विधवा भाभी की चूत मे उंगली

पर एक बार सेक्सी भाभी की चिकनी जांघ को टच किया तो बगावत के ऊपर दिल आ गया मेरा. नंदिनी भाभी नींद में थी और मैंने हाथ को उसकी जांघ के ऊपर धीरे धीरे से हिलाया. वो सो रही थी क्यूंकि कुछ बोली जो नहीं, ना ही उसका बदन हिला. हिलती हुई बस में एक बहाना हाथ फिसलने का था मेरे पास. मैंने हाथ एक मिनिट तक वही पर रहने दिया. वो भी ऐसी ही रही. भाभी की चूत के ऊपर हाथ को ले जाने की लालसा थी और डर भी.

मैंने सोचा की जांघ को थोड़ा दबा के देखूं. भाभी जाग रही होगी तो वो कह देगी. मैंने हाथ को जांघ में प्रेस किया. और तभी एक अजीब बात हुई. भाभी उठी लेकिन मुझे डांटने के लिए नहीं. उसने तो जहाँ पर मेरे ऊपर से चद्दर हट गई थी वहां पर चद्दर डाल दी. शायद वो कब से जाग ही रही थी. और वो भी शायद एन्जॉय कर रही थी मेरे साथ में!

मैं भाभी की तरफ देख के उसकी आँखों में देखने लगा. अब वो मेरे से आँख नहीं मिला पा रही थी शायद. चद्दर के ऊपर आते ही मैं सीधे अपने हाथ को उसकी चूत वाले हिस्से पर ले गया. भाभी की झांट भरी पड़ी थी जैसे की हाथ जंगल में था मेरा. कबूतर के घोंश्ले से भी ज्यादा बाल थे वहां पर!

भाभी ने अपने होंठो को दांतों के तले दबा दिया. शायद काफी समय के बाद कोई उसकी चूत को टच कर रहा था. मैंने हाथ टटोल के भाभी के नाडा ढूंढा. भाभी की मदद से ही मैं उसे खोल सका. फिर मैंने अपने हाथ को भाभी की चूत के ऊपर रख दिया. भाभी की चूत एकदम से गरम हो चुकी थी और उसके अन्दर से पानी निकल आया था. मैंने अपने हाथ की दुसरी यानी की सब से लम्बी ऊँगली को भाभी के चूत के ऊपर घुमाया तो उसकी आह निकल पड़ी. शुक्र हे की मेरे सिवा किसी ने सुना नहीं. मैंने हाथ को फ्रिज कर दिया और अपनी आँखे बंद कर ली. भाभी भी पथ्थर हो गई. हमको किसी ने नहीं देखा था!

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मैंने फिर धीरे से अपनी ऊँगली को अपनी इस विधवा भाभी की प्यासी चूत के ऊपर हिलाई. भाभी ने अपने हाथ से मेरे हाथ को अपने ऊपर दबा दिया. वो बहुत ही प्यासी लग रही थी.

फिर मैंने अपनी ऊँगली को भाभी की चूत के अन्दर डाल ही दी. भाभी ने हाथ को दबाये रखा था. और मैंने अपनी ऊँगली को अन्दर बाहर करने लगा था. भाभी के बूब्स को दुसरे हाथ से दबाए ये ध्यान रखते हुए की कोई देख न ले की चद्दर हिल रही हे. भाभी के निपल्स अकड चुके थे. फिर उसका हाथ मेरे लंड के ऊपर आ गया और वो उसे हिलाने लगी. मेरा लंड आज से पहले कभी इतना खड़ा नहीं हुआ था. भाभी ने जिप खोल के अब अपनी उँगलियाँ अन्दर कर दी और वो मेरे लंड को सहलाने लगी थी. उसके नाख़ून मेरे लंड के ऊपर चिभ रहे थे लेकिन बहुत मजा आ रहा था. भाभी ने लंड को अपनी मुठी में दबा के हिलाया.

मेरी ऊपर की सांस ऊपर और निचे की सांस निचे रह गई. भाभी मेरी मुठ मार रही थी और मैं उसकी चूत को ऊँगली से चोद रहा था. भाभी भी पूरी मस्ती में थी और मेरे लंड को ऊपर से निचे तक अपने हाथ से हिला रही थी. मेरे लंड के आगे प्रीकम छुट गया था जिसे भाभी ने अपनी ऊँगली से ले के लंड पर ही घिस दिया. मैं सातवें आसमान के ऊपर था. अब मैंने पहली ऊँगली भी दूसरी के साथ मिला ली और भाभी की चूत में पेल दी. भाभी को बड़ा ही मजा आ रहा था और वो मजे से ऊँगली से चुदवा रही थी. तभी मुझे लगा की मेरा वीर्य छूटेगा. मैंने फटाक से अपना रुमाल लिया और चद्दर के अंदर हाथ कर के अपने लंड पर रख दिया. भाभी हंस पड़ी और मैंने अपने लंड के सब पानी को रुमाल के अन्दर ही ले लिया. लंड को साफ़ कर के मैंने भाभी को दे दिया रुमाल. भाभी ने उस से अपनी चूत साफ़ की. फिर उसने मुझे इशारे से पूछा तो मैंने कहा खिड़की से बहार फेंक दो. हम दोनों के सेक्स का रस रुमाल में सडक पर फेंक दिया गया.

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लेकिन उस दिन से मेरे लिए रास्ता खुल गया नंदिनी भाभी को चोदने का. इस विधवा भाभी के अन्दर बड़ी ही आग थी जो मैं आप को आगे की कहानियों में बताऊंगा दोस्तों!

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