बीमार होने का बहाना बना कर लड़की चोदी

मैं शिखा को पेल कर जब अपने फ्लॅट पर लौट रहा था, तो देखा थर्ड फ्लोर बिल्कुल खाली पड़ा था, और 4त फ्लोर पर भी सिर्फ़ मैं ही रहता हू, और 3र्ड फ्लोर में जो एक फ्लॅट रेंटेड है, उसकी नाइट शिफ्ट रहती है

मेरे दिमाग़ में फ़ौरन खुराफात आई, की क्यूँ ना शिखा की यहा खुले में हॉल में ली जाए. उससे भी अछा क्यूँ ना उस बेहन की लौदी को सीडीयों पर पेला जाए. हाए मज़ा ही आ जाएगा यार कसम से. मैने शिखा को कॉल किया-

शिखा: चैन नही मदारचोड़ अभी भी, बोलो अब क्या हुआ?

विवेक: हुआ ये की 2 घंटे है तेरे पास, रेस्ट कर ले. फिर आज पूरी रात बाजौंगा तुझे.

शिखा: पागल तो नही हो गये भैया आप? पूरी रात पेलोगे मुझे और मेरी मा और बाप पेलने देंगे, की हा जेया शिखा अपने भैया के लंड की सेवा कर?

विवेक: ऐसा ही समझ ले शिखा. तेरे पेरेंट्स ही तुझे मेरे पास भेजेंगे मेरा ख़याल रखने को.

शिखा: अर्रे हा, बस-बस, सपने देखना बंद करो.

विवेक: और अगर ऐसा हो गया तो?

शिखा: अगर ऐसा हो गया तो कल की बजाए आज ही गांद खुलवा लूँगी आपसे प्रॉमिस.

विवेक: चल फिर रेडी हो जेया, आज तो तेरी गांद बजा कर ही रहूँगा.

शिखा: हा-हा चलो देखते है मेरे छोड़ू में कितना दूं है, जो मेरे पेरेंट्स मुझे उसके पास चूड़ने को भेजेंगे, बाइ. सपने में पेलो मेरी गांद.

मैं फटाफट फ्लॅट पर गया अपने, और एक-एक ऑनियन काट कर अपने अंडरआर्म्स के नीचे दबा लिया, और बैठ गया. मैने सुना था ऑनियन लगाने से बॉडी का टेंपरेचर बढ़ जाता है, और फीवर जैसा चढ़ जाता है. मुझे बस यही चाहिए था.

लगभग एक-डेढ़ घंटे बाद मैने महसूस किया की बॉडी का टेंपरेचर अछा ख़ासा बढ़ गया था. मैने उसकी मों को कॉल किया-

विवेक: हेलो दीदी (मैं उसकी मों को दीदी ही बुलाता हू).

सिद्धि: अर्रे क्या बात है, आज सूरज कहा से निकला था भाई? आज इतने दीनो बाद दीदी की याद आई, और तेरी आवाज़ को क्या हुआ है?

विवेक: अर्रे दी यार फीवर आ गया है, तो उठा भी नही जेया रहा बेड से. आप प्लीज़ शिखा को भेज देंगी क्या थोड़ी देर के लिए, मेरी हेल्प करा देगी वो. रूम भी फैला है आंड खाने को भी कुछ नही है.

सिद्धि: अर्रे तो चल मैं डॉक्टर के पास ले चालू बेटा.

विवेक: नही मैं मेडिसिन ले आया हू दी, बस वो तोड़ा रूम गंदा है तो शिखा को अगर भेज देती तो थोड़ी हेल्प हो जाती मेरी.

सिद्धि: अछा ओक, शिखा बेटा, बात सुन ज़रा. विवेक भैया के पास चली जेया, उनको तेरी हेल्प चाहिए. जेया भाग कर बेटा, उनकी तबीयत खराब है.

शिखा (शॉक में थी की मैने उसकी मों को मनालिया उसे मेरे पास भेजने को): ओक मा, जाती हू.

फिर कॉल डिसकनेक्ट किया मैने, वियाग्रा खाई, और मैं फ्लॅट से निकल कर ग्राउंड फ्लोर पर उसका वेट करने लगा. तब तक शिखा आती नज़र आई. मैं खुश था आज तो स्टेर फक फॅंटेसी पूरी करूँगा अपनी

शिखा: बहनचोड़ से रूम पर नही रुका गया, देखो कैसे नीचे आ कर खड़ा हो गया. चलो अब उपर, या यही बजानी है.

विवेक: हा कुछ ऐसे ही समझ ले.

हम स्टेर्स चढ़ने लगे.

शिखा: क्या मतलब? क्या नयी खुराफात चल रहा है दिमाग़ में भैया?

विवेक: कुछ ख़ास नही, बस मुझे तेरी सीडीयों पर लेनी है खुले में.

शिखा (शॉक्ड): ओह बहनचोड़, सोचना भी मत. ऐसा कुछ नही कर रहे हम. कितना रिस्क है इसमे. अगर पकड़े गये तो लॉड लग जाएँगे, और कितनी बदनामी होगी मेरी. तुम्हारा क्या है, तुम्हे तो दूसरी छूट मिल जाएगी. मेरी स्टडीस बंद और सीधा शादी किसी के भी साथ फिक्स कर दी जाएगी. इसलिए चुप-छाप चलो फ्लॅट के अंदर.

बात करते-करते हम आ गये 3र्ड फ्लोर पर, और मैने वही शिखा को पकड़ कर बिता लिया.

शिखा: भैया छ्चोढो यार, नही कर सकते है यहा, समझो यार, रिस्क है बहुत.

विवेक: रिस्क में ही तो मज़ा है यार. सोच ज़रा पकड़े जाने का दर्र और तेरी छूट में लंड अंदर बाहर पाट-पाट-पाट कितना मज़ा आएगा. शिखा प्लीज़ करते है ना यार.

शिखा: नही-नही हम ऐसा कुछ नही करेंगे.

इतने में मैने उसकी टॉप को ब्रा के साथ पकड़ कर उपर कर दिया, और उसके बूब्स खुल गये. वो हाथो से च्छुपाने लगी, और मैने उसके पैर खींच कर सीडीयों पर बैठा दिया. फिर लेगिंग और अंडरवेर पकड़ कर नीचे कर दिए, और लेग स्प्रेड कर दिए. सब कुछ इतना जल्दी हुआ, की उसे कुछ समझ नही आया क्या करे.

आह बहनचोड़, है तो माल साली. उसे देखते ही दिमाग़ में पहला ख़याल सिर्फ़ यही आता है की इसे इतना छोड़ू की ये हाए तौबा करने लगे. फिर भी ना छ्चोढू. वो एक-दूं शॉक में बैठी थी की क्या करे, क्या च्छुपाए, क्या दिखाए. मैने उसे किस करना शुरू किया नेक पर, गाल पर, और फिर होंठो को किस करने लगा. वो भी साथ देने लगी, तो धीरे से उसे पीछे की तरफ झुकने लगा.

मैने उसको वही सीडीयों पर लिटा दिया, और मस्ती में किस करने लगा. वो भी अब घबराना भूल कर मज़े में डूबने लगी, और मेरे बालों में हाथ घूमने लगी. मेरी बॅक पर नाख़ून चुभाने लगी आहह एम्म्म उम्म्म्म एम्म्म करते हुए. 2 मिनिट बाद हमने किस तोड़ी, तो वो स्माइल कर रही थी.

शिखा: बहनचोड़ हो तुम, बहुत बड़े हरामी. आख़िर फिर कर ही ली ना अपने मॅन की.

विवेक: अभी कहा हुई मॅन की, अभी लेनी बाकी है.

शिखा: हा तो अब कों सा लिए बिना मुझे यहा से उठने दोगे, और अब मैं कों सा यहा से दिए बिना उतूँगी. पर मेरी सच में फटत रही है. बहुत रिस्क है यार. कोई भी आ सकता है कभी भी.

मैने अपना लोवर और अंडरवेर नीचे किया, तो लंड उछाल कर बाहर आया.

शिखा: आहा अफ, ये देखो बहनचोड़ इसको चैन नही है एक पल का भी. साला हमेशा तन्ना हुआ रहता है मेरे लिए. चलो अब शुरू करो जल्दी, इससे पहले की कोई आ जाए.

मैने लंड को तोड़ा आयेज-पीछे किया, और उसकी पूरी सख्ती दी उसे. फिर गीली छूट पे रखा, और धीरे से छूट में उतारने लगा.

शिखा: आआहाआ एम्म बस बहनचोड़ दूसरे झटके में डाल देना बाकी आअहह.

मैने दूं लगा कर पूरा लंड पेल दिया उसकी छूट में, और अब धक्के पेलने लगा धीरे से

शिखा: आ धीरे छोड़ यार.

विवेक: बेहन की लोदी आवाज़ धीरे रख ना, चिल्ला-चिल्ला कर सब को बुलाएगी क्या अपनी चुदाई दिखाने को?

शिखा: अब तेरी क्यूँ फटत रही है बेहन के छोड़ू? तू ही तो चाहता था सीडीयों पर पेलना. किसी के आने का दर्र, और उस दर्र के बीच में मेरी छूट में लंड अंदर-बाहर करना. मेरी तो छूट में लंड जाएगा, तो मुझे मज़ा आएगा, और मैं मज़े से चिल्लौंगी. तू झेल लेना फिर जो हो, मेरी तो वैसे भी नही सुनता है जानवर सेयेल.

मुझे भी जोश आया तो पेल दिया मैने भी लंड ज़ोर से तेज़-तेज़.

शिखा: आअहह मा के लोड हरामी.

मैने फटाफट उसके होंठो पर होंठ रखे और उसकी आवाज़ बंद की. पर तब तक देर हो गयी थी. नीचे से दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई, पर मैं छोड़ने में लगा रहा उसकी छूट. शिखा ने आँखें बड़ी-बड़ी करके गुस्सा जताया. मैने उसे बिल्कुल दीवार से चिपका दिया, ताकि नीचे से कोई उपर की तरफ देखे तो दिखाई ना दे कोई, और लंड तोड़ा तेज़-तेज़ पेलने लगा.

शिखा: बहनचोड़ हवासी, रुक जेया, कोई आ रहा है. निकलते है यहा से. मदारचोड़ रूम पर चल कर छोड़ लेना यार भैया.

मैने चुदाई नही रोकी, और पेलता रहा लोड्‍ा उसकी छूट में. मैं चाह रहा था की शिखा एक बार तो यही सीडीयों पर झाड़ जाए.

विवेक: बेहन की लोदी, कोई आए या ना आए, मुझे नही फराक पद रहा. मैने बोला था ना की आवाज़ धीरे रखना, तो चिल्लाई क्यूँ? अब झेलना जो भी आएगा. उसे भी छोड़ने के लिए दे दूँगा तेरी छूट.

शिखा: हावव बहनचोड़ भोसदिके, तेरी मा की छूट छुड़वाना मोहल्ले भर से. मेरी छूट बाज़ारु नही है. एक तो इतना लंबा मोटा लंड छूट में पेल रहा है, चिल्लौंगी नही तो और क्या करूँगी?

और वो झड़ने लगी. मैने लंड नही निकाला, और उसे गोदी में समेत लिया. उसने भी मेरी नेक के अराउंड अपने हाथ बाँध लिए. 2 मिनिट ऐसे ही वाहा पड़े थे, और फिर उसे गोदी उठा कर खाली पड़े हॉल के अंदर ले आया और दीवार पर लगा कर एक करारा झटका मारा छूट में. शिखा जो बेसूध पड़ी थी कंधे पर एक-दूं से उछाल गयी.

शिखा: आहह बहनचोड़ लोड, मारेगा क्या आअहह.

विवेक: हा मेरी जान, मार ही तो रहा हू तेरी छूट. तू बस मज़े ले आज.

शिखा: मज़े तेरे लिए होंगे लोदउ सेयेल. मेरे लिए तो सज़ा है. एक तो ताकि हुई थी, और आते ही पेलने लग गया हवासी साला.

मैं बस पेलने में लगा हुआ था. उसकी छूट से रस्स धीरे-धीरे नीचे आ कर लंड को मस्त गीला कर रहा था, और उसका रास्ता चिकना. अब उसे ऐसे हवा में उठा कर छोड़ने में और भी मज़ा आ रहा था.

5 मिनिट तक ऐसे ही पेलने के बाद मैं तोड़ा पीछे की तरफ गया और उसे तोड़ा झुकाया. अब ये पोज़िशन सही थी उसकी छूट में लंड पेलने की. उसकी गद्देदार थाइ और गांद पर पकड़ मज़बूत की, और मारने लगा शॉट्स.

शिखा: उम्म भैया प्लीज़ धीरे.

मैने गांद छ्चोढ़ कर अब उसके उछलते हुए बूब्स पकड़े, और खींच कर छोड़ने लगा.

शिखा: आहह बहनचोड़ एलास्टिक नही है यार, दर्द हो रहा है. छ्चोढ़ इन्हे हरामी.

वो रोने जैसी हो गयी, पर मैं नही रुका और आचे से उसके बूब्स भी दबा रहा था. दबा क्या रहा था, जैसे किसी काग़ज़ को भींच देते है वैसे ही उसके बूब्स भींच रहा था. वो दर्द में कराह रही थी, पर उसके चेहरे से सॉफ पता चल रहा था, की मज़े ले रही थी वो. अब बस मेरा होने वाला था.

मैने स्पीड में 10-12 धक्के पेले, और उसे उतार कर नीचे बिताया, और मूह में लंड पेल दिया. मैं दीवार से मूह लगा कर अब मूह छोड़ रहा था स्पीड में. पूरा लंड अंदर करके धक्के पेल रहा था.

शिखा अपने हाथो से मेरी थाइस पकड़ कर मुझे पीछे धक्का दे रही थी, पर बेचारी में इतनी एनर्जी नही थी के मुझे पीछे कर पाती. मैने मूह छोड़ता रहा, और एक डीप धक्के के साथ वही रुक गया, और सारा माल उसके मूह में उतार दिया.

विवेक: आअहह फुक्कककक बहनचोड़ शिखा, साली रंडी की औलाद, मज़ा आ गया यार तेरी छूट और मूह पेल कर. पी मेरा माल तुझे एनर्जी मिलेगी. अभी तुझे गांद भी तो पिलवनी है, तुझे ज़रूरत पड़ेगी एनर्जी की.

वो लंड का माल पी गयी सारा. मैं पीछे हटा तो वो वही बेसूध फ्लोर पर पड़ी रही, और हाँफती रही. 5 मिनिट बाद उसे उठाया, कपड़े सही किए, और अपने फ्लॅट पर ले आया, और वो बेड पर लेट गयी. मैने फिरसे ऑनियन अपने अंडरआर्म्स में दबा लिया, क्यूंकी इस रंडी को रात रोकना था ना रूम पर. ऐसे तो मछली निकल जाती जाल से.

आयेज के पार्ट्स में इसकी गांद बजाते है साथ, तब तक हिलाते रहिए. एमाइल-

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