कहानी जिसमे भाई ने बहन को अपने बॉस से चुदवाया

ही गाइस, मैं आज एक न्यू स्टोरी के साथ हाज़िर हुआ हू. इसमे मैं आपको बतौँगा कैसे मैने अपनी बड़ी दीदी को एक बुड्ढे से चुडवाया.

मेरी दीदी का नामे अंजलि है. अंजलि दीदी की आगे 34 यियर्ज़ है. दीदी की शादी को 9 साल हो गये है. अंजलि दीदी के दो बच्चे भी है. दीदी का रंग दूध की तरह सफेद है, और दीदी का फिगर 36-30-36 है.

जीजा जी दुबई में जॉब करते है. इसलिए वो साल बाद आते है, और वो भी सिर्फ़ एक मंत के लिए. अंजलि दीदी और उनके बच्चे एक फ्लॅट पर रहते है.

अंजलि दीदी जिस फ्लॅट में रहती है, उससे कुछ फ्लॅट्स छ्चोढ़ कर एक फ्लॅट में मेरे ऑफीस का एक आदमी रहता है. उसका नामे असलम है.

असलम साब की आगे 55 यियर्ज़ होगी. असलम साब का कद लंबा और जिस्म मोटा है. साब का पेट आयेज को निकला हुआ है. असलम साब बिहार के रहने वाले है. इसलिए उनका रंग एक-दूं काला है.

असलम साब ने अपनी बीवी को डाइवोर्स दिया हुआ है, और पिछले 10 साल से अकेले रहते है. मैं जब भी अंजलि दीदी के घर जाता हू, तो असलम साब से भी मिलता हू.

एक दिन मैं और असलम साब ऑफीस में बैठे खाना खा रहे थे, तो असलम साब बोले-

असलम साब: ज़िंदगी बेकार हो गयी है. मैं रंडियो को छोड़-छोड़ कर तक

गया हू. कोई शरीफ लड़की हाते नही चढ़ रही.

मैं: असलम साब अपनी आगे देखो, और रंग भी. कोई शरीफ लड़की कैसे तुम्हारे नज़दीक आएगी?

असलम साब: हा, तू कहता तो ठीक है. अगर तू बुरा ना माने तो एक बात काहु?

मैं: बोलो.

असलम साब: तू अगर मेरी मदद करे, तो एक शरीफ लड़की मेरी रंडी बन सकती है.

मैं: कैसे?

असलम साब: तू बस अपनी अंजलि दीदी की मेरे साथ सेट्टिंग करवा दे.

मैं गुस्से से बोला: क्या बोल रहे हो? आपको शरम नही आती मेरी दीदी के बारे में ऐसा बोलते हुए?

असलम साब: तू ठंडे दिमाग़ से मेरी बात सुन. तेरे जीजू तो दुबई में रहते है. इधर तेरी दीदी अकेली रहती है. उनको भी किसी साथी की ज़रूरत है. हमारे एरिया के काफ़ी लोग तेरी दीदी के पीछे पड़े हुए है. लेकिन वो किसी को लाइन नही देती.

मैं: मुझे मालूम है. दीदी है ही इतनी सुंदर, की लोग उनके दीवाने है.

असलम साब: तुझको मेरे पर भरोसा है?

मैं: हा.

असलम साब: अगर तेरी दीदी मेरे साथ रहेगी, तो सेफ रहेगी, और खुश भी रहेगी. लेकिन अगर किसी और ने तेरी दीदी से सेट्टिंग कर ली, तो तेरी दीदी को बर्बाद कर देगा.

मैं: दीदी इतनी सुंदर है, और तुम एक-दूं काले. वो कैसे तुम्हारे साथ दोस्ती करेगी?

असलम साब: तेरी दीदी को पटना मेरा काम है. तू बस वो कर जो मैं बोलता हू. और तू देखना कैसे तेरी दीदी को खुश रखूँगा.

मैं: अछा, कुछ सोचता हू.

असलम साब: सोचना छ्चोढ़, बस आज शाम को तू दीदी के घर आ, और मुझे डिन्नर पर इन्वाइट कर. बाकी सब उधर प्लान करेंगे.

मैं: ठीक है.

प्लान के मुताबिक मैं शाम को 7 बजे दीदी के घर पहुँच गया. उस दिन दीदी ने ब्लॅक कलर की लेगैंग्स और ब्लॅक शॉर्ट कमीज़ पहनी हुई थी. और दीदी काफ़ी सुंदर लग रही थे.

दीदी को देख कर मैने सोचा, कहा इतनी सुंदर दीदी, और कहा वो काला शैतान. वो तो दीदी को नोच-नोच कर ही बर्बाद कर देगा. फिर मैने दीदी को बताया-

मैं: दीदी, आज डिन्नर पर मेरे ऑफीस के दोस्त असलम साब भी आएँगे.

दीदी: तू पहले बताता, तो मैं कुछ और बना लेती.

मैं: आप उनकी टेन्षन ना ले. वो तो बेचारे घर का खाना खाने को तरस गये है. इसलिए मैने उनको बुला लिया. वो सब कुछ शौंक से खा लेंगे.

दीदी: हा, मैने भी सुना है, की वो अकेले रहते है.

मैं: हा, उनका रंग भी काला है, और आगे भी ज़्यादा है. इसलिए कोई उनसे अची तरह बात नही करता. लेकिन वो दिल के बहुत आचे इंसान है.

दीदी: ह्म्‍म्म्म.

फिर 8 बजे असलम साब आए. मैने उनको दीदी से मिलवाया. फिर 10 मिनिट के बाद दीदी ने खाना लगाया, और सब खाना खाने लगे.

असलम साब खाने की बहुत तारीफ कर रहे थे. वो बीच-बीच में दीदी की भी तारीफ कर देते, जिसको सुन कर दीदी काफ़ी खुश हो जाती.

असलम साब: आज काफ़ी दीनो के बाद इतना अछा खाना खाया है.

दीदी: थॅंक्स! लगता है आप काफ़ी अकेले रहते है?

असलम साब: जी क्या करू? बस शाम में बहुत बोर होता हू.

दीदी: फिर आप ऐसा करे, रोज़ शाम का खाना हमारे साथ खाया करिए.

दीदी की बात सुन कर असलम साब की आँखें चमक गयी, और वो नाटक करते हुए बोले-

असलम साब: रहने दे, आपको मेरी वजह से तकलीफ़ होगी.

दीदी: कोई बात नही, आप आ जया करे.

मैं: जी असलम साब. दीदी सही बोल रही है. आपके आने से दीदी को भी कंपनी मिल जाएगी.

असलम साब: चलिए मैं कल से 8 बजे आ जया करूँगा.

नेक्स्ट दे ऑफीस में मुझसे असलम साब बोले-

असलम साब: तेरी दीदी ने तो मेरी मुश्किल काफ़ी आसान कर दी. अब रोज़ मिलूँगा तो जल्दी पता लूँगा.

मैं: मैने ही दीदी को तुम्हारा अकेलापन बता कर मनवाया है.

असलम साब: तू देख अब कैसे तेरी दीदी को मैं सेट करता हू.

अब रोज़ असलम साब शाम में दीदी के घर डिन्नर के लिए चले जाते, और काफ़ी टाइम दोनो एक साथ स्पेंड करते.

अब दीदी और असलम साब में काफ़ी अची अंडरस्टॅंडिंग हो गयी थी. असलम साब रोज़ दीदी के घर जाते हुए दीदी के बच्चो के लिए कुछ ना कुछ ले जाते थे. इससे दीदी के बच्चे भी असलम साब से काफ़ी घुल-मिल गये थे.

एक दिन शाम को मैं दीदी के घर गया. उस दिन दीदी ने एक वाइट शॉर्ट लेगैंग्स पहनी हुई थी, जिसमे दीदी की आधी टांगे नंगी थी. साथ में दीदी ने एक वाइट शर्ट पहनी हुई थी, जो काफ़ी टाइट थी. और दीदी काफ़ी हॉट लग रही थी. थोड़ी देर के बाद असलम साब भी आ गये, तो मैं उनसे बोला-

मैं: आज आपको एक सर्प्राइज़ दूँगा. बस आप मेरा साथ देना.

असलम साब: ठीक है.

फिर दीदी ने डिन्नर लगा दिया, और सब ने डिन्नर किया. आज भी असलम साब दीदी से काफ़ी हस्स-हस्स कर बातें कर रहे थे.

डिन्नर के बाद दीदी ने अपने दोनो बच्चो को सोने के लिए भेज दिया, और टीवी लौंछ में आ गयी हमारे पास. वो आ कर बोली-

दीदी: आज जाने का प्रोग्राम नही है?

मैं: असलम साब काफ़ी बोर हो जाते है घर जेया कर, और काफ़ी दीनो से इन्होने कुछ पिया भी नही. इसलिए मैने सोचा अपनी पुरानी यादें ताज़ा करू, और इनको भी खुश होने का मौका डू.

दीदी: अछा, आज लगता है तो दारू की बॉटल लाया है.

मैं: सही पहचाना दीदी.

दीदी: असलम साब, जब हमारे घर कोई नही होता था, तब मैं और विकी दोनो मिल कर कुछ पेग लगाते थे.

असलम साब: आप भी पीटी है? मेरा तो मसला ही हाल हो गया. मुझे साथ पीने के लिए कोई पार्ट्नर मिल गया.

फिर मैने दीदी को इशारा क्या तो दीदी उठी, और फ्रिड्ज से दारू की बॉटल निकाल लाई. फिर सब के लिए पेग बनाए. उसके बाद हम दोनो ने दारू पी. दारू पीते-पीते मैने सिगरेट की डिब्बी निकली, और एक-एक सब को दी.

असलम साब: आप सिगरेट भी पीटी है?

दीदी: कभी-कभी, बस वैसे ही,

फिर दीदी ने 2 पेग पिए और चली गयी. मैं और असलम साब भी वापस घर चले गये.

नेक्स्ट दे ऑफीस मैं असलम साब बोले-

असलम साब: तेरी दीदी तो बड़ी तेज़ है. दारू और सिगरेट भी पी लेती है.

मैं: हाहहाहा, दीदी किसकी है? लेकिन दीदी 2 पेग से ज़्यादा पी ले, तो उन को नशा चढ़ जाता है.

असलम साब: ये तूने पाते की बात बताई है. अब देखना मैं कैसे उसको छोड़ूँगा.

अब दीदी और असलम साब की रोज़ की रुटीन बन गयी थी. दोनो पहले डिन्नर करते थे, और उसके बाद दीदी अपने बच्चे सोने के लिए भेज कर असलम साब के साथ 2 पेग लगती और एक सिगेरेत्टे पीटी.

सॅटर्डे नाइट को रोज़ की तरह दोनो ने डिन्नर किया, और उसके बाद दारू पीने लगे. उस दिन असलम साब ने दीदी का पेग तोड़ा सा हार्ड बनाया था. 2 पेग पीने के बाद दीदी को हल्का-हल्का सा नशा चढ़ गया.

फिर असलम साब उठ कर दीदी के पास चले गये, और दीदी के साथ लग कर बैठ गये. साब का जिस्म दीदी से टच हो रहा था. फिर असलम साब ने एक और पेग दीदी को दिया. दीदी भी माना नही कर रही थी, और असलम साब दीदी को पेग पकड़ा रहे थे. इसी चक्कर में साब ने एक पेग दारू दीदी की शर्ट पर गिरा दी.

दीदी गुस्से से बोली: ये आपने क्या कर दिया असलम साब?

असलम हेस्ट हुए बोले: कुछ नही, बस ग़लती हो गयी.

दीदी: अब मैं क्या करू?

असलम साब: उतार दो सब कुछ.

दीदी हेस्ट हुए बोली: बहुत शरारती हो गये हो. तुम सब मर्द यही चाहते हो, की किसी तरह से नंगी कर लो मुझे.

असलम साब: पर तुम होती ही नही.

दीदी: इतनी आसानी से नही होती मैं नंगी.

दीदी की बात सुन कर असलम साब हासणे लगे, और हेस्ट हुए पहले अपनी शर्ट उतरी, और फिर अपनी पंत भी उतार दी. अब असलम साब सिर्फ़ एक कच्चे में थे. उनका मोटा जिस्म बड़ा अजीब लग रहा था. असलम साब के जिस्म पर बहुत सारे बाल थे. दीदी असलम साब को हैरानी से देख रही थी. फिर असलम साब बोले.

असलम साब: देखो कुछ हुआ नंगे होने में? अब तुम भी हो जाओ नंगी.

दीदी शरमाते हुए बोली: आप तो बहुत बेशरम हो, लेकिन मैं इतनी बेशरम नही हू.

असल्ं साब: तुम्हारी शरम ही तो निकालनी है.

दीदी हेस्ट हुए उठी, और बाहर को जाने लगी. लेकिन असलम साब ने दीदी का हाथ पकड़ कर खींच, और अपनी गोद में बिता लिया. असलम साब का मोटा लोड्‍ा दीदी की गांद को टच हो रहा था.

दीदी असलम साब की मोटी टाँगो पर बैठी हुई थी, और हेस्ट-हेस्ट उठने की कोशिश कर रही थी. असलम साब को अंदाज़ा हो गया था, की दीदी रेज़िस्ट नही कर रही थी. वो बस हल्की-हल्की कोशिश कर रही थी. इसी बात को देखते हुए असलम साब ने ज़ोर से दीदी की कमीज़ फाड़ कर उतार दी.

अब दीदी असलम साब की गोद में सिर्फ़ एक ब्लॅक ब्रा और ब्लॅक लेगैंग्स में थी. दीदी को बड़ी शरम आ रही थी, और उन्होने अपने दोनो हाथो से अपने बूब्स को कवर किया हुआ था, जो ब्रा से बाहर आने को तैयार थे.

दीदी ने एक दफ़ा फिरसे असलम साब की गोद से उठने की कोशिश की. लेकिन इस दफ़ा असम साब ने ज़ोर से दीदी की नंगी कमर पर हाथ डाल लिया, और दीदी को उठने नही दिया.

अब असलम साब ने दोबारा से दारू की बॉटल पकड़ी, और दीदी को दारू पिलाने लगे. लेकिन दीदी माना नही कर रही थी. दारू पीते हुए दीदी की गर्दन और ब्रा पर गिर रही थी. दीदी की ब्रा गीली हो चुकी थी. अब असलम साब ने दारू की बॉटल साइड पर रखी, और दीदी को तोड़ा सा हिलाया, जिससे दीदी का असलम साब की तरफ मूह हो गया.

असलम साब ने प्यार से दीदी के दोनो हाथो को हटाया, और दीदी के बूब्स को ब्रा के उपर से ही चूमने लगे. दीदी ने अपनी आँखें बंद कर ली थी. अब असलम साब दीदी के दोनो बूब्स को चूस रहे थे.

दीदी ने अपने दोनो हाथो से असलम साब की गर्दन पाकर ली थी. अब असलम साब अपना हाथ दीदी की नंगी कमर पर फेरने लगे, और अचानक से दीदी की ब्रा का हुक खोल दिया.

ब्रा का हुक खुलने से दीदी ने आँखें खोली, और असलम साब के मूह को देख रही थी.

असलम साब ने दीदी के सर पर हाथ रखा, और दीदी का मूह अपनी तरफ क्या. फिर उन्होने दीदी के गुलाबी होंठो पर अपने काले होंठ रख दिए. अब वो दीदी के होंठ चूसने लगे थे.

दीदी और असलम साब दोनो एक दूसरे को किस कर रहे थे.

दीदी की ब्रा जो हुक खुलने से ढीली हो चुकी थी, अब उतार कर नीचे गिर चुकी थी. असलम साब ने दीदी के होंठो को छ्चोढा, और दीदी के रिघ्त बूब को पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया. इसकी वजह से दीदी के मूह से एक हल्की से चीख निकली आहह.

असलम साब दीदी के रिघ्त बूब को दबा रहे थे, और लेफ्ट बूब को चूस रहे थे. फिर अचानक असलम साब ने दीदी के रिघ्त बूब को चूसना शुरू कर दिया, और लेफ्ट बूब को दबाने लगे. दीदी ने अपनी आँखें बंद की हुई थी, और अपने दोनो हाथो से असलम साब की गार्डेन को पकड़ा हुआ था.

5 मिनिट्स तक बूब्स से खेलने के बाद असलम साब ने दीदी को अपनी गोद से उतरा, और दीदी की लेगैंग्स और पनटी उतार दी, और नीचे लिटा दी.

दीदी की टाइट छूट अब असलम साब के सामने थी.

असलम साब ने अपना हाथ दीदी की छूट पर रखा, और उसको सहलाने लगे. दीदी की आँखें बंद थी, और वो मज़े से अपने होंठो को दबा रही थी. असलम साब ने अपना मूह नीचे किया, और दीदी की छूट पर अपना मूह रख कर उसको चाटने लगे.

दीदी को बड़ा अजीब लग रहा था, लेकिन उनको मज़ा भी खूब आ रहा था. दीदी ने अपनी दोनो टाँगो को खोल कर असलम साब के गिर्द लपेट लिया.

5 मिनिट तक छूट चाटने के बाद असलम साब उठे, और दीदी का हाथ पकड़ कर उनको खड़ा क्या.

अब दीदी सोफे पर बैठ चुकी थी. असलम साब अपना काला लोड्‍ा दीदी के मूह के पास ले कर गये, और चोसने को बोला.

लेकिन दीदी ने माना कर दिया.

वो बोली: नही, मैं नही करती इस तरह के गंदे काम.

असलम साब हासणे लगे, और फिर साइड में से आयिल की बॉटल लेकर आए, और अपने काले लोड पर आयिल लगाने लगे. साब का काला लोड्‍ा आयिल लगने से चमकने लगा था. फिर असलम साब ने दीदी को गोदी बनाया, और खुद उसके पीछे खड़े हो गये. अब दीदी की टाइट गांद असलम साब के सामने थी.

असलम साब ने अपना लोड्‍ा दीदी की छूट पर सेट किया, और हल्का सा धक्का मारा, जिससे असलम साब का चिकना लोड्‍ा दीदी की छूट में चला गया.

दीदी के मूह से एक चीख निकली, क्यूंकी उनकी छूट टाइट थी, और असलम साब का लोड्‍ा काफ़ी मोटा था.

असलम साब ने दीदी को पीछे से पकड़ा, और एक ज़ोर का झटका मारा. इससे असलम साब का पूरा लोड्‍ा दीदी की छूट में चला गया.

दीदी मछली की तरह तदपि और आहह की चीख मारी. लेकिन असलम साब ने उसको ज़ोर से पकड़ा हुआ था, इसलिए वो हिल ना सकी.

अब आहिस्ता-आहिस्ता असलम साब अपना जिस्म आयेज-पीछे करने लगे. लेकिन दीदी को काफ़ी दर्द हो रहा था, और वो मूह से आहह आहह की आवाज़े निकल रही थी.

आहिस्ता-आहिस्ता असलम साब के धक्के तेज़ हो रहे थे, और दीदी की चीखें सिसकियों मसिन बदल रही थे.

अब असलम साब पूरी रफ़्तार से दीदी को छोड़ रहे थे, और जोश में आ कर दीदी की गांद पर थप्पड़ भी मार रहे थे. पुर घर में ठप ठप और आहह आहह की आवाज़े आ रही थी.

25 मिनिट तक छोड़ने के बाद असलम साब ने ज़ोर का झटका मारा, और अपना लोड्‍ा बाहर निकाला, जिसमे से एक धार के साथ पानी निकला, जो सारा का सारा दीदी की गांद पर गिरा.

फिर असलम साब साइड बेड पर लेट गये, और दीदी भी उनके साथ लेट गयी. 5 मिनिट तक ऐसे ही लेटने के बाद असलम साब ने दीदी को अपने सीने से चिपका लिया, और दीदी के गाल चूमने लगे.

तो बे कंटिन्यूड…

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