चाची की चूत की चुदाई की कहानी करवा चौथ पर

चाची ने इसका कोई विरोध नहीं किया क्योंकि उनको भी चुदाई की जरूरत थी। मैं समझ गया कि आज चाची की चुत चोदने को मिलेगी।

मैंने उसी समय उनको अपनी तरफ किया और उनके होंठ से होंठ लगा दिए।
तभी नीचे से आवाज आई- पूजा का समय हो गया है।
मैं झट से कमरे से बाहर निकला.. उधर चाची तैयार होने लगीं।

सभी लोग छत पर पूजा कर रहे थे.. मैं भी छत पर था। तभी चाची तैयार हो कर आईं, तो में उन्हें देखता ही रह गया।

पिंक कलर की साड़ी और ब्लाउज जिसमें अन्दर से चाची की काली ब्रा साफ दिखाई दे रही थी। चाची का ब्लाउज इतना कसा था कि मेरा तो लंड वहीं खड़ा हो गया।

गहरी लाल लिपस्टिक और बालों में सफ़ेद गजरा.. आह.. चाची एकदम कयामत लग रही थीं।

सभी लोग पूजा करने लगे.. चाचा तो थे नहीं, सो चाची ने उनकी फोटो रखकर पूजा की। सभी लोग पूजा करके जाने लगे, लेकिन चाची नीचे नहीं गईं क्योंकि वे कुछ देर से आई थीं।

सब नीचे चले गए.. छत पर मैं और चाची बचे थे। चाची पूजा कर रही थीं.. मैं चाचा की फोटो के सामने खड़ा हो गया।

चाची भी समझ गईं.. चाची ने चाँद देखा उसके बाद छलनी में से मुझे देखा। फिर मैंने चाची को पानी पिलाया और उनका व्रत तोड़ा। इसके बाद मैंने उन्हें अपने गले से लगाया।

अब हम लोग नीचे आ गए। सब लोगों का खाना हुआ.. खाने के बाद सोने चले गए।
चाची ऊपर कमरे में सोने गईं, तो मैं भी पढ़ने के बहाने ऊपर चला आया।

अब ऊपर मैं और चाची थे। मैं चाची के कमरे में घुस गया, चाची ने दरवाजा बंद कर लिया, अब चाची कपड़े उतारने जा रही थीं।

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मैं उनके करीब गया और चाची से बोला- आपने आज मेरी पूजा की है.. आज से मैं आपका पति हुआ और आप मेरी पत्नी हुईं।
मैंने चाची को बिस्तर पर बैठाया और खुद बैठा.. चाची एकदम दुल्हन की तरह बैठी थीं।

मैंने सबसे पहले चाची के सारे गहने उतारे और उनकी छाती से पल्लू हटा कर उनको सीधा लिटा दिया।

अब उनकी कसी चूचियों को देख मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं उनकी चूचियों की घाटी में अपना मुँह लगा कर उनकी चूचियों को रगड़े और सूंघे जा रहा था।

चाची भी इस सबका आनन्द ले रही थीं।

फिर मैंने करीब आठ-दस मिनट चाची के होंठों को चूसा.. और उनके होंठों को चूसते हुए मेरा एक हाथ रेंगते हुए उनके एक स्तन को मसलने लगा।

कुछ मिनट के बाद हम दोनों अलग हुए और एक-दूसरे को वासना से देखने लगे। मैंने उनके शरीर से साड़ी को उतार दिया। वो खुद ब्लाउज उतारने लगीं, तो मैं बोला- मैं आपकी बगलों के बाल देखना चाहता हूँ।

चाची ने शरमाते हुए अपने हाथों को उठाया.. तो देखा कि बाल एकदम साफ थे। उनके गोरे शरीर पर काली ब्रा चाची की चुची को ढके हुए थी। मैंने उनके शरीर से उसे भी उतार दिया।

कसी हुए चुची को मैं एक मिनट तक चूसता रहा और चाची मेरे सिर के बालों में अपना हाथ फेरती रहीं।
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चाची अपने मुँह से ‘सी..सी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज़ें करने लगीं और अपने होंठों को दांतों से दबाते हुए मचलने लगीं।

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इसी दौरान मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोलकर पेटीकोट को भी उतार दिया। अब उनके शरीर पर सिर्फ पेंटी थी, जो चाची की गुलाबी चुत को ढके हुए थी।

मैंने देर न करते हुए उनकी पेंटी को उतारा और चाची की फूली हुई फुद्दी के दीदार करने लगा। फिर मैं उनकी जांघ से चुत तक जीभ से चाटते हुए पहुँचा। जैसे ही मैंने अपनी जुबान से उनकी चुत के दाने को छुआ.. तो वो ‘सी..सी.. सी.. आह..आह..’ करते हुए तिलमिला उठीं और अपने दोनों हाथों से तकिये को पकड़ कर मचलने लगीं।

मैं पूरी शिद्दत से चाची की चुत चाटने में लग गया। मैं अपने होंठों से उनकी चुत की फाँकों को दबाता, काटता और फिर चूसता। इस कारण से वो जोर-जोर से अपनी चुत अपनी कमर उचकाते हुए मेरे मुँह पर रगड़ने लगीं। मैं भी बड़े प्यार से चाटते हुए उनकी चुत को अपनी जुबान से चोदने लगा।

थोड़ी देर के बाद उनकी चुत अब पानी छोड़ने लगी थी। उनका नमकीन-नमकीन सा टेस्ट मुझे और भी नशा दे रहा था। उसके बाद चाची हाँफते हुए लेट गईं, मैं भी उनके बगल में ही लेट गया।

फिर चाची में मेरे ऊपर आकर मेरे होंठों को चूमते हुए बोला- रवि, जिंदगी में पहली बार किसी ने मेरी चुत चाटी.. तुम्हारे चाचा साल में दो-तीन बार ही चुदाई करते हैं.. इसलिए मैं प्यासी रहती हूँ।

चाची ने मेरे होंठ चूसे और नीचे आ कर मेरे लंड को गप्प से अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं। वो तो मेरे लंड को इस तरह चूस रही थीं, जैसे वो मेरे लंड को खाने के मूड में हों।

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