chudasi biwi ne apni kamukta shant ki आज पूरे एक महीने बाद मैं घर लौटी थी. पिच्छले एक महीने से मेरे पति देव घर पर अकेले ही थे. मैं महीने भर से जेठ जी के यहाँ देल्ही मे थी. दीदी यानी मेरी जेठानी की डेलिवरी के समय कॉंप्लिकेशन्स आ जाने के कारण अर्जेन्सी मे मे गइ थी. मेरे जेठ रविजी देल्ही मे रहते हैं. उनका सॉफ्टवेर का बिज़्नेस है. मैने शादी के बाद से ही महसूस किया था कि जेठ जी मुझ पर कुच्छ ज़्यादा ही मेहरबान थे. देखने मे काफ़ी खूबसूरत हैं इसलिए मैं भी उनकी आग को हवा देती रही. वो अक्सर मुझे छुने या मेरे निकट रहने की कोशिश करते थे.
मैं भी मौका देख कर उन्हें अपने योवन के दीदार करा देती थी. जेठानी जी बड़ी ही प्यारी सी महिला है. मेरी उनसे अच्छि पट ती है. सेक्स के मामले मे वो भी काफ़ी खुले विचारों वाली महिला है. हम अंबाला मे रहते हैं. पति देव एक प्राइवेट कंपनी मे मार्केटिंग सेक्षन मे काम करते हैं. हमारी शादी को दो साल हो गये थे. अभी कोई बच्चा नही हुआ था. इसलिए हम सेक्स का भरपूर आनंद लेते हैं. हमारा परिवार काफ़ी ओपन ख़यालों का है. मेरी सासू जी ने शादी के बाद वाले दिन ही मुझे कहा था, “हमारे घर मे परदा प्रथा नहीं है इस लिए घूँघट लेने की कोई ज़रूरत नहीं है.” मैं घर मे गाउन सलवार कमीज़ पहनती थी. जो कभी कभी काफ़ी सेक्सी भी होती थी मगर मुझे कभी किसीने नहीं टोका.
मेरी जेठानी भी काफ़ी सेक्सी लगती है. खैर वापस घटना पर आया जाए. पति देव तो महीने भर के भूखे थे घर पहुँचते ही मुझे अपनी बाहों मे ले लिए. मैं उन्हें कुच्छ सताना चाहती थी इसलिए उनकी बाहों से मच्चली की तरह निकल गयी. उन्हें अंगूठा दिखा कर हंसते हुए बेडरूम की तरफ भागी, पिछे पिछे वो मुझे पकड़ने के लिए भागते हुए बेडरूम मे आगये. उन्होने अंदर घुस कर दरवाज़ा बंद कर दिया और मुझ पर झपाटे. मेरी सारी का एक छ्होर उनकी हाथ मे आगया सो एक झटके से उन्होने मेरे बदन से सारी को अलग कर दिया. मैं ब्लाउस और पेटिकोट मे उन्हें छकाने लगी. मगर कब तक? मैं भी तो चाहती थी कि वो मुझे पकड़ ले. उन्हों ने मुझे बिस्तर पर पटक दिया फिर तो मेरे सारे वस्त्र एक एक कर के मेरा साथ छ्चोड़ गये. मैं पूरी निर्वस्त्र लेट गयी. उन्हों ने जल्दी से अपने वस्त्र खोले और मुझ पर सवार हो गये.
उनका उतावलापन देख कर मैं हँसने लगी. उन्होने मेरी टाँगों को मोड़ कर मेरी छाती से लगा दिया और अपना लिंग मेरी योनि मे प्रवेश करा कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगे. अचानक उनकी नज़र मेरी छातियो के बीच झूलते पेंडेल पर पड़ी. “वाउ! क्या शानदार पेंडेल है.” उन्हों ने कहा. “गोल्ड के उपर डाइमंड्स लगे हैं.” “तभी तो इतना चमक रहा है” उन्होंने धक्के मारते हुएकहा. ” चमके गा नहीं? किसी ने प्यार से मुझे भेंट किया है.’ मैं उन्हें परेशान करने के मूड मे थी. मैं भी नीचे से धक्के लगाने लगी. ” किसने? मैं भी तो जानूं भला ऐसा कौन कदरदान है तुम्हारा.” ” मैं नहीं बताउन्गि.” वो बार बार पूच्छने लगे. मैं पिच्छले महीने भर की घटनाओं के बारे मे सोच कर बुरी तरह गरम हो गयी थी. “चलो बता ही देती हूँ. यह मुझे रवि ने दिया है.” मैने कहा. ” भाय्या ने? वो कंजूस तुम्हें इतना कीमती गिफ्ट देगा मैं मन ही नहीं सकता. कैसे चूना लगाया उसे.” “क्यों ना देता महीने भर खिदमत जो की थी उसकी.” मैने आँखें मतकाते हुए कहा. “कैसी खिदमत?” ”
हर तरह की. पूजा दीदी की कमी नहीं खलने दी.” मैने कहा. ” कैसे? क्या हुआ था? सब बताओ” “क्यों? तुम जो देल्ही मे काम का बहाना कर के हर महीने एक दो चक्कर लगा लेते हो. मुझे कभी बताया कि वहाँ कौन सा काम करते हो पूजा दीदी की बाहों मे?”मैने उन पर वार किया. वो पहले तो एकदम से सकते मे आगाये. फिर पूछा, “तुम्हें किसने बताया?” ” तुम्हारी प्रेमिका ने ही बताया” मैने कहा, “तुम इतने सालों से दीदी के साथ एंजाय कर रहे थे तो किसीने मौका मिलते ही तुम्हारी बीबी से जी भर कर एंजाय किया” ” वो सब तो ठीक है मगर सब हुआ कैसे बताओ तो सही.” उन्हों ने कहा. ” पहले मुझे इस राउंड को ख़तम करो फिर बताऊंगी.” वो ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. फिर मैं उसके उपर आगाई. इस तरह काफ़ी देर तक हम एक दूसरे को पछाडने की कोशिश करते हुए एक साथ ही हार गये. राज यानी मेरा पति पसीने से लथपथ मेरी बगल मे लेटा हुआ था. मैं भी ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी. “अब बताओ” राज ने कहा. “क्या?” “चीटार! अब तो दोनो ही खल्लास हो गये अब तो बता दो ” वो मिन्नतें करने लगा. मैं उसे बताने लगी. हम दोनो उस्दिन सुबह दस बजे देल्ही पहुँचे. सीधे हॉस्पिटल गये.
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