डेरी फार्म के बिहारी नोकर से चुदवा लिया

वो घिसता गया और अपनी स्पीड को बढाता गया. मेरी मोअनिंग निकल रही थी और बढ़ने लगी थी. और फिर उसके मुहं से एक आह निकली और उसके लंड का ज्यूस निकल के मेरी चूत के ऊपर और जांघो के ऊपर बह गया. मैंने उसमे से थोडा अपनी ऊँगली के ऊपर ले के उसका सवाद चखा. वो सवाद में खारा था. मैंने उसे कहा, चूत चाटोगे मेरी?

वो बोला मेडम यहाँ नहीं, शाब मेमसाब आ गए या फिर कोई नहाने आ गया तो प्रॉब्लम होगी. फिर वो मुझे ले गया पीछे की साइड जहाँ पर गायों के लिए सूखी घास रखी गई थी. मैंने निचे घास के ऊपर ही लेट गई अपनी टाँगे खोल के और उसे ऊँगली से इशारा किया चूत की तरफ. उसने मेरी स्कर्ट को पूरी निकाल दी और वो निचे लेट गया मेरी लेग्स को झांघो से पकड़ के. उसने अपने होंठो को मेरे चूत के फांको पर लगा दिया. और ये बिहारी नोकर किसी इंग्लिश गोरे पोर्नस्टार के जैसे मेरी चूत को लिक करने लगा. मैंने टांगो को हवा में उठा दिया और मैं उसकी मस्त पुसी लिकिंग को एन्जॉय करने लगी.

उसने मुझे अपनी तरफ खिंचा और अपनी जबान को चूत के होल में डाला. वो इतनी मस्ती से चूत को चाट रहा था जैसे मख्खन खा रहा हो. फिर उसने मेरी चूत के दाने को मुहं में ले के मुहं को बंद कर दिया. और जैसे अचार को खा रहा हो वैसे मेरी चूत के दाने को चाटने लगा. मेरी तो हालत खराब हो चुकी थी उसकी इस हरकत से. मैं जैसे हवा में उड़ने लगी थी बिना पंख के ही! फिर उसने अपने दांतों के निचे दबा दिया मेरी चूत के दाने को. वो जबान से चाट के दांतों को दाने के ऊपर घिसता था तो मुझे एकदम सेक्सी फिलिंग होती थी. मैं उसके मुहं के ऊपर ही झड़ गई और उसने मुझे छोड़ा ही नहीं और मेरी चूत से निकलती हुई एक एक बूंद को वो चाट गया.

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उसने फिर और कुछ देर तक मेरी चूत के दाने को चाटा. फिर उसने मेरी चूत के ऊपर थूंक दिया और बोला, लगता हे मालिक आ गए.

मुझे भी ऐसा लगा क्यूंकि मेन गेट के लोहे की डोर की खुलने की आवाज आई थी. मुझे लगा की शायद मैं इतनी नजदीक आ के भी लंड से दूर ही रह जाउंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वो बोला, जल्दी से डाल के पानी छुड़ा देता हूँ मेरा.

उसके ये कहने से मुझे बहुत ही अच्छा लगा. उसने अपने लंड को मेरी चूत के ऊपर रखा और बिना कुछ कहे ही अंदर डाल दिया. मेरी चूत का सिल उसके गरम लंड से खुल गया. मेरे मुहं से चीख निकलने को थी लेकिन उसने मेरे मुहं को कस के दबा दिया अपने हाथ से इसलिए आवाज अंदर ही दब गई.

वो बेदर्दी फकर था और गच गच चोदने लगा मेरी चूत को. उसका लंड पूरा अंदर घुस के बहार आता था और मेरी चूत से खून बहने लगा था. एक मिनिट तक तो मैं खूब रोई उसके लंड के धक्को की वजह से लेकिन फिर मुझे भी अच्छा लगने लगा था. मैं अब उसके लंड को एन्जॉय करने लगी थी.

उसने मुझे खूब चोदा और 3 4 मिनिट में ही उसका सब पानी मेरी चूत में छोड़ दिया उसने. फिर उसने मुझे छोड़ा और अपने कपडे पहनते हुए बोला, पहले मैं जाता हूँ फिर पांच मिनिट के बाद तुम निकलना.

और वो वहां से निकल गया. मैंने खड़े हो के अपना स्कर्ट पहना और शर्ट के बटन बंद किये. मैं खड़ी हुई लेकिन मेरे से चला भी नहीं जा रही थी. दादी ने आवाज दी तो मैंने कहा, आई.

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दादी ने कहा कहाँ गई थी. मैंने कहा, पता नहीं अंदर मोबाइल का टावर नहीं आ रहा था तो बहार कम्पाउंड में ही घूम रही थी.

दादी बोली, बहार अकेले नहीं घूमते हे बेटा!

अब भला उन्हें कौन कहे की उनकी पोती घूम नहीं रही थी लेकिन पीछे घास में लेट के चुदवा रही थी!

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