चुत चुदाई की चाहत में उसने मुझे घर बुलाया

उसको देख कर तो यह साफ लग रहा था कि वो पूरी तरह से चुदासी है। बस सही वक्त पर सही वार कर दिया.. तो आज तो मैं उसे बिना चोदे नहीं जाने वाला था।
वो मौका उसने मुझे खाने के बाद दे भी दिया।

मैं इतना तो जानता था कि वो मुझे कुछ हद तक पसंद करती है और वो प्यासी भी रहती है.. क्योंकि उसका रजिस्टर्ड लंड यानि हस्बैंड महीने में 20 दिन बाहर रहता था।

खाना खत्म करके हम लोग बैठे और थोड़ी यहाँ-वहाँ की बातों में से ही एक टॉपिक निकला। जिस पर उसने मुझसे पूछा- तुम्हें राकेश पता है ना.. वो मेरे ऑफिस वाला..!
मैं- हाँ.. जानता हूँ.. उसका क्या?
निक्की- मैंने उसे एक दिन ए सी ठीक करने के लिए अपने घर बुलाया था। वो ए सी ठीक करने के बाद थोड़ा ऐसे ही बैठ गया.. और बदतमीज़ी करने लगा।
मैं- बदतमीज़ी.. मतलब?
निक्की- हाँ यार.. साला यहाँ वहाँ छूने लगा.. इससे मुझे गुस्सा आ गया.. तो मैंने उसे जाने को बोल दिया।
मैं- अच्छा.. और मैं? मुझे तो तुमने कंपनी देने बुलाया है.. तो बोलो खाने की कंपनी तो दे दी और अब कौन सी दूँ?
यह बोल कर मैंने उसकी जांघ पर हाथ रखा और उसकी पट सहलाने लगा।

निक्की हँस कर बोली- तुम ना बड़े बदमाश हो.. और यह तुम क्या कर रहे हो?
मैं- क्यों.. तुम्हें नहीं पता? शादीशुदा हो तो तुम्हें तो यह अच्छे से पता होना चाहिए ना। तेरे हस्बैंड ने कुछ नहीं किया क्या तुम्हारे साथ?
ये बोल कर मैं हँस पड़ा और फिर बोला- तुम्हें सहला रहा था यार.. क्यों क्या तुमको अच्छा नहीं लगा?
निक्की- नहीं यार ऐसा कुछ भी नहीं है।
मैं- तो मतलब अच्छा लगा ना?
निक्की- हम्म.. हाँ अच्छा लगा।

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अब मैं चाहता था कि वो थोड़ा गर्म हो तो मैंने उसका घर देखने की इच्छा जताई।
वो मुझे अपने साथ घर दिखाने लगी, घर को देखते हुए हम दोनों उसके बेडरूम में पहुँच गए, हम दोनों उसके बेड पर बैठ कर बातें करने लगे। मैं हौले-हौले उसे कभी हाथों पर तो कभी जाँघों पर.. तो कभी पीठ पर सहलाने लगा।

अब उसके भी अरमान जागने लगे, वो मेरे थोड़ा करीब आ कर बोली- क्या इरादा है?
मैं- प्यार करने का इरादा है।

यह मैंने अपनी आदत के मुताबिक कमेंटिंग करते हुए कहा और मेरा तीर बिल्कुल निशाने पर लगा।
निक्की- तो करो.. मना किसने किया है?
मैं- डरता हूँ.. कहीं राकेश की तरह घर से निकाल दिया तो कोई गारंटी है कुछ.. कि मुझे भी नहीं निकालोगी और नाराज भी नहीं हो जाओगी?

निक्की ने मुझे प्यार से धकियाते हुए कहा- चुपचाप बिस्तर पर लेट जाओ और आँखें बंद कर लो.. बहुत बोलते हो।

मैंने बिल्कुल वैसे ही किया और वो थोड़ी सी हवा में रह कर मेरे ऊपर आ गई और मेरे लबों पर एक प्यारी सी पप्पी जड़ दी। इससे मेरी आँखें खुल गईं।

मैं- यह क्या था.. और यह कर रही हो?
निक्की- गारंटी दे रही हूँ।
यह कह कर वो मेरी आँखों में वासना भरी निगाहों से देखने लगी।

दोस्तो, अब तक मेरा लंड बिल्कुल कड़ा हो गया था, मैंने थोड़ा उसे एड्जस्ट किया और निक्की को बांहों में ले लिया। उसके लबों से अपने लबों को मिला दिया और हम एक दूसरे के लबों को चूसने और थोड़ा सा काटने भी लगे।

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हम दोनों एक-दूसरे के मुँह में एक-दूसरे की जीभ डालते और जीभों को चूसने लगे। सच में बहुत मजा आ रहा था। इसी बीच मैंने उसका गाउन भी निकाल दिया, तो वो सिर्फ़ पेंटी में रह गई। जैसा कि मैंने सोचा था.. उसने ब्रा नहीं पहनी थी।

उसने भी मेरी शर्ट खोल दी और निकाल दी। अब वो धीरे-धीरे नीचे की ओर आई और मेरे गले से होते हुए मेरे चौड़े सीने पर अपने लबों से अपनी मुहर लगाने लगी। साथ ही वो मेरी छाती की घुंडियों को भी अपने होंठों में दबाते हुए हौले से चूसने लगी। घुंडियों को दबाने से मुझे सुरसुराहट सी होने लगी। वो भी बीच-बीच में थोड़ा दांतों से मेरी घुंडियों को काट भी लेती.. जो मेरी उत्तेजना को काफ़ी बढ़ा देता।

अब वो धीरे-धीरे और नीचे की ओर बढ़ने लगी। उसने मेरी पैंट की बेल्ट खोली और फिर पैंट खोल कर निकाल दी। मैंने भी अपनी टाँगों को उठा कर पैंट निकालने में साथ दिया।

अब माहौल कुछ ऐसा था कि मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था और वो पेंटी में थी। हम दोनों वासना की आग से झुलस कर एकदम चुदासे और मस्त हो गए थे। एक दूसरे को चूमने में कामाग्नि भड़कती ही जा रही थी।

इसी के साथ मैं उसके मदमस्त भरे हुए चूचों को भी मसल रहा था। मैं उसके चूचों पर अकड़ दिखा रहे निप्पलों को भी बड़ी जोर से मरोड़ रहा था.. जिसकी वजह से वो आउट ऑफ कंट्रोल हो गई। मुझे जब तक कुछ समझ आता तब तक वो जोर-जोर से हाँफती हुए झड़ गई।

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