कम से कम 7-8 पिचकारी मैंने डॉली की चूत में ही छोड़ दीं। अब मेरी हालत कुछ ऐसी हो गई थी कि जैसे मेरे लंड से पानी नहीं.. मेरी जान ही निकल गई हो। हम दोनों की सांसें कुछ इस तरह फूली हुई थीं.. जिसे संभालने में हमें 3-4 मिनट लग गए।
फिर चुदाई के 5 मिनट बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और फिर कमरे का गेट खोल दिया.. जिससे अब बच्चे आ सकें।
डॉली फिर से मेरे पास आई और मुझे क़िस करते हुए बोली- जान.. आज तो तुमने मेरी जान ही निकाल दी.. मेरी चूत में से तुम्हारा पानी अब भी निकल रहा है.. जैसे मेरा पानी निकल रहा हो। आज तो तूने बहुत सारा माल निकाला है.. क्या खाकर आए थे आज?
तो मैंने डॉली से कहा- जान 3 दिन का आज एक दिन में ही निकाल दिया है समझी।
अब हम दोनों हँसने लगे। फिर कुछ देर बाद स्टूडेंट आने शुरू हो गए और मैं भी वहाँ से घर आ गया।
आपको मजा तो आ रहा है ना.. मुझे जरूर लिखना.. जिससे मैं स्टोरी को और मजेदार ढंग से लिख सकूं।
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