कज़िन बहन की चुदाई जारी रखी

हेलो दोस्तो जैसे की अपने पिछले पार्ट मे पढ़ा की फाइनली मैने प्रीति को कैसे छोड़ के उसकी वर्जिनिटी तोड़ी. अब इश्स पार्ट मे पढ़े कैसे मैने प्रीति को बातरूम मे छोड़ा अंकल आंटी के आने से पहले.

चुदाई के बाद प्रीति को चलने मे प्राब्लम हो रहा था आंड वो कमर मटका मटका के चल रही थी.

प्रीति: बेबी मुझे चलने मे प्राब्लम हो रहा है आंड पाईं भी हो रहा है आंड तोड़ा जलन भी है.

मे: तुम तोड़ा रेस्ट करो मे बाहर जेया के मेडिसिन आंड कुछ खाने को ले आता हूँ.

मे 30 मिनिट्स बाद पेनकिलर आंड खाना ले आया आंड हुँने जल्दी से लंच किया. और मैने प्रीति को मेडिसिन दिया आंड उसे हग कर के सो गया.

शाम के 5 बजे मेरी नींद खुली प्रीति अभी भी सू रही थी. मैने प्रीति को उठाया.

मे: उठो अब पाईं कैसा है बेबी?

प्रीति: अब ठीक है.

मे: तुम रेस्ट करो मे हिट वॉटर बाग मे पानी गर्म के लता हूँ. तुम थोड़ी सेकई कर लेना तब जल्दी ठीक हो जाएगा.

प्रीति: इतनी केर क्यूँ करते हो मेरा, इसी बात के लिए तो मे तुम्हारे लिए पागल हुए रहती हूँ.

मे: क्यूँ ना करू जब इतनी प्यारी बहें हो तो केर करना हे पड़ता है.

उस दिन हमने और सेक्स नही क्या मैने प्रीति को रेस्ट लेने दिया. नेक्स्ट दे मॉर्निंग जब मेरी आँख खुली तो प्रीति उठ चुकी थी. मे भी उठ के फ्रेश हो के प्रीति को ढूनडते हुए किचन मे गया. देखा तो प्रीति छाई बना रही थी.

प्रीति: उठ गये छाई रेडी है पे लो.

मे: हन दो, अब तो तुम्हारा पाईं ठीक है ना.

प्रीति: हन अब पूरी तरह से ठीक है.

कुछ देर बाद हुँने ब्रेकफास्ट किया आंड नीचे आ के टीवी देखने लगे. तभी अंकल का कॉल आया-

अंकल: हेलो यहा पे सब काम हो गया है हम शाम तक वापस आ जाएँगे. घर पे सब ठीक है ना?

प्रीति: ओक पापा आराम से आइए आप लोग यहा सब ठीक है.

प्रीति: मे जेया के नहा लेती हूँ.

मे: हन ठीक है जाओ.

प्रीति टवल उठा के वॉशरूम में चली जाती है.

में 5 मीं तक वही बैठा रहा हू सोचते हुआ की मेरी किस्मत कितनी अची है प्रीति मेरी अपनी कज़िन मेरे से चुड रही है. कल के बारे मे सोच रहा था आंड मेरा लंड खड़ा हो गया. मैने सोचा अंकल आंटी के आने से पहले और एक बार प्रीति को छोड़ हे लेता हूँ उनके आने के बाद मिलेगा भी या नही.

और मे वॉशरूम की तरफ बढ़ा और जब मैने बातरूम के डोर ओपन किया तो देखा प्रीति वॉल की तरफ फेस किया हुआ है और आराम से नहा रही है कोई गाना गुनगुनाते हुआ.

पीछे से प्रीति की चिकनी पीठ एक दम सॉफ और मखमली दूध जैसी सफेद थी. और प्रीति की गांद तो जैसे सेब को दो हिस्सो में काट दिया हो. एकदम प्रीफेक्ट शेप थी उसकी गांद.

ये नज़ारा देखते हुआ मेरा लंड फिरसे खड़ा हुआ जा रहा था. मे धीरे से जाके प्रीति को पीछे से अपनी बाहों में पकड़ लिया और उसकी गांद पे अपना लंड दबा दिया.

प्रीति: आहह क्या कर रहे हो ओह..

फिर मैने अपने होत पीछे से उसकी गर्दन पर रख दिए और चूमने लगा.

प्रीति: आहह म्‍म्म्मम उफफफफफ्फ़.. प्रीति सिसकारियाँ लेने लगी..

मैने प्रीति के हाथ को पीछे लाया और एक हाथ से उसके दोनो हाथो में अपना एल्बो तक डाल के उसको पकड़ लिया. प्रीति के रसीले चुचे अब दीवार से डब गये थे और मैने ज़ोर से प्रीति की गांद पे थप्पड़ लगाया.

प्रीति: आहह एम्म्म दर्द होता है..

मई: इस दर्द का भी एक अलग ही मज़ा है मेरी जान… और एक और ज़ोर से थप्पड़ लाया उसकी गोरी चिकनी गांद पे.. आहह उफफफफफफफफफफफफ्फ़… प्रीति सिसकारियाँ लेने लगी.

फिर मैने एक हाथ आयेज ले जाके प्रीति के एक बूब्स के आयेज रख लिया और फिर से उसको दीवार से दबा दिया. उसकी एक चुचि अब मेरे पूरे हाथ में थी और में अपनी उंगलियों को उसके निपल पे रगड़ने लगा.

प्रीति की साँसें तेज होने लगी. और मैने अपने होंठ प्रीति की गर्दन पे रख कर चूमते और चूस्ते हुआ कभी उसके कंधे पे चले जाता तो कभी पीठ से होता हुआ उसकी कमर तक अपने होंठो को रगड़ता. तो कभी अपनी जीभ से उसके पूरे बदन को चाटने लगता.

मेरा लंड प्रीति की गांद पे दबा हुआ था और उसकी छूट की गर्मी मुझे अपने लंड पे फील हो रही थी.

थोड़ी देर बाद प्रीति ने अपना एक हाथ पीछे लाके मेरे लंड को पकड़ लिया. उसके हाथो का स्पर्श मेरे लंड मे करेंट डोर गये, और मेरा लंड तो जैसे पतहर हो गया था.

अब प्रीति मेरे लंड पे अपने कोमल हाथो से मूठ मार रही थी. मेरी आँखें बंद हुई जेया रही थी मज़े में.

फिर मैने अपना दूसरा हाथ आयेज ले जाके प्रीति की मखमली जाँघो के बीच में रख दिया और उसकी छूट के उपर अपनी उंगलियों से धीरे धीरे मसालने लागा.

प्रीति: एम्म आहह एम्म श आहह एसस्स्सस्स…

अब में अपने हाथो से उसकी छूट को स्पीड से मसालने लगा था और उसके हाथ अब मेरे लंड पे ज़ोर से पकड़े हुआ थे बस. उसने मूठ मारना बंद कर दिया था और अपनी गांद को आयेज पीछे करके मेरे हाथो से अपनी छूट मसलवा रही थी.

फिर मैने अपना हाथ पीछे खिच के प्रीति की गोरी चिकनी गांद पे ज़ोर से थप्पड़ लगाया. प्रीति के मूह से चीख निकल गयी.

प्रीति: आहह…

मई: *उसके कानो के पास जाके* प्रीति बोलो अब क्या करू?

प्रीति: आहह प्लेआस्ीई मेरी छूट बहुत गीली हो चुकी है प्लीज़ इसे छोड़ छोड़ के पानी निकल दो.

मई: एम्म बोल तू मेरी है बस और मुझसे ही चुडवाएगी.

प्रीति: आहह में सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारी ही हू. तुम ही मेरी चूत के मलिक हो अब से आहह… प्लीज़ अब चोद दो मेरी चूत को म्‍म्म्मम श एसस्सस्स..

मैने फिर प्रीति के पेट के आयेज हाथ ले जाके पीछे की और खिच लिया जिस से उसकी गांद बाहर आ गयी थी.

फिर उसकी टाँगें छोड़ी करके अपना लंड उसकी छूट के मूह पे रखा और उसकी छूट के दाने पे अपने लंड को रगड़ने लगा. उसकी छूट सच में बहुत गीली हो रही थी.

उसकी छूट का रस रिस रिस कर शवर के पानी से सॉफ हो रहा था. फिर प्रीति के हाथ पीछे ला के अपने एक हाथ से उसके दोनो हाथो में घुसा के एल्बो तक पकड़ लिया और उसके चुचे दीवार से डब गये.

प्रीति: आहह अब और रहा नही जाता घुसा दो अपने लंड मेरी छूट में उफ़फ्फ़ अहह…

मैने एक ही धक्के में अपना लंड जड़ तक प्रीति की रसीली रस टपकती हुई छूट में पेल दिया. प्रीति के मूह से चीख निकल गयी और वो हाफने लगी.

फिर मैने एक बार फिरसे पूरा लंड बाहर निकल और एक जोरदार धक्के से फिरसे उसकी छूट में उतार दिया. प्रीति के मूह से फिरसे एक जोरदार चीख निकल गयी.

इस बार मैने प्रीति के मूह पे अपना हाथ रख दिया था ताकि आवाज़ नेबर्स तक ना जाई. अब दूसरे हाथ से मैने प्रीति के बालों को पीछे खिच लिया और उसकी छूट पे पहले धीरे धीरे धक्के लगाने लगा.

नज़ारा बहुत ही मदहोश करने वाला था. प्रीति अपने कज़िन का लंड अपनी रसीली छूट में एक रंडी की तरह ले रही थी. उसकी बालों को घोड़े की लगाम की तरह बना के उसकी छूट की सवारी करने लगा, प्रीति की चीख अब सिसकारियों में बदल गयी थी.

प्रीति: आ एम्म ओह एसस्सस्स बहहुतटत्त माअज़्जजाआ आ रहहाअ है उफफफफफफ्फ़…

मई: आहह प्रीति बहुत ही टाइट छूट है तेरी.. मेरी सेक्सी बहें एम्म्म ओह एसस्स्स्सस्स..

आंड प्रीति की छूट में अपने लंड को बड़े बड़े धक्के लगा के जड़ तक पेलने लगा. मानो प्रीति की छूट की चटनी बन रही हो कूट कूट के. फिर मैईएन प्रीति के बाल फिर से पीछे खिसे और उसकी छूट में ज़ोर ज़ोर धक्के लगते हुआ उसकी गांद पे दूसरे हाथ से और ज़ोर से तपद लगाया.

प्रीति: आहह उफ़फ्फ़ क्या मस्त छोड़ते हो आअहह म्‍म्म्मम और ज़ोर से छोड़ो एम्म आहह एसस्स…

मई: आहह प्रीति उउउफ़फ्फ़ तुम अब बस मेरी हो ऊवू शीत फक..

फिर मैने प्रीति की छूट में धक्के लगते हुआ उसकी गांद को अपने एक हाथ से मसालने और सहलाने लगा. कुछ देर बाद मैने प्रीति की गांद के छेड़ में अपनी इंडेक्स फिंगर धीरे से घुसा दी..

प्रीति चुदाई के मज़े ले रही थी तो उसे इतना दर्द नही हुआ. अब में प्रीति की छूट को अपने लंड से और प्रीति की गांद के छेड़ को अपनी उंगली से छोड़ रहा था. लगभग 15 मीं की चुदाई के बाद प्रीति ज़ोर से बोली-

प्रीति: आहह फुक्कक रूको मत प्लीज़ अहहह एस्स फक मई हार्डर ओह मी गोदडड़ आअहह आअहह…

मुझे साँझ मे आ गया की प्रीति झड़ने वाली है मैने फिर गांद के छेड़ उसे उंगली निकल कर उसकी गांद पे एक ज़ोर से थप्पड़ लगाया. और उसके बालों को घोड़े के लगाम बना कर फिर से उसकी छूट की चुदाई करने लगा.

प्रीति: आहह एमेम आहह एस्स फक मे हारदद्दर रूको मत प्लेआसीए एस्स एस्स एस्स एस्स ऐसे हे अया..

मई: आहह एम्म एस प्रीति अपनी छूट में जड़ तक खा जाओ मेरे लंड को आहह उफ़फ्फ़ एस्स…

प्रीति: आहह प्लीज़ और ज़ोर से छोड़ो एम्म आअहह आअहह…

ये वर्ड प्रीति के मूह से सुनके पता नही क्यों मेरा लंड और हार्ड हो गया. मैने एक हाथ से उसके बाल पीछे खीछे और दूसरे हाथ से उसके गले को पकड़ के उसकी छूट में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा कर छोड़ने लगा.

करीब 1-2 मिनिट्स लगातार धक्को के साथ प्रीति की सिसकारियाँ भदने लगी और ज़ोर ज़ोर से हाफने लगी.

प्रीति: आहह आहह फुक्कक मीईईन्न्न्न् झाद्दद्ड र्हीईिइ हुउऊ आहह एससस्स ऊहह आआहह फुक्ककककक…

में रुका और प्रीति को अपने लंड के उपर आराम से झड़ने दिया. मुझे उसकी छूट से रस बहता हुआ मेरी जांघों तक फील हो रहा था. करीब करीब उसकी छूट 7-8 झटके खा कर झाड़ गयी मेरे लंड पे.

अगर कहानी अची लग रही है तो आप लोग मुझे त्यरनतसिंघ@गमाल.कॉम पे अपना फीडबॅक ज़रूर दे. ताकि मुझे आगे की कहानी जल्दी लाने की मोटिवेशन मिले, थॅंकआइयू.

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