भीगे बदन वाली मौसी के लिए जागी वासना

कैसे है आप लोग? मेरा नाम दिलीप है, और मैं एक नयी स्टोरी आपके सामने ले आया हू. मुझे 40+ की औरतो में ज़्यादा इंटेरेस्ट है. मुझे कुवारि छूट या 26-27 साल की लड़कियों से ज़्यादा औंतीयाँ पसंद है.

मैने अपना पहला सेक्स एक्सपीरियेन्स भी कुछ ऐसे ही लिया था. मैं तब 19 साल का था, और मेरी पड़ोसन जो की मेरी मेद्स टीचर भी थी, वो उस वक़्त 36-38 साल की होगी. तभी से मुझे औंतीयों का नशा चढ़ा हुआ है. आज मैं 42 साल का हू. लेकिन नशा अभी तक उतरा नही. खैर ये सब बातें छ्चोढो, कहानी की और बढ़ते है.

मुझे मेरे नये घर पर शिफ्ट हुए तकरीबन 6 महीने हो गये थे. सब कुछ यहा नया था मेरे लिए, और दीवाली होने की वजह से मेरी वाइफ और बच्चे मेरे ससुराल गये हुए थे.

वैसे आप लोगों को बता डू, की सब्ज़ी वाली मौसी की उमर 48 से 50 साल के बीच में होगी. रंग सावले से तोड़ा डार्क, लेकिन दाँत उनके मोतियों की तरह चमकते थे. लाल रंग की बड़ी वाली बिंदी और गाल पे एक काला तिल.

अगर फिगर की बात करे तो 5’5″ हाइट, घने लंबे थोड़े से दिए किए हुए बाल. मम्मो का साइज़ 36 से 38 होगा, और तोड़ा सा हल्का पेट बाहर निकला हुआ था, जो आम तौर पर इंडियन औंतीयों के होते है.

वैसे मेरी वाइफ की उनसे दोस्ती पहले दिन से ही हो गयी थी. मैं जहा रहता हू, फर्स्ट फ्लोर से मेरी बाल्कनी से उनकी भाजी का तेला दिखता था. उनके ठेले में उनके हज़्बेंड जो मोस्ट्ली एक ही तरह की त-शर्ट और खाख़ी कलर की हाफ पंत पहन के खड़े रहते थे.

वो अक्सर दारू के नशे में रहते थे. मौसी के घर में उनके दो बच्चे थे. दोनो बच्चे कॉलेज में पढ़ रहे थे. ये है सब्ज़ी वाली मौसी के परिवार की जानकारी.

मैं अक्सर सिगरेट पीने के लिए नीचे उतरता था. तब मौसी के ठेले के पास बैठने की जगह बनी हुई थी, जहा मैं अक्सर सिगरेट पीते-पीते उनसे बात किया करता था. सारी बातें हस्सी मज़ाक सुख-दुख की होती थी. उन्ही 15-20 मिनिट में एक-दूसरे से हम अपनी बातें शेर करते थे. मेरी भी उनसे ज़्यादा आचे से बन रही थी. उस वक़्त तक मेरे दिमाग़ में उनकी टांगे खोलने का विचार भी नही आया था.

उनसे बातें करते-करते एक बात तो समझ में आ गयी थी, की उन्होने बड़ी तकलीफ़ से और बड़ी मेहनत करके अपने बच्चो को, और अपने घर को संभाल कर रखा था. क्यूंकी पति शराब के नशे में अक्सर रहता था, और उनके पति ने कभी घर और बच्चे पर ध्यान नही दिया था. जो भी घर और बच्चो के लिए किया था, सब मौसी ने किया था.

कभी-कभी हस्सी मज़ाक में कुछ अडल्ट बात भी हो जाती थी. लेकिन वो बात सिर्फ़ हस्सी मज़ाक तक ही रहती थी. उनकी बातों से तो ये भी पता लगा था, की उनके पति ने उनको 12 से 15 साल से टच भी नही किया था.

उसके पति का बस एक ही काम था, दो वक़्त खाना और हर वक़्त नशे में रहना. यही ज़िंदगी बन के रह गयी थी. वैसे सब्ज़ी वाली मौसी नेचर से बहुत ही अची और सपोरटिव थी. कभी भी पैसे के लिए कोई टेन्षन नही देती थी. कभी सब्ज़ी उधार में लेनी हो तो हस्सी-खुशी दे देती थी. ऐसी थी सब्ज़ी वाली मौसी.

तो बात उन दीनो से शुरू हुई, जब मेरी वाइफ बच्चो को लेकर ससुराल में दीवाली मानने गयी थी. पहले एक-दो दिन तो आचे से काटते, लेकिन उसके बाद तकलीफें आनी शुरू हो गयी. यहा तकलीफ़ मतलब खाना और ज़रूरत की दूसरी चीज़े.

मैने अपने वाइफ को फोन करके कहा: जल्द से जल्द आ जाओ, मुझे यहा प्राब्लम हो रही है.

तब मेरी वाइफ ने मुझसे कहा: साल में एक बार तो आती हू, और अगले 10-15 दिन मुझे यही रहना है. प्लीज़ जल्दी मत बुलाओ.

तब मैने मॅन मार के हा कह दिया. लेकिन प्राब्लम तो जैसी की तैसी रह गयी थी. शनिवार की सुबह मैं सिगरेट पीने नीचे चला गया, और मौसी के पास बैठ कर बातें करने लग गया. उस वक्त मौसी ने काले कलर की सिल्क सारी और सफेद रंग का सिल्क का ब्लाउस पहना हुआ था.

बातों-बातों में मैने उनसे कहा: नेहा तो अपने माइके गयी है. अगर यहा पर कोई तिफ्फ़िं सर्विस हो, तो मुझे बता दे. बहुत प्राब्लम हो रही है.

मौसी: बाबू आप टेन्षन मत लो, मैं आपके लिए दो टाइम का तिफ्फ़िं अपने बेटे के हाथो से आपको पहुँचा दूँगी. जब नेहा आ जाएगी तब हिसाब-किताब कर लेंगे. आप टेन्षन मत लो.

मैं: थॅंक्स मौसी, आपने तो मुझे बड़ी मुसीबत से बाहर निकाला. खाने का जुगाड़ तो हो गया है, बस अभी…

ये बोल कर मैं चुप हो गया. मुझे अचानक समझ में आ गया की मैं क्या कहने वाला था. वो भी मौसी के सामने. मौसी मुझे देख कर हस्स पड़ी और बोली-

मौसी: बस अभी! क्या रह गया बाकी (वो समझ गयी थी की मैं क्या कहने वाला था. आख़िर एक्सपीरियेन्स नाम की भी कोई चीज़ होती है)?

ये कह कर ज़ोर-ज़ोर से हासणे लगी. मैं शरम के मारे उनसे नज़रें नही मिला पा रहा था. लेकिन मैं हस्स रहा था.

मौसी (हेस्ट हुए): नेहा को जल्दी बुला लो, नही तो खाने का तो हो गया, पर बाकी चीज़ों के लिए तरसना पड़ेगा. और उसका जुगाड़ होना भी मुश्किल है.

उस वक़्त मौसम तो सॉफ था, लेकिन अचानक बारिश शुरू हो गयी. वो भी बड़ी ज़ोरदार तरीके से. मैं भीगने से बचने के लिए तोड़ा सा पीछे जेया कर एक कोने में खड़ा हो गया, और मौसी बारिश के पानी से सब्ज़ियों को बचाने के लिए उन पर प्लास्टिक की चादर डालने लग गयी.

इसे चक्कर में वो काफ़ी भीग गयी थी, और मौसी सब्ज़ियों पर चादर डाल कर मेरे यहा भागते हुए आ कर खड़ी हो गयी. फिर बारिश को कोसते हुए गालियाँ बक रही थी. पहली बार मैने उनके मूह से गालियाँ सुनी और उन्हे देख कर हासणे लगा.

तभी मौसी अपने बालों को खोल कर बारिश के पानी को सॉफ करने लगी. उनके घने काले बाल जैसे आसमान के काले बादल को पछाड़ रहे थे. अछा मेरा ध्यान उनके ब्लाउस पर गया, जो बारिश की वजह से पुर तरीके से भीग गया था, और भीगने की वजह से उनकी चुचिया ब्लाउस के अंदर से सॉफ-सॉफ नज़र आ रही थी.

उनका बड़ा सा काला निपल तो उभर कर दिख रहा था. मैं उनकी दोनो चुचियो को पागलों की तरह देख रहा था. अगले 2 मिनिट तक मैं उनकी चुचियो को घूर रहा था. इसकी वजह से मेरी पंत मैं हुलचूल मची और मेरा लॉडा पंत के बाहर आने के लिए उतावला हो रहा था.

जब मौसी बाल सॉफ कर रही थी, तब उनकी नज़र मुझ पर पड़ी, और और वो समझ गयी की मैं क्या देख रहा था. फिर वो तोड़ा पीछे हो कर, मूड कर, अपने पल्लू को ठीक करके मेरी तरफ मूड कर खड़ी हो गयी. उनकी नज़रों ने मेरे पंत पर उभरते हुए साइज़ को भाँप लिया था.

कसम से उसे वक़्त पहली बार मौसी की टांगे खोलने का ख़याल मेरे दिमाग़ में चलने लग गया.

इसके आयेज क्या हुआ, ये आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.

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