बुआ की बेटी के साथ चुदाई की शुरुआत

हेलो दोस्तो, मेरा नाम समीर है और मेरी आगे 30 साल है. बात उस वक़्त की है, जब मई 12त क्लास मे था. उस वक़्त मेरी उमर 18 साल की थी. हमारे घर मे एक रिवाज़ था, की हर फ्राइडे को मेरी बुआ अपने बेटे और बेटियो के साथ हमारे घर आती थी.

मेरी बुआ की एक बेटी है, जिसका नाम ज़रा है. वो भी बुआ के साथ हमारे घर मे आया करती थी. अब आपको ज़रा के बारे मे बता डू. ज़रा मुझसे 5 साल बड़ी है.

उस वक़्त उसका फिगर भूत अछा था. उसका रंग तोड़ा सावला था और एक बात मुझे बाद मे पता चली, की वो सेक्स के लिए भूत उत्तेजित रहती थी. उसके बूब्स एक-दूं टाइट थे और गांद बाहर की तरफ उभरी हुई थी. लड़के उसको देख कर मूह से लार टपकाते थे.

अब मई अपनी स्टोरी पे आता हू. जैसा की मैना बताया है, की हर फ्राइडे को सब हमारे घर आते थे. उन दीनो लाइट की भूत प्राब्लम होती थी. हम गाओं मे रहते थे और हमारे गाओं मे रात से 7 से 11 लाइट बंद रहती थी या लो वोल्टेज होती थी.

लाइट ना होने की वजह से उतना टाइम हम सब अंधेरे मे बैठते थे. एक फ्राइडे रात के वक़्त, हम सब बेड पर बैठे थे. मई बेड पर लेता हुआ था और अचानक से मेरे सिर पर पीछे से, कोई भूत मुलायम सी चीज़ टच हुई.

उस वक़्त तक मैने कभी किसी के बूब का टच फील नही किया था, इसलिए मुझे नही पता था, की बूब्स का टच कैसा होता है. मुझे भूत मज़ा आ रहा था, उस नरम सी चीज़ के टच से.

फिर मई पीछे हुआ और अपना सिर उस मुलायम चीज़ मे और दबाने लग गया. मुझे भूत ही मज़ा आने लग गया और मई अपने सिर को उस मुलायम चीज़ मे और दबाता जेया रहा था. वो फीलिन अमेज़िंग थी.

तभी अचानक वो नरम चीज़ हॅट गयी मेरे सिर के पीछे से. उस वक़्त मुझे नही पता था, की वो नरम चीज़ मेरी दीदी के बूब्स थे और ये मुझे बाद मे पता चला. मुझे उस वक़्त ये पता नही चल पाया था.

उस दिन के बाद से, मेरी दीदी बार-बार किसी मे किसी बहाने से अपना जिस्म मेरे साथ टच करने लग गयी. फिर मई हमेशा फ्राइडे का ही वेट करता रहता, की कब फ्राइडे आएगा और मुझे अपनी दीदी का सॉफ्ट टच मिलेगा.

फ्राइडे को मई घर ही रहता था और आते-जाते ही अपनी दीदी के बूब्स के सॉफ्ट टच का मज़ा लेता था. हमारे घर मे एक टीवी रूम था, जहा सब बच्चे बैठ के टीवी देखा करते थे. दीदी बहाने से उस रूम मे आती थी और मई बेड पर लेता होता था.

वो अपने बूब्स मेरे घुटनो पर रब करती रहती और मई उसके मुलायम बूब्स का मज़ा लेता था. लेकिन अभी तक हम दोनो इन चीज़ो के लिए अंजान ही बने हुए थे एक-दूसरे से. ऐसे ही काई हफ्ते बीट गये.

एक दिन मुझे दीदी की कॉल आई और उसने कॉल पर मुझे किसी काम से अपने घर बुलाया. मई जल्दी से तैयार होकर उसके घर चला गया और जैसे ही मई वाहा पहुँचा, तो मैने देखा, की उसके अलावा घर पर कोई भी नही था.

मेरी बुआ उसकी छोटी बेटी के साथ बाहर गयी थी. फिर दीदी मुझे घर के अंदर ले गयी और दरवाज़ा बंद कर लिया. फिर हम दोनो उपर गये और उपर सूट काटने की मशीन थी. उस मशीन पर वो लोग सूट बनाते थे.

हम दोनो उपर खड़े-खड़े बाते करने लगे. उस वक़्त भी वो अपने बूब्स को मेरे शरीर से टच कर रही थी. लेकिन जैसा की मैने आपको बताया ही है, की अभी हम एक-दूसरे के सामने खुल कर नही आए थे और अंजान बन कर एक-दूसरे के मज़े ले रहे थे.

वही घर मे उपर एक खिड़की थी, जहा मई चेर रख कर बैठा गया और दीदी नीचे से मेरे लिए पानी और छाई लेके आई और मैने छाई पी ली. इसके बाद जो होने वाला था, वो मैने सोचा भी नही था.

मई चेर पर बैठा हुआ था और दीदी मेरे सामने आके खड़ी हो गयी. फिर दीदी ने अपना आधा शरीर खिड़की से बाहर निकाला और खिड़की की ग्रिल से टेक लगा कर खड़ी हो गयी. वो बाहर का नज़ारा देख रही थी और उसकी टांगे मेरी टाँगो से टच हो रही थी.

वो बाहर देखते-देखते ही बात कर रही थी मुझसे और मई उसकी रिघ्त साइड मे चेर पर बैठा था. वो अपनी टाँग मेरी टाँग पर चिपका कर खड़ी हो गयी थी. इससे मेरी भी हिम्मत बढ़ गयी और मैने हिम्मत करके अपने हाथ से दीदी की जाँघ को सहलाना शुरू कर दिया.

अफ.. क्या फीलिंग थी. ये फर्स्ट टाइम था, जब मैने अपनी दीदी की बॉडी को टच किया था. जब दीदी ने कुछ नही कहा, तो मेरी हिम्मत और बढ़ गयी. मई अपना हाथ लगातार उसकी जाँघो पर फेरता रहा और उस फीलिंग का मज़ा लेता रहा.

हमारी पोज़िशन ऐसी थी, की मई चेर पर बैठा था और मुझे दीदी की सिर्फ़ रिघ्त साइड ही दिख रही थी और लेफ्ट साइड बिल्कुल नही दिख रही थी. फिर मई अपने हाथ को आयेज बढ़ता गया और जाँघ पर फेरता रहा.

अफ… इतना मज़ा आ रहा था, की मई आपको बता नही सकता. दीदी की जाँघ पर हाथ फेरते हुए, मई अपना हाथ उसकी छूट तक ले गया. दीदी ने भूत अजीब से कपड़े की सलवार पहनी थी, की मेरा हाथ उसकी छूट तक नही पहुँच रहा था.

मैने काफ़ी ट्राइ किया, लेकिन अपने हाथ को छूट तक नही ले जेया सका. फिर अचानक से दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी छूट पर रख दिया. उस दिन पहले बार मैने किसी लड़की की छूट को छुआ था. उसकी छूट इतनी गरम थी, की उसकी गर्मी मुझे अपने हाथ पर महसूस हो रही थी.

फिर मैने दीदी की छूट को सहलाना शुरू कर दिया. दीदी अभी भी बाहर ही देख रही थी और मेरे द्वारा छूट सहलाने का मज़ा ले रही थी. फिर दीदी की साँसे तेज़ होने लग गयी और उसकी छूट से पानी निकलना शुरू हो गया.

मैने भी दीदी की छूट को तेज़ी से सहलाना शुरू कर दिया. फिर अचानक दीदी ने मेरा हाथ वाहा से हटा दिया. मेरा लंड अब पूरी तरह से टाइट हो चुका था. दीदी ने अपना दाया पैर उठाया और कुर्सी पर मेरे लंड के पास रख दिया.

फिर दीदी अपने पैर से मेरे लंड को टच करने लग गयी. फिर अचानक से उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने टॉप के अंदर डाल कर मेरा हाथ अपने बूब्स पर रख दिया. उफ़फ्फ़.. हाए… क्या मज़ा आ रहा था मुझे.

पहली बार मेरे हाथो ने बूब्स को टच किया था, बिना कपड़ो के. अभी भी दीदी बाहर ही देख रही थी. अब दीदी ने बूब्स पर मेरा हाथ था टॉप के अंदर और मेरे हाथ पर दीदी का हाथ था.

फिर दीदी ने अपना हाथ प्रेस किया, जिससे मई समझ गया था, की अब मुझे क्या करना था. मैने दीदी का हाथ हटाया और उसके बूब्स प्रेस करने शुरू कर दिए. दीदी ही आहें निकलनी शुरू हो गयी और वो आअहह… आहह.. करने लगी.

मई लगातार दीदी के बूब्स दबाता जेया रहा था और वो अपने पैर से मेरा लंड सहलाए जेया रही थी. उसकी साँसे लगातार तेज़ हो रही थी और आहह.. आहह… की सिसकिया निकल रही थी. फिर मैने दीदी को चेर पर बैठने को कहा.

दीदी ने मुझसे नज़र नही मिलाई और आके चेर पर बैठ गयी. अब हम दोनो का फेस 90 डिग्री के आंगल पर था. अब मैने पीछे से दीदी के टॉप मे हाथ डाल लिया और उसके बूब्स दबाने लगा. वो मोन कर रही थी और उसकी साँसे और तेज़ हो रही थी.

फिर मैने दीदी को वाहा से उठने को बोला और पास मे ही सूट के बंड्ल पड़े हुए थे, उसपे बैठने को कहा. जैसे ही वो सूट के बंड्ल पर बैठने लगी, वो गिर पड़ी और मैने उसको उठाया. जब मैने दीदी को उठाया, तब हम दोनो की नज़रे आपस मे मिली.

अब शरम की सब हड्दे ख़तम हो चुकी थी. जितना भी हम अंजान बन रहे थे, वो सब भी ख़तम हो चुका था. वो फिरसे खिधकी पर जाके खड़ी हो गयी और मुझे कुर्सी पे बिताया. फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी छूट मे डाल लिया.

इस बार मैने कुर्सी को पीछे कर दिया और उसकी टॉप मे अपना सिर डाल कर घुटनो के बाल बैठा गया. मैने अपना मूह दीदी की छूट पर, सलवार के उपर से ही रख दिया. फिर मई उसकी छूट को चाटने लग गया.

आहह… क्या मज़ा आ रहा था. हम दोनो एक-दूं मस्त हो रहे थे. दीदी मेरा सिर पकड़ कर अपनी छूट मे घुसा रही थी और मई भी और अंदर जाने की कोशिश कर रहा था. फिर दीदी ने खिड़की बंद कर ली और अपना फेस मेरी तरफ करके, ज़ोर-ज़ोर से मोन करने लगी.

दीदी: आहह.. आहह.. समीर, और अंदर तक जाओ आहह..

और ये कहते हुए दीदी, मेरा सिर अपनी छूट मे और ज़ोर से दबा रही थी. फिर दीदी ने कहा-

दीदी: अंदर घुस जाओ समीर आहह… योउ अरे टू गुड अया… सक इट हार्डर बेबी आहह.. और ज़ोर से छातो समीर.

ये सब सुन कर मुझे जोश आ रहा था और मई दीदी की छूट को और ज़ोर से चाटने लग गया. फिर मैने उसकी सलवार उतारने की ट्राइ की, लेकिन उसने माना कर दिया. फिर दीदी ने मुझे बोला-

दीदी: समीर स्पीड बाधाओ आहह.. और तेज़ आहह.. और तेज़ आहह.. एस्स… एस्स… कम ओं समीर आहह… एस्स..

हम ये सब कर ही रहे थे, की तभी डोर बेल बाजी और बुआ वापस आ गयी थी. बुआ की आवाज़ आ रही थी नीचे से. फिर ज़रा ने मुझे कहा-

दीदी: रूको मत तुम, करते रहो. आहह.. और तेज़ आहह.. और तेज़.

फिर मैने अपनी स्पीड बधाई और दीदी अपनी कमर को ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लग गयी. दीदी ने मेरा फेस ज़ोर से अपनी छूट मे दबा लिया और काँपने लग गयी. वो आहह.. आहह… कर रही थी. फिर उसने मेरा फेस एक बार फिरसे डोर किया और फिरसे पास लाके अपनी छूट मे दबा लिया और फिरसे आवाज़े करने लग गयी.

फिर दीदी ठंडी पद गयी और मेरे फेस से अपना हाथ हटा कर, नीचे चली गयी. नीचे जाके दीदी ने दरवाज़ा खोला और मई जिस काम के लिए वाहा गया था, वो काम करने लग गया.

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