहेगा. मैं भी उसके पीछे-पीछे उसके कमरे में चला गया. उसने पूरी तरह गाते लॉक नही किया था, और मैं बिस्तर पे जाके बैठ गया. कुछ देर बाद उसने आवाज़ लगाई-

नेहा: भैया. मेरे अंडरगार्मेंट्स डेडॉ ना प्लीज़.

उसके बोलने के तरीके से पता चल रहा था, की अब उससे और नही रुका जेया रहा.

मैं: हा रुक, देता हू.

मैने उसकी टवल और ब्रा-पनटी ढूंढी और गाते के बाहर से ही हाथ अंदर डाल कर उसे देने लगा. बस देने ही वाला था की उसने एक झटके के साथ मुझे बातरूम के अंदर खींच लिया.

मेरे हाथ से कपड़े गिर गये, और पानी से मेरे कपड़े भीग गये. लेकिन मेरी आँखों के सामने जो नज़ारा था, मानो मेरी सालों की तपस्या आज पूरी हो गयी.

शवर का ठंडा पानी उसके टन पे गिर रहा था, उसके होंठो से होता हुआ, गले से फिसलता, और बूब्स से धार बन के बह जाता. पानी की हर बूँद उसके शरीर पे चिपक रही थी, जैसे उसके गोरे शरीर पे हीरे जड़े हो.

उसकी आँखें मुझसे मिली, एक लम्हे के लिए ठहरी, फिर धीरे से मेरे होंठो पे रुक गयी. 1 सेकेंड, 2 सेकेंड, बस उतना ही काफ़ी था.

उसने मेरा हाथ पकड़ा, एक झटके में मुझे अपने पास खींचा. फिर बिना किसी वॉर्निंग के उसके हाथ मेरे गले में चैन की तरह बाँध कर ज़ोर से मेरे होंठो को अपने होंठो के अंदर दबा लिया.

नेहा एक भूखी शेरनी की तरह अपनी जीभ मेरे मूह में दौड़ने लगी. जैसे मुझ पर उसका नाम लिख रही हो. जैसे मुझे अपना बना रही हो. मेरे हाथ खुद बा खुद उसकी कमर पे जेया लगे, और धीरे-धीरे मैं भी उसकी किस का जवाब देने लगा.

मेरा हाथ उसकी कमर से फिसल कर उसकी गोरी और कर्वी गांद पे जेया रुके. ऐसी जगह जहाँ चाँद भी शर्मा जाए. मैने उसे और पास खीच लिया, जैसे एक शेर अपने शिकार को दबा लेता है. उसके बूब्स मेरी छाती से चिपक गये, नरम, गीले, और हर साँस के साथ उपर-नीचे होते हुए.

शवर के ठंडे पानी के बावजूद मुझे उसके शरीर से निकलती गर्मी और हार्ड हो चुके निपल महसूस हो रहे थे. नेहा के होंठो की हर चाहत, हर एमोशन्स, इस एक किस में थी.

हम दोनो 5 मिनिट तक, बिना रुके, बिना किसी हिचकिचाहट के, बिना किसी शरम के. बस एक पॅशनेट किस करी. जैसे ये हमारी ज़िंदगी के आखरी 5 मिनिट हो.

शवर से पानी अब भी हमारे उपर गिर रहा था. नेहा ने प्यार से किस तोड़ी, और बिना पीछे हटते मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोली-

नेहा: भैया प्लीज़, मैं आपके बिना अब और नही रह सकती. प्लीज़, बस आज के लिए, अपने आप को मेरे हवाले कर दीजिए.

और बिना मेरा जवाब सुने, उसने खुद को मुझसे और टाइट दबा कर एक और पॅशनेट किस शुरू कर दी.

ओक गाइस, आयेज की स्टोरी अगले पार्ट में. तब तक के लिए गुडबाइ.

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