Chudai Kahani मेरी उत्सुकता

मैं एक जमींदार परिवार से संम्बंद रखता हू| मेरा कोई भाई या बहन तो नहीं थे परन्तु हम एक सयुंक्त परिवार मैं रहते थे तो मेरे काफी चचेरे भाई बहन थे| हम सब एक साथ ही रहते थे |मेरा परिवार काफी बड़ा था, एक हवेली मैं सभी लोग रहते थे | मेरे दादा जी परिवार तथा गांव दोनों के मुखिया थे | चुकी मैं उनके छोटे बेटे का इकलवती संतान था वो मुझे बहुत प्यार करते थे | मैं उनके पास ही ज्यदा रहता था |
मुझे अच्छी तरह याद है तब मैं मात्र १० साल का था |जब मैंने किसी को सेक्स करते पहली बार देखा था, मुझे ये तब पता नहीं था की वो लोग क्या कर रहे है , लेकिन उनकी बाते सुन कर मुझे काफी अच्छा लगा था |

उस दिन रविवार था यानि हमारे स्कूल कि छुट्टी थी ,मैं यूही गांव में घूम रहा था , माँ ने सुबह ही कहा था “बेटा ज्यादा दूर मत जाना घूमने घर जल्दी आ जाना ,मैंने तुम्हारी पसंद ही खीर बना रही हू .” मैं बहुत खुस था उस दिन.
मैं टहलते -२ पास के मंदिर तक चला गया था. | चुकी सुबह के १० बज रहे थे , पूजा खतम हो चुकी थी, इसलिए कोई था नहीं|
मैं मंदिर कि सीडियों पे बैठ गया , ओर कुछ गुनगुनाने लगा | तभी मेरी नजर मदिर के पीछे जाते कुछ लडको पर पड़ी| ध्यान से देखा तो वो मेरे बड़े पिता जी का लड़का मोहन था ,उसके साथ उसका दोस्त राकेश भी था |दोनों की उम्र १७ साल थी ,दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे | राकेश के पिता हमारे यहाँ मुंसि का कम करते थे | दोनों काफी कुश लग रहे थे , थोड़ी देर बाद दोनों मंदिर के पीछे बने छोटे से कमरे मैं चले गए | वो कमरा वह के पुजारी क था चुकी उस समय कोई मंदिर मैं पुजारी नहीं था ,कुछ महीनो पहले ही पुजारी महाराज की मृत्यु हुई थी, वो कमरा खाली पद था| वो दोनों कमरे के अंदर जा चुके थे , मुझे उनपे कोई सक भी नहीं था ,मैं तो एक नादाँ लड़का था उस समय | मैं थोड़ी देर मैं घर को जाने ही वाला था कि तभी एक लड़की मुझे उस कमरे की तरफ जाती हुई दिखी ,मैंने देखा वो हमारे घर के पीछे रहने वाले माली कि बेटी माला थी| मेरी उत्सुकता बढने लगी ,वो क्या करने जा रही है उस कमरे मैं | मैंने सोचा वो लोग कोई खेल खेलने वाले है वह, मैं नादान उस कमरे की तरफ जा ही रहा था की , माला उस कमरे मैं घुस गयी, उसके घुसते ही दरवाजा बंद हो गया| मैं तब तक उस कमरे तक पहुच चूका था, मैं दरवाजा खटखटाने ही वाला था की मुझे उंदर से हसने कि आवाज आई मेरी उत्सुकता अंदर से आती हँसी सुनकर बदती जा रही थी, पहले मैंने सोच दरवाजा खटखटाउ |फिर मन मैं आया देखता हू ये लोग अंदर कोंन सा खेल खेल रहे है, अब मैंने कोई खिडकी या सुराग ढूढने लगा| इस बीच अंदर से बार-२ आवाजे आ रही थी |
माला : “छोड़ा ना क्यों तंग कर रहे हो ,मैंने जो कहा था लाए या नहीं , रुको तो ऐसे तो फट जायेगी ……..रुको”
मोहन :”मेरी जान , तुने एक मागा था मैं तेरे लिए दो ले आया हू , तू आराम से खा इसे हमें हमारा कम करने दे ………..”
माला :”दो लाए हो तो तुम भी तो दो हो , रुको पहले मुझे एक खा लेने दो फिर मैं निकालूंगी.”
राकेश :”तू दोनों खा आराम से किसने रोका है तुझे, हमें हमारा कम करने दे.”
तभी मुझे लगा अंदर कोई किस ले रहा,,,,,,,,,,,एक -दो -तीन …….उसके बाद मैंने गिनती करना छोड़ दिया. तब तक मैं कमरे के पीछे पहुच चूका था | मेरी अभी तक समझ मैं नहीं आया था कि अंदर क्या चल रहा था. माला क्या खाने कि बात कर रही थी , मोहन भैया ओर राकेश किस कम कि बात कर रहे थे|
तभी मुझे कमरे मैं एक सुराख़ दिखा ……जो सायद कमरा बनाते वक्त रह गया था| चुकी मेरी लम्बाई भी छोटी थी मैं वह तक नहीं पहुच पा रहा था| मेरी नजर पास पड़े ईट के ढेर पर गयी, मैंने कुछ को उदा कर सुराख़ के निचे रख्खा ताकि मैं सुराख से देख सकू अंदर क्या हो रहा है|

मैं बहुत कोशिशो के बाद अंदर क्या हो रहा था देखने मैं कामयाब हो गया था | इस बीच अंदर से आती मोहन ,राकेश ,माला कि बाते मुझे लगातार सुनाई दे रही | जिसके मुताबिक मोहन भैया ने माला को कुछ उतारने को कहा ओर माला ने सायद हा कर दी थी|
ईट पे पैर रखने के बाद मैंने अंदर देखने की कोशिश करने लगा ,सबसे पहले मुझे मोहन भैया की पीठ नजर आई , उन्होंने अपनी कमीज जतर रख्खी थी |जैसे ही उनका सर नीचे हुआ मुझे राकेश नजर आया | मुझे अब काफी कुछ साफ दिखने लगा था, मुझे लग रहा था उन दोनों के बीच मैं कोई है | तभी उन दोनों के बीच से मुझे माला निकलती हुई दिखाई पड़ी| वो उन दोनों से थोड़ी दूर जाकर खड़ी हो गयी ओर हसने लगी |मोहन भैया राकेश दोनों हँसते हुए उसकी तरफ बढे | माला ने दोनों को रुकने क इशारा किया ओर कहा
माला : “मुझे ये वाला आम खा लेने दो पहले उसके बाद तुम लोग जो कहोगे मैं करने को तैयार हू ,” तब नुझे पता चला वो किन दो की बात कर रही थी , अशल मैं मोहन भैया ने उसे आम का लालच दे कर वह बुलाया था ,उसके लिए दो आम लेकर गए थे|
तभी मोहन भैया ने कहा “तू आराम से आम खा ना , हमें बस तेरे कपडे उतरने दे ”
माला : “मैं अपने कपडे नहीं उतारने वाली कल तुमने बहुत तंग किया था , मुझे अभी भी सीने में दर्द हो रहा है ”
मोहन भैया थोडा मुस्कुराये फिर बोलो ” अरे आज आराम से करूँगे तुझे दर्द नहीं होगा क्यों राकेश “. राकेश ,मोहन भैया कि तरफ देख के मुश्कुराया ओर बोला “बिल्कुल माला हम आराम से करेंगे ,तुझे दर्द नहीं होगा ”
माला : ” राकेश तुम कहा थे कल …….मोहन ने बहुत तेजी से दबाया था मेरे सीने को , मुझे बहुत दर्द हुआ था ”
राकेश : “माला तू बिलकुल चिंता मत कर मैं हू ना तुझे बिलकुल दर्द नहीं होने दूँगा ”
ये कहते हुये भैया ओर राकेश फिर से माला के पास पहुच गए थे | तब तक माला के हाथो का आम भी खत्म हो चका था |उसने दोनों को मुस्कुराते हुए देखा ओर अपना सर निचे कर लिया|
मेरी ज्यादा कुछ समझ मैं तो नहीं आ रहा थ उस समय लेकिन मुझे उनकी बाते सुनकर काफी अच्छा लग रहा था|
इसी बीच मैंने देखा भैया ने माला के होठो पे किस करना चालू कर दिया था ,ऐसा लग रहा था माला के लिए पहली बार नहीं था ये सब,मुझे ये सब देखकर जरुर अजीब लग रहा था | शयद भैया ने पहले भी माला को आम के बहाने वह बुलाया था | मैं ये सोच ही रहा था कि तभी राकेश ने माला कि शर्ट उतरने के लिए ऊपर से खीचना चाहा ,ओर माला ने दोनों हाथ आसानी से ऊपर कर दिए , मेरे देखते -२ माला कि शर्ट जमीन पर पड़ी थी ओर माला दोनों के बीच कसमसा रही थी |
मुझे अब काफी अच्छे से अंदर क नजारा दिखने लगा था |सायद सुराख़ छोटा होने कि वजह से तीनों मैं से कोई मुझे देख नहीं पाया था |
तभी मैंने देखा राकेश दोनों को छोड़ कर बहार जा रहा है |
भैया :” कहा जा रहे हो ”
राकेश :”एक बार बहार देख कर आता हू कोई आ तो नहीं रहा है तुम अंदर से दरवाजा बंद कर लो मैं बहार से बंद करके जा रा हा हू ”
भैया : “कितनी देर मैं आओगे ”
राकेश :”बस थोड़ी देर मई आ रहा हू ”
भैया : “ठीक है ”
माला ने माशुमियत से कहा :”राकेश तुम मत जाओ , तुम चले जाओगे तो ये बहुत जोर से दबाएगा ”
राकेश को माला कि माशुमियत पे तरश आया वो बोला : “तुम बिलकुल मत परेशान हो मैं अभी आया , मेरे आने तक मोहन कुछ नहीं करेगा ”
फिर वो भैया से बोला : “मेरे आने तक तुम कुछ नहीं करोगे माला के साथ ठीक है ”
भैया ने मुश्कुराते हुए कहा :”ठीक है भाई कुछ नहीं करूँगा , अब तुम जाओ ”
इसी के साथ राकेश कमरे से बहार चला गया ओर भैया ने अंदर से कमरा बंद करके माला के पास आ कर बोले: “चल उधर बैठते है ” माला ओर भैया दोने कमरे के कोने मैं रखे घास के ढेर पर पड़े बिस्तर पे बैठ गए…………………..

थोड़ी देर तो दोनों के बीच कुछ नहीं हुआ …….तभी मैंने देखा माला कसमसाती हुई बार-२ भैया कअ हाथ पकड़ रही थी ओर मन कर रही थी | भैया बार-२ उससे हाथ छुडा कर उसके सीने पर रख राहे थे | एक बार फिर जब माला ने हाथ हटाया तो भैया ने कहा : “क्यों बार-२ हाथ हटा रही है मेरा करने दे ना !”
माला : “नहीं जब तक राकेश नहीं आ जाता मैं कुछ नहीं करने दूंगी …….हटो तुम यहाँ से ”
भैया : “क्यों कल तो बड़े मजे से दबवा रही थी आज क्या हुआ रानी ”
माला : “तुमने कल बहुत जोर से दबाया था अभी तक दर्द कर रहा है ”
भैया : “अच्छा ठीक है आज आराम से करूँगा अब तो कपड़े उतर “………..अभी तक मेरी ये समझ में नहीं आया था कि भैया माला का क्या दबाने कि बात कर रहे है |…..इसका जवाब मुझे जल्दी ही मिलने वाला था.
भैया ने अपनी बात कहते हुआ एक बार फिर माला के सीने पे हाथ रख्खा |माला ने गुस्से मैं भैया को देखा ओर हाथ झटक दिया|
माला कि इस हरकत पर भैया तोडा गुस्सा हो गए ओर बोले : “ठीक है मैं जा रहा हू अब राकेश से ही सब करवाना ओर वोही तुझे आम भी ला कर देगा .”
माला भैया कि इस बात पर थोड़ी घबरा गयी क्युकी उसे पता था …..गावं मैं जो आम क बाग है वो हमारा ही है , ओर भैया ही उसे लाकर दे सकते है …….
माला ने भैया क हाथ पकड़ा ओर मुशकुरा के बोली : “अरे गुस्सा क्यों होते हो ……अच्छा ठीक है मैं कपडे उतरती हू पर तुम धीरे-२ करोगे पहले वादा करो.”
भैया :”अरे कल गलती से जोर से दब गया होगा …….मैं अब धीरे-२ ही करूँगा ,तुझे भी मज़ा आएगा ”
भैया के ये कहते ही माला ने अपनी शर्ट के बटन खोलने चालू कर दिए …….ओर लगातार भैया को देख कर मुस्कुराये जा रही थी|
भैया कि आखे माला की खुलती बटनों पर थी ……ओर उनकी आखो मैं अपनी जीत कि खुसी साफ दिख रही थी |
भैया उस नवयुवती को एक आम का लालच देकर उसके अनमोल अंग के दर्शन करने वाले थे |
भैया को लगातार देखता देखकर माला के हाथ आखिरी बटन पर आकार रुक गया |
भैया ने आशचर्य से कहा :”रुक क्यों गयी निकाल ना ”
माला : “मुझे शर्म आती है ”
भैया उसकी बात सुनकर आगे बड़े ओर आखिरी बटन को भी खोल दिया ओर पीछे कि तरफ ले जाकर उसकी शर्ट को उतर कर एक तरफ रख दिया |
माला ने शर्म ने नजरे झुका ली ……..उसके गाल सुर्ख लाल हो चुके थे ओर दोनों हटो से उसने अपने सीना ढक लिया था |
भैया ने उसकी तरफ देखा ओर प्यार से एक हाथ से उसके चेहरे को ऊपर किया ………माला ने दोनों आखे अभी तक बंद कर रखी थी| भैया ने प्यार से उसके होटो पे किस किया माला थोडा कसमसाई फिर उसने नजरे निचे कर ली |
भैया ने प्यार से फिर से माला का चेहरा ऊपर किया ओर अपने होठ माला के होठो पे लगा दिए ,भैया ने माला के सर को पीछे से पकड़ रख्खा था दोनों हाथो से | माला कि आंखे अभी भी बंद थी पर उसने कोई विरोध नहीं किया इस बार ओर भैया क साथ दे रही थी | थोड़ी देर के बाद भैया का हाथ माला कि नंगे सीने पे घूमने लगे | मैंने देखा माला ने शर्ट के अंदर कुछ पहना नहीं था , सायद उसे जरुरत भी नहीं थी |माला के सीने के उभार बहुत ही छोटे थे उसकी अरोला किसी ५० पैसे के सिक्के जितना बड़ी थी ओर उसपे छोटी सी निप्पल तो पता ही नहीं चल रही थी | भैया अभी भी माला के होठो पे लगे थे अब तक भैया के हाथ माला के सीने तक पहुच कर उसके छोटे -२ चुचियो को मसलने लगे थे | भैया ने दो उंगलियों से माला के छोटे से निप्पल को पकड़ कर मसाला ,तो माला के मुह से हल्की सी आह निकल गयी|
माला ने भैया के होठो से अपने होठ हटाकर कहा : “देखो तुमने कितना जोर से कल दबाया था अभी भी निशान पद हुआ है ”
भैया ने माला के दोनों चुचियो को देखा तो पाया की माला के बाई तरफ के चूची पे हल्के लाल कलर क निशान था जो उसके अरोला के बिलकुल पास मैं था |भैया ने उसपे हाथ फेरा ओर बोले :”अरे हा देख तो कैसे लाल सा हो गया है ,हो सकता है कल जोश मैं ज्यादा जोर से दब गए होंगे,लकिन आज ऐसा नहीं होगा तू चिंता मत कर . तुझे आज पूरा मजा दूँगा ”
माला को भी भैया की हरकतों की वजह से जोश आने लगा था ,उसकी साँसे धीरे-२ तेज होने लगी थी |भैया के हाथ अब तेजी से माला के चुचियो पे चलने लगे थे , जब भैया थोड़ी जोर से दबाते तो माला की आह निकल जाती |
थोड़ी देर ये खेल दोनों के बीच चलता रहां तभी मैंने देखा की भैया ने अपने हाथ माला के निचले भाग की तरफ ले जा रहे है उसने हाथ अभी माला की नाभि तक पहुचे ही थे की माला ने भैया क हाथ पकड़ लिया ओर बोली :”वहा नही ऊपर से जितना करना है करो पर निचे नहीं ”
भैया माला की बात सुनकर थोडा मुस्कुराये ओर माला के स्तनों पे दोसरा हाथ फेरते हुए बोले : “अरे शर्माती क्यों है कुछ नहीं होगा ,देखना तुझे कितना मज़ा आयगा ” कहते हुआ भैया ने माला की सलवार के नाडे को पाकर लिया ओर खोलने क प्रयाश करने लगे |
माला अभी भी “नहीं-२ ” कर रही थी लेकिन इस बार उसने भैया क हाथ रोकने की कोशिश नहीं की | भैया ने माला को बिस्तर पे लेटने को कहा | माला ने बिना कोई सवाल किये बिना बिस्तर पे लेट गयी | अब भैया इतमिनान से माला के सलवार के नाडे को खोलने लगे | माला क एक हाथ उसके पेट पे था ओर दूसरे हाथ की उंगलियों को उसने अपने दातो तले दबा रखा था ओर पीछे की तरफ देख रही थी |बीच-२ मैं वो भैया की तरफ देख भी रही थी की वो क्या कर रहे है |
भैया इस बीच नाडे को खोलने मैं व्यस्त थे ….थोड़ी देर मैं झुझला के बोले :”कैसे बाधा है तुने ये तो खुल ही नहीं रही रहा है ”
माला ने नीचे की तरफ देख ओर मुशकुरा कर बोली : ” अरे बेवकूफ ! ऊपर वाले को खिचो ,ज्यादा जोर मत लगाना वर्ना टूट जायेगा ”
भैया ने फिर प्रयाश किया पर वो नहीं खोल नहीं पाए | इसपर माला ने उठते हुए कहा :” रुको मैं खोलती हू नहीं तो तुम तोड़ दोगे ”
भैया ने दोनों हाथ हटा लिए ओर माला को नाडा खोलते देखने लगे |
थोड़ी देर मैं ही माला ने अपनी सलवार का नाडा खोल कर कहा :” तुम्हे तो एक नाडा भी खोलना नहीं आता ”
भैया :” हा ठीक है , बस तू अब लेट जा मुझे मेरा कम करने दे ” माला एक बार फिर बिस्तर पे पीठ के बल लेट गयी |
अब भैया के हाथो ने माला की सलवार पाकर कर निचे करना चालू कर दिया |सलवार के थोडा निचे होते ही माला की पुरानी नीले रंग की चढ्ढी मुझे दिखने लगी |भैया ने सलवार थोडा निचे किया तो सलवार माला की चूतडो मैं फस गयी ओर जोर लगाने पे भी निचे नहीं आ रही थी |
भैया ने माला से कहा :” थोडा गांड उठा ना सलवार नहीं निकल रही है ऐसे ” माला ने बिना किसी सवाल के भैया की आज्ञा का पालन किया ओर अपनी चूतड़ को थोडा ऊपर उठा दिया ताकि सलवार आसानी से निकल जाये |

माला के चूतड़ उठाते ही भैया ने सलवार को निकल कर एक कोने में रख दिया | माला के संगमरमरी बदन को देखकर मोहन भैया की आखे चमक उठी | मुस्कुअरे हुए उन्होंने माला के बदन पे एक बार हाथ फेरा ओर दाहिने हाथ को निचे की तरफ ले जाने लगे |
माला की नाभि तक पहुच कर उनका हाथ रुक गया | थोड़ी देर नाभि पे हाथ फेरने के बाद भैया ने अपने हाथ की सबसे छोटी उंगली नाभि पर रख कर दबाया | उनके ऐसा करते ही माला की आह निकल गयी |भैया थोड़ी देर यु ही माला की नाभि से खेलते रहे , ओर माला आहे भरती रही |

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फिर भैया के हाथ को धीरे -२ माला के चड्डी की तरफ ले जाना सुरु किया , ज्यु की भैया का हाथ चड्डी की एलास्टिक तक पहुच ,माला ने अपना हाथ बढाकर रोक लिया | भैया ने एक नजर माला के चेहरे पर डाली तो माला ने नहीं का इशारा करते हुआ सर हिलाया |
भैया ने धीरे से कहा : “क्या हुआ हाथ क्यों पकड़ लिया तुने .”
माला ने धीरे से शरमाते हऐ कहा : “वहा हाथ मत डालो , मुझे शर्म आती है ” .भैया ये तो समझ गए की माला इंकार नहीं कर रही है बस थोड़ी शरमा रही है |
भैया ने अपने दाहिने हाथ को वही रहने दिया ओर अपने अपने बाएँ हाथ को माला के चूचियों पे रखकर मसलना चालू कर दिया ,साथ ही साथ अपने होठो को माला के होठो की तरफ बड़ा दिया |
माला ने जैसे भैया के होठो के स्वागत मैं अपने होठ थोड़े से खोल दिए ओर अपनी आखे बंद कर ली |
इतनी देर से भैया के साथ नंगे होने के कारण शायद माला की शर्म भी थोड़ी कम हो गयी , उसकी आखे भी नशे मैं लगने लगी थी |
थोड़ी देर मैं भैया ने माला के होठो को चूसते हुए उसके चूची को जोर से दबाया | माला की आह भैया के होठो मैं कैद रह गयी पर उसने अपने सीने को ऊपर उठा कर प्रतिक्रिया दी |

थोड़ी देर ये ही खेल चलता रहा दोनों के बीच , माला बार-२ अपने सीने को थोडा उठा लेती जब भैया जोर से उसके चूची मसलते |तभी मैंने देखा की माला के हाथो की पकड़ भैया के दाहिने हाथ पे कम हो गयी ओर भैया का हाथ धीरे-२ उसकी चड्डी के अंदर जाने लगा |
इसबार माला ने कोई विरोध नहीं किया ,वो तो मज़े से भैया के होठो को चूस रही थी|धीरे -२ भैया क हाथ माला की चड्डी की इलास्टिक को ऊपर करते हुए अंदर समता जा रहा था |माला बस कसमसाए जा रही थी भैया की इस हरकत पे
भैया के हाथो का असर माला के चेहरे पे साफ दिखाई दे रहा था |माला की आंखे अभी भी बंद थी पर ज्यु ही भैया का हाथ उसकी चड्डी मैं गया उसके बदन ने एक अंगडाई ली ओर चेहरे पे थोड़ी मुस्कराहट डोर गयी |
भैया चड्डी के अंदर हाथो को धीरे-२ घुमाने लगे ,इस बीच लगातार माला के होठो को चूसते जा रहे थे |माला ने भी भैया का खूब साथ दिया , उसने भैया के सर को पकड़ कर उनके होठो को जितना जोर से चूस सकती थी चूस रही थी | थोड़ी देर के बाद भैया ने अपने हाथ माला की चड्डी से निकला , तो मैंने देखा की उनका हाथ कभी भीग गया था ओर पानी सा चु रहा था |भैया ने माला के होठो को छोड़ा ओर उसे अपनी गोंद मैं बैठाते हुए अपना हाथ दिखाया |
भैया : “देख माला तेरी चुत का रस, तेरी चुत तो पूरी गीली हो कर रस छोड रही है ” . माला भैया के हाथो पे लगे पानी को देख कर शर्मा गयी ओर सर निचे करते हुए कहा ” कैसी गन्दी बाते कर रहे हो , गंदे कहीके “.
भैया : “अच्छा अब मैं गन्दा हो गया , तेरी चुत मज़े से पानी छोड रही है , तुझे मज़ा आ रहा है ओर गन्दा मैं हू ”
माला ने भैया की ओर सर करके कहा : “तुम ऐसे मत बोलो मुझे अच्छा नही लगता “. भैया ने माला के कामरस से भीगे हाथ को सुघते हुए बोले. भैया : “तो चुत को चुत नहीं कहू तो क्या कहू , तू एक बार सूंघ के देख ना मेरा हाथ कितना मज़ा आ रहा है ” कहते हुए भैया अपने हाथ माला के नाक के पास ले गए जो अभी भी उनकी गोंद मैं बैठी थी | ज्यु ही भैया का हाथ माला के नाक के पास पंहुचा ,माला को हल्की से गंध मिली उसे अच्छा तो लगा पर शर्मा कर उसने भैया का हाथ हटा दिया ओर बोली : ” मुझे नहीं सूंघना , तुम ही सूँघो “. भैया ने हँसते हुए अपना हाथ माला के सीने पे रख दिया ओर फिर से मसलने लगे उसकी चुचिया|
माला को जब से भैया ने अपनी गोंद मैं बैठाया था उसे नीचे से कुछ चुभने का आभाश हो रहा था , वो बार-२ चूतड़ों को इधर -उधर कर रही थी | भैया ने उसे अपनी गोंद मैं मचलते देखा तो पूछा : “क्या हुआ जानेमन , क्यों इतना मचल रही हो. ” माला ने भोली सी सूरत ऊपर करते हुए कहा ” मुझे निचे से कुछ चुभ रहा है ” . भैया मुस्कुरा के बोले :” अरे मेरी जान वो तो तेरा खिलौना है , रुक जा अभी दिखाता हू ” . कहते हुए उन्होंने माला को अपनी गोंद से निचे उतार दिया| गोंद से उतरते ही माला को चैन मिला वो पलट कर भैया की तरफ उत्सुकता से देखने लगी |
भैया ने अपनी शर्ट तो पहले ही उतार रख्खी थी अब बरी उनके पैंट की थी , उन्होंने बैठे-२ ही अपने पैंट की चैन खोली ओर ऊपर के दोनों बटनों को भी खोल दिया | अपनी चूतड़ थोड़ी सी उठा के भैया ने अपनी पैंट को बहार निकल दिया ओर एक तरफ जहा माला के कपडे थे रख दिया | मैंने देखा उनके चड्डी मैं काफी उभार था कोई लम्बी सी मोटी सी चीज़ बार-२ जटके खा रही थी | माला भैया की चड्डी को देख कर अश्चर्य से कहा ” ये क्या है इतना बड़ा ओर मोटा सा , ये इतना ऊपर-नीचे क्यों हो रहा है ” .
भैया ने नीचे देखते हुए कहा : “अरे पगली ये वही तो है जो मैंने तुझे कल दिखाया था ”
माला नीचे देखते हुए मायूसी से बोली : “पर कल तो बहुत छोटा सा दिख रहा था , लेकिन आज तो बहुत बड़ा दिख रहा है .”……….भैया ने कहा :”जानेमन कल तो तुने कुछ करने ही नहीं दिया था , आज तो तेरी वजह से ये इतना बड़ा हुआ है. छु के देखा ना डर क्यों रही है ”
माला : “ना बाबा ना , मैं नही चूती मुझे डर लग रहा है इससे ”
भैया : “अरे इस नाम से बुला ना , डर क्यों रही …………मैंने बताया था ना इसे लंड कहते है ”
माला : “छी, कितना गन्दा बोलते हो “. ओर वो शर्मा कर दूसरी तरफ देखने लगी | भैया ने प्यार से उसका हाथ पकड़ा ओर अपने लंड की तरफ ले जाते हुए कहा : ” एक बार छू के तो देख कुछ गन्दा नहीं होता , तुझे भी मज़ा आएगा ”
माला ने इस बार हाथ छुड़ाने का बिलकुल प्रयाश नहीं किया ओर भैया ने उसका हाथ अपने लंड पे रख दिया …………………………………………………….

भैया ने माला का हाथ चड्डी के ऊपर से ही अपने लंड पे रख के ऊपर-नीचे करने लगे , जब माला का हाथ नीचे करते तो उनके लंड क कुछ हिस्सा चड्डी से बहार दिखने लगता | माला बहुत उत्सुकता से देख रही थी ओर धीरे -२ अपना हाथ ऊपर नीचे कर रही थी| जब भैया ने देखा की माला को लंड मसलने मैं मज़ा आ रहा तो उन्होंने अपना हाथ माला के हाथ पर से हटा लिया , माला इंतना खो गयी थी लंड हिलाने मैं की उसे होश ही नहीं था की भैया ने अपना हाथ हटा लिया है , वो अभी भी धीरे-२ अपना हाथ ऊपर -नीचे कर रही थी |मैंने ध्यान दिया की ये सब देखकर मेरे पैंट के भी आगे का हिस्सा थोडा उभर आया है, मैंने जब अपना हाथ अपने पैंट के ऊपर रखा तो मुझे थोड़ी गुदगुदी हुए ओर मज़ा भी आया | मैं भी अब धीरे-२ अपने लुल्ली (मैं उसे लुल्ली ही कहूँगा क्यों मैं तब बहुत छोटा था ) को सहलाने लगा | तभी मैंने अंदर देखा की भैया अब माला के चुचियो को मसलने लगे थे | माला को तब होश आया जब उसके छाती मैं थोडा दर्द हुआ , उसने पाया की वो अभी तक भैया क लंड मसल रही है ,जबकि भैया ने अपना हाथ हटा लिया है| उसे अपनी इस हरकत पे बहुत शर्म आई ओर उसने अपना हाथ लंड से हटा कर नीचे देखने लगी ओर मुस्कुराने लगी |भैया ने जब माला को शरमाते देखा तो बोले : “अब क्या शर्मा रही है , अब तो मज़ा लेने का वक्त आ गया है . रुक जा मैं तेरी बाकि की शर्म भी दूर कर देता हू ” ये कहते हुए भैया ने अपनी चड्डी को नीचे करना चालू कर दिया , माला बहुत उत्सुकता से बाहर आते लंड को देख रही थी |थोड़ी देर मैं भैया ने अपनी चड्डी को पूरी तरह से निकाल कर अपने कपडो की तरफ उछाल दिया |मैंने देखा भैया का लगभग ७ इंच लंबा ओर करीब २.५ इंच मोटा लंड सीधे ऊपर की तरफ देखते हुआ फुफकार रहा था जैसे कोई नाग हो | भैया के लंड को देखकर माला का गला सुख गया बहुत धीरे से बोली : “बाप रे कितना बड़ा ओर मोटा हो गया है ये .”
भैया ने कहा “सब तेरी वजह से ही तो हुआ है , देख तुझे देख कर कैसे उछाल रहा है मेरा लंड “.माला बिना पलके झपकाये उस गोरे-चिट्टे लंड को देखे जा रही थी | भैया अब थोडा बेशरमी पे उतर आये थे उन्होंने ने माला से कहा : “एक बार पकड़ के देख ना कितना गरम हो गया है . “. माला जैसे नींद से जागी ओर बोली : ” नहीं मैं इसे हाथ भी नहीं लगाउंगी ,मुझे इसे देखकर डर लग रहा है “|भैया ने जबरदस्ती माला का हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया ओर ऊपर नीचे करने लगे | थोड़ी देर बाद माला की झिझक भी खत्म हो गयी ओर वो खुद ही हाथ चलाने लगी |भैया की मज़े से आखे बंद होने लगी थी ओर उनके मुह से सिसकियाँ निकलने लगी थी |माला जब लंड पे हाथ फेरते हुए नीचे करती तो चमड़ी के नीचे आते ही मुझे भैया का लाल रंग का सूपाड़ा दिखने लगता |थोड़ी देर बाद ही भैया ने माला से कहा : “एक बार मुह में ले कर देख ना कितना मज़ा आता है “…..भैया की बात सुनते ही माला ने अपने हाथ चलाना बंद कर दिया ओर बोली : “छी कैसी गन्दी बाते करते हो , यहाँ से तो पेशाब करते है मैं मुह में कैसे ले सकती हू “.
इसपर भैया ने कहा : “कुछ गन्दा नहीं है , येही जब तेरे अंदर जायेगा तो तुझे इतना मज़ा आएगा की तू सोच भी नही सकती “. माला ने इसपर आश्चर्य से कहा “ये मेरे अंदर कैसे जायेगा , ये तो कितना मोटा है “. भैया ने कहा: ” मेरी रानी बड़े आराम से जायेगा तेरे अंदर देखना तुझे कितना मज़ा आएगा , अच्छा चल मुह मैं मत ले पर एक बार चाट के तो देख जैसे आईसक्रीम चाटती है “. माला ने भैया की बात मानते हुआ घुटनों के बल बैठ गयी ओर लंड को एक हाथ से पाकर कर अपना मुह उसके पास लायी.| लंड के पास आते ही उसकी मादक सी महक माला की नाक मैं गयी तो वो थोड़ी मदहोश सी हो गयी ओर धीरे से अपना मुह खोलकर जीभ को बहार निकला | उसके छोटे से मुह के सामने लंड काफी विशाल लग रहा था |माला ने भैया की आखो मैं देखते हुए धीर से लंड पे अपनी जीभ रखी , ओर मुह को ऊपर की तरफ ले जाते हुए लंड क पहली बार स्वाद चखा | भैया की तो मज़े से आह निकल गयी ओर वो लंड चटाई का मज़ा लेने लगे |भैया ने थोड़ी देर बाद माला से कहा ” एक बार सुपाडे को तो चाट के देख “.माला ने वैसा ही किया .|माला की जीभ सुपाडे पे पड़ते ही लंड ने मज़े में ठुमका लगाया ओर थोडा सा उछल गया | लंड को ऐसा करते देख माला की हंशी निकल गयी | उसे इस खेल मैं अब मज़ा आने लगा था , वो बार -२ अपनी जीभ सुपाड़े पे ले जाकर चाटने का प्रयास करती ओर हर बार लंड एक ठुमका लगता |भैया तो मज़े से दोहरे हुए जा रहे थे माला की इस हरकत पे |माला अपना काम किये जा रही कि तभी भैया ने उसे रुकने क इशारा किया ओर माला ने लंड चाटना छोड कर भैया के बगल मैं सर नीचे करके खड़ी हो गयी ओर भैया के अगले आदेश का इंतज़ार करने लगी | भैया ने एक हाथ से अपना लंड पकड़ा ओर माला को इशारे से बिस्तर पे लेटने को कहा | माला चुपचाप बिस्तर पे पीठ के बल लेट गयी ओर भैया के अगले हरकत का इंतजार करने लगी ………

भैया माला को बिस्तर पे लेटने को कह कर खुद अपने कपड़ो कि तरफ चले गए ओर पैंट कि जेब से कुछ निकाल कर माला कि ओर मुड़े | मैंने देखा भैया के हाथो में एक छोटी सी तेल कि शीशी थी जिसे उन्होंने बिस्तर के सर के पास रख दिया |
माला ने भैया से पूछा : ” ये तेल किस लिए लाए हो .” तो भैया ने मुस्कुराते हुए कहा : “अभी पता चल जायेगा , क्यों परेशान हो रही है “. मुझे लग रहा था कि भैया को काफी अनुभव था , सायद वो पहले भी ये सब कर चुके थे , पूरी तैयारी के साथ आये थे वो | मुझे ये सब बाते उस वक्त तो नहीं पता थी , जब मैं जवान हुआ तो मुझे एहसास हुआ था उस दिन कि घटना का |
भैया अब माला के दाहिने तरफ बैठ गए , भैया तो पूरी तरफ नन्गे थे पर माला के शरीर पर अभी भी एक चड्डी बाकी थी जिसने उसकी प्यारी सी कुवारी चुत को ढक रखा था | भैया उठ कर अब माला के पैरों की तरफ आ गए थे , ओर उनके हाथो ने माला की चड्डी कि इलास्टिक को दोनों तरफ से पकड़ लिया था | जब माला को एहसास हुआ कि भैया क्या करने जा रहे है तो उसने नीचे देखते हुए भैया का हाथ पकड़ लिया , भैया माला कि आखो में देखते हुए उसकी चड्डी को नीचे किये जा रहे थे , थोड़ी देर तो माला ने विरोध किया पर जब उसे लगा भैया नहीं मानने वाले तो उसने अपने हाथो कि पकड़ धीली कर दी | माला की चड्डी धीरे-२ नीचे कि तरफ जा रही थी , ओर उसकी कच्ची कली किसी मर्द के सामने पहली बार बेपर्दा होने जा रही थी | भैया ने थोड़ी सी चड्डी सरका के माला कि चुत का जायगा लिया तो पाया कि अभी तक माला कि चुत पे ठीक से काले बल तक नहीं आये है , बस कुछ छोटे-२ रोये जैसे भूरे बाल ही थे |भैया ने झुक के माला कि उभरी चुत पे एक किस किया तो माला मचल उठी | भैया फिर नीचे आते हुए , चड्डी को निकालने लगे ,मगर माला के लेते होने कि वजह से चड्डी भी सलवार कि तरफ उसकी जाघो में फस गयी | भैया ने एक हाथ नीचे ले जाते हुए माला के चूतड़ों को थोडा ऊपर उठाया , तो माला ने पूरा सहयोग करते हुए अपने बदन को जमीन से थोडा ऊपर कर किया ताकि चड्डी निकलने मैं आसानी हो| भैया ने एक झटके में माला कि चड्डी को इसके बदन से अलग कर दिया , ओर ध्यान से चड्डी में देखने लगे तो उन्हें चड्डी के सामने क भाग कुछ गीला सा लगा |भैया ने माला कि चड्डी को अपनी नाक पे रखकर सुंघा तो उन्हें ऐसा करते देख माला शर्मा गयी ओर होठो को दातो से दबा कर दूसरी तरफ देखने लगी | भैया ने चड्डी को सूंघते हुए कहा : “तेरी चुत कि खुसबू तो लाजवाब है, इतना नशा अगर तेरी चुत के रस मैं है , तो तेरे बदन मैं कितना नशा होगा रानी . ”
माला अपनी तारीफ सुनकर शरमाये जा रही थी ओर भैया, उसे देखते हुए चड्डी के गीले भाग को चाटने लगे | थोड़ी देर बाद भैया ने चड्डी तो भी बाकी कपड़ो कि तरफ उछाल दिया ओर माला कि ओर मुड़े |
माला किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी , जवानी कि दहलीज पे द्कदम रख चुकी कोमल ओर मासूम लड़की भैया के सामने पूरी नंगी पड़ी थी | ऊपर से नीचे तक उसका बदन ऐसा लग रहा था जैसे दूध में हल्का सा सिंदूर डाला गया हो | उसके होठ लग रहे थे जैसे सुबह कि पहली किरन के साथ गुलाब की पंखुडिया कलि से नीकल रही हो | माला कि चुचिया थोड़ी फूल सी गयी थे ओर उत्तेजना कि वजह से उसकी निप्पल पूरी तरह खड़ी हो गयी थी | भैया ,माला के पैरे की तरफ ही थे ओर ध्यान से माला के बदन क जायजा ले रहे थे ओर अपनी किस्मत पे इतरा रहे थे कि इतनी प्यारी कच्ची कली उनकी झोली में आ गिरी थी वो भी बिना कुछ किये | भैया धीरे-२ माला के पैरों कि तरफ से ऊपर बढे उन्होंने अपने दोनों हाथ माला के जाघो पे लगा दिया ओर झुक कर उसकी प्यारी सी कुवारी चुत को देखने लगे | फिर भैया ने माला कि चुत पे एक किस लिया तो माला “उहह ” कर बैठी ओर अपनी नजरो को नीचे करके भैया की हरकतों को देखने लगी | भैया अब माला के पैरों पे आराम से बैठ गए थे ओर उसकी चुत का मुआयना कर रहे थे | माला चुत हल्के झाटो से भरी थी जो उसके चुत को ढकने मैं नाकामयाब थे | चुत क चीरा कुछ २ इन्च का था , उसके आसपास का भाग चुत के पानी कि वजह से थोडा गीला हो गया था |भैया ने चुत को देखते हुए अपने दाहिने हाथ कि उंगली को चुत के चीरे पे लगाया ओर थोडा सा दबाया तो उनकी उंगली थोड़ी अंदर चली गयी ओर माला की आह निकल गयी | माला ने अब आखे बंद कर ली थी ओर भैया के हरकतों क मज़ा लेने लगी |भैया ने उंगली को अंदर रखते हुए नीचे कि तरफ ले गए तो उनकी उंगली चुत के पानी कि वजह से फिसल कर बहार निकल आई |भैया ने इस बार अपने दोनों हाथो का इस्तेमाल लिया ओर माला कि चुत के फाको को दोनों तरफ से अलग करने कि कोशिश कि तो उन्हें माला की चुत के अंदर का भाग नजर आने लगा |चुत के अंदर का भाग बिलकुल लाल हो रहा था , चुत क छेद भी बहुत छोटा सा था और उसके उपरी भाग पे उनके छोटी सी चुत कि घुंडी दिखाई दी |

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भैया ने ज्यु चुत की घुंडी को छुआ , तो जैसे माला के शरीर में कर्रेंट का झटका लगा ओर उसका पूरा शरीर कॉप गया | भैया ने देखा कि उनकी हरकत से माला कि चुत ने पानी छोड़ दिया था |भैया ने अपनी उगंली नीचे ले जाकर माला के चुत के छेद पे रखा ओर अंदर कि तरफ दबाया तो माला ने दर्द का इज़हार करते हुए भैया हाथ पकड़ लिया |भैया समझ गए कि चुत क छेद तंग होने कि वजह से माला को दर्द हो रहा है ,उन्होंने माला के हाथो को छुडाया ओर बिस्तर के बगल में देखने लगे | पास में पड़े तेल कि शीशी को उठा कर सामने आये ओर उसका ढक्कन खोलने लगे |फिर तेल कि शीशी को माला कि चुत के छेद के ऊपर ले गए ओर कुछ बूंद तेल चुत के मुह पे टपकाया |चुत गीली होने कि वजह से तेल नीचे कि तरफ सरकने लगा तो भैया ने जल्दी से अपनी उंगली वहां लगा कर तेल को ऊपर कि तरफ मल दिया , कुछ तेल माला कि चुत के अंदर भी चला गया |अब भैया तेल कि शीशी को एक तरफ रखकर फिर से अपने काम में जुट गए , तेल कि वजह से चुत में काफी फिसलन होने लगी थी ,अ भैया कि उंगली अब आराम से माला कि चुत पे चल रही थी |थोड़ी देर बाद भैया ने अपनी उंगली का दबाव माला चुत के छेद पे फिर से किया तो तेल कि वजह से “गुप्प ” कि आवाज के साथ उंगली का एक पोर चुत के अंदर चला गया |माला को सायद इस बार दर्द नही हुआ ओर उसके मुह से बस “आह ” निकल गयी |भैया ने जब उंगली पे जोर लगाया तो उनकी उंगली चुत के छेद को चोडा करते हुए अंदर फिसलने लगी |धीरे-२ तेल कि वजह से भैया कि उंगली माला कि चुत के अंदर जाने लगी ओर बिना किसी दर्द के थोड़ी देर में जड़ तक समा गयी |माला को अब मज़ा आने लगा था वो मज़े से बार-२ अपने बदन कि हिला रही थी जैसे भैया क पूरा हाथ अंदर ले लेगी | भैया , माला कि बेचैनी समझ रहे थे अब उन्होंने चुत में अपनी उंगली को आगे -पीछे करना चालू कर दिया था |धीरे-२ माला क मज़ा बढने लगा ओर उसके मुह से सिस्कारिया फूटने लगी , भैया ने सही मोका जानकर अपनी दूसरी उंगली भी चुत के छेद पे रखी ओर अंदर कि तरफ दबा दिया | तेल ओर माला के चुत के रस कि वजह से अब जैल सा बन गया था जो काफी चिकना था ,दबाव पड़ते कि भैया कि दूसरी उगली भी पहली के साथ चुत के अंदर समा गयी |माला को कुछ खास दर्द तो नहीं हुए ,थोड़ी सिकन उसके चेहरे पे जरुर आ गयी थी |भैया ने पहले तो दोनों उंगलीयों को धीर-२ अंदर-बहार किया ,ओर जब माला कि चुत भैया के उंगलियों कि अभ्यत हो गयी तो गति थोड़ी तेज कर दी |

माला की सिस्कारिया भैया कि हरकतों कि वजह से बढती ही जा रही थी, ओर माला अपनी आखे बंद किये हुए होठो को अपने दातो से कटे जा रही थी | भैया के हाथो कि गति अब काफी तेज हो गयी थी ,जिसकी वजह से माला क पूरा शरीर हिलने लगा था |तभी अचानक भैया ने अपनी दोनों उगलिया माला कि चुत से निकाल ली |माला को जैसे झटका सा लगा ओर वो आखे खोल कर आश्चर्य से भैया को देखने लगी | माला के आनंद में खलल दल कर भैया मुस्कुरा रहे थे |माला ,भैया कि तरफ ऐसे देख रही थी कि जैसे कह रही हो “निकाल क्यों लिया ,फिर से डालो ना “. भैया ,माला कि याचना भरी आखे देख कर उसके ऊपर आये ओर दोनों चुचियो को दबाते हुए , होठो को किस करने लगे|माला भी अब भैया का खूब साथ दे रही थी|थोड़ी देर चुसाई के बाद भैया , माला के ऊपर से उठे ,ओर पैरों कि तरफ रखे तेल कि शीशी को उठाकर कुछ बुँदे अपने लंड पे लगायी ओर ऊपर नीचे मालिश करने लगे | फिर माला के ऊपर आ गए ,ओर माला कि ओर देख कर मुश्कुराए , माला आगे होने वाली हरकत को सोच कर शर्मा गयी ओर दूसरी तरफ देखने लगी |भैया ने माला से कहा: ” थोडा अपने हाथ से चुत को फैला ना , डालने में आसानी होगी “| भैया कि बात सुनकर माला ने अपने हाथो से अपनी चुत का मुह थोडा खोल दिया ,अब भैया को चुत क छोटा सा छेद दिखने लगा था |भैया ने पास में रखे तेल कि शीशी उठाई ओर दो-तीन बूंदे , माला कि थोड़ी सी खुली हुए चुत के मुह पे दल दिया |तेल कि बूंदे धीरे -२ अंदर कि तरफ बह रही थी | भैया तेल को एक तरफ रखते हुए , अक हाथ से अपने लंड को पकड़ा ओर दूसरा हाथ माला कि चूतड़ के नीचे ले जाते हुए थोडा सा ऊपर उठाया |माला कि चुत अब पहले से ज्यादा खुली नजर आ रही थी ओर पानी बहते हुए ,भैया के लंड को आमन्त्रित कर रही थी |भैया ने अपना खड़ा हुआ लंड माला कि चुत के छेद पे रखा तो माला ने कसमसाते हुए अपनी चुत कि फाको को थोडा ओर खोल कर भैया के लंड का स्वागत किया |भैया क लंड आगे कि तरफ से तो पतला था ओर जड़ कि तरफ मोटा होता गया था |भैया ने सही मोका जानकर अपने लंड को चुत के अंदर दबाया , लुंड फिसलता हुआ करीब आधा इंच माला कि चुत में चला गया |माला क सायद थोडा दर्द हुआ , तो वो अपनी आखे खोलकर अपनी चुत कि तरफ सर उठा कर देखने लगी |भैया ने जब देखा कि माला को कोई खास परेशानी नहीं हो रही है , तो माला कि कमर को पकडे हुए एक जोर डर धक्का मारा |भैया क लंड , माला कि चुत कि दीवारों को चोडा करते हुए एक इंच घुस कर रुक गया | इस धक्के से जैसे माला कि जान ही निकल गयी, वो उठकर दर्द से चिल्लाने लगी ” आरे माई रे माई ………….बाप रे बाप ….अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .. मुझे बहुत दर्द हो रहा इसको बहार निकालो .” | माला दर्द से छटपटाने लगी ओर नीचे कि तरफ सरक कर लंड को अपनी चुत से निकालने कि कोशिश करने लगी |भैया ने जब देखा कि उनका लंड अब माला कि चुत से निकलने वाला है तो अपने दोनों मजबूत हाथो से माला कि कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खिचने लगे , जिससे उनका बहार निकाल लंड वापस माला कि चुत में जगह बनाते हुए समा गया |माला कि आख के कोने से दर्द कि वजह से आँशु निकलने लगे |भैया को माला कि हालत देख कर तरस आया , उन्होंने माला के पीठ पे हाथ रखते हुए उसे अपनी तरफ खीचा , माला किसी बेजान लाश कि तरह भैया के सीने से आ लगी | भैया ने माला के रशीले होठो पे अपने होठ गडा दिए ओर चूसने लगी , इस बीच माला की आखो के आसू धीरे-२ सूखने लगे थे |सायद उसका दर्द भी कम होने लगा था | अब हालत ये थी कि भैया का लंड अभी भी माला कि चुत में एक इंच से ज्यादा ही फसा था ओर माला भैया के दोनों जाघे पे अपनी जाघे रखकर अपनी होठो को चुसवा रही थी |भैया ने जब देखा कि माला को दर्द नहीं हो रहा है , तो उन्होंने फिर से माला को बिस्तर पे सुला दिया |माला एकटक भैया को देखे जा रही थी ,ओर उनकी अगली हरकत क इंतज़ार कर रही थी |भैया के लंड को फिर से अंदर करने कि कोशिस कि तो उन्हें लगा जैसे कोई चीज़ उनके लंड को रोक रही है | भैया समझ गए कि उनका लंड माला कि चुत कि झिल्ली ने रोक रखा है | माला चुपचाप पड़ी हुए भैया के देखे जा रही थी |भैया ने माला कि चुत कि झिल्ली को तोड़ने के इरादे से लंड को थोडा बहार कि तरफ निकाला , जिसे देखकर माला को लगा कि भैया अब अपना लंड बहार निकालने वाले है , उसे थोड़ी रहत मिली | पर भैया के इरादा तो कुछ ओर ही था ,उन्होंने ने अपने लंड को चुत के मुहाने तक लाया ओर माला की आखो में देखते हुए , एक जबरदस्त झटका अंदर कि तरफ दिया | भैया क लंड माला कि झिल्ली को फाड़ते हुए अंदर कि तरफ घुस गया |भिय कि इस हरकत से माला पे जैसे पहाड ही टूट पडा , वो दर्द से बिलबिला उठी , ओर ऊपर कि तरफ उठते हुए चीखने ही वाली थी कि भैया ने अपना एक हाथ माला के मुह पे मजबूती से रख दिया | माला कि चीख उसके मुह के अंदर ही दब के रह गयी , लेकिन भैया माला के आखो से निकलने वाले आसू को नहीं रोक पाए | माला के दोनों आखो से आसू छलक उठे | माला क दर्द उसके चेहरे पे साफ दिख रहा था |भैया ने अपने लंड को वही रहने दिया ओर प्यार से माला के गालो को सहलाने लगे ओर बोले: ” बस मेरी जान , जो दर्द होना था हो गया , अब देखना कितना मज़ा आता है”

भैया के चेहरे पे भी दर्द के भाव थे जो दर्शा रहे थे कि किस तरह माला के चुत ने उनके लंड को मजबूती से जकड रखा था |भैया को जब लगा कि माला अब नहीं चीखने वाली तो उन्होंने माला के मुह से अपना हाथ हटा लिया |हाथ के हटते कि माला ने रोते हुए भैया से कहा :” इसे जल्दी से बहार निकालो नहीं तो मैं मर जाउंगी , मुझे बहुत दर्द हो रहा है “|भैया ने माला कि बात को उनसुना कर दिया ओर माला के बदन से खेलते रहे ,| माला ने दर्द कि वजह से अपना हाथ अपनी चुत पे रखा तो उसे कुछ गीला ओर गरम सा चुत से बहता हुए मालूम पड़ा | उसने अपने हाथ को जब ऊपर उठा के देखा तो उसपे खून लगा था ,माला घबरा गयी ओर भैया के अपना हाथ दिखाते हुए बोली : “मोहन , ये खून कैसा है “. भैया ने जब देखा कि माला के चुत से खून रीस रहा है तो बोले “मेरी रानी , ये तेरी चुत का खून है , अब तू कुवारी नहीं रही ,एक ओरत बन गयी है , ऐसा हर लड़की के साथ होता है , तू बिलकुल मत घबरा तुझे मैं कुछ नहीं होने दूँगा ” . माला इस पर बोली :”तुमने मेरी फाड दी है मुझे वह मुझे बहुत दर्द हो रहा है :
भैया ने प्यार से माला के सर पे हाथ फेरते हुए कहा ” मैंने कहा ना ऐसा पहली बार हर लड़की के साथ होता है , अब देखना तुझे बिलकुल दर्द नहीं होगा , बहुत मज़ा पायेगी तू अब “. कहते हुए भैया ने अपने लंड को माला कि चुत आगे-पीछे करने क प्रयास किया तो माला को फिर से दर्द होने लगा , उसने भैया कि कमर को पकड़ कर रखने क इशारा किया | भैया ने माला के चेहरे को पास लेट हुए उसके होठो पे अपने होठ रखकर चूसने लगे | थोड़ी देर के प्रयाश के बाद माला कि चुत कि दीवारो ने पानी छोड दिया , जिसकी वजह से लंड को आगे -फिछे करने भैया को पहले से कम परेशानी हो रही थी |थोड़ी देर यु ही लंड को चुत में चलाने के बाद , जबभैया ने देखा कि माला को भी मज़ा आने लगा है तो उन्होंने उन्होंने अपनी गति बढ़ा दी |भैया ने अब माला को बिस्तर पे सुला दिया था ओर अपने लंड को तेजी से आगे -पीछे करने लगे | माला के चेहरे से दर्द बिलकुल गायब हो गया था ओर उसकी जगह मज़े ने ले ली थी | भैया ने अभी तक माला कि चुत में अपना पूरा लंड नहीं डाला था , जब भैया ने देखा कि माला कि मज़े से सिस्कारिया फूटने लगी है तो उन्होंने अपने लंड को एक जबरदस्त झटका दिया ओर अपने पुरे ७ इंच के लंड को माला कि छोटी सी चुत में जड़ तक पेल दिया | इस अचानक हुए हमले से माला थोडा सकपका गयी ,ओर एक हल्के के दर्द कि लहर माला के चेहरे पे फैल गयी |
भैया के अंडे अब माला कि गांड कि छेद पे दस्तक डे रहे थे | भैया ने प्यार से माला को किस किया ओर फिर से अपना कम चालू कर दिया | थोड़ी देर मैं माला के चेहरे से दर्द कि सिकन गायब हो गयी ओर वो चुत में पड़ रहे धक्को का मज़ा लेने लगी |भैया ने अपनी गति अब काफी तेज कर दी थी , ओर सटासट अपने लंड को माला कि चुत में पेल रहे थे | हर धक्के पे माला के मुह से सिसकारी निकाल पड़ती ओर उसक बदन थोडा आगे कि तरफ हो जाता |भैया के चेहरे पे खुशी साफ झलक रही थी वो , अपनी पूरी ताकत से माला कि चुत को चोदे जा रहे थे |इसी बीच करीब ५ मिनट बाद ही माला का शरीर अकडने लगा ओर उसने आखे बंद कर ली | भैया ने थोड़ी देर धक्के लगाना बंद कर दिया , जब उन्हें लगा कि माला क पानी छुट रहा है | माला के छुट के पानी को अपने लंड पे महसूस करके भैया मज़े से कांप उठे |उन्होंने फिर से धक्के लगाना चालू कर दिया | माला क स्खलन कुछ २ मिनट तक चला , जब उसने आखे खोली तो देखा भैया अभी भी धक्के लगा रहे है| माला भैया को चोदते देख एक बार फिर नशे में डूब गयी ओर आखे बंद करके अपनी पहली चुदाई क मज़ा लेने लगी |
माला को चोदते हुए भैया को करीब १५ मिनट हो गए थे , भैया ओर माला दोनों के शरीर पसीने से लथपथ थे | तभी भैया के चेहरे के भाव बदल गए , वो ऊपर सर करते हुए , कराह उठे | उनका लंड माला कि छुट में पूरी तरह समाया हुआ था , ओर उन्होंने धक्के लगाना बंद कर दिया था | अचानक उनके लंड ने माला कि छुट कि गहराइयों में पिचकारी छोड़ना चालू कर दिया ,भैया का शरीर झटके खा रहा था ओर लंड माला कि छुट में अपना माल छोड़े जा रहा था | भैया के गर्म वीर्य का एहसास जब माला को अपनी चुत में हुआ तो वो फिर से एक बार झड गयी | दोनों प्रेमी कुछ देर उही झड़ने क मज़ा लेते रहे | भैया के लंड ने अपना सारा रस माला कि चुत में उड़ेल दिया ओर वो माला के बदन पे लेट कर लंबी -२ सांसे लेने लगे |थोड़ी देर में माला ने भी अपनी आखे खोली ओर अपने ऊपर लेते भैया के बालो में उंगलिय डालकर सहलाने लगी | भैया ने प्यार से माला कि तरफ देखा ओर उसके रसीले होठो पे किस किया | दोनों के चेहरे पे संतुष्टी के भाव दिख रहे थे |भैया का लंड अभी भी माला कि चुत में ही था | भैया धीरे से उठ के बैठ गए ओर अपने सिकुड़े हुए लंड को माला कि चुत से बहार खिचने लगे , भैया का लंड एक “पुक्क” कि आवाज के साथ माला कि चुत से बहार आ गया | माला कि चुत कि सकल ही बदल गयी थी , जहा पहले एक छोटा सा छेद था अब वो काफी बड़ा लगने लगा था |माला कि चुत में सूजन आ गयी थी ओर उसकी घुंडी बी सूज गयी थी | माला , भैया को अपनी चुत को निहारते हुए देखा रही थी ओर धीरे -२ मुस्कुरा रही थी | माला के दिल में भैया के प्रति प्यार उमड़ आया था ओर वो अपने पहले प्रेमी को अपनी चुत क दीदार करा थी |



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