विवेक: यार शिखा, एक रिक्वेस्ट है, मानेगी?
शिखा: नही-नही सोचना भी नही. मुझे प्ता है कोई उल्टी-सीधी खुराफात है आपके मॅन में. तभी पर्मिशन वाली बाकचोड़ी पेल रहे हो.
विवेक: अर्रे बात तो सुन ले यार एक बार.
शिखा: अछा बको क्या है रिक्वेस्ट.
विवेक: मुझे तुझे बाहर…
शिखा: छोड़ना है. पता ही था मुझे कुछ बहुत ही उल्टी खुराफात होगी. लेकिन नही.
विवेक: अर्रे यार डॉन’त बे आ मूड स्पायिलर. कल सीडीयों पर छोड़ा था, तो सच बताना मज़ा आया था ना? मैं बोर होने लगा हू यार ऐसे तुझे बेड पर पेल-पेल कर. कुछ नया ट्राइ करते रहना चाहिए, वरना सेक्स बोरिंग हो जाएगा. शिखा चल ना बाहर, वैसे भी इतनी सुबह अभी बाहर कोई नही होगा.
शिखा: अर्रे कोई हो या ना हो, जब ऐसा कुछ करना ही नही है, तो क्यूँ सोचना उसका? और अछा है बोर हो जाओ आप सेक्स से. तो बस एक रौंद करके ही मुझे भी फ्री कर दिया करोगे. मेरी भी जान बच जाएगी.
विवेक: नाटक मत कर साली, और चल चुप-छाप से. तुझसे बोर हो कर कहा जौंगा बीसी!
मैने शिखा का हाथ पकड़ा, और उसे दरवाज़े से बाहर की तरफ ले-जाने लगा.
शिखा: अर्रे यार भैया प्लीज़. यार शरम आती है मुझे ऐसे बाहर खुले में छूट देने में. अंदर ही छोड़ो ना, पक्का कुछ नही बोलूँगी. जैसे चाहो छोड़ लो. मम्मी-पापा को पता चल गये तो मुझे ज़बरदस्ती शादी करके भेज देंगे किसी के भी साथ.
विवेक: दर्र मत, ऐसा कुछ नही होगा. और अगर ऐसा होता है, तो यकीन कर मुझ पर. तुझे इन सब से कही डोर लेकर चला जौंगा भागा कर, और फिर वही शादी करके हमारा घर बसाएँगे.
शिखा: यार भैया प्लीज़.
विवेक: पर हा, भाग कर शादी करने के बाद भी सेक्स और बच्चे तो करने पड़ेंगे तुझे. इसमे कोई डिसकाउंट नही.
शिखा: ठीक है बहनचोड़, नही मानोगे ना? चलो फिर ले चलो, छोड़ो बाहर. पर जो भी होगा, फिर झेलना आप ही.
विवेक: ये हुई ना बात मेरी रंडी. चल अब तुझे चुदाई का असली मज़ा दूँगा.
मैने गाते खोला, और बाहर झाँक कर देखा तो फ्लोर खाली था, और स्टेर्स पर भी कोई नही था. उपर टेरेस की साइड जाने के लिए स्टेर्स पर मिरर्स लगे है, जिससे बाहर का सब दिखता है. बस वही पेलना थी शिखा की छूट मिरर्स से टीका कर. पर उसमे बस एक प्राब्लम थी, शिखा अगर चिल्लाई तो आवाज़ गूँज कर नीचे वेल फ्लोर तक जाएगी.
विवेक: चल उपर वाहा छोड़ूँगा तेरी मक्खन छूट मेरी रंडी.
शिखा: यार भैया, सोच लो एक बार. फिरसे मेरी फटत रही है दर्र से. अगर किसी ने देख लिया तो लॉड लग जाएँगे हमारे.
विवेक: अर्रे कुछ नही होगा यार. अग्र कोई लंड वाला देख भी लेगा, तो क्या है तेरी छूट का एक रौंद मारेगा, और सब मॅटर ख़तम.
शिखा: हॅट भोसड़ी के, रंडी नही हू जो हर किसी को छूट परोस दूँगी. मैं नही छुड़वाने वाली किसी और से पहले ही बोले देती हू.
विवेक: अर्रे हा ना मेरी जान. मैं खुद भी तो नही छोड़ने दूँगा किसी और को. अब चल ना इससे पहले कोई आ जाए.
शिखा: हा ओक, पर सिर्फ़ एक रौंद भैया. प्लीज़ बाकी का रूम में छोड़ना.
मैं और शिखा दबे पावं उपर स्टेर्स चढ़ कर गये. दोनो बिल्कुल नंगे थे, और कोई कपड़ा भी साथ नही लेके गये थे. अगर कोई आ जाए तो च्छुपाएँगे किससे? पर च्छुपाना क्यूँ था, यही तो थ्रिल था बहनचोड़.
विवेक: शिखा अब जल्दी से इसे चूस कर पूरी तरह खड़ा कर दे जान, और फिर मज़े ले अपनी गांद में इसके.
शिखा वही दररी सी घुटनो के बाल बैठी, और मेरा लंड हाथ में लेकर आयेज-पीछे करने लगी.
शिखा: बहनचोड़ तेरी लत ना लगी होती मेरी छूट को तो आज यहा खुले में रंडी ना बनी होती कालू सेयेल.
उसने मूह खोला, और लंड को अंदर भर लिया. फिर जैसे दूध पीते है, निपल्स चूस कर वैसे ही मेरा लंड चूस-चूस कर पीने लगी. बहुत गुदगुदी हो रही थी, पर मज़ा भी आ रहा था.
विवेक: उफ़फ्फ़ साली रंडी, रोज़-रोज़ नये तरीके कहा से सीख रही है लंड चूसने के?
शिखा: तेरे भद्वे बाप से बेहन के लॉड, चुप-छाप मज़े ले, बकवास मत कर.
विवेक: एस, चूस साली, क्या मस्त ब्लोवजोब दे रही है. पूरा अंदर ले साली, जल्दी से खड़ा कर लंड. टाइम कम है अपने पास.
शिखा ने लंड को पूरा अंदर-बाहर करना शुरू किया, और मस्ती में चूसने लगी. लंड भी शेप में आ गया और आचे से गीला भी हो गया.
विवेक: बस कर लौदी, वरना मूह में ही झाड़ जौंगा. चल खड़ी हो कर पलट जेया. अब गांद फाड़ने दे शिखा तेरी मेरे कालू को.
शिखा उठ कर मिरर साइड घूम गयी, और उसकी गांद मेरी तरफ कर दी. मिरर से झाँक कर देखा तो कुछ बुड्ढे वॉक के लिए जेया रहे थे. मैने शिखा को तोड़ा झुकाया, और उसकी गांद को पकड़ कर लंड च्छेद पर लगाया. फिर तोड़ा दूं लगा कर लंड अंदर घुसने का ट्राइ किया, पर लंड च्छेद से हट जेया रहा था.
शिखा: बेहन के लॉड से लंड तक तो डाला नही जेया, चला गांद फाड़ने!
उसने लंड पकड़ कर होल पर टीकाया.
शिखा: चल पेल अब, लगा ज़ोर लंड पर.
मैने भी पीछे से लंड पर ज़ोर दिया, तो टोपा अंदर चला गया
शिखा: म्म्म्मम हहाई मा.
विवेक: धीरे से बहनचोड़, वरना आवाज़ नीचे चली जाएगी, और कोई उपर आ गया तो फिर तेरी छूट को उसका लंड खाना ही पड़ेगा.
शिखा: आअहह बहनचोड़, किसी दिन तेरी गांद में कोई लंड जाएगा ना, तब पता पड़ेगा की कितना दर्द होता है. तब बोलना की धीरे चिल्ला.
इतने में मैने लंड और एक धक्के के साथ पूरा पेल दिया.
शिखा: आआहह हरामी सेयेल, पूरा पेल दिया, और बोल रहा है धीरे चिल्ला. मा छोड़ दी सेयेल गांद की. रुक जेया 2 मिनिट, दर्द हो रहा है.
मैने धक्के देना रोका, पर लंड को गोल-गोल घूमता रहा गांद में. फिर जैसे-जैसे गांद थोड़ी ढीली पड़ी, तो मैने फिरसे पेलना शुरू कर दिया. मैं धक्के धीरे-धीरे ही पेल रहा था, वरना आवाज़ होती बहुत तेज़.
शिखा: एम्म उूुउऊहह एस भैया क्या लंड है यार. साला सुबह से चुड रही हू, पर साला माल नही निकला इसका अभी तक. मेरी गांद फाड़ दी आ अया अया आअहह उम्म एम्म पेलो आअहह.
विवेक: शिखा मेरी जान कैसा लग रहा है ऐसे चूड़ने में. देख वो नीचे बुड्ढे जेया रहे है. अगर तुझे चूड़ते देख ले तो उनके भी लंड खड़े हो जाए तुझे छोड़ने को.
शिखा: हा भैया, सच बोल रहे थे आप. यार ऐसे चूड़ने में मज़ा तो आता है यार. ये सेयेल बुड्ढे क्या शांत कर पाएँगे शिखा की छूट की प्यास. 2-3 घंटो तक . जाती है मेरी छूट, तब जेया कर . होती हू. ऐसे तो 50 बुड्ढे खा जाए मेरी ये छूट भैया.
विवेक: शिखा मेरी रंडी तेरी गांद का कोई जवाब नही है. बहुत मज़ा आ रहा है.
फिर कुछ देर में लंड निकाल कर उसकी छूट में पेल दिया.
शिखा: उम्म्म एस फक छोड़ो भैया, और छोड़ो. योउ अरे आन अनिमल भैया.
मैं शिखा के उपर झुका, और उसकी बॅक पर बीते किया, और तोड़ा ज़ोर-ज़ोर से पेलने लगा. वो हर धक्के को एंजाय कर रही थी.
शिखा: भैया रूको प्लीज़, ई वाना राइड योउ.
मैं रुका और वही उपर की तरफ वाली सीडीयों पर लेट गया. वो मेरे उपर आई, और लंड अपनी छूट पर सेट करके उपर नीचे होने लगी. मैने अपनी कमर थोड़ी उठा दी.
शिखा: एस भैया, तीस फील्स सो गुड.
मैं भी जोश में था, तो नीचे से धक्के पेलने लगा. शिखा मेरी चेस्ट पर गिर गयी, तो उसे आचे से पकड़ लिया, और हग करके फुल स्पीड में लंड पेलने लगा.
शिखा: एस भैया आहह ई आम कमिंग.
विवेक: एस शिखा, मैं भी झड़ने को हू.
शिखा झड़ने लगी, और मेरा भी होने को था. मैने जल्दी से उसे नीचे उतरा, और उसके मूह में लंड पेल कर मूह बंद कराया. फिर मूह छोड़ने लगा. 5-6 धक्को में ही लंड ने सारा माल निकाल दिया और मैं उसके मूह में झाड़ गया. शिखा मेरा माल पी गयी.
विवेक: कैसा लगा मेरी जान को यहा चुड कर?
शिखा: जान की मा चुड गयी भैया, पर मज़ा आया यार सॅकी. ई लोवे योउ भैया, ऐसा मस्त एक्सपीरियेन्स देने के लिए.
फिर मैने उसे गोद में उठाया, और नीचे देखा. कोई नही था, तो जल्दी से उसे रूम में ले गया, और बेड पर पटक दिया.
शिखा: बस अब आराम करने दो भैया. अब आयेज कुछ नही करना प्लीज़.
विवेक: हा-हा ओक, आराम ही करेंगे पक्का अब.
फिर उठ कर चलेंगे तेरे फ्लॅट पर, सिद्धि ने नाश्ता बना कर रखा है, वो ख़ौँगा, और फिर उसके बाद तुझे ख़ौँगा.
हम दोनो ही एक-दूसरे से लिपट कर सो गये वैसे ही एक-दूसरे के माल में लिपटे हुए. जब सो कर उठे, तो शिखा के फ्लॅट पर गये और नाश्ता किया. साथ में नहाए, और फिर दो रौंद चुदाई करके वापस आ गये अपने फ्लॅट पर. बहुत मज़ा आया ये दो दिन में कसम से.
शिखा के जिस्म की खुसबु आती रही मेरे लोड से सारी रात.
फिर 2 दिन बाद वो अपने कॉलेज चली गयी, और मैं अकेला पद गया. उससे वीडियो कॉल पर बात होती थी. उसे देख कर मूठ मारता. वो छूट में उंगली करती.
कभी-कभी तो वो रोने लगती वीडियो कॉल पर और बोलती: भैया प्लीज़ आ जाओ एक दिन के लिए. पुर दिन होटेल में छोड़ो, और चले जाओ. वापस छूट बहुत तड़प रही है, और किसी दूसरे के लंड पर कूदने को मॅन नही है.
मैं भी बहुत तड़प रहा था शिखा की छूट और गांद के लिए, पर मेरे भी एग्ज़ॅम्स होने थे फाइनल, और उसके बाद प्लेसमेंट, तो नही जेया पाया.
आयेज के पार्ट्स में बतौँगा कैसे मैने और शिखा ने कभी-कभी कुछ आड्वेंचर्स ट्राइ किए चुदाई में.