बीवी को गैर से चुदवाया

आया तो झांटो से होता हुआ चूत पर आ गया। उसने अपनी बड़ी उॅंगली चूत पर हाथ फेरते की दरार पर फेरते फेरते अन्दर कर दी। सारे वक्त उसका ध्यान तो मेरी पत्नी के अंगों पर था, मगर दूसरे हाथ में गन की नाल मेरी ओर ही थी। और पकड़ लिया लगा।

‘देखो, मुझे तो तुमने बांध ही दिया है और मेरी बीवी तुम्हारा मुकाबला कर नहीं सकती। इस गन को मेरी तरफ से हटा लो, अगर धोखे से भी चल गई तो मैं तो बेमौत मारा जाऊॅंगा। हम तुम्हारी सारी बातें तो मान ही रहे हैं, गन एक तरफ रख दो ना प्लीज ! हम कुछ नहीं करेंगे।’

बलबीर ने गन एक तरफ मेज पर रख दी और अब मेरी पत्नी को अपनी तरफ खींच उसके बदन पर खूब प्यार करने लगा। पीछे आकर उसने दोनों स्तनों पर एक एक हाथ रख दिया और आराम से हाथ फिराते हुए दबा दबा कर जैसे गोलाइयों को मापने लगा। फिर दोनों निपल उसने चुटकी मे ले लिये और उन्हैं हल्के हल्के दबाते हुये आगे पीछे घुमाने लगा। बीच बीच में उन्हैं अपनी और खींचता भी जाता। मेरी पत्नी ने भी अपना बदन ढीला छोड़ दिया था। एकाएक वह मेरी पत्नी की ओर मुड़ा,
‘अब तुम मेरे कपड़े उतारो’

मेरी पत्नी ने चुपचाप उसकी कमीज के बटन खोले और उतार दी तो बलवीर ने अब पैण्ट की तरफ इशारा किया। रत्ना ने अब पहले उसकी बैल्ट खोली, फिर पैण्ट के बटन, जिप नीचे की और पैण्ट नीचे सरकाते हुए टांगों से उतार दी। बलवीर अब सिर्फ अण्डरवीयर में रह गया था जिसके झीने से कपड़े में उसका लम्बा और भारी लण्ड हिलता डुलता साफ दिख रहा था। बलबीर अपनी कमर कुछ ऐसे हिला रहा था कि, अन्डरवीयर पहने पहने भी, घड़ी के पेण्डुलम सा झूलता लण्ड साफ दिख रहा था। बलवीर का अगला इशारा इसी ओर था।

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‘अपना हाथ अन्दर डाल कर इसे पकड़ लो’

मेरी बीवी पहले तो थोड़ा झिझकी मगर फिर उसने एक हाथ अन्डरवीयर में डाल कर लण्ड पकड़ ही लिया और धीरे धीरे दबाने लगी। कुछ देर बाद बलवीर ने अपना अन्डरवीयर खुद ही उतार दिया और मेरी पत्नी को बैड पर लिटा कर खुद उसके बराबर कुछ ऐसा जा लेटा कि उसका लण्ड तो मेरी पत्नी के मुंह के पास लटक रहा था, और मेरी पत्नी की चूत उसके मुंह के नजदीक थी।

‘अब मैं तुम्हारी चूत चाटूंगा और तुम मेरा लण्ड चूसो ’

‘मैं नहीं चूसूंगी इसे ’, मेरी पत्नी ने विरोध किया।

‘देखो, मेरी बात प्यार से मान लो नहीं तो मुझे जबरदस्ती करनी पड़ेगी’
बेबस होकर मेरी पत्नी ने मुंह खोल बलवीर का लण्ड अन्दर ले लिया और होठों से पकड़ हौले हौले चूसने लगी। बलवीर ने उॅंगलियों से रत्ना की चूत फैलाई और जीभ अन्दर डाल कुरेदने लगा। डबल मजे से उसका लण्ड धीरे धीरे बड़ा होता जा रहा था, इधर रत्ना की

चूत में भी गजब की गुदगुदी होने लगी थी। रह रह कर उसकी कमर भी सिहरन से उठ उठ जाती।

थोड़ी देर बाद बलवीर अचानक उठा और रत्ना के ऊपर आ कर उसके उरोजों से खेलने लगा। उसका लण्ड, जो मेरी पत्नी की चूत के ठीक ऊपर था, रह रह कर चूत से टकरा रहा था। खड़ा था तो बीच बीच में जरा मरा सुपाड़ा भर अन्दर भी हो जाता। रत्ना शर्म और चुदास की दुविधा में थी।

‘देखो तुमने वादा किया था मेरे साथ ये सब नहीं करोगे’

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