बेटी के बाप की हवस देखने की हॉट कहानी

इक़बाल हीना के बूब्स की क्लीवेज को देखे जेया रहा था. और सरफ़राज़ इक़बाल की नज़रो को, की वो किस हवस के साथ हीना के बूब्स को देखे जेया रहा था. लेकिन हीना इन सब से अंजान इक़बाल और सरफ़राज़ को खाना परोसे जेया रही थी.

फिर इक़बाल से नज़र हटा दी. जब उसकी नज़र फ़ातिमा पे गयी, तो उसको इशारा करते हुए फ़ातिमा अपने होंठो को अपने बूब्स पे रख कर कामुकता भरा चेहरा बना के, सरफ़राज़ को रात के लिए इन्वाइट कर रही थी.

उससे नज़र चुराते हुए जब सरफ़राज़ की नज़र भी हीना के बूब्स की क्लीवेज पे पड़ी, तो उसकी नज़र फिर वाहा से हटी नही. खाना परोसने के बाद, हीना भी वही बैठ कर खाना खाने लगी. उसके बाद भी दोनो की नज़र उसके बूब्स पे से नही हटी.

हीना: अब्बू, वो रफ़ीक अंकल ने वो बॅंक में पैसे डेपॉज़िट वाली बात याद करवाने को बोला था.

सरफ़राज़: हा हीना, अछा हुआ तूने याद दिला दिया.

इक़बाल: चलो अम्मी-अब्बू चलता हू. लाते हो जौंगा.

इक़बाल का मॅन तो था नही. लेकिन अब करे भी तो क्या? बूब्स की क्लीवेज को आँखों में बसा कर इक़बाल बिके पे बैठ कर निकल गया.

फ़ातिमा: एक बार कमरे में वो आल्मिराह के उपर से कुछ उतरवा देना.

सरफ़राज़ को पूरा यकीन था, की ये फ़ातिमा की चाल थी बस कमरे में बुलाने के लिए. लेकिन उस टाइम सरफ़राज़ के पास कोई रास्ता भी नही था, और हा-हा कह के टेबल से उठ कर दोनो कमरे की तरफ जाने लगे.

हीना: अब्बू, मैं भी चलती हू. वो ज़िया के घर पर कुछ काम है.

फ़ातिमा: अछा ठीक है, आराम से आना.

(फिर हीना भी घर से निकल जाती है )

फ़ातिमा पाजामे के उपर से सरफ़राज़ का लंड पकड़ते हुए-

फ़ातिमा: हाए, इस उमर में भी कितना जोश बाकी है इस लंड में.

सरफ़राज़: तू भी ना. तेरी उमर के साथ हवस भी बढ़ती जेया रही है.

फ़ातिमा: मेरी छूट के दीवाने अभी भी बहुत है. वो तो बहुत लकी हो तुम वरना.

सरफ़राज़: वरना नही तो?

फ़ातिमा: सारी गर्मी बातों से ही निकाल दोगे क्या? कुछ तो नीचे वाले के लिए छ्चोढ़ दो.

सरफ़राज़: ले साली, आज तो तुझे ऐसा छोड़ूँगा की सारी की सारी हवस को शांत कर दूँगा.

ये कह कर सरफ़राज़ ने अपने पाजामे का नाडा खोला, फ़ातिमा को वही नीचे बिता के उसके मूह में लंड डाल कर उसको अपना लंड चुसवाने लग जाता है.

सरफ़राज़ दोनो हाथो से फ़ातिमा का सर पकड़ उसके मूह में ज़ोर-ज़ोर से अपनी कमर के सहारे लंड को अंदर-बाहर करने लग जाता है. कुछ देर बाद, फ़ातिमा मूह में झाग लिए खड़ी होती है, और लंड पकड़ कर पलंग के रिघ्त साइड पे आ कर पलंग के उपर चढ़ कर लेट जाती है. फिर वो अपनी टाँगो को हवा में फैला देती है.

फ़ातिमा: ठीक हमारी फर्स्ट नाइट की तरह छोड़ना है तुझे.

सरफ़राज़: आज तो उससे भी ज़ोरदार तरीके से छोड़ूँगा साली, बस देखती जेया.

फिर वो खड़े लंड पे हल्की थूक लगा कर, माल कर उसकी छूट के बीच में लंड लगते हुए एक लंबा ज़ोरदार धक्का मारता है, की बस झटके के ज़ोर से फ़ातिमा की चीख निकल जाती है.

फ़ातिमा: आहह.

हीना जो ज़िया के मिलने का बोल उसके घर पे गयी थी. ज़िया के घर पर भी कोई नही था. बस एक कमरे में हीना और ज़िया थे. कमरे में टीवी पर मस्त फुल वॉल्यूम में गाना बाज रहा था, और ठीक टीवी के सामने बेड पर ज़िया और हीना पुर नंगे-पुँगे लेते हुए थे.

हीना ज़िया की टाँगो के बीच अपना मूह घुसाए हुए उसकी छूट छाते जेया रही थी.

ज़िया: अहहह अहहह.

ठीक हीना के पीछे गांद में हारे रंग का वाइब्रटर घुसा हुआ था, जिससे हीना ज़िया की छूट में जेया रही थी. दोनो कामुकता के जोश में एक-दूसरे के बूब्स से खेल रहे थे. कभी हीना उपर ज़िया नीचे, तो कभी ज़िया उपर हीना नीचे.

अपने शरीर को दोनो बिल्कुल कैंची की शेप में करके एक दूसरे की छूट से छूट रगडे जेया रहे थे. कुछ देर बाद दोनो की छूट से पानी निकालने से बिस्तर पूरा गीला हो चुका था. वो दोनो एक-दूसरे के बूब्स से खेलते हुए मस्त गाना सुन रहे थे.

हीना: यार ज़िया, ये कब तक चलता रहेगा? ये पानी तो निकल जाता है, लेकिन सॅटिस्फॅक्षन नही मिल पाती है यार.

ज़िया: कह तो तू सही रही है. एक लंड की ज़रूरत तो है यार.

हीना: वो तेरा ब्फ है, उसको ट्राइ करे क्या?

ज़िया: वो साला मेरे साथ ही कुछ नही कर पाता, हम दोनो को साथ में क्या कुछ करेगा?

हीना: यार.

ज़िया: वैसे चल कपड़े पहन. मेरी अम्मी आती होगी. वैसे तू घर कब तक जाएगी?

हीना: अभी नही, अम्मी ने आराम से आने को बोला है पहली बार. तो मस्त मस्ती करके जौंगी पूरी शाम को.

ज़िया: ज़रा देखिॉ, आराम से आने का बोल कर खुद कही कुछ कांड ना कर रही हो.

हीना: साली, घर पर अब्बू है.

ज़िया: मतलब, साली! तेरे अम्मी-अब्बू तेरे भाई-बेहन की तैयारी कर रहे है?

हीना: चल साली कुछ भी बोलती है.

ज़िया: तुझे बरोसा नही. चल फिर तेरे घर जाके देख ही लेते है.

हीना: चल फिर.

दोनो झट से कपड़े पहन कर अक्तिवा चालू करके हीना के घर के लिए निकल पड़ते है. फ़ातिमा पलंग पे घोड़ी बनी पड़ी थी, जिसके पीछे से सरफ़राज़ झटके पे झटके मारे जेया रहा था.

फ़ातिमा: आह आह, क्या मस्त छोड़ते हो तुम. वही जवानी वाली बात याद आ गयी.

सरफ़राज़: आज तो तुझे मैं सारी बातें क्या, तुझे तेरी अम्मी भी याद दिला दूँगा साली.

फ़ातिमा: आ उफफफ्फ़, मेरी छूट बहुत सालों इतनी बार झड़ी है, इतना तो मैं कभी जवानी में भी नही झड़ी.

बाहर खड़ी ज़िया और हीना एक छ्होटी जगह से अम्मी (फ़ातिमा) और अब्बू (सरफ़राज़) की चुदाई का नज़ारा देख के दोनो की गांद ही फटत गयी

ज़िया: साली, तेरा अब्बू देख क्या कर रहा है.

हीना: क्या, क्या हुआ?

ज़िया: बिल्कुल घोड़े की तरह छोड़ रहा है तेरी घोड़ी बनी अम्मी को. यार तेरी अम्मी में इतनी हवस है, आज देख रही हू.

हीना: साली, तू अम्मी तो देख रही है. अब्बू का स्टॅमिना तो देख, किस तरह से छोड़े जेया रहे है.

सरफ़राज़: बोल, मेरी रांड़ कहा झाड़ू? बोल तेरी छूट में झाड़ जौ?

फ़ातिमा: नही-नही, छूट मेनी नही. मैं इस उमर में प्रेग्नेंट नही होना चाहती.

सरफ़राज़ छूट से लंड निकाल कर फ़ातिमा के मूह के सामने ला कर मूठ मारने लगता है.

(कमरे से बाहर खड़ी ज़िया-फ़ातिमा)

ज़िया: ओह बहनचोड़!

हीना: क्या हुआ साली?

ज़िया: तेरे अब्बू का लंड, साली कितना बड़ा है.हीना: हा यार, मुझे भी आज ही पता चला अब्बू इतने सालों से इतने बड़े लंड को कैसे च्छूपा के रखते थे.

ज़िया: साली, जब घर में ही खड़ा हो लंड, तो फिर बाहर क्यूँ करे बाहरमांन.

हीना: हा यार, इतने सालों से बाहर बेकार ही टाइम पास किए जेया रहे थे.

सरफ़राज़: आहह आहह आह हीना आहह.

करते-करते सरफ़राज़ ने सारा का सारा माल फ़ातिमा के मूह पे ही झाड़ दिया. दोनो की चुदाई देखने के बाद दोनो ज़िया और फ़ातिमा घर से बाहर निकल कर रोड पे आ जाते है.

हीना: यार मेरी आँखों के सामने से तो अब्बू का लंड हॅट ही नही रहा है. क्यूँ तुझे क्या लगता है?

ज़िया: तूने एक बात पे ध्यान दिया?

हीना: क्या?

ज़िया: तेरे अब्बू ने झाड़ते हुए तेरा नाम लिया था साली. समझी इसका मतलब?

हीना: मैने तो ध्यान नही दिया यार. वैसे ग़लती सी निकल गया होगा यार.

ज़िया: मरता हुआ आदमी और झाड़ता हुआ लंड कभी ग़लती नही करते है.

हीना: क्या मतलब?

ज़िया: वाहा चुड तो तेरी अम्मी रही थी, लेकिन तेरा अब्बू छोड़ तुझे ही रहा था अपने ख़यालों में.

हीना: पागल, कही हवस में पागला तो नही गयी?

ज़िया: अगर तुझे यकीन नही तो मैं यकीन दिलवा सकती हू.

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