भाई और उसके दोस्त से मेरी चूत गांड चुदी

फिर मैंने उसका लंड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया, वो बहुत ज़ोर से मेरा मुँह चोदने लगा।

वो मेरी चूत चाटने लगा और बुरी तरह से मेरी चूत को चूसने लगा, बीच-बीच में वो मेरी गाण्ड भी चाट लेता, मैं एकदम चिहुंक जाती। इसी बीच जब वो मेरी गाण्ड में उंगली डाल देता था.. तो मेरी ‘उईईई..’ निकल जाती थी।

उसने चूस-चूस कर मेरी चूत का रस निकाल दिया। मैं बस उसको गाली बकने लगी- साले अब मुझे चोद दे.. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है।

जब मैं पूरी गर्म हो गई और उसको दिख गया कि अब मुझे चुदाई चाहिए ही है।
तो उसने बोला- आज तेरे लिए एक सरप्राइज है।
मैंने पूछा- क्या?

तो उसने अपने फ्रेंड को आवाज़ दी- विवेक.. आ जा..
उसको देख कर मैं चौंक गई और चादर से अपने आपको ढकने लगी।

राज बोला- यार हिमानी.. ये फ्लैट इसी का है.. और मैं आज तेरे को इसके साथ चोदना चाहता हूँ.. तेरे को बहुत मज़ा आएगा।
मैंने मना कर दिया- मैं नहीं कराने वाली।
तो वो बोला- फिर मैं तेरे को नहीं चोद रहा.. और तू ऐसे ही तड़पती रह।

मैं सोच में पड़ गई।

फिर वो बोला- देख अगर हम चाहें तो तुझे जबरदस्ती भी चोद सकते हैं.. पर हम मज़े लेना चाहते हैं और वो भी तेरी राजी से..
फिर मैंने सोचा अगर बिना चुदे गई तो बेचैन रहूँगी.. इसलिए मैंने ‘हाँ’ कर दिया।

मेरी ‘हाँ’ मिलते ही विवेक मेरे ऊपर टूट पड़ा और मुझे चूसने लगा, वो मेरे मम्मों को दबाने लगा।

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इतने में नीचे से राज ने मेरी टांग उठाई और मेरी चूत में लंड डाल दिया, मेरी एकदम से चीख निकल गई ‘आअह..ह.. हुईई..’
मैंने उससे कहा- साले बता कर तो डालता..
वो बोला- साली कुतिया अभी तो बोल रही थी कि चोद मुझे.. अब चोद रहा हूँ बातें चोद रही है।

उसने इतना कहते हुए अपना पूरा निकाल कर एक बार में ही फिर से पूरा डाल दिया।
मैं फिर एकदम से चीखी।

इतने में विवेक ने मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए.. फिर उसने अपना लंड निकाल कर मेरे मुँह में डाल दिया, मैं उसका हथियार चूसने लगी।

नीचे से मेरी चूत को राज धकापेल चोद रहा था और ऊपर से विवेक मुँह चोद रहा था।
मेरी आवाज़ भी नहीं निकल पा रही थी।

राज थोड़ा चोदने के बाद हट गया और विवेक से बोला- आजा चोद ले।
विवेक ने मेरी टांग कंधे पर रखी और चूत को रगड़ते हुए अपना लंड पेल दिया।
मैं ‘आहहा.. अउहहा..’ करती रही।

राज मुझे चुदते हुए देख रहा था.. फिर वो आया और मुझे लंड चुसवाने लगा। दो मिनट बाद वो मेरे मुँह को पकड़ कर मेरे मुँह में झड़ गया और मुझे मुँह हटाने ही नहीं दिया.. जिस वजह से मुझे उसका पूरा माल पीना पड़ा।

फिर जब विवेक भी झड़ने को हुआ तो उसने भी तेजी से चोदते हुए मेरी चूत में ही अपना माल निकाल दिया।

फिर वो दोनों हटे और मैं बाथरूम गई। मैं थोड़ी फ्रेश होकर आई.. फिर उन्होंने खाना ऑर्डर किया और कुछ देर में हम खाने लगे।

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गांड चुदाई
खाना खाने के बाद राज बोला- हिमानी.. एक और राउंड ले ले.. फिर पता नहीं कब जगह मिले।
मैंने कहा- ठीक है..
फिर वो बोला- इस राउंड में तेरी गाण्ड चुदेगी।
मैंने कहा- अगर मैं मना भी करूं.. तो कौन सा तुम मान जाओगे।

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