भाई का लंड देख बहन ने की फिंगरिंग

ही फ्रेंड्स, मैं नील फिरसे लौट आया हू इस कहानी का सेकेंड पार्ट ले कर. थॅंक योउ सो मच आप सभी के रीप्लाइस के लिए. तो अभी तक हमने पढ़ा की कैसे राशि दीदी ने दी को अपने और अपने भाई के सीक्रेट रिलेशन्षिप और सेक्स लाइफ के बारे में बताया. जिसको सुन कर दी पहले शॉक हुई. लेकिन फिर बाद में उसने भी अपने भाई के साथ सेक्स करने का मॅन बना लिया. अब आयेज…

तो फिर दी अगले दिन उठती है, और बहुत खुश होती है, और सोचने लगती है, की जब वो अपने भाई को अपना शिकार बना लेगी, तब उसको कितना मज़ा आएगा. और वो भी राशि दी की तरह कभी भी सेक्स कर पाएगी.

फिर दी उठ कर रेडी हो जाती है, और राशि दी के आइडिया के हिसाब से अपने भाई को अपना शिकार बनाने के काम में लग जाती है. उस दिन सनडे था, तो सभी घर पर ही थे. मैं हमेशा की तरह लाते तक सो रहा था. दी मेरे रूम में आई, और मुझे बहुत प्यार से देखने लगी, की बस मैं उठु और उनको प्यार करू. उनके साथ सेक्स करू, और उनकी प्यास बुझा डू.

अब दी को पता था की मैं शरीफ लड़का था, और ज़्यादा सेक्स के बारे में नही जानता था. तो उन्होने सोचा इसको सब बता कर करवाना पड़ेगा. लेकिन फिर ये सोच कर खुश हो गयी, की एक बार बात बन गयी, फिर तो रोज़ के मज़े होंगे.

ये सब सोचते हुए दी मेरे पास आई, और मेरे सर में प्यार से हाथ घुमा कर मुझे उठाने लगी. फिर जब मैं उठा, तब मैने दी को देखा और कहा-

मैं: दी, आप यहा? क्या हुआ? कुछ काम है क्या?

दी: नही. क्या मैं तेरे रूम में ऐसे ही नही आ सकती? क्या मैं मेरे प्यारे भाई को उठाने नही आ सकती?

मैं: आ सकती हो ना, कभी भी आ सकती हो.

फिर मैं बेड से उठा और बैठा हुआ था. तब मैने नोटीस किया और बोला-

मैं: दी आज आपको क्या हुआ? आज सनडे है तो क्या हुआ? आपने ऐसे पुराने और छ्होटे कपड़े क्यूँ पहने है?

दी: ऐसे ही, मॅन हुआ तो पहन लिए. तुझे आचे नही लगे क्या? मैं चेंज करके अओ क्या?

मैं: नही आचे है ये भी. बस छ्होटे है थोड़े. आपकी बॉडी ज़्यादा दिख रही है. ऐसा लग रहा है, जैसे किसी बच्चे के कपड़े पहन लिए हो (और मुझे हस्सी आ गयी).

दी (मॅन में): ये तेरे लिए ही पहने है, और तूने इतनी जल्दी नोटीस भी कर लिया. अभी हस्स रहा है. बाद में मुझसे बोलेगा की ये भी उतार दो.

दी: अछा चल बातें कर ली बहुत. अब तू उठ कर रेडी होज़ा. मैं आज तुझे पढ़ौँगी.

मैं: ठीक है दी. आता हू मैं नहा कर.

फिर मैं नहाने चला जाता हू, और दीदी सोचती है की नील हमेशा टवल में ही बाहर निकलता है. तो उसकी बॉडी देखने का ये अछा चान्स होगा. ये सोच कर वो मेरे रूम में आ जाती है.

फिर मैं नहा कर आता हू. सिर्फ़ टवल होता है हमेशा की तरह. और मैं सीधे रूम में चला जाता हू. मैं रूम में जाते ही टवल उतार देता हू, तो मैं उस दिन भी ऐसा ही करने लगा. मैने टवल खोला, और मैं अलग करने ही वाला था, की तभी दीदी दिखी मुझे, और मैने फिरसे टवल लपेटा.

मैं: दी आप यहा क्या कर रहे हो?

दी को तो होश ही नही था. क्यूंकी उन्होने तो सिर्फ़ बॉडी देखने का सोचा था. लेकिन उसको मेरे लंड की भी झलक दिख गयी. फिर मैं चुटकी बजा कर उनको होश में लाया.

मैं: दी आप यहा पर क्यूँ आई? और कहा खो गयी थी?

दी: वो मैं तो तुझे पढ़ने आई थी. लेकिन तुझे ऐसे देख कर ध्यान खो गया.

मैं: सॉरी दीदी, मुझे पता नही था आप अंदर हो. वो रोज़ रूम खाली ही रहता है, तो मैं ऐसे ही रूम में आ कर टवल निकाल कर कपड़े पहनता हू.

दी: सॉरी, मुझे भी बताना चाहिए था मैं यहा हू.

मैं: नही दी, कोई बात नही. बस तोड़ा अजीब लग रहा है आपके सामने ऐसे आया. तो अब पता नही शरम आ रही है. और उपर से आप घूर भी रही थी.

दी: अछा बच्चू ( दी मस्ती वाली टोने में)!

मैं: हा थोड़ी सी.

दी: कल तो मैं भी ग़लती से वैसे आ गयी थी, और तूने भी मुझे घूरा था. मैने तुझे तो कुछ नही बोला, ना ही शरमाई.

मैं: हा अब ठीक है. अब दोनो ने एक-दूसरे को बिना कपड़ों के देखा है. तो अब नही लग रहा. अछा अब आप जाओ, मैं आपको चेंज करके बुला लूँगा.

फिर मैने चेंज किया, और दी को आवाज़ दी. तब दी नाश्ता लेकर आ गयी

दी: चल ऐसा कर, तू पढ़ाई कर, मैं तुझे खिला देती हू ((मॅन में) मुझे अब नील के पास रहना है बस, और मैं झुक कर खिलाने के बहाने इसे अपनी क्लीवेज भी दिखौँगी. देखती हू ये क्या करेगा).

फिर दी मुझे अपने हाथो से खिलाने लगती है, और साथ में बहुत ज़्यादा भी झुकने लगती है. ताकि वो उनके ढीले टॉप में से मुझे उनकी क्लीवेज आचे से दिखा सके. लेकिन तब मेरा ध्यान उधर नही गया.

दी (मॅन में): मैं यार कब से नील को अपना क्लीवेज दिखाने का ट्राइ कर रही हू. और एक ये है, जो की देख ही नही रहा. लगता है बहुत मेहनत और टाइम लगेगा इसको मानने में.

फिर थोड़ी देर बाद, मम्मी हुमको खाना खाने के लिए बुला लेती है. उसके बाद हम दोनो खाना खाने चले जाते है.

तभी दीदी बोलती है: नील तू जेया, मैं आती हू 10 मिनिट्स में.

फिर दीदी वॉशरूम में जाती है और वो अपनी शॉर्ट्स और पनटी निकाल देती है. फिर सुबा मेरे लंड की जो झलक उन्होने देखी थी, उसको इमॅजिन करके फिंगरिंग करने लगती है. वो सोचती है की मेरा लंड उनकी छूट में जेया रहा था, और मज़े से फिंगरिंग करती रहती है.

फिर 10 मिनिट्स में उनका पानी आ जाता है. उसके बाद वो सब सॉफ करके खाना खाने के लिए नीचे आ जाती है. फिर हम लोग खाना खाते है, और अपने अपने रूम में चले जाते है. तब दी के पास कॉल आता है, वो कॉल राशि दी का होता है.

राशि दी: सुन नेहा, वो कल वाले नोट सेंड कर देना.

दी: ठीक है, मैं करती हू.

राशि दी: और बता क्या सोचा फिर उस बारे में? कुछ डिसाइड किया की अपने भाई का लंड लेगी, या अपनी उंगली से ही काम चलाएगी?

दी: हा कर लिया डिसाइड, मैं अब भाई का लंड लूँगी. उंगली चला-चला कर तक गयी मैं. अब भाई का लंड चलेगा.

राशि दी: ये हुई ना बात.

दी: हा यार तेरी बात सुन कर मेरा भी मॅन हो गया की घर में भाई का लंड लेने में बुराई क्या है. मेरा और उसका दोनो का काम हो जाएगा.

राशि दी: हा वही तो, और बदनामी का भी दर्र नही.

दी: हा, और तुझे पता है मैने इसकी शुरुआत भी कर दी. उसके लिए छ्होटे कपड़े पहने और क्लीवेज दिखाने का भी ट्राइ किया. लेकिन उसने देखा ही नही.

राशि दी: कोई बात नही, तू अपना काम चालू रख. वो जल्दी ही देखेगा भी, और फिर तेरे साथ सेक्स भी करेगा.

दी: हा बस उसी दिन का इंतेज़ार है. वैसे आज मैने उसके लंड की झलक देखी थी.

राशि दी: क्या बात है, ऐसे ही कंटिन्यू करो. और बताना क्या होता है आयेज.

दी: हा ज़रूर.

राशि दी: चल मैं रखती हू. मेरा भाई आ गया है, और घर पर सब बाहर गये हुए है आज. तो फिर आज एक बार चुदाई दिन में करेगे हम.

दी: हा चल, तू ले तेरे भाई के लंड के मज़े. मैं भी नील को सिड्यूस करके उसका लंड लेने की प्लॅनिंग करती हू.

फिर उस दिन सनडे था, तो मैं मेरे फ्रेंड्स के साथ निकल जाता हू. और रात में भी लाते आता हू. तो उस दिन कुछ भी नही होता. लेकिन उस दिन दी ने प्लॅनिंग की की कैसे वो मुझे सिड्यूस करेगी, और कैसे मेरा लंड अपनी छूट में लेगी.

अभी तक के लिए इतना ही. आयेज की कहानी अगले पार्ट में. उसमे पता चलेगा की क्या थी दीदी की प्लॅनिंग और उन्होने लंड लेने के लिए क्या-क्या किया. तब तक आप ये कहानी पढ़े और अपनी फीडबॅक ज़रूर दे.

यह कहानी भी पड़े  रंडी मा की चूत दूसरे मर्दों के लिए

error: Content is protected !!