Chudai ke Wo Sat Din Fufa Ji Ke Sath

अब उन्होंने धक्के लगाना शुरू कर दिए। हम दोनों काफी गरम हो चुके थे और एक-दूसरे का भरपूर साथ दे रहे थे।
मैं उनके हर धक्के का जबाव अब अपनी कमर को उचका कर दे रही थी।

कुछ देर बाद उन्होंने मुझसे कहा- क्या तुम ऊपर आना चाहोगी?
मैंने कहा- ठीक है.. शायद आप थक गए हैं।

उन्होंने मुझे उनको पकड़ने को कहा और एक हाथ मेरे चूतड़ों पर रख कर मुझे अपनी ओर खींचा और कहा- बस लिंग को बाहर मत आने देना।
मैंने वैसा ही किया अपनी चूत से उनका लौड़ा निकाले बिना ही मैं उनके ऊपर आ गई।
उन्होंने मुझे चोदने को कहा और मैं धक्के लगाने लगी।

थोड़ी देर बाद वो भी नीचे से धक्के लगाने लगे।
मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ और मैंने धक्के तेज़ कर दिए।
कुछ ही देर में मैं झड़ गई और उनके ऊपर लेट गई.. पर वो नीचे से अब भी धक्के लगाते ही रहे।

वो समझ चुके थे कि मैं झड़ चुकी हूँ.. इसलिए उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया था.. ताकि मैं अलग न हो सकूं।
तभी मैंने उनसे कहा- मुझे पेशाब लगी है।

यह सुनते ही उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बाथरूम की ओर चल दिए।
मैंने कहा- ये क्या कर रहे है?
उन्होंने कहा- सालों के बाद बुर में लिंग गया है.. निकालने का मन नहीं हो रहा।
उन्होंने मुझे बाथरूम में उतारा और कहा- जल्दी कर लो।

मैं उनके सामने ही बैठ गई और पेशाब करने लगी।
वे मेरे सामने ही खड़े होकर अपने लिंग को हाथ से हिलाते हुए मुझे देखते रहे।
मैं जैसे ही उठी.. वे मेरे सामने आए और मुझे दीवार से लगा दिया।

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फ़िर मेरी एक पैर को उठा कर लिंग को मेरी चूत में अन्दर पेल दिया और मुझे चोदने लगे।
कुछ देर बाद उन्होंने मेरा दूसरा पैर भी उठा लिया.. अब मैं हवा में झूल रही थी।

वो जोर-जोर से धक्के मार रहे थे, उनके जिस्म से पसीना टपक रहा था.. उनकी साँसें तेज़ होती जा रही थीं।

इधर मेरी भी सिसकारियाँ तेज़ होने लगीं।
मेरे मुँह से निकलने लगा- और अन्दर और अन्दर..

वो और तेज़ गति से चोद रहे थे। उन्होंने मुझसे कहा- मेरा निकलने वाला है..
मैंने कहा- निकाल दो..

फ़िर जोरदार धक्कों के साथ उन्होंने अपना वीर्य मेरी बुर के अन्दर निकाल दिया और मैं भी झड़ गई।
करीब 5 मिनट तक हम उसी अवस्था में पड़े रहे।
फ़िर हम अलग हुए।

मैंने अपनी बुर को साफ़ किया और हम दोनों अन्दर चले गए।
कुछ आराम के बाद फूफा जी फ़िर शुरू हो गए।
उस रात हमने 3 बार चुदाई की।

सुबह हम दोनों की हालत खराब हो चुकी थी.. पूरे जिस्म में दर्द था। सुबह तो मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी, मेरी जाँघों में दर्द और अकड़न सी हो गई थी।

मैं उनके यहाँ करीब 7 दिन रुकी थी और हर दिन हम दोनों ने जी भर कर चुदाई की। यहाँ तक कि जब दिन में मौका मिलता तब भी लण्ड चूत का खेल शुरू हो जाता था।

मैंने जैसा सोचा था.. इसका उल्टा हुआ था.. वे 56 साल के होने के बाद भी उनमें एक 30 साल के जवान मर्द की तरह ताकत थी।

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