मैं तो बहुत खुश था कि अकेले में मिलने का मौका मिल रहा है। मैं उसके घर गया और कम्प्यूटर को खोल कर देखा तो काफी धूल जमा थी।
धूल झाड़कर उसे ऑन किया तो ऑन तो हो गया, पर स्क्रीन में कुछ दिख नहीं रहा था। मैंने सीपीयू खोला और रैम को निकाल कर साफ़ करके लगा दिया.. तो सिस्टम चलने लगा।
मधु भाभी ने खुश हो कर कहा- अरे वाह आप तो पूरे जानकार हैं.. आप पहली बार घर आए हैं, चाय पी कर जाइएगा।
उस समय उनका बेटा बगल के घर में वीडियो गेम खेलने गया हुआ था। उस दिन वो लाल रंग की साड़ी में एकदम कयामत लग रही थीं।
कुछ पलों बाद भाभी चाय लेकर आईं। मैं उनके मम्मों को घूर रहा था। जब चाय देने के लिए भाभी थोड़ा झुकीं.. तो उनके बड़े गले के ब्लाउज से उनके आधे मम्मे दिखने लगे।
मैं मम्मों की घाटी को देखने लगा। मेरा 7 इंच का लौड़ा तंबू के बंबू की तरह पैंट के ऊपर से दिख रहा था।
शायद भाभी भी समझ गई थीं।
मैंने चाय लेते समय जानबूझ कर उनके मम्मों को छू लिया, उसने कुछ नहीं कहा तो मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गई।
मैंने कहा- आप बहुत सुंदर लगती हो भाभी.. ऐसा लगता ही नहीं कि आपका एक बेटा भी है।
वो हंसने लगीं और मेरे बगल में मुझसे चिपक कर बैठ गईं। मैं धीरे-धीरे अपना हाथ उनके एक मम्मे पर ले गया और भाभी की तरफ देखा तो उन्होंने आँख मार दी। भाभी का आँख मारना हुआ और मैंने उनके निप्पल को मसल दिया।
भाभी के मुँह से मादक सिसकारी निकल गई, उन्होंने कहा- ये आप क्या कर रहे हैं?
उनके कहने के अंदाज से लगा कि वो भी चुदना चाह रही थीं।
मैंने झट से उन्हें अपनी बाँहों में ले लिया और अपने होंठ उनके होंठों पर जड़ दिए।
अब हम दोनों एक-दूसरे का रस चूसने में मस्त हो गए।
मैं अपना एक हाथ उनकी चुत पर ले गया और चुत में उंगली पेल दी। भाभी चिहुंक उठीं.. उनकी चुत एकदम गीली हो गई थी। मैंने उन्हें सोफे पर ही लिटा दिया और उनके सारे कपड़े उतार दिए। उन्होंने भी मेरे कपड़े उतार दिए।
अब मैंने अपना मुँह उनकी चुत में लगा दिया और चुत को चाटने लगा।
भाभी ने कहा- मैं भी आपका लंड चूसना चाहती हूँ।
अब हम दोनों 69 की स्थिति में आ गए और लंड चुत को चूसने लगे।
वो बोल रही थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आपका लंड कितना बड़ा और मोटा है.. मेरे मुँह में तो पूरा जा ही नहीं रहा है। मेरे पति का तो आपसे बहुत छोटा है।
भाभी मेरे चुत चूसने से एक बार मेरे मुँह में ही झड़ गईं। अब वो चुदवाने के लिए पागल होकर बार-बार कह रही थीं- अह चोद दो राज.. फाड़ दो मेरी बुर आज.. अह..!
मैंने उनकी चुत से मुँह हटाया और अपना लंड उनकी चुत के मुँह पर टिका कर जोरदार धक्का मारा.. तो उनके मुँह से आह निकल गई और उनकी आँखों में आँसू आ गए।
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भाभी को दर्द हो रहा था.. वे बोलीं- आह.. निकाल लो राज.. तुम्हारा बहुत मोटा और बड़ा है.. मैं इस लंड को नहीं झेल पाऊँगी। अभी ये आधा ही घुसा है तो ये हाल है.. पूरा जाएगा तो क्या होगा।
लेकिन मुझ पर तो वासना का भूत सवार था। मैंने उनकी एक नहीं सुनी और उनके मम्मों को दबाते हुए धीरे-धीरे लंड चुत में अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ ही देर में चुत में चिकनाई हो गई और अब वो भी मस्ती में आ गई थीं। उनके मुँह से अब मादक सिसकारियां निकल रही थीं।
फिर मैंने एक जोरदार शॉट मारा और पूरा लंड चुत की जड़ तक अन्दर चला गया। वो भी अब नीचे से अपनी कमर उचका कर मेरा साथ दे रही थीं, भाभी बोल रही थीं- अह.. राज पहली बार इतना मज़ा आ रहा है चुदवाने में.. आह.. जम के चोद दे।
तभी उनका शरीर टाइट होने लगा और वे झड़ गईं। मैं धक्के लगाता रहा.. वो दोबारा से भी झड़ गईं.. अब मेरा भी आने वाला था, मैंने पूछा- अपना माल अन्दर ही गिरा दूँ या बाहर?
तो बोलीं- अन्दर ही आने दो..
भाभी फिर से झड़ने वाली थीं, जबकि वो दो बार पहले ही झड़ चुकी थीं।
इस बार हम दोनों साथ में झड़े.. इसके बाद कुछ देर हम लोग ऐसे ही पड़े रहे।
भाभी ने कहा- आज पहली बार मैं सही से संतुष्ट हुई हूँ।
फिर हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े पहने और मैं घर आ गया। अब हम लोगों को जब भी मौका मिलता.. तो चुदाई कर लेते थे।
कुछ दिन पहले उनके पति भाभी को अपने साथ ले गए।
मेरी चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी.. मुझे ज़रूर लिखिएगा।