मैं हल करने तो लग गया.. मगर मुझे आ नहीं रहा था और आता भी कहाँ से मैंने ठीक से देखा ही कहाँ था।
भाभी को पता चल गया था कि मुझे वो सवाल नहीं आ रहा है और मैं बार-बार उनके पास किसलिए आ रहा हूँ.. इसलिए वो जान-बूझकर मेरी खिंचाई कर रही थीं।
भाभी हँसने लगीं और कहा- अभी सो जाओ.. कल पढ़ लेना।
मैं चुपचाप भाभी के कमरे से वापस आ गया और आकर सो गया। मैं सोचने लगा कि अब तो भाभी मुझे अपने कमरे में कभी नहीं सुलाएंगी और डर भी लग रहा था कि कहीं भाभी ये सब मम्मी-पापा को ना बता दें।
साथियो, भाभी के संग मेरी अन्तर्वासना का दौर चल तो रहा था.. पर मुझे बेहद डर भी लग रहा था।
अगले भाग में कहानी किस मोड़ पर आती है यह जानेंगे.. मेरे साथ बने रहिए और अपने ईमेल जरूर भेजिए।