चुदासी चाची की कामुकता भरी कहानी

मेरे परिवार मैं कुल ९ लोग थे. उनमे से एक मेरी चाची थी. उसके उम्र कुछ ३२ साल होगी, उसके एक ३ साल के बेटी भी थी जिसका नाम गुडिया था. मेरे पापा और चाचा कपरे के व्यापार करते थें. इसलिए वोह लोग काफी बाहर भी जाते थे व्यापार के लिए.

अब मैं अपनी चाची के बारे में बताने जा रहा हूँ. वो एक मामूली हाउस्वाइफ की तरह नहीं थी, वो काफी पढ़ी लिखी थी और काफी स्मार्ट भी थी. वह देखने में काफी खुबसूरत थी. उनकी चूची काफी अछी साइज़ की थी और उनका गांड बहुत मस्त था. उनका गांड बिलकुल गोल था. बेटी होने के बाद भी वोह काफी सेक्सी लगती थी. लेकीन इसके पहले मैंने उन्हें कभी ऐसे देखा नहीं था. वह मेरे एक दोस्त की तरह थी.

यह तब की कहानी हैं जब डेल्ही में काफी गर्मी पर रही थी. क्योंकी मेरा एक्साम निकट था इसलिए मुझे तेर्रस का रूम मिल गया था ता की मैं मन लगा के पढ़ सकू. परिवार में एक शादी का प्रोग्राम था. इसलिए घर के सब लोग जा रहे थे. मैं नहीं गया क्योंकि मेरे एक्साम सर पे थे. और मेरा ख्याल रखने के लिए मेरी चाची भी नहीं गयी. और गुडिया की तबियत भी कुछ अच्छी नहीं थी. मैं साम को घर वालो को बस स्टेशन छोड के घर आ गया. गुडिया की तबियत ठीक नही थी तो चाची ने कहा डॉक्टर के पास चलते हैं. मेरे पास मोटर साइकिल थी तो बोला आप तयार हो जाओ फिर चलते हैं. वोह अपने कमरे में चली गयी.थोरी देर बाद वोह तयार होके बाहर आ गयी. उन्होंने सलवार सुइट पहना था. और अपनी चूची पे दुप्पटा डाल रखा था. उस ड्रेस में वो काफी अछी लग रही थी.

साम के ७ बजे होंगे और हम मोटर साइकिल पे डॉक्टरसे मिलने के लिए चल पड़े . कुछ ३० मिनट की दुरी पे डॉक्टर था. हम वहां ७:३० तक पहुँच गए. काफी लाइन लगी थे डॉक्टर से मिलने के लिए. थोडा इन्तेज्ज़ार करने के बाद हम डॉक्टर से मिले. उसने कहा की गुडिया को बुखार हैं, थोडा खाने पे ख्याल रखना और बोला हो सके तो कुछ दिनों तक स्तन का दूध ही पिलाना . फिर हम दवा लेके वहां से निकले . रात के ९:३० बजे होंगे औत थोरी थोरी बारिस होने लगे थी.मैं बाइक जोर से चला रहा था ताकि हम भींग न जायं. तभी अचानक से एक कार ने मेरा रास्ता काट दिया और मेरा बैलेंस गड़बड़ा गया. मैं बाइक लेके गिर पड़ा और चाची मेरे ऊपर आ गिरी. मैं मुह के बल गिरा और वो मेरे ऊपर आ गिरी और पहली बार मैंने उनकी चूची महसूस की उनकी चूची काफी नरम थी बात उस वक़्त उस सब का टाइम नहीं था. मैं उठा और उनको भी उठाया. मैंने उनसे पुछा की चोट तो नहीं लगी उन्होंने कहा थोरी सी लगी हैं टांगो में . गुडिया ठीक थी. मैंने उनसे कहा अब की बार दोनों तरफ टांग कर के बैठो . मैंने गुडिया को सामने ले लिया और वोह मेरे पीछे आ गयी. उनको सायद काफी चोट लगी थी, उसने दोनों हाथ मेरे कंधे पे रखे और कहा चलो घर. क्योंकी गुडिया सामने थी तो बार बार उनके चूची मेरी पीठ को छु रही थी. मुझे मज़ा आने लगा. मैंने एक दो बार जान भुज के भी ब्रेक मारा. हर बार उनकी दो नरम नरम चूची मेरी पीठ को छु रही थी .थोरी देर में घर आ गया. मैंन बाइक की सवारी के बहुत मज़े लिए. पहले बार लग रहा था की घर थोडा और दूर होता तो अच्छा होता.

हम लोग घर के अंदर गए. चाची सोफे पे जाके बैठ गई . उसे सायद काफी दर्द हो रहा था. मैंने पुछा कहा पे चोट लागी हैं, तो उन्होंने कहा घुटने के ऊपर. मैंने कहा मुझे दिखाओ ज़रा इस पे वोह थोरा असमंजस में पड़ गयी क्योंकी चोट उनकी जांघ पर लगी थी और सायद वो मुझे अपनी जांघ दीखाने में सरमा रही थी. मेरे बार बार बोलने पे वो मान गयी. उसने कहा की कपडे बदलने के बाद मैं देख सकता हूँ. फिर वो अपने कमरे में चली गई . थोरी देर बाद ड्रेस बदल के बाहर आयी. उसने एक रात में पहनने की क़मीज़ पहन रखी थी जो उनके गले से लेकर पाऊँ तक आ रही थी. वोह सोफा पे आके बैठी,मैंने उनको बोला अब दिखाओ तो उन्होंने कहा की ठीक हो जायेगा पर मैं बोलता ही गया. फिर वो मानगई और अपना गाउन ऊपर करने लगी.धीरे से उसने अपना गाउन घुटने तक ऊपर किया. चोट घुटने से थोरी ऊपर लगी थी. अभी मेरे सामने उनकी नंगी टांग दिख रही थी. मैंने उनका गाउन लेके थोडा ऊपर किया तो मुझे चोट दिख गया. काफी कट गया था. मैंने बोला की मैं दुकान से दवाई ले के अता हूँ. फिर मैं जा कर दवाएं ले आया. मैं जब घर में घुसा तब वो खाना बना रही थी. मैंने बोला मैं कुछ पट्टी ले आया हूँ ताकी चोट के ऊपर लगा सको. उसने बोला ठीक हैं पहले खाना खा लेते हैं फीर पट्टी बाँध देना लकिन मैंने कहा नहीं अभी करते हैं. फीर उसने बोला ठीक हैं और आके सोफा पे बैठ गई . मुझे अभी बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकी मैं एक बार फीर उनकी नंगी जांघ को देख पा रहा था .

मैं सोफे के निचे बैठ गया और उसको गाउन उठाने को कहा. धीरे धीरे उसने गाउन को घुटने के ऊपर किया. उनकी टाँगे बिलकुल साफ़ थी , एक भी बाल नहीं था. उनकी जांघ बहुत गोरी और मक्खन क़ि तरह नरम थी उनकी जांघ देख के मेरे सब रिश्ते नाते खिड़की के बाहर चले गए. मैं उउनकी सेक्सी जांघो को निहारने लगा. फीर उनसे बोला की चोट क्या ज्यादा हैं उन्होंने बोला नहीं ज्यादा गहरा नहीं हैं. फीर मैं उठा और थोरा गरम पानी ले आया ताकी चोट को साफ़ कर सकू . एक कटोरी में थोरा गरम पानी लाया और साफ़ करने लगा. जब जब मैं उनकी जांघो को छु रहा था तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. और इसी मज़े में गलती से गरम पानी हाथ से गिर गया और उनके गाउन पे जा गीरा.पानी काफी गरम था और उन्होंने एक झटका सा दिया. उस झटके में उसका गाउन थोडा ऊपर हो गया और क्योंकी मैं निचे बैठा था, मुझे उनकी पैन्टी दिख गई . उसने लाल रंग की पैन्टी पहने थी. मुझे यह दृश्य कुछ पलो के लिए ही देखने को मिला. लेकिन उस में मैंने उनकी चुत को देख लिया था. उनकी चुत के वहां बाल बिलकुल नहीं थे. बिलकुल साफ़ थी . वो पक्का चुत के बाल काट देती थी. इससे जादा मुझे कुछ नहीं दिखा. उसके गाउन पे पानी आ गया था तो उसने अपनी दूसरी टांग पर से भी गाउन उठा लिया. अभी वो दोनों जांग तक नंगी थी. मैं भगवान को धन्वाद दे रहा था एक्सिडेंट के लिए. उसके बाद मैंने उनकी चोट पे दवाई लगाई. उन्हें काफी दर्द हो रहा था. मैंने बोला अभी मैं इस्पे पट्टी कर देता हूँ. तो चाची ने बोला ठीक हैं. मैंने उनको टांग थोरा उठाने के लिए बोला ताकी मैं पट्टी बांध सकू. उन्होंने वैसे ही किया और फीर से मेरी आखों के सामने ज़न्नत दिख रही थी . उनका गाउन उठ गया और उनकी चुत मुझे दिखने लगी .

मैंने उनको बोला की तुम टीवी देखो तो सायद जादा दर्द नहीं होगा, असल मेरा प्लान था क़ि वो आराम से टीवी देखे और मैं आराम से उनकी चुत देखू. मेरा प्लान चल गया और वो टीवी देखने लगी. मैं भी आराम से उनकी चुत देखने लगा. उन्होंने एक लाल चड्डी पहनी थी जो काफी अच्छी ब्रांड का लग रही थी . चड्डी थोड़ी पारदर्शी थी और मैं उनकी चुत उसके अन्दर से देख सकता था. चाची की चुत काफी टंच थी . वो टीवी देखने में व्यस्त थी और मैं भी मोका पा के उनकी चुत देख रहा था. उनकी चुत काफी पींक रंग की थी . मेरा लंड तो ९० डिग्री पे खड़ा हो चूका था. थोरी देर बाद उन्होंने पुछा क़ि हो गया. मैंने फीर जल्दी से पट्टी लगाई और अपने कमरे में चला गया. मैंने तुरंत अपने खड़े हुएलंड को निकाला और हिलाने लगा . थोरी देर में मैंने अपना सारा माल नीकाल दिया. चाची की चुत मेरे आँखों के सामने अभी भी झलक रही थी . फीर थोरी देर बाद मैं निचे आया. चाची तब खाना लगा रही थी. मैंने पुछा गुडिया कहा हैं तो उन्होंने बोला वो तो सो गयी. अभी मेरे मन में एक ही बात चल रही थी की कैसे फिर से चाची की चुत देखू. फीर मैंने एक प्लान सोचा, की अगर मैं चाची को मेरे कमरे में सोने के लिए मना लू तो रात को सोने के बाद मैं कुछ और कर सकता हूँ. मैंने चाची को बोला की गुडिया की तबियत भी ठीक नहीं हैं और आपको भी चोट लगी हैं, इसलिए आज आप लोग मेरे कमरे में सो जाओ ताकी कुछ जरूरत पड़ने पर रात को मैं मदद कर सकू. उन्होंने पहले तो न बोला फीर थोडा बोलेन पर मान गई. मैं बहुत खुस हो रहा था की मेरा हर प्लान कामयाब हो रहा था.. फीर हम खाने के लिए बैठे . फीर अचानक उन्होंने कहा की मैं बहुत अच्छा हूँ और उनका बहुत ख्याल रखता हूँ.. उन्होंने यह भी कहा की मैंने अपने चाचा जैसा नहीं हूँ.. पता नहीं उन्होंने यह क्यों कहा लेकिन जो भी हो मुझे बहुत अच्छा लगा सुन के.. फीर खाने के बाद उन्होंने बोला की गुडिया को लेकर ऊपर जाओ और वो बाकी के काम ख़तम कर के १० मिनट में आ रही हैं. मैंने भी वैसा ही किया. मैंने गुडिया को मेरे बिस्तर पे सुला दिया. और मैं अपनी पढाई वाली टेबल पे जा बैठा. थोड़ी देर में चाची आ गयी. उसने अपना गाउन बदल दिया था, क्योंकी उस पे तो मैंने पानी गीरा दिया था. यह गाउन भी कुछ वैसा ही था लेकिन इस में सीने के ऊपर की तरफ कुछ बटन थे. सायद रात को गुडिया को दूध पिलाने के लिए उसने ऐसा गाउन पहना था. मैं बहुत खुस था उसे देख के.

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फीर वह बेड के एक तरफ जाकर सो गई . मैंने सारे लाइट बंद कर दिए और अपने टेबल का लम्प जला दिया. गुडिया बीच में सो रही थी और चाची एक तरफ सो रही थी. मेरा टेबल उसी तरफ था. वो सर पे एक हाथ रख कर सीधे हो के सो रही थी. मैं अपनी किताब छोड़ के सिफ चाची को ही देख रहा था. उनकी दोनों चूची गाउन के ऊपर उभर के आ रही थी . उनका पेट भी एक दम चिकना था. मैंने कभी
चाची को इस नज़र नहीं देखा था. लेकिन अभी मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. थोरी देर बाद अचानक उन्होंने मुझे आवाज़ दी और कहा क़ि एक तकिया ले आओ ताकी वो अपनी टांगो को उसपे रखे. मैंने एक बड़ा सा तकिया ला दिया. फीर मैंने उनसे कहा की अपनी गाउन को थोडा ऊपर कर ले ताके चोट खुले में रहे. चोट तो एक बहाना था मैं तो उनके नंगी जांघ देखना चाहता था. इस बार चाची ने एक बार में ही मेरी बात मान ली . उन्होंने अपनी गाउन को ऊपर कर लिया और अपनी नंगी जांघ को मेरे सामने खोल दिया. मेरा लंड फीर से खड़ा हो गया. गरमी भी काफी थी, मैंने सोचा टोइलेट जाकर थोडा लंड को आराम दे आता हूँ. गरमी काफी थी और कुलर चल रहा था. मैंने टोइलेट जाने से पहले कुलर को चाची के तरफ कर के मैं टोइलेट चला गया. अन्दर जाकर मैं नंगा हो गया और शॉवर के निचे खड़ा हो गया. मेरा लंड खड़ा था फटने की हालत में था. मैं चाची की चुत को सोच कर लंड को जोर जोर से हिलाने लगा. दो मिनट में मेरा सारा माल बाहर आ गया. फीर नहा के मैं बाहर निकला.

बाहर आने के साथ मैंने जो देखा मेरे तो होश उड़ गए. कुलर की हवा की वजह से चाची का गाउन काफी ऊपर जा चूका था. उसकी जांघ पूरी तरह से नंगी थी. मैंने तुरंत जा के अपनी टेबल की लाइट भुजा दी . फीर वापस आ के बेड़ के नीचे बैठ गया. वहां से मुझे उनकी पूरी चुत और गांड दिखने लगी . चाची ने वही लाल चड्डी पहन रखी थी. चाची एक तरफ मुड के सो रही थी और मुझे उनकी गांड भी दिख रही थी . उनकी चड्डी उनकी पूरी गांड को
कवर नहीं कर रही थी . उनकी चड्डी वैसे वाली थी जो गांड के बीच में घुस जाती हैं. चाची की लगभग पूरा गांड ही दिख रही थी . उनकी गांड के गोलाई देख के मैं पागल हो रहा था. मैं उनकी गांड को छूना चाहता था. फीर मेरी नज़र उनकी चुत पर गयी. उसकी चुत बड़े बड़े को मदहोश कर सकती थी . उनकी चुत का उभार चडी के ऊपर से दिख रहा था. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.लेकिन मैं थोरा डरा हुआ भी था के कैसे मैं उनकी गांड और चुत पर हाथ फेरु.
क्रमशः……………

मैं अपने बेड़ के तरफ जा कर सो गया और प्लान बनाने लगा. थोरा डर भी था की अगर चाची को पता चल जाये और वो ना माने और सब को बता दे तो मेरा तो वाट लग जायेगा. लेकिन मैं फीर भी चाची को छूना चाहता था.मैं जहा सो रहा था वहां से चाची के नंगी जांघ तो दिख रही थी लेकिन चड्डी नहीं दीख रही थी . मैंने बहुत हिम्मत कर के अपना हाथ उनकी कमर पे रखा. मेरे हाथ काप रहे थे डर के मारे. मैंने काफी देर हाथ वही रखा फीर जब लगा के चाची गहरी नींद में हैं. फीर मैं बहुत धीरे धीरे अपना हाथ नीचे ले जाने लगा. कमर से उनकी गांड तक का सफ़र लगभग १५ मिनट में पूरा किया. अभी मेरा हाथ उसके गांड के ऊपर था. धीरे धीरे मैं उनकी गांड को सहलाने लगा. उनकी गांड और मेरे हाथ के बीच में सिर्फ उनका गाउन और एक चड्डी ही रह गयी थी . थोरी देर गांड के ऊपर हाथ से सहलाने के बाद मैं चाह रहा था की उनकी गांडमें उंगली डालू. धीरे धीरे मैं उनका गाउन उपर की तरफ खेचेन लगा. थोरी देर खेचने के बाद मैं उनकी गांड के ऊपर से गाउन हटाने में कामयाब रहा. अभी मैं उनकी पूरी गांड देख सकता था.मैंने उनकी नंगी गांड पे अपना हाथ रखा. ऐसा लगा जैसा ४४० का वोल्ट लग गया हो. उसका गांड एकदम टंच था. उसके गांड के उभार, गांड की गोलाई सब मस्त था. मैं पहली बार कीसी औरत का गांड पे हाथ फेर रहा था. मैं खुशी से पागल हो गया. और उनकी चड्डी भी इतनी कम गांड को कवर कर रही थी की पुछो मत. उसकी चड्डी उसके गांड के बीच में ही थी बस. मैंने मन भर के उनकी गांड पे हाथ फेरा. फीर मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ी तो मैंने उनकी गांड के बीच उंगली डालने की कोसिस सुरु की. चड्डी उनके गांड के बीच थी. मैंने अपनी एक उगली से चड्डी के अन्दर हाथ डाला. मैं उनकी गांड का छेद खोज रहा था. क्योंकी गुडिया बीच में सो रही थी मुझे थोरी दिक्कत हो रही थी उनकी गांड के अन्दर उंगली डालने में . फीर मैंने सोचा की अब थोरी देर उनकी चूची पर भी हाथ फेरु. मेरी हिम्मत काफी बढ़ गयी थी. चाची अभी भी काफी गहरी नींद में सो रही थी. सो मैंने मोका देख कर ऑपरेशन चूची सुरु किया.

मैंने चाची की गांड से हाथ नीकाल के मैंने अपना हाथ उनकी कमर पे रखा. मैं यह भी देख़ रहा था की चाची जग न जाय. फीर थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद मैं अपना हाथ धीरे धीरे उनकी चूची की तरफ ले गया. थोरे ही समय में चूची के पास अपना हाथ ले जाने में कामयाब हो गया. मैं चूची को महसूस करने लगा. उसने ब्रा पहन रखी थी. मैं उनकी चूची के ऊपर हाथ फेरने लगा. उनकी चूची बहुत गोला कार थी. मैं गाउन के ऊपर से ही चूची को सहलाने लगा. ब्रा ने मस्त चूची को बिलकुल सही जगह पे रखा था. मैं अब उनकी चूची का नीपल तलाश ने लगा. पर मुझे उसमे कामयाबी नहीं मिल रही थी. गुडिया बीच में सो रही थी तो और मुस्किल हो रहा था. फिर मैं उसके गाउन के ऊपर के बटन खोले ने लगा, मैंने उसके दो बटन खोल दिए. अब मेरा हाथ उसकी चूची के ऊपर था. मैंने अपनी एक उंगली उनकी दोनों चूची के बीच घुसा दी . उनकी चूची बहुत नरम थी . मेरा लंड पागल की तरह खड़ा हो गया. उसके बाद मैं अपनी उंगली को उनकी चूची के अन्दर डालने लगा. मुझे उसका नीपल चाहिए था. मैं लगबघ उसके नीपल के पास उंगली दिया ही था क़ि इतने में गुडिया हिलने लगी. मैंने फटा फट अपना हाथ उनकी चूची से नीकाल लिया. और तुरंत गुडिया रोने लगी . उसे सायद भूक लगी थी. मैं चुप चाप सोने का नाटक करने लगा. और अपनी बंद आँखों के किनारे से देखने लगा की चाची क्या करती हैं .

गुडिया के रोने से चाची उठ गई , और उसने देखा के उसकी पुरी गांड नंगी हालत में थी. उसने अपने गाउन के बटन भी खुले पाए पर उसने कुछ किया नहीं. उसने अपनी गांड भी खुले हालत में ही छोड़ दी . अब मुझे इंतज़ार होने लगा की कब चाची अपनी चूची नीकाल के गुडिया को देगी. मैं सब देख रहा था. तभी वो अपने गाउन के सारे बटन खोलने लगी. मेरा दिल ट्रेन की तरह धरक रहा था. पहली बार मैं किसी की चूची देखने वाला था. फीर उसने अपने ब्रा का हूक भी खोल दिया और अपनी एक चूची को नीकाल के हाथ में ले लिया. उसका चूची बहुत मस्त था. बिलकुल गोल और सफ़ेद था. उसके नीपल बहुत बड़े थे . चूची नीकाल के वो सो गई और गुडिया दूध पीने लगी. मुझे मेरे आखों पे बिस्वास नहीं हो रहा था की मैं अपनी चाची की चुत, गांड और चुची देखा रहा था. गुडिया के दूध पीने के आवाज़ सुन के मुझे भी उसका दूध पीने की इच्छा होने लगी . मैं दोनों के सोने का इन्तेज्ज़ार करने लगा. कुछ १० मिनट के बाद सब सन्नाटा हो गया. मैंने थोरा उठ के देखा तो चाची सो चुकी थी . उनकी चुची गाउन से बाहर लटक रही थी. मैं धीरे धीरे चाची की चुची पे हाथ फेरने लगा. उसकी चुची नहुत नरम थी, मेरा लंड तो मेरे पैन्ट को फाड़ के बाहर आने लगा. उसके बाद धीरे से मेरा हाथ उसके नीपल पर गया. जैसे ही मैंने उसके नीपल को छुआ उसका नीपल एकदम से कड़ा हो गया. उसके नीपल पर एक दो बूँद दूध के थे. मैंने उसका वो दूध लेके अपने मुह में डाला. ऐसा दूध मैंने कभी नहीं पीया था. मुझे उसका नीपल चुसना था पर गुडिया बीच में थी सो मैं ठीक से उसके पास नहीं आ रहा था. मैंने दूसरी चुची भी गाउन से नीकाल ली . दोनों चुची सामने नंगी हालत में थी . मैंने उसके नीपल पे चुटी काटी जिससे वो थोरा सा हिल गयी. पर उसने कुछ किया नहीं. सायद उसे भी मज़ा आ रहा था. लेकिन तभी गुडिया फीर से जाग गयी. मैंने अपना हाथ तुरंत वापस ले लिया. थोड़ी ही देरमें चाची उठ गयी और उठते ही उन्होंने देखा की दोनों चुची बाहर लटक रही हैं. लेकिन उसने उसे वैसे ही छोड़ दिया. उसने गुडिया को गोद में ले लिया और थोरी ही देर में गुडिया सो गयी.

उसके बाद वो उठ कर टोइलेट की तरफ चली गई . मैं अपनी बंद आँखों से सब कुछ देख रहा था. थोड़ी देर में चाची टोइलेट से आई और गुडिया को एक तरफ कर के बीच में सो गई . वो बिलकुल मेरी बगल में आके सो गई . मुझे तो बिस्वास नहीं हो रहा था. सायद उसे भी मज़ा आ रहा था. वो सीधे होके अपने सर पे हाथ रख कर सो गई . थोड़ी देर तक मैं शांत रहा और फीर चुपके से अपना हाथ उनके पेट के ऊपर रख दिया. धीरे धीरे मैं अपना हाथ ऊपर की तरफ ले गया. मेरा हाथ उसके चुचे के नीचे तक चला गया. मुझे थोरा नरम नरम महसूस होने लगा. थोरा और ऊपर गया तो पता लगा की उसका ब्रा नहीं था. सायद टोइलेट में जाकर उसने अपना ब्रा खोल दिया था. सायद उसे भी यह सब अच्छा लग रहा था पर वो सायद यह सब बस नींद के बहाने से करना था. मुझे भी मज़ा आ रहा था. और उपर गया तो सारे बटन भी खुले थे. मैंने सीधा उसके गाउन के अंदर हाथ डाल दिया. और उसकी दोनों चुचियो के साथ खेलने लगा. चूची बहुत नरम थी . मैंने उनके नीपल पर हमला कर दिया. थोड़ी ही देर में उनकी चूची से दूध आने लगा. उसका पूरा गाउन दूध से भीगने लगा था. मुझे उसका दूध पीना था सो मैं धीरे धीरे गाउन को उसके कंधे पर से खीच ने लगा. थोरे मुश्किले के बाद उसका एक तरफ का स्तन मैंने हाथ से नीकाल दिया था. उनकी चूची को मैंने पुरी तरफ ने नंगा कर दिया था. एक तरफ से गाउन खोलने के बाद मैंने दूसरी चूची को भी बाहर नीकाल दिया. फीर मैं थोडा उठ के बैठ गया और उसकी नंगी छाती की तरफ देखने लगा. दोनों चूची बिलकुल नंगी हालत में लटक रही थी, मैंने हिम्मत कर के उसके नीपल पे अपना मुह रखा. ऐसा करते ही वो थोडा सिहर गए लेकिन फीर भी सायद सोने का नाटक कर रही थी, फीर धीरे धीरे मैं उसका नीपल चूस ने लगा. वो कभी कभी थोड़ी आवाज़ कर रही थी मगर अभी भी उनकी आँखे बंद थी. चूची से दूध निकलने लगा और मैंने खूब सारा दूध पिया. दोनों चुचियो के साथ मैं काफी देर तक खेलने के बाद मेरा अब उनकी चुत के साथ खेलने का मन हुआ.

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फीर मैं उनकी चूची को उसी नंगी हालत में छोड़ के अपना हाथ उसक़ि चुत के ऊपर ले आया. उसका गाउन काफी ऊपर तक उठा था. मैंने पहले उसकेगाउन के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा. मैं एक उंगली उसके गाउन के ऊपर से ही उनकी चुत में डालने लगा. मेरी उंगली थोड़ी अंदर भी घुस गया. उसकी चुत काफी गीली थी . फिर मैं गाउन को ऊपर खीच ने लगा. थोड़ी देर में उसका गाउन चुत से ऊपर हो गया. उसकी पुरी नंगी टांग मेरे सामने दिखने लगी. सिर्फ एक लाल चड्डी चुत को छुपा रही थी. मैंने कभी सोचा भी नहीं था की चाची को मैं इस तरह नंगा करूँगा. ऊपर उनकी चुची नंगी थी और नीचे उसके बस एक छोटे सी चड्डी बची थी, और ये सब तब हो रहा था जब वो सायद नींद में थी. अब मुझे उनकी चड्डी उतार नी थी, सो मैं चड्डी को नीचे की तरफ खीच ने लगा. उसकी चड्डी उसकी गांड में फसी थी. मैं उसको निकाल नहीं पा रहा था, लेकिन तभी चाची ने अपनी गांड को ऊपर किया थोरा सा और चड्डी निकल आयी. अब मुझे पाक्का यकीन हो गया था की वो भी यह सब पसंद कर रही हैं.फीर धीरे धीरे मैंने उसका चड्डी को टांगो से निकाल दिया. क्या दृश था वो . खुली हुई चुत मेरे सामने पड़ी थी . मैं तो पागल हो गया उनकी चुत देख के. चुत पे एक भी बाल नहीं था . बिलकुल साफ चुत थी . मैं चुत के ऊपर वाले हिस्से को चाटने लगा. उसका पूरा सरीर सिहर उठा.

फीर मैंने उनकी टांगो को फैला दिया ताके मैं उनकी चुत मार सकू. उसने कोई विरोध नहीं किया जब मैं उनकी नंगी टांगो को फैला रहा था. पूरी खुली चुत मेरे सामने थी . मैं दोंनो टांगो के बीच घुस गया और अपना मुह उनकी चुत के सामने ले आया. फीर मैंने अपनी एक उंगली चुत के अंदर डाल दी जिससे वो सा आवाज़ भी करने लगी . मैंने उठ के देखा तो आँखें अभी भी बंद थी और फीर मैं अपने काम में लग गया. मैंने अपनी उंगली पुरी चुत के अंदर घुसेड दी. उसकी चुत से पानी निकल ने लगा. फीर मैंने अपनी एक और उंगली चुत में डाल दी . मैं उसकी चुत के अंदर ग़दर मचा रहा था. उसकी चुत से सफ़ेद पानी नल की तरह निकल ने लगा. मैंने अपना मुह उसकी चुत के ऊपर रखा और उसकी चुत का पानी पीने लगा. उसका पूरा सरीर कापने लगा था. फीर मैंने अपनी उंगली थोड़ी टेढ़ी की और उसकी चुत के ऊपर वाले हिस्से को चुटी काटने लगा. वो हिस्सा थोरा दाने दार था. बाद मैं पता चला वो जी पॉइंट कह लाता हैं. वहां उंगली डालते ही वह और हिलने लगी . मैं समझ गया उसे मज़ा आने लगा था. फीर मैंने अपने उंगली चुत से निकाली और उसकी चुत को मैंने फैला दिया. मेरी आखों के सामने उसक़ि फैली हुई चुत दिखने लगी . फीर मैंने अपनी जीव उसकी खुली हुई डाल दी वो बिलकुल हील ही गयी. मैं अपने हाथो से उसकी चुत को फाड़ के रखा था और मेरा मुह उसकी चुत में घुसेर दिया. मैं चुत को चूस ने लगा, चुत से पानी निकल ने लगा और मैंने एक भी बूँद पानी का बर्बाद नहीं होने दिया. मैंने अपनी पुरी जीव उसकी चुत के अंदर डाल दी थी. मैं उसकी चुत को खा रहा था. उसने एकदम से एक जोर की सांस ली और उसकी चुत पानी से भर गई . ऐसा लगा की चुत में बाढ़ आ गयी और सारा बाढ़ का पानी मैं पी गया. फीर थोरी देर में सब शांत हो गया. मैंने भी वहीं पर अपना माल भी गीरा दिया. मुझे अभी भी बिस्वास नहीं हो रहा था की मैंने अपनी चाची के साथ ऐसा काम किया . फीर मैं उसी नंगी हालत में छोड़ के अपने जगह आ के सो गया. अपने हाथ उसके चुची पे रखे और नींद में सो गया.
अगले दिन जब सुबह मैं जागा तो देखा चाची मेरे साथ नहीं थी मुझे आज पेपर देने जाना था इसलिए मैं जल्दी से तैयार होकर पेपर देने चला गया शाम को मैं अपनी पढ़ाई करने लगा रात के नौ बजे चाची सोने क़ि तैयारी करने लगी
चाची बोली- राज! तुम्हारे लिए अलग बिस्तर लगायें या तुम मेरे साथ ही सो जाओगे? मैने कहा – जैसा आप ठीक समझें। मैं तो कहीं भी सो जाउन्गा। चाची बोली- तो तुम इसी बिस्तर पर सो जाना। फ़िर चाची अपने काम में लग गयी। रात को १० बजे चाची कमरे में आयी और साड़ी उतारते हुए बोली – राज, तुम अखबार पढ रहे हो, मैं सो रही हूं, जब तुम्हें नीन्द आये तुम सो जाना। थोड़ी देर में मैने लाईट बंद की और लेट गया। मुझे नींद नहीं आ रही थी। काफ़ी देर बाद चाची उठकर लाईट जला कर बाथरूम गयी और वापिस आकर लेट गयी। मैं जाग रहा था लेकिन आंखे बंद करके लेटा था।

कुछ देर बाद चाची बोली – राज तुम सो रहे हो? मैने अचानक जगने का बहाना किया और बोला क्या हुआ चाची?

चाची एक दम मुझ से लिपट गयी और बोली मुझे डर लग रहा है। मैने कहा- डर कैसा? पर मुझे करंट सा लगा जब उनके बूब्स मेरी छती से छुये। उनकी एक टांग मेरे उपर थी। मैने भी उनकी टांग पर एक पैर रख दिया और उनकी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा- सो जाओ चाची। चाची धीरे धीरे मेरी बाहों मे सिमटती जा रही थी और मुझे मजा आ रहा था। धीरे से मैने उनके हिप्स पर हाथ रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा। चाची को मजा आ रहा था। फ़िर चाची सीधी लेट गयी और मेरा हाथ अपने पेट पर रखते हुए कहा कि तुम मुझ से चिपट कर सोना, मुझे डर लग रहा है। अब मै भी उनसे चिपट गया और उनके बूब्स पर सिर रख लिया। मेरा लन्ड खड़ा हो चुका था। मै धीरे धीरे उनका पेट औए फ़िर जांघ सहलाने लगा।

तभी चाची ने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिये यह कह कर कि बहुत गर्मी लग रही है। अब उनके निप्पल साफ़ नज़र आ रहे थे। मैने बूब्स पर हाथ रख लिया और सहलाने लगा। अब मेरी हिम्मत बढ चुकी थी। मैने उनके बूब्स को ब्लौज से निकाल कर मुंह मे ले लिया और दोनो हाथों से पकड़ कर मसलते हुए उनका पेटीकोट अपने पैर से उपर करना शुरु कर दिया। वह बोली-क्या कर रहे हो? मैने जोश में कहा- चाची आज मत रोको मुझे। उनकी गोरी गोरी जांघों को देख कर मै एक दम जोश मे आ चुका था। उनकी चूत नशीली लग रही थी। मैने उनकी चूत को चाटना शुरु कर दिया।मै पागल हो चुका था।

मैने अपने पैर चाची के सिर की तरफ़ कर लिये थे। चाची ने भी मेरि नेकर को नीचे कर लिया और मेरा लन्ड निकाल कर चूसने लगी। वह मुझे भरपूर मजा दे रही रही थी। कुछ देर बाद चाची मेरे उपर आ गयी और मै नीचे से चूत चाटने के साथ साथ उनके गोरे और बड़े बड़े हिप्स सहलाने लगा। चाची की चूत पानी छोड़ गयी। अब मै और नहीं रह सकता था, मै उठा और चाची को लिटा कर, उनकी टांगें चौड़ी करके चूत में लन्ड डाल दिया और चाची कराहने लगी। मै जोर जोर से धक्के लगाने लगा। चाची ने मुझे कस के पकड़ लिया और कहने लगी- राज एसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है, आज मै तुम्हारी हो गयी, अब मुझे रोज़ तुम्हारा लन्ड अपनी चूत में चहिये एएऊउ स्स स्सी स्स्स आह्ह्ह ह्म्म आय हां हां च्च उई म्म मा। कुछ देर बाद मेरे लन्ड ने पानी छोड़ दिया और चाची भी कई बार डिस्चार्ज हो चुकी थी।

उस रात मैने तीन बार अलग अलग ऐन्गल से चाची को चोदा। चाची ने भी मस्त हो कर पूरा साथ दिया। तब से जब भी चाचा बाहर जाते तो हम दोनो रात को खूब मजे करते
आशा करता की आप लोगो को मेरी यह सची कहानी पसंद आई होगी



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