भाभी की चुदाई करके दिया लंड का सुख

भाभी सेक्स स्टोरी का अगला पार्ट शुरू करते है-

रोहिणी भाभी के मूह से शिखा का नाम सुन कर मेरी तो गांद फटत गयी यार. और मैं लंड उसकी छूट से निकालने लगा. पर रोहिणी भाभी ने मेरी कमर को पकड़ कर मुझे अपने पास खींचा तो मेरा लंड छूट में अंदर चला गया.

रोहिणी: अर्रे नही, प्लीज़ इसे अंदर ही रहने दो ना. इसको पाने के लिए तो कितने पापद बेले है मैने.

विवेक: भाभी सॉरी यार. वो पता नही कैसे हो गया? हम दोनो ही बहक गये थे भाभी.

रोहिणी: अर्रे-अर्रे दररो मत विवेक. मैं किसी को कुछ नही बताने वाली. मुझे बस तुम्हारा लंड चाहिए था, सो मिल गया मुझे. अब बस तुम मेरी प्यास बुझते रहना. और वैसे भी अब शिखा चली गयी है, तो तुम्हे भी नयी छूट की ज़रूरत थी. तो मैने सिद्धि को उसे किया तुमसे मिलने को. मुझे पता था जो लंड रोज़ छूट लेता हो, उसे छूट की ज़रूरत तो होगी ही. तो क्यूँ ना मेरी ले ले?

रोहिणी भाभी की बात सुन कर मुझे ये तो यकीन हो गया की जब तक इसकी छूट को बजता रहूँगा, तब तक ये किसी से कुछ नही बोलेगी.

विवेक: थॅंक्स भाभी मेरे और शिखा के रिलेशन्षिप को सीक्रेट रखने के लिए. अब आप देखना आप की छूट कभी सूखी नही रहेगी. अपने लंड से हमेशा गीली रखूँगा ये. और अब तो आपको मा बनौँगा अपने बच्चे की. प्रेग्नेंट होने के लिए तैयार हो जाओ आप तो. भाभी आपकी छूट भर दूँगा अब तो. और सच कहा आपने, लंड तरस तो रहा था मेरा छूट के लिए, और आपकी जैसी रसीली छूट लेकर मज़ा आ रहा है भाभी. बस कल मुझे ये छूट एक-दूं चिकनी सॉफ चाहिए.

प्रेग्नेंट होने की बात सुन कर वो शर्मा गयी और स्माइल करते हुए चेहरा च्छूपा लिया. फिर से मैने अपना लंड निकाला छूट से, और रोहिणी भाभी के सीने पर जेया बैठा.

विवेक: भाभी इसको चूसो ना प्लीज़. फिर देखो सारी रात इसका कमाल.

रोहिणी: बिल्कुल-बिल्कुल, मुझे पता है शिखा के ब्लोवजोब का अंदाज़ बहुत पसंद है तुम्हे. जिस दिन मैने तुम दोनो को देखा था, तुम उसके मूह की चुदाई ही कर रहे थे.

विवेक: क्या! आपने हम दोनो देखा था? कब? कैसे? फक बहनचोड़, ये तो कभी सोचा ही नही था मैने. इतना सतर्क हो कर रहता था.

रोहिणी: देखो मैं पसंद तो तुम्हे बहुत पहले से करती हू. तुम्हे कॉलेज जाते देखती थी. वेल ड्रेस्ड, वेल स्पोकन. फिर सिद्धि भी बहुत तारीफ करती है तुम्हारी, तो पता ही नही चला कब तुमसे प्यार करने लगी. पर फिर मैने नोटीस किया अचानक तुम सिद्धि के फ्लॅट पर आने-जाने लगे, और सारा दिन वहीं बिताने लगे. वो भी जब सिद्धि और उसके हज़्बेंड नही होते थे. तब तो मुझे तोड़ा डाउट हुआ.

रोहिणी: एक दिन मैने तुम्हारा पीछा किया, और देखा तुम उसके फ्लॅट के बाहर से फ्लवर पोत के बाहर से चाबी निकाल कर अंदर घुस गये. तो नेक्स्ट दे मैने भी वहाँ से के उठाई और ड्यूप्लिकेट बनवाई और ओरिजिनल वापस वैसे रख दी. फिर तुम्हारे आने का वेट किया.

रोहिणी: तुम हर रोज़ की तरह आए, और डोर ओपन किया. फिर अंदर से के से लॉक कर दिया. मैं 20 मिनिट बाद आई, और धीरे से लॉक खोला. अंदर आई तो अंदर से घु-घु-घु-घु की आवाज़ आ रही थी. मैं दबे पावं आवाज़ की तरफ बढ़ी और देखा की तुम शिखा का बाल पकड़ कर उसके मूह में लंड पेल रहे थे.

रोहिणी: दर्र की वजह से मेरी तो फटत रही थी. पर जब वो सब देखा, तो दिल टूट गया और मैं भाग कर सिद्धि के बेडरूम में गयी, और रोने लगी. फिर तुमने शिखा को जो बोला, वो सब सुना मैने. कैसे उसका ब्लोवजोब देना तुम्हे सबसे ज़्यादा पसंद है.

रोहिणी: फिर तुम्हारे लंड से शिखा की चुदाई सुनी. शिखा की चीखें और तुम दोनो की चुदाई से आती ठप-ठप पट्ट-पट्ट की गूँज सब सुना मैने, और तुम दोनो को सोता देख मैं चुपके से निकल आई. पर तुम्हारा लंड देख कर मैं बहुत खुश हुई थी, की किसी दिन तो ये मैं लेकर ही रहूंगी. और देखो आज मेरी छूट ने पानी छ्चोढ़ दिया तुम्हारे लंड पर.

मुझे तो यार उसकी बातें सुन कर चक्कर आ गये. सोचा की बहनचोड़ चुदाई में इतना घुस जाते थे हम दोनो, की क्या हो रहा था आस-पास उसका कोई ध्यान ही नही देते थे. वो तो ये बेहन की लोदी मेरी दीवानी निकली, वरना तो गांद फाड़ दी जाती उस दिन मेरी तो.

विवेक: तो अब इस मूह को बंद ही रखना पड़ेगा मतलब.

और मैने उसका फेस पकड़ा, और अपना लंड डाल दिया मूह में. उसने भी कस्स कर दबा लिया लंड मूह में. मैं उसके मूह की धीरे-धीरे चुदाई करने लगा. रोहिणी भाभी की आँखों में सॉफ चमक दिख रही थी चुदाई की. उसके फेस से पता चल रहा था की वो मेरे लंड से चुड कर कितनी सॅटिस्फाइड और खुश थी.

उसे देख कर जोश चढ़ने लगा, और लंड फिरसे फॉर्म में आने लगा. मैने लंड निकाला, और उसे सीधा उठा कर बिता दिया. अब उसका सिर बेड से लगा था, तो मैने उसका फेस पकड़ा, और लंड पेलने लगा तेज़-तेज़. वो भी फुल सपोर्ट दे रही थी मूह को टाइट किए हुए.

बहुत मज़ा आ रहा था उसके मूह को छोड़ने में. गरम-गरम गीला-गीला, और अंदर ही अंदर वो जीभ से चाट भी रही थी साली, तो टोपे पे उसकी जीभ का टच भी ग़ज़ब ढा रहा था.

विवेक: अफ भाभी यार, मज़ा आ रहा है मूह छोड़ने में. आअहह उफ़फ्फ़ भाभी, एस छातो मेरा लोड्‍ा, फक. ऐसे तो झाड़ जौंगा, और जल्दी ही पियोगी मेरा माल भाभी. निकालु आपके मूह में?

रोहिणी ने हा में सिर हिलाया, और मेरी कमर पकड़ कर रोक दिया मुझे धक्के लगाने से. फिर खुद चूसने लगी. अब ज़ोर-ज़ोर से उसके मूह से लार तपाक रही थी, जो चूसने से बन गयी. मूह में से सपर सपर सपर की आवाज़े आ रही थी उसके लंड चूसने से.

विवेक: फक भाभी, मज़ा आ रहा है. चूसो लोड्‍ा मेरा. आ आ बहुत अछा चूस रही हो.

रोहिणी: शिखा से भी अछा विवेक?

मैं समझ गया ये जलने लगी थी शिखा से, और कॉंपीट कर रही थी उससे.

विवेक: नही भाभी, शिखा से अछा तो नही. अभी उसकी बात ही कुछ और है. वो पूरा लोड्‍ा खा जाती है मेरा.

रोहिणी भाभी भी फुल लेंग्थ अंदर-बाहर करके चूसने लगी. मेरे लंड की स्किन नीचे तक खिच रही थी, जिससे तोड़ा दर्द होता, पर टोपे पर गरम-गरम जीभ और मूह का गीला-पन्न मज़े दे रहा था.

विवेक: एस भाभी, ऐसे ही चूसो. सीख जाओगी शिखा की तरह चूसना. एस, बहुत मज़ा आ रहा है भाभी.

5 मिनिट की चूसा के बाद मुझे लगा मेरा होने वाला था. तो मैने उसका मूह पकड़ा, और ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगा.

विवेक: ले साली रांड़, छुड़वा अपना मूह आहह. इसे ऐसे ही बंद कर दूँगा, साली किसी के सामने नही खोलना अपना मूह. भाभी मैं झड़ने वाला हू, पियो मेरा माल, बुझाओ अपनी प्यास.

और मैं झटके मार-मार उसके मूह में अपना माल छ्चोढने लगा. वो स्माइल करते हुए गॅट-गॅट पीने लगी. फिर मेरा लंड चाट कर चूस कर आचे से सॉफ किया. फिर मैं वहीं उसकी गोद में बैठ गया, और उसके चेहरे को चाटने लगा.

रोहिणी: कसम से जानवर हो तुम. इतनी देर से कर रहे हो, थके नही क्या?

विवेक: अभी तो बस शुरू किया है भाभी. आयेज-आयेज देख होता है क्या? शिखा मेरी दीवानी ऐसे ही नही है. 4-5 घंटे बजती है उसकी छूट मेरे लोड से, और आप बस एक बारी में ही तक रही हो.

मैने भाभी के मोटे-मोटे बूब्स पकड़े ज़ोर से दबा कर.

विवेक: इनमे दूध निकलता है क्या भाभी?

रोहिणी: अब नही आता है, पर जब अनसूल छ्होटा था, तो निकलता था (अनसूल उनका बेटा है जो उनकी सासू मा ने उनसे चीन लिया उनके हज़्बेंड की डेत के बाद. ये बोल करके की “रोहिणी भाभी ही बाद लक है, जिस दिन से आई है सब ग़लत ही हुआ है”. और आख़िर में भाभी उनके बेटे को ही खा गयी कुलटा कारामजलि और ना जाने क्या-क्या.)

विवेक: ओो, नो यार. अब मेरी भूख कैसे ख़तम होगी, मुझे तो दूड्दू पीना था भाभी.

रोहिणी: यार तुम्हे सच में शरम नही आती क्या ऐसे बोलने मे? मैं तो पानी-पानी हो रही हो हू ये सोच करके, की ये मुझसे छ्होटा लड़का मेरी छूट बजा चुका है. मेरे मूह को छोड़ चुका है, और अब मेरा दूध पीना है इसे.

मैने रोहिणी के बूब्स पकड़े, और उपर की तरफ किए, क्यूंकी झूल रहे थे ढीले-ढीले बूब्स उसके. फिर निपल्स को चटकारे लेकर चूसने लगा ज़ोर से, और रोहिणी भाभी को करेंट लगने लगा बूब्स में. क्यूंकी बहुत साल बाद उन्हे कोई चूस रहा था.

रोहिणी: आहह विवेक चूसो इन्हे. हाए दैया रे, काटो मत प्लीज़. उफफफ्फ़ कितना मज़ा आ रहा है. मैं बता नही सकती यार कितने टाइम बाद कोई मेरे दूध पी रहा है विवेक.

वो मेरे बालों में हाथ घुमा रही थी और मैं उसके बूब्स पी रहा था चूस-चूस कर, और चटकारे ले रहा था. मैं उसके निपल्स को काट रहा था, और पुर-पुर बूब्स पर दाँत गाड़ा रहा था.

विवेक: ये निशान इस बात का सबूत है भाभी की अब से तू मेरी है तेरे पुर शरीर पर अपनी दांतो से मोहर लगा दूँगा मैं.

रोहिणी: हा हा मेरी जान, मैं तुम्हारी हुई आज से. मुझे मज़ा दो बस. हाए, चूत में आग लग गयी है फिर से. विवेक पानी डालो, और बुझाओ इस आग को.

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