पार्क में बैठी लड़की एक बूढ़े से झोंपड़ी में चुदी

यह बात 10 दिन पहले की है। मैं चुदाई के लिए बहुत तड़प रही थी,‌ तो मन में ख्याल आया क्यूं ना कपल पार्क में जाऊं। क्या पता कोई मुझे भी मिल जाए। फिर मैं तैयार हुई। मैंने एक बिना ब्रा के टी-शर्ट पहनी, जिससे मेरे दोनो चूचे साफ दिखाई देने लगे, और नीचे एक स्कर्ट पहन ली।

मैं घर से पार्क में आ गई। पार्क में बहुत से कपल थे। कोई किस कर रहे थे, तो कोई एक-दूसरे को सहला रहे थे। मैं पार्क के एक कोने में आकर बैठ गई। तभी मेरी नजर एक कपल पर गई। लड़का-लड़की को किस कर रहा था, और उसके एक हाथ में लड़की के चूचे पर थे, और लड़की का हाथ लड़के के लंड को सहला रहा था।

उन दोनो को ऐसा करते देख मेरा भी दिल हो रहा था, कि मैं भी उनके पास चली जाऊं। और लड़के का लंड मुँह में भर लूं। पर ऐसा कर नहीं सकती थी। फिर मैं भी उन दोनों को देखते हुए अपनी स्कर्ट के उपर से चूत सहलाने लगी। मैं सब कुछ भूल कर उन दोनों को ही देखे जा रही थी। तभी किसी की एक हल्की आवाज मेरे कानो में सुनाई दी।

“मुझे मौका दो, मैं अच्छे से तेरी चूत सहला देता हूं। तुम भी अकेली हो, और मैं भी चूत चाटने को तरस रहा हूं”। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो दाढी मूछ वाला एक आदमी खड़ा था। देखने में भी वो 50 से ज्यादा उम्र का लग रहा था, और कपड़े भी उसके बहुत गंदे थे। मैं उसको देख कर एक बार तो डर ही गई।

वो मुझे देख कर मुस्कराने लगा। मैं कुछ बोलती उससे पहले ही वो बोलने लगा।

आदमी: बेटी चूत की आग उम्र नहीं देखती है। एक बार मेरे साथ चल कर देख, तू नौजवान को भूल जाएगी।

उसने बोलते हुए मेरे एक चूचे को मसल दिया। मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई। फिर मन में सोचा क्यूं ना एक बार चुदवा कर देख लूं। वैसे भी चुदाई के लिए कितना तड़प रही हूं।

उसने मुझे फिर पूछा: चलोगी?

मैंने आंखो से उसको हां कर दी।

वो मुझे बोला: मेरे पिछे चल।

मैंने हां की और उसके पीछे चलने लगी, और सोचने लगी यह क्या सच में मुझे मजा देगा। यहीं सोचते हुए मैं उसके पीछे चलती रही। हम दोनो पार्क के एक कोने पर पहुंच गए। वहां पर पार्क की दीवार पर एक छेद था। उसने मुझे छेद के अंदर जाने को बोला। मैं अंदर चली गई। जैसे ही अंदर गई तो देखा मैं एक झोपड़ी के अंदर आ गई थी। वहां पर पेंटी ओर ब्रा पड़ी हुई थी।

अब वो भी अंदर आ गया, और मुझे बोला: रंडी क्या देख रही है? तेरी जैसी चुदासी की मैं यहीं चुदाई करता हूं। और बदले में सब की ब्रा-पेंटी यही रख लेता हूं।

यह बोल कर उसने मुझे पकड़ लिया, और मेरे मुलायम होंठो पर अपने होंठ लगा दिये। उसके मुंह से बहुत गंदी बदबू आ रही थी। पर अब कर भी कुछ नहीं सकती थी। वो मेरे होंठ चूसने लगा, और अपने हाथों से मेरी गांड को जोर-जोर से दबाने लगा। उसने मेरी स्कर्ट को नीचे कर दिया। अब मैं पेंटी में रह गई नीचे से। उसने मेरे पूरे चेहरे को अपनी थूक से भर दिया। फिर हम दोनों अलग हुए।

वो मुझे बोला: कुतिया जल्दी नंगी हो जा। मेरा लंड कब से तुझे चोदने को तैयार हुआ बैठा है।

वो बोलते हुए अपने कपड़े उतारने लगा। मैंने भी अपनी टी-शर्ट और पेंटी उतार दी। मेरी साफ चूत देख कर उसके मुंह में पानी आ गया।

वो अंडरवियर में था। उसका खड़ा हुआ लंड साफ दिखाई दे रहा था। उसने मुझे नीचे बिठा दिया, और अंडरवियर के अंदर खडे हुए लंड को मेरे मुँह पर रगड़ने लगा। मैं समझ गई कि मुझे उसका लंड चूसना था। तो मैंने अंडरवियर के ऊपर से लंड को पकड़ लिया, और अंडरवियर नीचे कर दिया।

अंडरवियर नीचे होते ही उसका बालों से भरा हुआ लंड सामने आ गया। उसका लंड लम्बा और काफी मोटा था। मेरी आंखो में भी एक चमक आ गई उसके लंड को देख कर। मैंने अपना मुंह खोल दिया, तो उसने देर ना करते हुए लंड मेरे मुँह में भर दिया।

उसके लंड से पेशाब की बदबू आ रही थी। मुझे उल्टी आने को हुई, पर उसने मेरा सर पकड़ कर लंड पर लगा दिया।

उसका लंड सच में मेरे गले तक चला गया। मैं सांस ना आने से तड़प उठी। कुछ देर उसने लंड मेरे मुँह में रखा,‌ और फिर बाहर निकाल लिया । मैं जोर-जोर से सांस लेने लगी। अभी मैं कुछ संभल पाती, उसने फिर से पूरा लंड मेरे मुँह में भर दिया। अब मैं भी लंड को मुँह में जाते ही चूसने लगी। मेरा ऐसा करते ही उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगी।

वो मुझे बोलने लगा: रंडी क्या लंड चूस रही है तू। आज तक किसी ने ऐसा लंड नहीं चूसा मेरा।

मैं लंड को चूसते हुए अपने एक हाथ से अपनी चूत को भी सहला रही थी।

काफी देर बाद उसने मेरे मुँह से लंड बाहर निकाल लिया। फिर मुझे उठा कर एक खाट पर पटक दिया। उसने मेरी चूत पर अपना थूक फेंका, और हाथ से मेरी चूत पर थूक मलने लगा। फिर उसने मेरे एक चूचे पर जोर का थप्पड़ मार दिया। मैं उसके थप्पड़ पड़ते ही चीख उठी।

मेरा दर्द कम होता, उससे पहले ही उसने मेरी दोनो टांगो को उपर कर दिया, और लंड को चूत से लगा कर एक जोर का धक्का मार दिया। मैं लंड चूत में जाते ही तड़पने लगी। मेरी आंखो के आगे अंधेरा छा गया। आज मुझे ऐसा लगा जैसे मैं पहली बार लंड चूत में ले रही थी।

उसने 3-4 धक्के मार कर पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया। मेरी आंखों को बन्द देख कर उसने मेरे मुँह पर 2-3 थप्पड़ रसीद कर दिये।

मैं उसको बोलने लगी: मुझे मारो मत। चाहे मेरी चूत को पुरी फाड़ दो।

वो हंसते हुए मुझे चोदने लगा। आज सच में मेरी असली चुदाई हो रही थी। मेरी चूत पानी छोड़ दी। अब उस झोपड़ी के अंदर फच फच फच की आवाज आनी तेज हो गयी। चूत गीली होने से उसका लंड अब पूरा मेरी बच्चेदानी तक जा रहा था। वो मुझे खूब चोदे जा रहा था, जैसे बहुत दिनों बाद उसको कोई चूत चोदने को मिली हो।

काफी देर की चुदाई के बाद उसने लंड चूत से बाहर निकाल लिया, और मेरे चूचों पर आकर बैठ गया। उसके भारी भरकम शरीर से मैं दब गई, और मेरा मुँह खुल गया। उसने मेरे मुँह पर लंड‌ हिलाना शुरु कर दिया। थोड़ी ही देर में उसके लंड ने पानी की एक धार छोड़ दी, जो मेरे मुँह के अन्दर आ कर गिरी। उसके लंड से निकलने वाली धार ने मेरा पूरा मुँह अपने पानी से भर दिया।

जो पानी मेरे मुँह में था मुझे पीना पड़ गया, और मेरे चेहरे पर गिरा हुआ पानी उसने मेरी पेंटी से साफ कर दिया। फिर मैंने भी उसका लंड मुँह में लेकर चूस कर साफ कर दिया। अब हम दोनो अलग हो गए।

आगे की कहानी आपको अगली कहानी में बताऊंगी। अब तक की कहानी आप सब को कैसी लगी मुझे जरूर बताना।

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