ही फ्रेंड्स, मेरा नाम पालक है. मैं अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. अगर आपने मेरी कहानी का पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो प्लीज़ पहले जाके वो पार्ट ज़रूर पढ़े. उस पार्ट का लिंक उपर दिया गया है.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा की मेरा एक रोहित नाम का बाय्फ्रेंड बना था, जिसको मैं बहुत पसंद करती थी. फिर मैने उससे चूड़ने का डिसाइड किया, और जब मेरे घर वाले बाहर गये थे, उसको अपने घर बुला लिया.
फिर वो मेरे घर आया, और आते ही अपनी शकल दिखाने से पहले उसने मेरी आँखों पर पट्टी बाँध दी. उसके बाद हमारी किस्सिंग हुई, और वो मुझे बेडरूम में ले गया. वाहा जाते ही उसने मेरी छूट मसली, और मुझे बेटी बुलाया. उसके बेटी बुलाने से मैं हैरान हो गयी. अब आयेज बढ़ते है.
जब रोहित ने मुझे बेटी बुलाया, तो मैं समझ गयी की वो रोहित नही था. उसी वक़्त मैं अपनी पट्टी खोलने लगी, लेकिन उस शख्स ने मेरा हाथ पकड़ लिया. उसने मेरे दोनो हाथ बेड पर लगा लिए, और मेरे लिप्स से अपने लिप्स जोड़ दिए.
वो मेरे उपर था, तो मैं हिल भी नही पा रही थी. मुझे किस में मज़ा ज़रूर आ रहा था, लेकिन टेन्षन भी हो रही थी. तभी उस शख्स ने अपना एक हाथ नीचे करके मेरी शॉर्ट्स और पनटी नीचे की, और मेरी छूट में फिंगरिंग करने लगा.
उसने अपने दूसरे हाथ से मेरे दोनो हाथ पकड़ कर उपर कर दिए, और मेरे होंठो को रिलीस नही किया. छूट मसालते-मसालते उसने अपना लंड बाहर निकाला, और मेरी छूट पर रगड़ने लगा. मैं झटपटाने लगी, और परेशन हो रही थी की वो कों था.
तभी उसने एक ज़ोर का झटका मेरी छूट में मारा, और उसका आधा लंड मेरी छूट में चला गया. मेरी ज़ोर की चीख निकली, और उसकी भी आ निकल गयी, क्यूंकी मेरी छूट सील बंद छूट थी. मेरी चीख तो किस की वजह से डाबब गयी. लेकिन उसकी आ मुझे सुनाई पद गयी.
अभी मैं पहले झटके का दर्द झेल ही रही थी, की उसने दूसरा झटका मार कर अपना पूरा लंड अंदर कर दिया. मेरी दर्द से गांद फटत गयी, और मेरी आँखों से आँसू आ गये. मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे किसी ने लोहे ही रोड मेरे अंदर घुसा दी हो.
फिर उसने अपने दोनो हाथो से मेरे दोनो हाथ पकड़ लिए, और लंड धीरे-धीरे अंदर बाहर करता गया. इस सब के दौरान वो लगातार मेरे होंठ चूस्टा गया. धीरे-धीरे मेरी छूट बहुत गीली हो गयी, और मुझे मज़ा आने लगा. वो धीरे-धीरे स्पीड बढ़ने लगा, और मैं भी मज़े से उम्म उम्म करने लगी.
शायद वो समझ गया था की अब मेरी सिसकियाँ दर्द भारी नही थी, बल्कि मज़े वाली थी, तो उसने मेरे होंठो छ्चोढ़ दिए. अब मुझे इतना मज़ा आ रहा था की मेरा इंटेरेस्ट ही नही रहा ये जानने का की वो आदमी कों था जो मुझे छोड़ रहा था.
फिर उसने अपनी स्पीड और तेज़ की, और मेरी गर्दन पर किस करते हुए मेरी छूट छोड़ने लगा. मैं आ आ करके उसकी चुदाई का मज़ा ले रही थी. कुछ देर ऐसे ही छोड़ने के बाद उसने मेरे हाथ भी रिलीस कर दिए. फिर उसने अपने दोनो हाथो से मेरी टॉप मेरे बूब्स से उपर की, और पीछे हाथ ले जाके ब्रा का हुक खोल कर ब्रा भी निकाल दी.
अब वो मुझे छोड़ते हुए मेरे बूब्स चूसने लगा. इससे मेरी उत्तेजना और बढ़ गयी, और मैं कामुकता भारी आवाज़े निकालने लगी. मैं आ आ करती जेया रही थी, और वो पूरा ज़ोर लगा कर फुल स्पीड में मुझे छोड़े जेया रहा था. बड़ा मज़ा आ रहा था.
कुछ देर में मेरा पानी निकल गया, और मैं ठंडी पद गयी. लेकिन वो मेरी छूट छोड़े जेया रहा था. बूब्स भी चुस्वा-चुस्वा कर दर्द करने लगे थे, तो मैने उसको कहा-
मैं: बस करो आह. तोड़ा रुक जाओ, दर्द हो रहा है मुझे.
ये सुन कर उसने मेरे बूब्स को तो छ्चोढ़ दिया, लेकिन छूट छोड़ना नही छ्चोढा. अगले 5 मिनिट में उसके धक्को की वजह से मेरी छूट में फिरसे गर्मी आ गयी, और मुझे उसका लंड अंदर-बाहर होने से मज़ा आने लगा. उसने भी ये भाँप लिया, और अपना लंड मेरी छूट से निकाल लिया. जैसे ही उसने लंड छूट से निकाला, मैने उसको कहा-
मैं: क्या हो गया? बाहर क्यूँ निकाल लिया.
वो बोला कुछ नही, लेकिन मेरी साइड में आके मुझे धक्का देने लगा. मैं समझ गया की वो मुझे उल्टी करना चाहता था, तो मैं घूम कर पेट के बाल हो गयी. मेरी टॉप मेरी पीठ पर चढ़ि हुई थी. उसने टॉप को पकड़ा, और उपर करके उसको निकाल दिया. अब मैं उसके सामने पूरी नंगी थी.
फिर वो मेरे उपर आया, और मेरी जांघों पर अपनी गांद रख कर बैठ गया. उसके बाद वो आयेज झुका, और मेरी पीठ पर किस करने लगा. मुझे मज़ा आ रहा था. उसका लंड पीछे से मेरी गांद पर टच हो रहा था. पीठ चूमते हुए वो अपना एक हाथ मेरी छूट पर आयेज ले गया, और मसालने लगा.
फिर उसने मेरी टांगे थोड़ी खोली, और टाँगो के बीच लंड डाल दिया. उसके बाद अपने हाथ से, जो आयेज छूट पर था, अपने लंड को छूट के मूह पर सेट किया, और लंड अंदर घुसेध दिया. मुझे फिरसे बहुत दर्द हुआ. शायद ऐसे छूट टाइट हो जाती है इसलिए.
फिर वो अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा. उसका लंड मेरी छूट से रग़ाद खा कर अंदर-बाहर हो रहा था. मुझे दर्द और मज़ा दोनो मिल रहे थे. पता ही नही चल रहा था की मज़ा ज़्यादा था या दर्द. धीरे-धीरे उसके धक्के बड़े ज़ोर के हो गये. इतने ज़ोर के की बेड में से चरर-चरर की आवाज़ आने लगी.
कुछ देर ऐसे ही छोड़ने के बाद मुझे अपनी छूट में गरम-गरम चीज़ आती महसूस हुई. मैं समझ गयी ये उसका स्पर्म होगा. मुझे टेन्षन हुई की कही मैं प्रेग्नेंट ना हो जौ. लेकिन इतना मज़ेदार एहसास था उसको अपने अंदर लेने का की मैने उसको रोका नही और अंदर जाने दिया.
फिर वो मेरे उपर से हटता और साइड में आ गया. मैं भी सीधी होके लेट गयी. हम दोनो हाँफ रहे थे. तभी उसने अपने हाथ से मेरी आँखों की पट्टी खोल दी. मैने देखा, और मेरी गांद फटत गयी. ये तो मेरा सौतेला बाप था.
इसके आयेज की कहानी आपको अगले पार्ट में पता चलेगी. अगर आपको कहानी अची लगी हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ ज़रूर शेर करे.