हेलो दोस्तों, आपने मेरी टीचर चुदाई कहानी के लास्ट पार्ट में पढ़ा की कैसे मैने अपनी टुटीओन टीचर नफीसा को अकेले में दबोच के उसकी छूट मसली और उसे तड़प्ता छ्चोढ़ गया. पूरी कहानी का मज़ा लेने के लिए पिछला पार्ट ज़रूर पढ़े. अब आयेज-
मैं नफीसा को तड़प्ता छ्चोढ़ तो आया था, पर मेरा लंड शांत होने का नाम नही ले रहा था. मैं रास्ते में ही था. इतने में मुझे मेरी क्लास रेप्रेज़ेंटेटिव रश्मि का कॉल आता है की उसकी मम्मी अभी मार्केट गयी थी, और वो घर में अकेली थी. मेरा लंड भी उबाले मार रहा होता है, तो मैं रश्मि को हा बोल देता हू.
मैं आपको रश्मि के बारे में भी बता देता हू. रश्मि हमारे कॉलेज की टॉपर थी. उसका फिगर एक-दूं सॉलिड था, एक-दूं स्लिम, मीडियम साइज़ के चुचे, और आपल शेप के चूतड़. वो मुझसे पहले भी काई बार चुड चुकी थी. वो मुझसे कैसे चूड़ी ये मैं कभी और बतौँगा.
मैने जैसे ही रश्मि के घर की बेल बजाई, उसने मुझे अंदर खींच लिया, और मेरे होंठो को चूमने लगी. मैने उसकी ओवर साइज़्ड त-शर्ट के अंदर के अंदर हाथ डाल के उसके चुचे दबोच लिए.
मैं: क्या बात है, आज तो बड़े जोश में है कुटिया?
रश्मि: इतने दीनो से आपको कॉल करे जेया रही हू. आप छोड़ने के लिए आते नही हो. मेरी छूट में आग लगी हुई है.
मैं (एक हाथ रश्मि के शॉर्ट्स के अंदर डाला, और छूट मसालने लगा): छूट तो बहुत आग मार्टी है तेरी कुटिया. आज तेरी छूट की गर्मी मिटाता हू.
रश्मि (रश्मि की पीठ दीवार की तरफ थी, और वो अपनी छूट में 2 उंगलियाँ एक साथ होने की वजह से ठीक से खड़ी नही रह पा रही थी): अया, रोज़ गरम हो जाती है आपकी कुटिया की छूट. प्लीज़ रोज़ मारा करो इसे.
मैने रश्मि की एक टाँग उठाई, और उसकी छूट में एक झटके में लंड घुसा दिया. रश्मि की छूट पूरी गीली हो रखी थी, तो बिना किसी दिक्कत के अंदर घुस गया. वो ज़ोर-ज़ोर से आहह ह करने लगती है.
रश्मि: आहह, रूम में तो चल लेते. यहाँ गाते पे कोई आ गया और सुन लिया तो दिक्कत हो जाएगी.
मैने रश्मि को उसके दोनो पैर अपनी कमर पे फोल्ड करने बोला, और उसे गोद में उछाल-उछाल के छोड़ते हुए रूम में ले गया.
रश्मि: अफ लवी, ऐसे ही और ज़ोर-ज़ोर से उछाल-उछाल के छोड़ो मुझे.
मैं: साली तेरी चूत की गर्मी दिन बा दिन बढ़ती जेया रही है. अपने क्रश को प्रपोज़ कर रंडी, और उससे चूड़ना पुर दिन.
रश्मि: उसने हा भी बोल दिया तो क्या गॅरेंटी वो तुम्हारे जितना मस्त छोड़ता हो (मेरे मूह पे अपने चुचो को डालते हुए). चुप-छाप इन्हे चूसो, और छोड़ो अपनी कुटिया को.
मैं रश्मि के चुचो को चूस्टे हुए उसे उछाल-उछाल के छोड़े जेया रहा था. 5 मिनिट बाद मेरे पैर तक गये. मैने रश्मि को डाइरेक्ट बेड पे फेंक दिया.
रश्मि: गांद तोड़नी है मेरी, कमर नही. आराम से फेंका करो, आपकी ही कुटिया हू. कमर टूट गयी तो किसे छोड़ोगे?
मैं (मैं भी बेड में कूद गया, और डाइरेक्ट रश्मि की छूट में लंड घुसा दिया): साली चूड़ेगी तो तू फिर भी.
रश्मि: ज़रूर, कुटिया की क्या औकात आपके सामने, मुझे जैसे भी छोड़ो.
इधर मुझे नफीसा कॉल पे कॉल करे जेया रही थी. 1 घंटे रश्मि की ताबड़तोड़ चुदाई करने के बाद मैं भी घर चला गया.
ऐसे ही 2-3 दिन बीट गये, और मैं टुटीओन नही गया था. नफीसा के रोज़ कॉल्स और मेसेजस आ रहे थे. सॅटर्डे को नफीसा ने मेरी मम्मी कॉल कर दिया की लॅविश 3-4 दिन से टुटीओन नही आ रहा है. मेरी मम्मी को पता था की मैं घर पे ही था, तो उन्होने मुझे कुछ नही बोला और बोला टुटीओन चले जेया आज और बोला 11 बजे की क्लास है.
मैं 12 बजे नफीसा के घर पहुचा, और बेल बजाई. उसने झट से गाते खोला. नफीसा ने ग्रीन कलर की टाइट कुरती पहन रखी थी, जिसमे उसके चुचे बाहर आने को हो रहे थे.
नफीसा (गुस्से में): 11 बजे की क्लास थी. 12 बाज गये है. लाते आने लगे हो वापस?
मैं: बच्चे तो अभी तक दिखाई नही दे रहे है?
नफीसा: वो तुम इतने दीनो से नही आए थे, इसलिए तुम्हारी एक्सट्रा क्लास रखी है आज मैने. और तुम मेरा फोन क्यूँ नही उठा रहे इतने दीनो से?
मैं: मुझे लगा अननोन नंबर है स्पॅम कॉल्स होंगी माँ.
नफीसा: अछा ठीक है. बुत तुम मुझे नाम से क्यूँ नही बुला रहे हो? उस दिन बोला तो था.
मैं: आप मुझे पढ़ती हो, इसलिए माँ ही बोलना ठीक है.
नफीसा: तुम उस दिन अचानक क्यूँ भाग गये थे?
मैं (अंदर ही अंदर हेस्ट हुए): जब आपको अछा नही लग रहा था, तो मैं आपके साथ ज़बरदस्ती क्यूँ करू?
नफीसा (हिचकिचाते हुए बोली): आज भी कोई घर पे नही है. तुम कुछ ग़लत मत करना.
मैं: ठीक है माँ.
नफीसा मुझे अपने बगल में ही बिता के पढ़ा रही थी. 1 घंटा हो गया था, और 1 घंटे में नफीसा बार-बार किचन जेया रही थी.
नफीसा: चलो बहुत देर हो गयी पढ़ते हुए. अब ब्रेक ले लेते है, और थोड़ी बातें कर लेते है.
मैं (मैं नफीसा के सब इशारे समझ रहा था): नही माँ, कोई नही, आप पढ़ा लीजिए.
नफीसा: लॅविश मुझे माँ मत बोलो अब. अभी नही पढ़ा रही हू ना.
मैं: ठीक है माँ, जैसा आप बोलो.
नफीसा (गुस्से का नाटक करते हुए मेरी गोद मैं बैठ गयी): जो चीज़ तुम्हे माना करती हू, तुम्हे वहीं चीज़ करने मैं ज़्यादा मज़ा आता है ना?
मैं (नफीसा को अपनी गोद से उठाने की नकली कोशिश करते हुए): नही माँ, उस दिन आपको मेरा चूना पसंद नही था, तो मैं चला गया था ना.
नफीसा: नही, किसने बोला मुझे पसंद नही आ रहा था (जल्द-बाज़ी में नफीसा के मूह से निकल गया).
मैं: क्या माँ?
नफीसा: नही-नही, मेरा वो मतलब नही था.
मैं: ठीक है फिर मेरी गोद से तो उठिए.
नफीसा (गुस्से में बोलती है): लॅविश तुम ज़्यादा नाटक ना करो अब. क्यूँ मुझे तडपा रहे हो? तुम आचे से जानते हो मैने तुम्हे आज क्यूँ बुलाया है टुटीओन इतनी सुबा-सुबा.
मैं: क्यूँ बुलाया है आपने मुझे माँ? और मैं क्या तडपा रहा हू आपको?
नफीसा मुझसे एक-दूं चिपक गयी, और मेरे होंठो को चूमने लगी. मैं अभी भी नाटक कर रहा था, क्यूंकी मैं चाहता था नफीसा मेरे लंड के लिए तड़पने लगे, और मेरी पर्मनेंट रंडी बन जाए. ऐसे ही 5 मिनिट लगातार किस चली, और मेरा लंड पूरा खड़ा होके नफीसा की छूट को देख रहा था.
फिलहाल के लिए इतना ही. अगले पार्ट में पढ़िएगा नफीसा ने ऐसा क्या बोला की मुझे उसको छोड़ना ही पड़ा. पिछले पार्ट में आप लोगों ने मुझे बहुत अछा सपोर्ट दिखाया और फीडबॅक दी.