भाई बहन का प्यार

सबसे पहले मैं आप लोगों को पात्र-परिचय करा दूँ !

संजय : 25 साल, शादीशुदा युवक

मनोहर : संजय के पिताजी

सीता देवी : संजय की माताजी

सुष्मिता : संजय की बुआ

सुरेन्द्र : संजय के फ़ूफ़ा (सुष्मिता बुआ के पति)

सविता : 22 साल, संजय की बहन

निर्मला : 22 साल, संजय की बुआ की लड़की

अशोक : 27 साल का संजय की बुआ का लड़का

सुधा : 26 साल की संजय की भाभी (अशोक की बीवी)

सब लोग मुंबई में ही रहते हैं : संजय का परिवार मीरा रोड पर और बुआ का परिवार रहता है अंधेरी वेस्ट पर !

यह बात छः महीने पहले की है जब संजय के पिताजी मनोहर ने सुरेन्द्र से दो लाख रुपए कुछ महीने पहले उधार लिए थे।

तो एक दिन पिताजी ने संजय को दो लाख रुपए से भरा बैग देकर कहा- ज़ाओ अपनी बुआ के घर जा कर यह दे आओ।

संजय नाश्ता करके बैग लेकर सीधा अपनी बुआ के घर पहुँच गया। समय दोपहर का एक बजा होगा।

आगे की कहानी संजय की जुबानी !

मैंने डोर-बेल बजाई लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। मैंने 3 बार कोशिश की लेकिन किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला। मैंने दरवाज़े को धक्का दिया तो दरवाज़ा खुल गया, मैं जूते निकाल कर दरवाज़े को बंद करके सीधा अंदर गया और बुआ को आवाज़ देने लगा।

फिर मैं सीधा किचन में गया। वहाँ पर भी कोई नहीं था। फिर मैंने बुआ के बेडरूम के पास जा कर देखा कि बेड रूम लॉक है। मैं वहाँ से निर्मला के बेडरूम के पास गया और दरवाज़े को धकेला, दरवाज़ा खुला ही था। मैं अंदर गया और देखा कि निर्मला सिर्फ़ लाल रंग की पैंटी पहने हुए थी और अपने बाल तौलिये से सुखा रही थी।

वाह ! क्या नज़ारा था ! क्या मम्मे-चूची थी- एकदम दूध की तरह सफेद और गोल-गोल और कड़क और उसका फिगर- वाऽऽह ! 32-34 मम्मे, 25 कमर और 34 गाण्ड !

और मेरा लंड पैन्ट में खड़ा होने लगा। मेरे अंदर की वासना जाग गई क्योंकि मैंने एक महीने से चुदाई नहीं की थी क्योंकि मेरी पत्नी की तबीयत खराब चल रही थी और डॉक्टर ने साफ मना किया था।

मैंने सोचा- मस्त माल है क्यों ना मज़ा ले लूं ! मैंने बैग को नीचे रखा और सीधा निर्मला के पीछे गया और चूचियों पर हाथ रख कर गर्दन पर चुम्बन करने लगा।

निर्मला एक दम घबरा गई और मेरा हाथ पकड़ कर चिल्लाई- कौन हो तुम> यह क्या कर रहे हो? निकल ज़ाओ मेरे कमरे से बाहर !!

तो मैंने उसके कान में धीरे से कहा- मैं हूँ तुम्हारा संजू ! ( सब लोग मुझे संजू कहकर बुलाते थे)

संजू !! (उसने मेरी आवाज़ से पहचान लिया था) तुम यह क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- कुछ नहीं !

तुम अंदर कैसे आए?

मैंने कहा- दरवाज़ा खुला था और मैंने जब बुआ और तुमको आवाज़ लगाई तो किसी ने जवाब नहीं दिया तो मैं तुम्हारे कमरे में देखने आया कि तुम हो या नहीं ! और अंदर आकर देखा तो तुम नंगी खड़ी हो।

इतना कहते ही मैंने फिर निर्मला को अपनी बाहों में लिया और चूची पर हाथ रख कर धीरे धीरे मसलने लगा और उसकी तारीफ करने लगा- तुम कितनी सुंदर हो ! ऐसी सुंदर लड़की मैंने आज तक नहीं देखी। गले पर चूमने लगा और लंड को उसकी गाण्ड पर रगड़ने लगा।

निर्मला छटपटाने लगी और बोली- मुझे छोड़ दो भैया !

मैंने कहा- निर्मला, प्लीज़ !

और एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी पैन्टी में डालने लगा और बोला- निर्मला तुम असल में अप्सरा से भी बहुत सुंदर हो ! अगर तुम मेरी पत्नी होती तो मैं तुमसे ही चिपका रहता ! एक पल भी अलग नहीं होता।

इतने में निर्मला ने मुझे धक्का दिया और कहने लगी- नहीं भैया ! यह पाप है आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते ! तुम अपनी बहन के साथ ऐसा नहीं कर सकते !

मैंने कहा- मैं तुम्हारा भाई नहीं हूँ, हम आज से हम दोस्त हैं बॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड की तरह ! और दोस्ती में यह सब ज़ायज़ है।

मैं अपने दोनों हाथों से निर्मला के चेहरे को पकड़ कर चूमने लगा और एक हाथ से बाईं बूब को मसलने लगा। मैंने फिर निर्मला को बेड पर लिटा लिया और निर्मला के उपर आकर चूची को मुँह में लेकर को चूसने लगा और एक हाथ को चूत के ऊपर रख कर मसलने लगा।

दोस्तो, अब निर्मला ने साथ देना शुरू कर दिया और धीरे धीरे बोलने लगी- नहीं भैया ! प्लीज़ मत करिए !

और मैंने खड़े होकर जल्दी से अपने कपड़े उतारे और पूरा नंगा हो गया। फिर मैं निर्मला के ऊपर आया और उसको बाहों में लेकर आंख से आंख मिलाकर कहने लगा- वास्तव में तुम बहुत सुंदर और सेक्सी हो ! आई लव यू ! निर्मला आई लव यू ! निर्मला आज मैं बहुत खुश हूँ कि एक अप्सरा जैसी लड़की के साथ मस्ती कर रहा हूँ !

वो अपनी आँखें बंद करके बोली- भैया आप बहुत गंदे हो ! मैं आपके साथ कभी भी बात नहीं करूंगी !

मैंने कुछ नहीं कहा और एक हाथ से चूची की घुंडी को ज़ोऱ-ज़ोऱ से मसलने लगा और वो छटपटाने लगी और सिसकारी निकालने लगी- ओइए माआआआ ओइए ! माआआआआआ !

मैंने भी उसे चूमना चालू कर दिया और वो भी साथ देने लगी। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली तो वो भी मेरी जीभ को चूसने का प्रयास करने लगी। करीब 5 मिनट के बाद मैंने उस का हाथ लेकर मेरे लंबे और मोटे लंड पर रख कर कहा- लो मेरे लंड से खेलो !

वो शरम के मारे आंख बंद करते हुए हाथ छुड़ाकर बोली- नहीं ! मैं नहीं खेलूंगी, तुम मुझे छोड़ दो !

मैंने कहा- एक बार हाथ में लोगी तो फिर कभी नहीं छोड़ोगी ! और उसको ज़बरदस्ती हाथ में पकड़ा दिया और उसका हाथ पकड़ कर हिलाने लगा। मेरा लंड करीब 9 इंच का है और हाथ लगने से और भी टाइट और लंबा होकर तड़पने लगा। निर्मला उसको देख कर घबरा गई और बोली- यह तो बहुत ही बड़ा है ! मैं नहीं लूंगी अपने हाथ में ! मुझे डऱ लगता है !

मैंने कहा- कैसा डर ? तुम एक जवान लड़की हो ! इस लंड को आज कल की लड़कियाँ अपनी चूत में लेने के लिए तड़पती हैं तुम इतनी बड़ी हो कर भी डरती हो ? कल जब तुम्हारी शादी होगी और तुम्हारा पति तुमको सुहागरात में चोदेगा तो तुम क्या करोगी ? डर के मारे तुम वापस अपने मायके आओगी या फिर पति से चुदवाओगी?

निर्मला बोली- तुम इतनी गन्दी बात क्यों कर रहे हो? मुझे तो बहुत शरम आ रही है, प्लीज़ ऐसी गंदी बात मत कऱो !

मैंने कहा- निर्मला तूने कभी अपनी मम्मी और डैडी की चुदाई देखी है?

दोस्तो, मैं उसकी शरम को हटाना चाहता था और उसको पूरी तरह से उकसा रहा था और मैं उसका हाथ अपने लंड पर रख कर धीरे धीरे से सहलाने लगा था।

तो वो बोली- नहीं !

इसलिए तो तुम को मालूम नहीं है कि चुदाई करते समय किस किस तरह की बातें होती हैं !

उसने मुझसे पूछा- भैया, आप भी भाभी के साथ ऐसे ही बातें करते हो?

मैंने कहा- हाँ !इससे भी ज्यादा गंदी !

तो वो आश्चर्य-चकित होते हुए बोली- आपको शरम नहीं आती?

मैंने कहा- पहले बहुत शरम आती थी, अब नहीं ! क्योंकि हम लोगों आदत पड़ गई है और हमको सिखाने वाली कौन है, तुमको पता है ? नहीं ? अगर बता दिया तो तुम पागल हो जाओगी सुन कर ! और शायद तुम मेरा विश्वास भी नहीं करोगी !

तो वो बोली- कौन है?

मैंने कहा- पहले तुम अन्दाज़ा करो ! बाद में मैं तुम्हें बताऊंगा !

वो बोली- तुमको बताना हो तो बताओ, नहीं तो भाड़ में जाओ !

मैंने कहा- बताता हूँ- और बोल पड़ा- तुम्हारी मम्मी ! मेरा मतलब- बुआ !

तो बोली- मेरी मम्मी ?

मैंने कहा- हाँ ! तेरी मम्मी !

मैं नहीं मानती !

मैंने कहा- मत मानो ! लेकिन मैंने तुम्हें अगर सबूत दिया तो तुम मुझे क्या दोगी?

वो बोली- पहले सबूत, बाद में मैं तुझे क्या दूँगी, तुम को बाद में पता चल जाएगा !

तो मैंने कहा- तुम को एक काम करना पड़ेगा !

क्या, कैसा काम ? मैं कोई काम नहीं करूंगी !

मैंने कहा- ऐसा वैसा कुछ नहीं बस मेरी आइडिया मानो और मैं जो कहूँ, तुम वैसा करो !

दोस्तो मैं बातें करते हुए उसकी चूत में अंगूठाअ और उंगली डाल कर दाने को मसलने लगा था, वो बातें करते हुए तड़प रही थी और मेरे को बोल रही थी कि छोड़ दो भैया प्लीज़ ! आप ऐसा मत करो ! मुझे बहुत दर्द हो रहा है ! आप बहुत खराब हैं !

मैंने उसे कहा- आज रात को जब सब लोग सो जाए तो तुम बिना आवाज़ किए ही मम्मी के कमरे के दरवाजे पर अपना कान लगा कर उनकी बातें सुनना ! तभी तुम को पता चलेगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठा है !

तो बोली- ठीक है ! मैं आज ही पता कर लूंगी !

मैं चूत में उंगली डाल कर चूत के दाने को मसलने लगा और अब वो मेरे काबू में आने लगी और मीठी मीठी सिसकारी लेने लगी। उसकी चूत से पानी भी बहने लगा था। मैंने अब नीचे आकर उसकी चूत को हाथों से खोला और चूत के पास मुँह रख कर चूत को सूंघने लगा।

वाह ! क्या मीठी सुगंध थी ! ऐसी सुगंध तो मोंट ब्लांक के पर्फ्यूम में भी नहीं आती होगी ! मैं तो पूरा मदहोश हो गया और स्वर्गलोक के कमल के फूल की कल्पना करने लगा।

तभी निर्मला बोली- भैया, वहाँ मुँह लगाकर क्या कर रहे हो ?

मैंने कोई ध्यान नहीं दिया और मैं चूत सूंघने में मस्त था। तो निर्मला मेरे बाल खींच कर बोली- भैया, क्या कर रहे हो?

मैंने सिर उठा कर कहा- कुछ नहीं डार्लिंग ! तुम्हारी चूत ने तो मुझे पागल कर दिया है ! यह कह कर मैं उसकी चूची चूसने लगा और उंगली को चूत में डाल कर आगे पीछे करने लगा। तभी वो बोली- भैया, मुझे कुछ हो रहा है ! प्लीज़ आप मुझे छोड़ दो !

मैंने कहा- क्या हो रहा है?

तो बोली- मेरी चूत से कुछ आने वाला है !

मैंने कहा- प्लीज़ रुको ! और मैं मुँह को नीचे ले कर चूत में जीभ डाल कर चूत को चाटने लगा औऱ एक हाथ से उसकी चूची को मसलने लगा और वो पूरी पागलों की तरह होकर बोली- प्लीज़ भैया ! जल्दी कऱो ! नहीं तो मैं मर जाऊँगी !

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मैं जल्दी जल्दी उसकी चूत को चाटने लगा और हाथ से उसकी चूची मसलने लगा। करीब पाँच मिनट में ही वो ज़ोऱ से आऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ कर के झड़ गई और सारा चूतरस (प्रेमरस) मेरे मुँह में छोड़ दिया। मैंने पूरा माल चाट चाट कर साफ किया।

तभी मैंने उससे पूछा- मज़ा आया या नहीं ?

तो शरमाते हुए बोली- भैया प्लीज़ !

मैंने कहा- अब आगे का खेल खेलें या नहीं?

तो बोली- इससे आगे का खेल कौन सा है?

मैंने उसे सीधे ही कहा- अब मैं तुझे चोदूँगा !

तो बोली- कैसे?

मैंने लंड हाथ में लेकर हिलाते हुए उसकी चूत पर हाथ रखकर कहा- मैं इसे तुम्हारी चूत में डाल कर ज़ोऱ से चोदूँगा !

तो बोली- भैया, प्लीज़ आप अभी मुझे छोड़ दो ! आप कल कर लेना ! मैंने कहा- क्यों?

तो बोली- मुझे कहीं जाना है ! और मैं पहले ही लेट हो गई हूँ ! प्लीज़ मुझे जाने दें, मैं आपसे वादा करती हूँ !

तो दोस्तो, मैंने भी कोई जबरदस्ती न करते हुए उसके चूचुक को मुँह में लेकर हल्का सा काट कर कहा- मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ, मैं तेरे साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं करूंगा ! तुम जब तुम्हारी मर्जी हो, मुझे बुला लेना, मैं हाज़िर हो जाऊंगा !

मैंने अपने कपड़े पहने और बाहर आकर हाल में बैठ कर टीवी. चला कर सोफ़ा पर बैठ गया। तभी वो पाँच मिनट के बाद निर्मला बाहर आई, मुझसे बोली- तुम आए क्यों थे?

मैं भी भूल गया था कि मेरे पास कैश का बैग था। मैंने कहा- तुम्हारे कमरे में मेरा कैश का बैग पड़ा है, मैं कैश देने आया था। लेकिन बुआ घर में नहीं थी तो मैंने सोचा कि तुम को दे दूँ। तो बोली- बैग कहाँ है?

मैंने कहा- तुम्हारे कमरे में कुर्सी के पास रखा है, तुम मुझे बैग ला कर दे दो।

निर्मला बैग लेने कमरे में गई। मैं भी पीछे गया और निर्मला को पकड़ कर घुमाया और उसके वक्ष मसलते हुए चूमने लगा। वो भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर घुमाने लगी। करीब़ पाँच मिनट के बाद हम अलग हुए और मैंने बैग निर्मला के हाथ में देकर कहा- यह बैग अपने पापा को दे देना और सेल पर बात करा देना ! और मैंने अपना सेल नम्बर उसे दे दिया।

और मैंने भी उसका सेल नम्बर ले लिया। उसको कहा- यह बात तुम किसी से मत करना और मैं भी किसी से नहीं कहूँगा, क्योंकि इसमें तुम्हारी और मेरे खानदान का इज़्ज़्त का सवाल है।

निर्मला बोली- मैं नहीं कहूँगी !

मैंने कहा- तुम्हारी फ्रेंड्स को भी नहीं बताना !

वो बोली- नहीं बताऊंगी भैया ! आप मुझे इतना भी बेवकूफ़ मत समझो !

मैंने कहा- ठीक है ! तुम मुझे फोन करोगी या मैं तुझे फोन करूँ?

तो बोली- मैं तुझे फोन करूंगी !

मैंने कहा- प्रॉमिस?

तो बोली- प्रॉमिस !

मैंने कहा- बाय !

और मैं घर से निकल गया और सीधा घर आकर सो गया। कब रात के नौ बजे, मुझे पता ही नहीं चला। मम्मी ने मुझे जगाया। मैं खाना खाकर घूमने चला गया, रात को ग्यारह बजे घर आकर सो गया।

अगले दिन मैं फोन का इन्तज़ाऱ करने लगा।

अगले दिन मैं फोन का इन्तज़ाऱ करने लगा। उसने फोन नहीं किया। करीब़ दो बजे तक इंतज़ार करने के बाद मैंने उसके सेल पर फोन किया पर उसने मेरा फोन नहीं उठाया और रिजेक्ट कर दिया। करीब़ 5-6 बार कोशिश की लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया और फोन को स्विच-ऑफ़ कर दिया।

मैंने कपड़े बदले और उसके घर चला गया। घण्टी बजाई तो उसने दरवाज़ा खोला और बोली- तुम इस समय यहा क्यों आए हो?

मैंने जवाब दिया- तुम अपना फोन क्यों नहीं उठा रही हो? ओफ करके रखे हो ! इसलिए मैं सीधा यहाँ आया हूँ !

और मैंने अंदर आकर दरवाज़ा बंद किया और पूछा- मम्मी है?

तो बोली- वो अभी बाहर गई हैं !

मैंने पूछा- कब आएँगी?

तो बोली- आने में देऱी होगी !

फिर मैंने कहा- भाभी तो वो मायके गई हुई है !

मैंने चैन की सांस लेते हुए कहा- भगवान का लाख-लाख शुकर है।

मैंने उसको अपने बाहों में लिया और उस किस किया तो वो मुझसे छुड़ाते हुए बोली- भैया, मुझे छोड़ो ! प्लीज़ भैया !

मैंने कहा- निर्मला, क्यों मुझे इतना परेशान करती हो?

तो बोली- भैया परेशान तो आप कर रहे हैं !

फिर मैं किस करने लगा और एक हाथ चूची के ऊपर रख कर दबाने लगा। वो छटपटाने लगी और बोली- भैया प्लीज़ ! आप हाथ वहाँ से हटाओ !

मैंने कहा- क्या?

तो वो मेरा हाथ जो चूची के ऊपर था, हटाते हुए बोली- भैया दर्द करता है ! प्लीज़ आप हाथ मत रखो !

मैंने कहा- ओके ! और मैं उसका नीचे का होंठ को चूसते हुए दोनों हाथ उसकी पीठ पर फिरा रहा था और धीरे धीरे कमीज़ की ज़िप नीचे करने लगा।

मैं अब एक हाथ पीछे अंदर डाल कर उसकी नंगी पीठ पर फिराने लगा। जैसे ही मैंने उसकी नँगी पीठ को छुआ तो मुझे और उसे यानि दोनों को ऐसा करेंट लगा कि मैं व्यक्त नहीं कर सकता और वो एक दम घबराकर मुझे बोली- भैया, आप क्या कर रहे हैं !

मैंने कोई जवाब नहीं दिया और पीठ पर हाथ फिराता रहा। फ़िर एक ही झटके में उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। अब मैं उसे चूम रहा था और दोनों हाथों को उसकी नंगी पीठ पर फिरा रहा था।

और फ़िर उसको एक ही झटके में बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले जाकर बेड पे लिटा दिया। मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे, सिर्फ चड्डी रह गई तो इतने में वो खड़ी हुई और बाहर जाने लगी। मैंने उसका हाथ झट से पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचा।

मैंने उससे कहा- कहां जा रही हो ?

वो बोली- भैया, आप क्या कर रहे हैं !

मैंने कहा- डार्लिंग मैं तो कुछ भी नहीं कर रहा हूँ, मैं तो कल की तरह तेरी सुंदरता देखना चाहता हूँ ! और तुझे प्यार करना चाहता हूँ !

तो बोली- भैया, प्लीज़, आप मुझे हाथ मत लगाओ !

मैंने उसके पास जाकर कहा- क्यों? तुझे अच्छा नहीं लगता?

वो बोली- नहीं भैया !

मैंने कहा- ठीक है ! मैं तुझे हाथ नहीं लगाऊँगा, तुम प्लीज़ एक बार मुझे अपनी सुंदरता दिखा दो !

वो बोली- प्लीज़, नहीं भैया !

मैंने कहा- कल भी तो मैंने सब देखा था !

तो बोली- मैं एक शर्त पर ही दिखाऊँगी !

मैंने कहा- ओके !

वो बोली- तुम मुझे दूर से ही देखोगे और मुझे हाथ भी नहीं लगाओगे !

मैंने कहा- ठीक है ! पर तुम भाग गई तो ?

निर्मला बोली- मैं नहीं भागूंगी !

मैंने दरवाज़े के पास जाकर कहा- अब तो तुम खुश हो?

वो बोली- ठीक है !

और वो मुझे देखने लगी और अपने कपड़े खोलने लगी, पूरे कपड़े उतारे लेकिन पेंटी नहीं उतारी और मुझे कहा- भैया लो मैंने पूरे कपड़े उतार दिए, अब आप भी कपड़े पहन कर मुझे जाने दीजिए !

मैंने कहा- नहीं ! तुमने पूरे कपड़े नहीं उतारे !

और मैं उसके पास गया, पेंटी पर हाथ लगाया और बोला- यह कौन उतारेगा ?

तो बोली- भैया प्लीज़ ! आपने क़हा था कि मेरे पास नहीं आओगे !

तो मैंने क़हा- मैं तेरे पास अपनी मर्ज़ी से नहीं आया, तुमने पेंटी नहीं उतारी तो मैंने सोचा कि मैं ही उतार देता हूँ !

तो बोली- छोड़ो मुझे और जाने दो !

मैंने कहा- रानी, अभी तो शुरुआत है !

मैंने उसको बाहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया। और एक चूची मुँह लेकर चूसने लगा और एक हाथ से उसकी पेंटी उतारने लगा।

पेंटी को घुटनों तक ले आया और हाथ को उसकी चूत पर रखकर बोला- कितनी प्यारी चूत है ! ऐसी चूत तो मेरी पत्नी क़ी भी नहीं है।

अब मैं उसके मुँह को पकड़ कर चूमने लगा और उसका मुँह खोलकर जीभ अंदर डाल कर घुमाने लगा। एक हाथ उसकी चूत पर ही फिरा रहा था। अब चूत से भी पानी आने लगा था और मेरे हाथ गीले हो गए। मैंने गीला हाथ उसे दिखाते हुए कहा- निर्मला, देखा अब तेरी चूत भी साथ दे रही रही है !

निर्मला बोली- भैया मुझे जाने दो ! मैं यह सब आपके साथ नहीं कर सकती !

मैंने उसको कहा- डार्लिंग, मैं नहीं करूंगा ! और एक हाथ से उसकी चूची पर रख कर मसलने लगा और उसकी चूत में उंगली को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा। करीब पाँच से दस मिनट के बाद वो और गरम हो गई और सिसकारी लेते हुए बोली- भैया, प्लीज़ मुझे छोड़ दो !

मैंने कहा- अभी छोड़ देता हूँ !

और मैंने मुँह को उसकी चूत पर रखा और उसकी चूत चाटने लगा, पेंटी को निकाल कर फेंक दिया।

जैसे ही मैंने उसकी चूत पर मुँह रखा तो उसको करेंट लगा और ज़ोऱ से चिल्लाई- हाय भैया ! आप क्या कर रहे हो ! प्लीज़ ऐसा मत करो ! मुझे कुछ हो रहा है !

और वो सिसकारी लेने लगी उउउउउउउउउउउउईईईईईईईईईईईईईईईईीममम्म्म्म्म्म्म्ममा भ्हहहहहया प्लीज़ मत क्रऊऊओ !

मैंने भी जीभ चूत में डालकर चूत को ज़ोऱ ज़ोऱ से चोदने लगा और दोनों हाथों से उसकी च़ूंची की घुंडी को अंगूठे और उंगली में लेकर ज़ोऱ ज़ोऱ से मसलने लगा।

निर्मला मेरे हाथों को पकड़ कर बोली- प्लीज़, ज़ोऱ से मत करो ! ज़ोऱ से मत करो !

मैंने उसे पूछा- क्या नहीं करूँ ज़ोऱ से?

तो बोली- भैया, प्लीज़ आप मत करो !

मैंने उसे कहा- क्या नहीं करूँ?

और मैं फ़िर ज़ोऱ ज़ोऱ से करने लगा, वो तड़पने लगी और बोली- भैया प्लीज़ !

वो ज़ोऱ से सिसकारी लेते हुए बोली- भैया, प्लीज़ जल्दी करो ! नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी !

मैंने और स्पीड बढ़ा दी और जोर ज़ोऱ से करने लगा और वो लंबी सांस लेते हुए चिल्लाई- भय ईईईईईममम्म्म्म्म्म्म्म्मीईईईईईईए और मेरे मुँह पर झड़ गई।

मैंने उसका पूरा चूत रस पिया और चाट कर साफ किया, थोड़ा सा रस मुँह में रख कर उसके मुँह के पास आया और उसका मुँह खोल कर मैंने उसके मुँह में डाल दिया और बोला- लो डार्लिंग ! तुम भी अपना रस टेस्ट करो और बताओ कैसा है !

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वो मुझे घूरते हुए बोली- भैया, आप कितने गंदे हो और बेशरम हो ! अब मुझे जाने दो !

मैंने कहा- मैंने तेरे लिए इतना किया, तुम मेरे लिए कुछ भी नहीं करोगी?

बोली- अब मैं क्या करूँ?

मैंने अपनी अंडरवीयर उतारी और 8 इंच का लंड उसके मुँह के पास ले जाकर बोला- लो इसे भी चूसो ना !

वो बोली- नहीं भैया ! मैं नहीं करूंगी !

शेष अगले भाग में !
मैं अपना लंड हाथ में पकड़ कर उसके होठों को छुआने लगा और जैसे ही वो कुछ बोलने लगी मैंने झट से उसका मुँह पकड़ कर लंड अंदर डाला और उसको बोला- प्लीज़ एक बार इसको चूसो !

और मैं निर्मला के बाल को पकड़ कर धक्का मारने लगा और मैं भी खुद आगे पीछे होने लगा। मैंने उसकी मुँह चुदाई चालू कर दी। करीब दस मिनट के बाद मैंने सारा लंडरस उसके मुँह में डाल दिया और उसके पास लेट गया।

करीब पाँच मिनट के बाद उसका एक हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रख मैं खुद उसका हाथ पकड़ कर आगे पीछे करने लगा और उसकी चूत को मसलने और उंगली से चोदने लगा।

तो उसने कहा- भैया प्लीज़ मुझे जाने दो।

मैंने कहा- निर्मला, असली काम अब चालू होगा !

तो वो बोली- क्या?

हाँ, मैं तुझे अब चोदूँगा !

उसने कहा- नहीं आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते !

मैंने कहा- निर्मला ऐसा हर लड़की और लड़का चोदते हैं और चुदवाते हैं जैसे कि तुम्हारी मम्मी पापा से चुदवाती है, तुम्हारी भाभी भैया से चुदवाती है, मेरी पत्नी मेरे से चुदवाती है, फिर तुम क्यों मना कर रही हो !

उसका हाथ मेरे लंड पर रखते ही मेरा लंड टाइट होने लगा था और वो भी गरम हो गई इन सब बातों से, और बोली- भैया मैंने पहले कभी भी नहीं किया है !

(दोस्तो, मैं उसकी शरम मिटाना चाहता था और मैंने कल की तरह उस टॉपिक छेड़ दिया)

मैंने उससे पूछा- कल तो तुमने इतना नाटक नहीं किया, आज अचानक इतना नाटक क्यों ?

वो बोली- भैया,म कल जो हुआ वो एक हादसे की तरह था !

मैंने कहा- ठीक है !

मैंने उससे पूछा- कल तुमने अपनी मम्मी-डैडी की चुदाई देखी या नहीं?

तो बोली- भैया, नहीं !

मैंने कहा- क्यों ?

बोली- मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ !

मैंने उसको कहा- मैंने कब कहा कि तुम ऐसी लड़की हो ! मैं तो तुझे बता रहा था कि तुम सिर्फ एक बार देखो और तुमको सीखने को भी मिलेगा ! खैर कल नहीं देखी तो तुम आज देखना और मुझे बताना कि कैसी है ! ठीक है ? और मैंने चूत में उंगली आगे पीछे करना ज़ाऱी रखा और वो मेरे लंड को हिलाने लगी।

मैं अब उसके ऊपर आया और उसकी टाँगों को थोड़ा अलग किया और उसकी गीली चूत पर लंड को और मुँह पर मुँह को रख कर दोनों हाथों को उसकी गांड के नीचे रख कर एक ज़ोऱ का धक्का मारा, उसकी चीख मेरे मुँह में ही रह गई और लंड एक इन्च अंदर चला गया। मैं दोनों हाथों को नीचे से निकाल कर उसकी दोनों चूची के चूचुक मसलने लगा, साथ में चुम्बन भी कर रहा था। लंड अंदर रखा और धीरे धीरे उसको चोदने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने फिर एक ज़ोऱ का झटका मारा और लंड 3 इंच अंदर घुस गया और वो मेरी पीठ पर मारने लगी क्योंकि उसकी चीख मेरे मुँह में ही रह गई और उसकी झिल्ली भी फट गई। वो एक दम कुंवारी थी, खून निकलने लगा और वो तड़पने लगी, मेरे बालों को खींचने लगी। मैंने मुँह को हटाया और बोला- क्या हुआ?

वो बोली- भैया ! मुझे बहुत दर्द हो रहा है !

मैंने कहा- निर्मला, मुझे भैया मत कहो और मेरे नाम से ही पुकारो ! ऐसा दर्द पहली बार करने से होता है, तुम घबराओ मत, मैं हूँ ना !

और मैंने लंड बाहर निकाला और उसके मुँह पर हाथ रखा और एक हाथ से लंड को पकड़ कर उसकी चूत पर रख और ज़ोऱ का झटका मारा, इसके साथ ही मेरा लंड 6 इंच उसकी चूत में चला गया।

मैंने उसके मुँह से हाथ हटाया और चूची मसलने लगा- निर्मला, तेरी चूत तो कमाल की है !

वो बोली- भैया, प्लीज़ आप बाहर निकालो, मुझे बहुत जलन हो रही है और दर्द भी बहुत हो रहा है !

मैंने कहा- क्या निकालूँ रानी ?

भैया, आप इतने गंदे हो, इधर मैं मरी जा ऱही हूँ और आप मज़ाक के मूड में हो !

मैंने कहा- निर्मला, प्लीज़ एक बार कहो कि क्या निकालूँ!

वो बोली- प्लीज़ भैया ! मैं नहीं कहूँगी, आप बाहर निकालो !

मैंने कहा- ठीक है, जब तक तुम नहीं कहोगी, मैं बाहर नहीं निकालूँगा !

और इसके साथ ही उसको धीरे धीरे चोदने लगा और उससे बोला- तुम कितनी अच्छी हो, तुम्हारे बूब्स कितने प्यारे हैं, तुम्हारी चूत का कोई जवाब नहीं !

इतना कहने के बाद मैं उसकी चूची चूसने लगा साथ में धीरे धीरे चोदने लगा। थोड़ी देर के बाद उसको मज़ा आने लगा तो बोली- भैया प्लीज़ आप और अंदर मत डालना ! नहीं तो मैं मर जाऊँगी !

मैंने कहा- क्या अंदर नहीं डालूँ?

और मैंने लंड को बाहर निकाला और एक झटका मारा, मेरा फिर 6 इंच तक अंदर गया। निर्मला सिसकारी लेने लगी- ऊऊऊवीई ईईईईईई ईम्म्म्म्म्म्म् म्म्म्मा आआआआ !मार डाला इस पागल ने ! मैंने कहा था कि अंदर मत डालो ! फिर डाल दिया !

मैंने कहा- क्या डाल दिया?

तो बोली- भैया, मैं सिर्फ एक बार ही कहूँगी !

मैंने कहा- ठीक है, बोलो !

इसके साथ ही मैं उसको धीरे धीरे चोदने लगा और वो भी पूरी गरम हो गई और बोली- भैया, आप भाभी के साथ भी ऐसे ही करते हैं?

मैंने कहा- नहीं !

तो मेरे साथ मे ऐसा क्यों ?

मैंने कहा- मेरी बीवी तो मेरे साथ खुलकर पेश आती है, तुम्हारे जैसे नहीं है, जब मैं चोदने के मूड में नहीं होता हूँ तो मेरे पास आकर बोलती- जी आप मुझे चोदिए ना ! देखो मेरी चूत कितनी तड़प रही है तुम्हारे लंड के लिए !

भैया आप झूठ बोल रहे हैं !

मैंने कहा- तुम एक काम करो, मेरी पत्नी से कभी भी पूछ लेना !

भाभी को शरम नहीं आती?

मैंने कहा- तुमको कल ही बता दिया था- सब तेरी मम्मी ने ही सिखाया है, जब चुदाई करते हैं तो हम लोगों को गंदी भाषा बोलनी चाहिए, इससे प्रेम बढ़ता है और जीवन भर प्यार रहता है आपस में !

अब मैंने लंड को पूरा बाहर निकाला और फिर जोर का झटका मारा तो मेरा पूरा लंड चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया और मैं उसके ऊपर लेट गया।

निर्मला बोली- भैया प्लीज़ बाहर निकालो ! बाहर निकालो !

मैंने कहा- जब तक तुम नहीं कहोगी मैं तुझे ऐसे ही चोदता रहूँगा और रगड़ता रहूंगा !

तो बोली- भैया, मुझे शरम आती है !

मैंने कहा- अपनी आंख बंद करके एक बार कहो- प्लीज़ लंड को बाहर निकालो !

तो बोली- भैया मैं नहीं कह पाऊँगी !

मैंने कहा- एक बार बोल लोगी तो टईक रहेगा, नहीं तो जिंदगी भर नहीं बोल पाओगी ! और कुछ नहीं जल्दी से बोल दो !

तो बोली धीरे से- भैया प्लीज़ लंड को बाहर निकालो !

मैंने कहा- क्या निकालूँ?

तो बोली- लंड को !

मैंने लंड को बाहर निकाला और वापस ज़ोऱ से अंदर डाला और धीरे धीरे से चोदने लगा साथ में चूची को मुँह मे लेकर चूसने लगा।

मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?

तो बोली- प्लीज़ आप मुझे मत पूछो !

मैंने उससे कहा- निर्मला, तुमको आज मैंने एक बहन से पत्नी बना दिया है, तुम्हारी आज प्रमोशन हुई है, तुझे चोदने में बहुत मज़ा आ रहा है, ऐसा मज़ा तो मुझे कभी नहीं आया !

मैं ऐसे ही उसे गरम करके चोद रहा था और वो भी मेरा खुल्लम-खुल्ला साथ देने लगी थी।

दोस्तो मुझे इसको चोदने में इतना मज़ा आया कि आपको नहीं बात सकता ! आप समझ लीजिए कि मुझे जन्नत मिल गई थी !

मैं उसकी चूत से धीरे धीरे लंड बाहर निकालता और अंदर चूत में डाल कर चोद रहा था, बीच बीच में ज़ोऱ से शॉट भी लगाता था और वो हर शॉट के साथ वो सिहर उठती और मुझे बोलती -भैया, मुझे कुछ हो रहा है !

मैंने उसकी चूची को रगड़ते हुए पूछा- क्या हो रहा है रानी ?

तो बोली- मैं नहीं बता सकती !

मैं अब उसे ज़ोऱ ज़ोऱ से चोदने लगा और दोनों हाथों से उसकी चूची को मसलते हुए बोला- ले मेरी रानी, मेरा लंड ले ! और ले ! अभी तेरी चूत को भी मज़ा आ रहा है ! तू मुझे नहीं बताएगी तो तेरी चूत बताएगी !

मेरे हर शॉट का जवाब उसकी ओओओओओओओःःःःःःआआआआईईईईईईई ! जल्दी ! प्लीज़ जल्दी करो! ओओओओओओओओओ आआआआआआआआआआ ! में था।

मैं उसे ऐसे ही चोदने लगा और पूरे कमरे में पच पच और उसकी आवाज़ें गूंज रही थी। मैंने निर्मला को करीब़ 10 मिनट और चोदा !

वो कितनी बार झड़ी, मुझे नहीं मालूम ! जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने पूछा- निर्मला, मैं अब झड़ने वाला हूं, कहाँ निकालूं मेरा प्रेम रस? तेरी चूत में या फिर तेरे मुँह में?

वो बोली- भैया चूत में मत डालना ! आप बाहर ही निकाल लो !

मैंने लंड को चूत से बाहर निकाला और उसके मुँह के पास लेकर उसको बोला- रानी मुँह खोलो !

वो ना करने लगी और अपने मुँह पर हाथ रख लिया। मैंने उसका हाथ हटाया और लंड को मुँह में डालकर मुँह चोदने लगा और कुछ ही देर में मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ी और मैंने उसे प्रेम-रस पिला दिया। जब मेरा लंड सिकुड़ गया तो मैंने बाहर निकाला। निर्मला के मुँह से लंड निकालते ही वो बेड पर निढाल हो गई और मैंने बाथरूम ज़ाकऱ शॉवर लिया और बाहर निकल अपने कपड़े पहनने लगा, साथ में निर्मला को आवाज़ लगाई- निर्मला, उठो !

तो वो उठ नहीं पा रही थी, मैंने उसको सहारा दिया और बाथरूम ले गया और उसको मूतने के लिए बोला। वो बैठ कर मूतने लगी और मुझसे बोली- भैया तुम बाहर बैठो !

मैंने कहा- अब मेरे से शरम कैसी ! अब तो हम पति-पत्नी की तरह हैं !

कैसी लगी मेरी कहानी, अपनी राय मुझे लिखें !



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