भाभी नंदोई का रोमॅन्स

हॉट सेक्स स्टोरी अब आयेज-

मैं: आप मुझे कब से याद करने लगे?

डीव्यश: मैं तो आपको अक्सर याद करता रहता हू.

मैं: श, याद करते हो तो इतने सालों में आज आपको टाइम मिला?

डीव्यश: अब भाभी ये समझ लो की आज ही टाइम मिला. आप तो कितना खींच रहे हो.

मैं: अर्रे कुमार मैं तो बस मज़ाक कर रही हू. बताइए कैसे याद किया?

डीव्यश: बाज़ ऐसे ही, आपसे बात करने का मॅन कर रहा था, तो आपको मेसेज किया, और कुछ नही.

मैं: अछा जी. बताओ क्या बात करनी है?

डीव्यश: भाभी मैं आपसे कुछ कहना चाहता हू. लेकिन आपको बताने की हिम्मत नही हो रही है.

मैं: अछा? ऐसी क्या बात है जो बताने के लिए आपको हिम्मत की ज़रूरत पद रही है?

डीव्यश: ऐसा कुछ नही है. बस मैं ये कह रहा था की आप ना पहले से काफ़ी बदल गये हो.

मैं: श. मैं वैसी की वैसी हू आपको मुझे देखने की नज़र बदल गयी है.

डीव्यश का अब कोई मेसेज नही आया. मुझे लगा वो समझ गये होंगे की मैने उनको मेरे बूब्स को देखते हुए पकड़ लिया था, और मैं उस बात से तोड़ा गुस्सा दिखा रही थी. मैने माहौल ऐसा ही बनाए रखा, क्यूंकी अगर मैं सामने से फ्लर्ट करती, तो वो मेरी इज़्ज़त नही करते. और जब मर्द दर्रा हुआ हो तब उसके साथ रिश्ता रखने में और मज़ा आता है.

1-2 दिन बाद मुझे शिवानी का कॉल आया. उसने मुझे और विजय को उनके घर पर डिन्नर के लिए बुलाया था. मैने ये बात विजय को बताई, तब वो खुश हो गया. मैं आपको बता देती हू, की मेरा माइका और शिवानी का ससुराल पास में है. आप यू समझ लो की वॉक करके जाए तो 4-5 मिनिट लगे.

मैं और विजय शिवानी के घर पर जाने के लिए रेडी हो गये थे. मैने उस दिन वाइट लोंग कुरती और जीन्स पहना था. और विजय ने वाइट त-शर्ट और जीन्स. हम दोनो अक्सर मॅचिंग कपड़े पहनते थे, क्यूंकी हुमको अब साथ में आस आ कपल की तरह रहना अछा लगता था. मैं और विजय चल कर उनके घर पर जाने के लिए निकल गये.

मैं: विजय आज तुम डॅशिंग लग रहे हो. शिवानी तुम्हे देख कर कंट्रोल खो देगी.

विजय: क्या दीदी कुछ भी. उनके घर पर सब होंगे नही जो कंट्रोल खो देगी?

मैं: हा पर तुम्हे देख कर तुम्हारी दीवानी तो पक्का बन जाएगी.

मैं ऐसे ही विजय की टाँग खींचने लगी, और इतने में हम उनके घर पहुँच गये. आपको बता देती हू की शिवानी अपने सास-ससुर के साथ रहती है. लेकिन उनके ससुर की आगे बहुत ज़्यादा है तो उनको सीडीयान चढ़ने में परेशानी होती है. तो उनके और उसकी सास दोनो के लिए ग्राउंड फ्लोर पर बेडरूम बना हुआ है. और उनके लिए बाकी सब सुविधा वहाँ प्रवाइड करी हुई है. उन दोनो का खाना-पीना सब नीचे प्रवाइड कर देते है. इन शॉर्ट, वो दोनो ऑल टाइम नीचे ही रहते है.

मैं वहाँ जेया कर पहले उनके सास-ससुर को मिली. उसके बाद मैं और विजय उपर गये. तब शिवानी हम दोनो को देख कर काफ़ी खुश हुई. विजय को देख कर उसका चेहरा खिल गया. मुझे तो ऐसा लगा की वो बस विजय के इंतेज़ार में थी.

उस दिन शिवानी बहुत आचे से तैयार हुई थी. उसने डीप पर्पल कलर की सारी पहनी थी, और उसका ब्लाउस स्लीव्ले, डीप बॅक थी, और बहुत टाइट था. उसने सारी नेवेल के नीचे से पहनी थी, और सेमी ट्रॅन्स्परेंट सारी होने से उसकी नेवेल दिख रही थी. उसमे उसका फिगर बहुत सही लग रहा था. उसके बड़े बूब्स और उभरे हुए, और गांद बहुत सेक्सी लग रही थी. उसकी ब्राउन स्किन पर वो पर्पल टोने बहुत सेडक्टिव लग रहा था.

उसने विजय को पानी देते हुए एक सेक्सी स्माइल दी, और अपना हुस्न दिखाते हुए किचन में चली गयी. विजय उसकी बॅक देख कर पागल सा हो गया.

मैं (धीमी आवाज़ में): ब्रो आज तो शिवानी तुम्हे अपना दीवाना बनाने की पूरी कोशिश कर रही है.

विजय: हा, और उसका जादू मेरे उपर चल गया है. दीदी यार अब मुझसे कंट्रोल नही हो रहा. कुछ करना पड़ेगा.

मैं: ओक ब्रो. तुम टेन्षन ना लो. मैं आप दोनो को प्राइवसी देने का कुछ करूँगी.

उसके बाद शिवानी हमारे सामने आ कर बैठ गयी. वो मुझसे बात कर रही थी, तब उसकी नज़र बार-बार विजय की तरफ जेया रही थी. वो विजय को देख कर थोड़े नखरे कर रही थी, जहाँ तक मैं शिवानी को जानती हू, वो उस दिन काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी और विजय को अपनी तरफ अट्रॅक्ट कर रही थी.

उसकी हरकतों से लग रहा था की उसको विजय बहुत पसंद आ गया था, और मौका मिला तो चुड भी जाएगी. हम बातें कर रहे थे. इतने में डीव्यश भी आ गये. मुझे देख कर उनके चेहरे पर स्माइल आ गयी, और मैने भी उनको बिग स्माइल दी.

डीव्यश: क्या बात है, आख़िर में आपको ननद का घर का रास्ता मिला.

मैं (उनकी और देख कर): अब ज़्यादा हवा-बाज़ी ना करे. आज आपके घर से खाना खा कर जाने वाले है.

डीव्यश: हा ये हुई ना बात. आज लाते नाइट तक बैठ कर बातें करते है.

मैं उनको तिरछी नज़र से देखने लगी. मैने देखा की डीव्यश की बात सुन कर शिवानी खुश हो गयी और वो बोली: हा भाभी बहुत दीनो के बाद मिले है. आज आप यहाँ पर रुक जाओ ना.

मैं (विजय की तरफ देख कर): देखते है.

उसके बाद हम सब ने साथ में लंच किया. उसके बाद हम चारों साथ में बैठ कर बातें करने लगे. रात के 10 बाज गये, तब बच्चे सोने चले गये. बच्चो के जाने के बाद शिवानी मचलने लगी. वो विजय को देख कर कुछ ज़्यादा ही नखरे कर रही थी. वैसे तो डीव्यश भी बातें करते हुए मेरी तरफ नज़र घुमा देते थे. मैने विजय को इशारा किया और वो समझ गया की अब मैं कुछ करने वाली थी.

मैं: चलो यार बाहर जाते है. खुली हवा में मज़ा आएगा.

विजय: दीदी आप जाओ यार, मुझे तो यहाँ घर में अछा लग रहा है.

मैं: जिसको आना है आए, मैं तो च्चत पर जेया रही हू.

विजय जान-बूझ कर शिवानी से बात कंटिन्यू करता रहा, जिससे डीव्यश को कोई शक ना हो. मैं डीव्यश के सामने देखते हुए च्चत पर आ .. . . . . . . . . . .. . . . . . ., . 2-3 चेर्स और . .. . . . . . हुआ था. . . का . . . . थोड़े टाइम डीव्यश को . . . . ..

. (. . .): . . . .?

.: . ., . . . बातें . . . .. मैने . . . . ..

.: . . . . . . . ..

. . . . . .-. . . .. . . . . .-. . . . . . . का . . . . .. . . . एक तरफ . . . . दिखा कर सिड्यूस कर रही थी.

मैं: आपको मेरी एक ही दिन याद आई थी क्या?

डीव्यश: जी मैं समझा नही?

मैं: भोले मत बनो जीजा जी. उस दिन बात करते-करते कहाँ गायब हो गये? काम आ गया था क्या?

डीव्यश (तोड़ा हिचकिचाते हुए): हा ऐसा ही समझो आप.

मैं: आपको ना ठीक से झूठ बोलना नही आता. आप कुछ कहने वाले थी, वो भी नही कहा. क्या बात थी?

डीव्यश: रहने दीजिए ना भाभी, आपको बुरा लगेगा.

मैं: ठीक है आपको नही बताना तो (वो कुछ बोल नही रहे थे, ना मैं कुछ बोल रही थी).

डीव्यश (थोड़े टाइम की चुप्पी तोड़ने के बाद): भाभी मैं ये कहना चाह रहा था, की आप बहुत मस्त दिख रही हो.

मैं (स्माइल के साथ): थॅंक योउ.

वो मेरी तरफ देख रहे थे, और मैं उनकी तरफ देख रही थी.

मैं: बस यहीं बोलना था?

डीव्यश: और भी बहुत कुछ कहना है, पर आपको बुरा लग जाए उसका दर्र लगता है.

मैं (उनके हाथ को पकड़ कर): मैं क्यूँ आपकी बात का बुरा मानु?

मैने फिर उनको सॉरी बोल कर हाथ छ्चोढ़ दिया. मैं जान-बुझ कर इधर-उधर देख रही थी, और मॅन ही मॅन मुस्कुरा रही थी. मैं अपने बालों को सहला रही थी, और मैं आपको बता देती हू की मैने अपना ब्रा स्ट्रॅप विज़िबल कर दिया था. जिससे वो मेरी और अट्रॅक्ट हो रहे थे.

डीव्यश: भाभी आज भी आप बहुत मस्त दिख रही हो.

मैं: आप ना मुझे मस्का लगा रहे हो. मुझे पता है मैं जैसी पहले थी वैसी की वैसी हू. क्या चेंज लग रहा है आपको?

डीव्यश (तोड़ा हिचकिचाते हुए): आपका फिगर अब ज़्यादा मस्त हो गया है.

मैं (शरमाते हुए): क्या आप भी! ऐसा क्या देख लिया अब?

डीव्यश: वो तो आपको भी पता है मैने क्या देख लिया था (वो मेरी ब्रा के स्ट्रॅप को देख रहे थे).

मैं (ब्रा स्ट्रॅप च्छूपा कर, उनकी और नॉटी स्माइल दिया): आप ना अब कुछ ज़्यादा नॉटी हो रहे हो. शिवानी को पता चला तो आपको दाँत पड़ेगी.

डीव्यश: अर्रे आप तो गुस्सा हो गयी.

मैं (उनको थपकी लगा कर, धीमी आवाज़ में): मैं गुस्सा नही हो रही. और आप मेरे से कोई भी बात बिना दर्रे करे.

डीव्यश: उस दिन आप उस रेड शर्ट और जीन्स में बहुत सेक्सी लग रहे थे.

मैं: श. तो आज मैं आपको अची नही लग रही?

डीव्यश (मेरे हाथ पर हाथ रख कर): आज तो आप बेहद खूबसूरत लग रहे हो.

मैं: थॅंक योउ (मैं शर्मा गयी).

डीव्यश: भाभी मुझे आप पहले से बहुत आचे लगते हो. क्या हम दोनो क्लोज़ फ्रेंड्स बन सकते है?

मैं (थोड़ी हिचकिचाते हुए): ये आप कैसी बातें कर रहे हो? किसी को पता चल गया तो हमारे बारे में क्या सोचेंगे?

डीव्यश: किसी को पता नही चलेगा. ये बात हम दोनो के बीच रहेगी.

मैं: ठीक है, मैं आपको सोच कर बतौँगी.

मैं अब उनके सामने देख रही थी, और वो मुझे स्माइल करते तो मैं शर्मा जाती. वो भी मेरी अड़ाओ पे फिदा हो रहे थे. उन्होने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया, और एक-दूसरे की उंगलियाँ लॉक कर दी. मैं उनकी आँखों में प्यार से देखने लगी. वो भी मेरी आँखों में देख रहे थे. फिर उन्होने मेरे हाथ को चूम लिया. मैने तुरंत अपना हाथ खींच लिया, और शर्मा गयी.

मैं: डीव्यश ये आप क्या कर रहे हो?

डीव्यश (रोमॅंटिक होते हुए): मैं आपको बहुत लीके करता हू.

मैं (अपने मूह पर हाथ रख कर): ये आप क्या बोल रहे हो?

डीव्यश (मेरा हाथ पकड़ कर): सच कह रहा हू भाभी. मेरी एक विश है बहुत टाइम से. प्लीज़ माना नही करना.

मैं: क्या?

डीव्यश: मैं आपको हग करना चाहता हू.

मैं: डीव्यश कुमार दोस्ती तक ठीक था. लेकिन ये कुछ ज़्यादा नही हो रहा? मैं आपकी दोस्त बन सकती हू. उससे ज़्यादा मेरे से कुछ नही होगा.

डीव्यश: प्लीज़ भाभी (वो अपना मूह बना कर मुझे रिक्वेस्ट कर रहे थे).

मैं: ठीक है. लेकिन सिर्फ़ हग, और कुछ नही.

अब डीव्यश ने अपनी बाहें खोली, और मैने उसको हग किया, और मैं बोली: अब आप खुश है ना?

डीव्यश: भाभी ये तो नॉर्मल हग हुआ. बेस्ट फ्रेंड्स वाला हग करना है.

मैं: वो कैसा होता है?

डीव्यश ने मुझे अब टाइट हग किया. मेरे बूब्स उनकी चेस्ट से एक-दूं चिपक गये. वो मेरी बॉडी का पूरा फील ले रहे थे. वो मेरे पर्फ्यूम को स्मेल कर रहे थे. फिर वो मेरी बॅक को सहलाने लगे. मैं भी उनको आचे से हग करने लगी. उनकी हिम्मत बढ़ी और उन्होने मेरे गाल पर किस कर दिया. मैं एक-दूं से उनसे दूर हो गयी.

मैं (अपना गाल पोंछते हुए, थोड़े गुस्से में): ये क्या था?

डीव्यश: भाभी क्लोज़ फ्रेंड्स के बीच इतना तो चलता है ना.

मैं (गुस्से में वहाँ से उठ गयी): मुझे ना आपसे अब कोई दोस्ती नही रखनी. मैं आपको उंगली दे रही हू, तो आप तो पूरा हाथ पकड़ रहे हो.

डीव्यश (मेरा हाथ पकड़ कर): प्लीज़ भाभी, आयेज से ऐसा नही होगा.

मैं (उनको आँखें दिखा कर): पहले मेरा हाथ छ्चोढो (उन्होने दर्र के मारे हाथ छ्चोढ़ दिया).

डीव्यश: भाभी प्लीज़, आप बैठ जाइए.

मैं उनसे थोड़ी दूरी बना कर बैठ गयी. मैं उनकी तरफ देख रही थी, और उन्होने दर्र के मारे अपना सर नीचे कर दिया था. मुझे हस्सी आ रही थी, पर मैं अपने आप को कंट्रोल कर रही थी. मैं तोड़ा सीरीयस हो कर बोली-

मैं: डीव्यश कुमार मेरे साथ आज तक ऐसा किसी ने नही किया. संजय (मेरे हज़्बेंड) के अलावा आज तक किसी ने मुझे ऐसे च्छुआ नही है. शादी से पहले मेरा ना कोई चक्कर था. आप एक-दूं से मेरे साथ ऐसा करेंगे मुझे ऐसी उम्मीद नही थी.

(डीव्यश कुछ बोल नही रहे थे, बस मेरी बात सुन रहे थे).

मैं: अगर हम दोनो को कोई ऐसे देख लेता तो कितनी प्राब्लम होती.

डीव्यश: भाभी एक बात पूचु?

मैं: ह्म.

डीव्यश: सच बताना, अभी हम दोनो के बीच जो भी कुछ हुआ, वो आपको अछा नही लगा?

मैं कुछ जवाब नही दे रही थी. मैं अपनी नज़रें नीचे झुका कर बैठी रही.

अब उसके आयेज क्या हुआ मैं आपको नेक्स्ट पार्ट में बतौँगा.

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