भाई के शब्दों में बहन की रंगरलियों की कहानी

हेलो दोस्तों, उमीद करता हू आप सब ठीक-ताक होंगे. आपका लंड और आपकी छूट बिल्कुल आग भारी रस्स छ्चोढ़ रही होगी. आज मैं एक और सॅकी कहानी लेकर आया हू. ये कहानी ऐसी है, की आप अपना लंड हिलाए बिना रह नही पाओगे.

तो दोस्तों ये कहानी 2007-2008 की है. उस टाइम मेरी उमर 18 साल थी. और मेरी बेहन की 19, और मेरी मेरी मा की 42 यियर्ज़ थी. मेरी मा एक हाउसवाइफ है. तब हम चंडीगार्ह शिफ्ट नही हुए थे, और हम पुंजब के एक गोन में रहते थे.

मेरी बेहन की स्कूलिंग कंप्लीट हो गयी थी, और अब उसने कॉलेज जाना था, और उसने चंडीगार्ह अड्मिशन लेने का सोचा. मेरी मा ने भी बेहन को सपोर्ट किया, और चंडीगार्ह एक कॉलेज में अड्मिशन करवा दी. फिर उसको हॉस्टिल में लगा दिया.

पहले-पहले तो सब ठीक था, और बेहन कभी-कभार फोन कर दिया करती थी. बुत धीरे-धीरे बेहन का वाहा दिल नही लगता था. हॉस्टिल में आउटिंग वग़ैरा नही होती थी, तो जैसे-तैसे बेहन ने वाहा 1 साल कंप्लीट किया.

फिर नेक्स्ट एअर उसने मा को बोला, की वो एक ही शर्त पर कंटिन्यू करेगी पढ़ाई, अगर उसको एक अलग रेंट पे फ्लॅट लेकर देंगे ताकि वो भी इनडिपेंडेंट हो जाए. मा को इन चीज़ों के बारे में ज़्यादा नही पता था, तो मा ने उसको ले दिया.

मा ने उसको कहा: एक शर्त है, की तू अपने छ्होटे भाई को भी वाहा लेकर रहेगी अपने साथ. उसको भी वही पढ़ा देना किसी स्कूल में अड्मिशन लेकर.

बेहन को ये पसंद नही था, बुत फिर भी बेहन को करना पड़ा. तो हम चंडीगार्ह शिफ्ट हुए. मेरी बेहन का फिगर उस टाइम पूरा चरम सीमा पर था. बड़े-बड़े गोल-गोल बूब्स, और बड़े-बड़े चूतड़.

तो अब हम चंडीगार्ह पहुँचे. पहले के 2-3 महीने तक सब ठीक रहा. मेरा भी वाहा दिल लग गया था. बेहन भी तोड़ा बहुत बाहर रहती थी. अब धीरे-धीरे काई बार बेहन ज़्यादा लाते वापस आती थी.

वो काई बार अपनी किसी फ्रेंड को मेरी देख भाल के लिए छ्चोढ़ कर सारी-सारी रात नही आती थी. वो कू ग्रूप स्टडीस का बहाना लगा देती थी. फिर मा को एक दिन मैने फोन पे बता दिया यू ही की बेहन तो कभी-कभी रात को पढ़ाई की वजह से नही आती.

हमारे पास यहा पर एक बेडरूम किचन हॉल था. फिर मा ने बेहन को दांता, और कहा की वो अकेली बाहर नही जाएगी. तो फिर बेहन ने बाहर जाना बंद किया, और मुझे भी दांता और बोला-

बेहन: यहा हम मज़े लेने आए है, तो मज़े लिया कर. सेयेल क्यू मा का चमचा बन कर बताता है सब?

फिर एक दिन बेहन ने बोला: चल तुझे पिज़्ज़ा खिला के लाती हू.

मैने उसके पहले कभी पिज़्ज़ा नही खाया था. सिर्फ़ टीवी में ही देखा था मैने पिज़्ज़ा, तो उस टाइम मैं खुश हो गया.

मैने बोला: चलो चलते है.

फिर बेहन और मैं नीचे आ गये. नीचे आते ही बेहन ने बोला-

बेहन: मेरा एक फ्रेंड है, उसके साथ जाना है.

तभी दीदी का फ्रेंड आया. उसका नाम हनी था. वो सफ़ारी पे आया था. मेरे लिए ये नया था, की दीदी का फ्रेंड भी था कोई. बुत मुझे तो पिज़्ज़ा से मतलब था तब. मुझे हनी ने हेलो बोला. फिर दीदी ने मुझे कहा-

दीदी: भैया को हेलो बोलो.

फिर हम वाहा से पिज़्ज़ा खाने गये. मैं बहुत खुश था की हनी भैया कितना ख़याल रखते थे मेरा. धीरे-धीरे हम और क्लोज़ होते गये. 2-3 बार और घूमने गये 10 दिन के बीच में ही.

अब उसके बाद हनी भैया कभी-कभार घर आते. और जब मैं स्कूल से आता था, तब भी वो घर पर ही होते थे. मुझे सब नॉर्मल लगता था, क्यूंकी मैं हनी भैया की रेस्पेक्ट करता था. ऐसे ही 2-3 और मंत्स निकल गये.

धीरे-धीरे दीदी के दूसरे फ्रेंड्स भी होने लगे. 2-3 फ्रेंड्स दीदी के और बन गये, और उनका भी घर में आना जाना होने लगा. या वो दीदी को लेके जाने लगे. पर मेरी तो सबसे अची बॉनडिंग हनी भैया के साथ ही थी. उनके पास मैने कभी दीदी के दूसरे फ्रेंड्स की बात नही करी.

इसी बीच मुझे समझ आने लगा, की ब्फ-गफ़ और सेक्स क्या होते है. क्यूंकी मैं स्कूल में अपने दोस्तों को ये सब बताता था, की दीदी अपने फ्रेंड्स के साथ मुझे यहा घूमती है. और मेरे बेस्ट फ्रेंड्स कहते थे, की वो मेरी दीदी के फ्रेंड्स नही यार थे.

पहले तो मुझे गुस्सा आता था. फिर बाद में मैं शांत हो जाता की शायद अगर ऐसा ही हो तो ब्फ कों सा बुरी बात होगी. फिर बाद में मुझे शुवर होने लगा, की वो सब दीदी के दोस्त नही, वो तो आशिक़ थे. और एक दिन मैं और दीदी बेड पे रात लेते हुए थे.

दीदी चाटिंग कर रही थी फोन पे. मैने दीदी से वैसे ही पूछा-

मैं: दीदी आपके सभी फ्रेंड्स में से आपका बाय्फ्रेंड कों सा है?

दीदी एक-दूं से चुप हो गयी.

फिर दीदी गुस्से में बोली: तुझे शरम नही आती दीदी के बारे में इतना ग़लत बोल्लटे हुए?

तब मुझे समझ में आया की ब्फ-गफ़ होना कुछ बुरा होता है. और मैं चुप-छाप लेट गया. फिर दीदी ने 10 मिनिट बाद मुझे दोबारा बुलाया प्यार से, और बोला-

दीदी: देखो ये सब आज-कल नॉर्मल है. तुम बोलो तुम्हे क्या चाहिए? मैं तुम्हे कल लाके दूँगी. बुत जो भी हो, तुम ये चीज़े किसी को नही बताओगे ओक? आज तुमने पूच ही लिया है तो मैं बता डू. जिन 4 लोगों से तुम मिले हो. 4 में से 2 मेरे फ्रेंड्स है, और 2 मेरे बाय्फ्रेंड. और अगर भगवान ने चाहा, तो तुम्हारे फॅवुरेट हनी भैया ही तुम्हारे जीजू बनेंगे. फिर चाहे कल से तुम उन्हे भैया नि जीजू बुला लो.

इसी बीच कभी-कभी मैं घर आता, तो देखता रूम का गाते लॉक होता था, और मैं बाहर लॉबी में वेट करता था. ना अब दीदी मुझको बता के जाती थी, की किसके साथ चली थी. दीदी रूम में बिल्कुल छ्होटे कपड़े पहनती थी. कोई भी आता, तो दीदी उसके साथ रूम में चली जाती थी, और मैं लॉबी में दीदी की वेट करता था.

अब एक शाम की बात है. लॅंडलॉर्ड को इस बात की भनक लग गयी थी, की फ्लॅट में 3-4 लड़को का आना-जाना था. उसको मेरी बेहन के बारे में पता चल गया था शायद. एक दिन मैं किचन में कुछ खा रहा था. लॅंडलॉर्ड ने बेल बजाई, और बेहन ने उसको अंदर बुलाया.

फिर लॅंडलॉर्ड बोला: कल मुझे ये फ्लॅट खाली कर दो मेडम.

बेहन के फ्यूज़ उडद गये और वो बोली: क्यू सिर, क्या प्राब्लम है? रेंट तो आपको प्रॉपर मिल रहा है.

लॅंडलॉर्ड: मेडम जी, बात रेंट की नही है. बात है जो हर रोज़ कोई ना कोई आपका रिश्तेदार आपके साथ प्यार बाँटने आता है.

दीदी शॉक्ड होके बोली: सिर, ई’म सॉरी. पर जो आप सोच रहे है, वैसा नही है. प्लीज़ सिर, ऐसा मत करिए. हम कहा जाएँगे? सिर आप 1000 रेंट ज़्यादा ले लीजिए.

लॅंडलॉर्ड: नही मतलब नही. हमारे फ्लॅट का नाम बदनाम हो रहा है. ऐसे-कैसे हम एंट्री दे अंजान लड़कों को, वो भी हमारे होते हुए?

दीदी: सिर तो आप ही बताओ मैं क्या करू ऐसा, जो आप यहा रहने दोगे?

लॅंडलॉर्ड: वैसे तो मैं नही मानने वाला, चाहे जो मर्ज़ी हो जाए. बुत अगर तुम कहती हो, तो एक सल्यूशन है. उससे तुम्हारा रेंट भी माफ़ हो जाएगा हाफ.

दीदी: जी सिर बोलिए क्या कर सकती हू मैं (नॉटी सी स्माइल भी दी बेहन ने साथ में).

लॅंडलॉर्ड: मेरी बीवी जेया रही है कल माइके. आप आ जाना, कल रात डिन्नर करेंगे.

और सेयेल ने आँख मार दी.

मुझे यकीन नही था की दीदी हा करेगी. पर दीदी ने उनको हा बोल कर उनको रूम से विदाई दी. फिर मैं दीदी के पास गया, और दीदी को बोला-

मैं: दीदी अब क्या होगा?

दीदी ने मुझे कहा: कुछ नही. मैं अपने आप देख लूँगी. तेरी दीदी का कमाल तूने देखा नही है.

दीदी ने उस टाइम बिल्कुल शॉर्ट पंत और क्रॉप टॉप पहना हुआ था. सच में उस दिन क्या लग रही थी वो.

अगला दिन हुआ. सारा दिन दीदी सोई रही. फिर शाम को वो रेडी होने लगी. जब दीदी रेडी होके निकली, मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गयी. दीदी ने वन पीस पहना हुआ था ब्लॅक, और नीचे रेड हील्स. क्या लग रही थी दीदी. आज के ज़माने की रंडी.

दीदी ने बोला: खाना मैने तेरा बना दिया है. मैं ज़रा लाते अवँगी, मेरा लॅंडलॉर्ड के साथ डिन्नर है (और दीदी ने मुझे आँख मार दी).

फिर मैने खाना खाया, और दीदी को इमॅजिन किया, और सोने की कोशिश की. बुत मैं नही सो पाया. दीदी 8:30 गयी थी, और अभी 11 बाज चुके थे. मैने सोचा चलो नीचे चल कर देखता हू, अगर कोई दिख जाए तो.

मुझे स्टेर्स उतरते टाइम एक उपर वाला रोशन-दान दिखा. उसके अंदर से सॉफ दिख रही थी लॅंडलॉर्ड की लॉबी. बुत लॅंडलॉर्ड और दीदी नही थे कही. म्यूज़िक ज़रूर चल रहा था. मैं 10-15 मिनिट वाहा देखता रहा खड़े हो कर, पर मुझे कुछ भी नही दिखा.

फिर एक-दूं से मैने देखा मेरी बेहन एक-दूं नंगी रूम में से निकली, और लॉबी में से फ्रिड्ज में से कोल्ड ड्रिंक लेने आई, और फिर वापस रूम में चली गयी.

दोस्तों क्या लग रही थी वो. अपनी बेहन को पहली बार ऐसा नंगा देख कर मज़ा आ गया था. मैं वही अपने लंड को हिलाया-डुलाया, और मुझे मज़ा आने लगा. क्यूंकी वो पहली बार था की मैं किसी के नाम की मूठ मार रहा था, वो भी अपनी बेहन के नाम की.

तो दोस्तों ये था 1स्ट्रीट पार्ट. आयेज-आयेज देखो मेरी बेहन की रंग-रलिया. आपको बहुत कुछ पता लगेगा. असली चुदाई नेक्स्ट पार्ट्स में.

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