भाभी सेक्स स्टोरी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था की मेरे घर वाले मुझे गालियाँ देते थे, लेकिन मेरी भाभी मुझसे सही से बात करती थी. फिर एक दिन किचन में जाके मैं भाभी पर ट्राइ करने लगा, लेकिन तभी मम्मी आ गयी, और मुझे वहाँ से जाना पड़ा. फिर मम्मी भी मेरी बुराई करके चली गयी. अब आयेज-
दोपहर का टाइम था, और रोशनी कपड़े धो रही थी. कपड़े ढोते हुए धूप उसके मादक जिस्म पर पद रही थी. उसको पसीने आ रहे थे, और धूप उसकी दूध से भारी च्चती पर आके उसके मोटे काससे हुए चुचे चमका रही थी. रोशनी ने देखा कपड़े ढोते हुए उसके आधे चुचे ब्लाउस से बाहर आ रहे थे. तभी भाभी ने मेरी आवाज़ सुनी. वो समझ गयी की दिन भर बदमाशी करके मैं घर वापस खाना खाने आ गया था.
वो ये भी जानती थी की मैं उनको ज़रूर देखने अवँगा. भाभी ने देखा मम्मी पापा अपने कमरे में सो रहे होंगे. उन्होने मुस्कुराते हुए अपना ब्लाउस का उपर का बटन खोल दिया, और उनके मोटे काससे हुए चुचे तोड़ा और बाहर निकल गये. फिर तोड़ा सा पानी लेके अपना ब्लाउस गीला कर लिया, और अंजान बन के कपड़े ढोने लगी.
मैं खाना ढूँढते हुए भाभी की तरफ आ गया. भाभी कपड़े धो रही थी, और उनका ब्लाउस और आधे बाहर निकले चुचे देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा. आहह, इतने गोरे चुचे दूध से भरे हुए, बहनचोड़!
मेरा मॅन करा भाभी को यहीं लिटा कर इनका ब्लाउस फाड़ इनका चुचा काट कर पी जौ. मैं कुत्टो की तरह भाभी की गरम च्चती घूर्ने लगा, और मेरा हाथ अपने आप ही लंड पर चला गया. भाभी ने देख लिया, पर शायद अंजान बन रही थी. भाभी कपड़े धो रही थी, और ब्लाउस में उनके चुचे उछाल रहे थे. उम्म, दूध से भरे इतने मोटे चुचे. मेरी हवस बढ़ने लगी. मैं भाभी के सामने आके बैठ गया.
रोशनी: अर्रे देवर जी, आप आ गये?
मैं: हा भाभी, आपका दीवाना आ गया.
रोशनी (मुस्कुराते हुए): क्या देवर जी, तुम तो फिर शुरू हो गये.
मैं: भाभी मैं तो कभी शांत ही नही होता. इतनी सेक्सी भाभी देख कर कोई कैसे शांत होगा?
रोशनी: अछा, भाभी को सेक्सी बोलते है क्या?
मैं: हा, मैं तो अपनी भाभी को सबसे सेक्सी बोलूँगा.
रोशनी शर्मा कर मुस्कुराने लगी.
मैं: भाभी बड़ी प्यास लगी है.
रोशनी: तो पानी पी लो.
मैं: पानी की प्यास नही भाभी, दूध पीना है.
रोशनी एक-दूं शर्मा गयी. वो समझ गयी उसका हरामी देवर उसका ब्लाउस और चुचे घूर रहा था.
रोशनी (शरमाते हुए): दूध तो सुबह पिया था तुमने.
मैं (हवस भारी आवाज़ में): हा भाभी अब और पीना है. एक-दूं गरम गरम दूध.
भाभी की साँस तेज़ होने लगी. उसके चुचे उपर-नीचे होने लगे कपड़े ढोते हुए.
मैं: भाभी दूध पीला दो ना.
रोशनी शर्मा गयी.
रोशनी: रसोई में रखा है देवर जी दूध.
मैं: वो नही भाभी.
रोशनी ने देखा मैं कुत्तों की तरह भाभी के आधे बाहर निकले चुचे घूर रहा था. वो शर्मा कर तोड़ा मुस्कुरा दी.
रोशनी: तो फिर कों सा दूध देवर जी?
मैं: हा, भाभी अपना दूध पीला दो ना.
रोशनी तोड़ा शर्मा कर मुस्कुराइ.
रोशनी: देवर जी, बहुत बिगड़ गये हो तुम. बूलौऊ अभी मम्मी जी को?
मैं: क्या भाभी, बात-बात कर मम्मी की धमकी देते हो. अछा मैं जेया रहा हू.
रोशनी: अर्रे नही, मैं मज़ाक कर रही थी. तुम तो नाराज़ हो गये, रूको.
तभी भाभी खड़ी हुई, और कपड़े सूखने लगी. पेचए से भाभी की एक-दूं चिकनी कमर देख कर मेरा हरामी दिमाग़ और गरम होने लगा. बहनचोड़, अभी भाभी के चुचे देख रहा था और अब ये चिकनी कमर और गांद आअहह.
भाभी बस अंजान बन के कपड़े सूखा रही थी. मेरे से कंट्रोल नही हुआ, और मैं आयेज बढ़ा, और सीधा भाभी को कस्स के पीछे से पकड़ लिया. रोशनी को तोड़ा सा शॉक लगा.
रोशनी: आउच! आह, ये क्या कर रहे हो? रूको!
पहली बार भाभी का जिस्म हाथ में आया था. मैं तो पागल हो गया. मैने कस्स के भाभी का मुलायम पेट नोच लिया.
रोशनी: आ, देवर जी रूको आ.
रोशनी मेरी ताक़त के आयेज शांत होने लगी. उसका मुलायम पेट मैने कस्स के नोच लिया था. पीछे से मेरा मोटा लंड भाभी अपनी गोल गांद में महसूस भी कर चुकी थी. भाभी की साँस तेज़ होने लगी.
मैं: हा भाभी.
रोशनी: ह्म ह्म.
मैं भाभी का मुलायम पेट नोच कर उनका ब्लाउस पकड़ने लगा, की तभी मम्मी ने भाभी को आवाज़ लगा ली, “रोशनी”. भाभी एक-दूं आयेज हो गयी, और मैने भी हाथ हटा लिया. भाभी तोड़ा शर्मा कर मुस्कुराइ, और जल्दी से नीचे चली गयी.
मम्मी: क्या कर रही थी बहू?
रोशनी: कुछ नही मम्मी जी, बसस वो कपड़े धो रही थी.
मम्मी: और वो हरामी कहाँ है, कुछ पता है?
रोशनी (शरमाते हुए): नही मम्मी जी. पता नही. शायद बाहर होंगे, आप बाहर जाके देख लो.
मम्मी: और ये पल्लू ठीक कर, तेरी कमर दिख रही है.
रोशनी: जी मम्मी जी.
भाभी का मुलायम जिस्म मसल कर मज़ा तो आ गया. पर मम्मी ने मज़ा खराब कर दिया. मेरे अंदर की हवस और बढ़ गयी थी. अब बहुत जल्दी मैं भाभी को पटक कर छोड़ने वाला था. दोपहर का खाना लगा तो मम्मी पापा के साथ मैं भी खाने बैठ गया.
भाभी खाना डालने लगी, तो पल्लू में चमकता हुई भाभी की कमर और पेट मैं घूर्ने लगा. भाभी ने देखा तो तोड़ा शर्मा कर मुस्कुराने लगी. मैने भाभी को इशारा करा की पल्लू और साइड करो, पर सामने मम्मी और पापा को देख भाभी को माना करने का मौका मिल गया.
लेकिन भाभी का जिस्म देख कर मुझे हवस चढ़ रही थी. भाभी रसोई में चली गयी, और मैं भी पानी का बहाना मार कर रसोई में चला गया. मुझे देखते ही भाभी एक-दूं शर्मा गयी.
रोशनी: देवर जी आप भी ना, मानोगे नही.
मैं: भाभी पल्लू हटाओ ना एक बार. देख लो भाभी, फिर मैं.
रोशनी जानती थी मैं उसको उपर पकड़ चुका था, तो यहाँ भी पकड़ सकता था.
रोशनी (शरमाते हुए): मम्मी आ जाएँगी.
मैं: पर अब तो मैं आ गया ना भाभी.
भाभी समझ गयी मैं जाने वाला नही था.
रोशनी: बहुत बदमाश हो देवर जी आप.
भाभी ने शरमाते हुए अपना पल्लू साइड कर दिया आअहह. रोशनी का गोरा मुलायम पेट देख कर मैं घूरता रह गया, और भाभी मुस्कुराने लगी.
रोशनी (शरमाते हुए): अब तो मॅन भर गया ना देवर जी. तभी मैने भाभी की कमर पकड़ कर खींच ली, और एक बार फिर उनका मुलायम पेट पकड़ कर मसालने लगा. भाभी इस बार चीखी नही क्यूंकी बाहर मम्मी-पापा बैठे थे. पर दबी आवाज़ में भाभी बोली-
रोशनी: आहह हुहह देवर जी. रूको आअहह, रुक जाओ ना.
मैने भाभी का मुलायम पेट मसलना शुरू करा, तो भाभी की आवाज़ बंद होने लगी. उनका मुलायम पेट और नाभि मैने आचे से मसल कर लाल कर दी थी. इतना मुलायम पेट, भाभी शायद तोड़ा सा बहक गयी थी.
रोशनी: आह आह.
तभी मैने भाभी की नाभि नाख़ून से नोच दी.
रोशनी: आह आउच!
एक-दूं से शोर हुआ और भाभी एक-दूं अलग हो गयी, और अपना गोरा मुलायम पेट देखने लगी. भाभी ने अपना लाल हुआ पेट देखा और शर्मा गयी.
रोशनी (शरमाते हुए): हा, अब बस करो ना देवर जी. आप तो मान ही नही रहे.
तभी मैने भाभी को पकड़ना आयेज बढ़ा, तो वो शरमाती हुई बाहर भाग गयी.
मैं: आअहह कहाँ तक भगोगी? अब तो भाभी तुम मेरी हो.
कुछ दीनो बाद ही मुझे एक मौका मिल गया, जिसमे मैं भाभी को आचे से रग़ाद कर चूस स्कता था, और छोड़ भी सकता था. मैने सोच लिया की अब ये मौका नही जाने दूँगा. भाभी को कमर के दर्द की शिकायत हुई तो भैया ने बोला की मैं शाम को आके डॉक्टर को दिखा दूँगा.
मैं: अर्रे भैया मैं भाभी को हॉस्पिटल जाके दिखा दूँगा.
भाभी तोड़ा सा शर्मा गयी. लेकिन तभी मम्मी बोल पड़ी-
मम्मी: अर्रे इसको मत भेज. ये वहाँ डॉक्टर के साथ बदमाशी करेगा.
रोशनी: नही मम्मी जी, मैं देवर जी को समझा दूँगी. वो कुछ नही करेंगे.
मैं एक-दूं खुश हो गया. आज तो भाभी भी मूड में लग रही थी.
मैं: हा मम्मी, ऐसा कुछ नही है. मैं कुछ नही करने वाला.
तभी भैया बोले: ठीक है, फिर तू अपनी भाभी को लेके चला जाना, और कोई दवाई हो तो साथ में ले लेना.
मैं: ठीक है भैया.
मैने भाभी को आँख मारी तो भाभी ने शर्मा कर मूह झुका लिया. मैं मॅन ही मॅन बोलने लगा की भाभी अब दिखौँगा तुम्हे अपना असली बदमाश वाला रूप. भैया के जाने के बाद मैं भाभी को लेके निकल पड़ा. मैने घर से सारी में भाभी की कमर और मुलायम पेट को घूर्णा चालू कर दिया.
मम्मी: अर्रे बहू सुन, बाहर पल्लू से अपनी ये कमर च्छूपा कर, धक कर राखियो, समझी?
रोशनी: जी मम्मी जी.
मैने भाभी को बस से ले जाने की सोची.
रोशनी: देवर जी बस से तो टाइम लग जाएगा.
मैं: हा भाभी, तभी तो तुम्हारे साथ घूमने का मौका मिलेगा.
आयेज की सेक्स कहानी, अगले पार्ट में.