पिछले पार्ट में आपने पढ़ा है कैसे मैने कॉलेज बंक किया और वापस घर आ गया. मैं मा को छोड़ने के लिए बेचैन था. अगर अभी तक नही पढ़ा है, तो वो पार्ट ज़रूर पढ़े. अब आयेज की कहानी पढ़िए.
घर पहुँच कर मैं ज़ोर-ज़ोर से कॉलिंग बेल दबाने लगा. दरवाज़ा खोलने के साथ-साथ मा मेरा कोल्लेर पकड़ कर अंदर खींच ली, और दरवाज़ा बंद कर दिया. मा को देख कर मेरे होश उडद गये थे. उन्होने एक ब्लॅक ट्रॅन्स्परेंट पुल ओवर पहन रखी थी, और अंदर ब्लॅक ब्रा आंड पनटी. उनकी पुल ओवर उनकी थाइस की हाफ लेंग्थ भी कवर नही कर पा रहा था. उनकी चिकनी और मोटी-मोटी थाइस बहुत मस्त लग रही थी.
मा: ऐसे ही देखता रहेगा या फिर कुछ करेगा भी?
मैं: करूँगा ना.
ये बोल कर मैने मा की कमर पकड़ कर खीच कर अपने पास ले आया, और उन्हे किस करने लगा. हम एक-दूसरे के होंठो को चूस रहे थे, और साथ में एक-दूसरे का सलाइवा पी रहे थे. मेरा हाथ मा की कमर पे था. मैं धीरे-धीरे अपना हाथ मा की गांद पे ले गया, और कपड़ों के उपर से ही दबाने लगा.
मा की गांद इतनी नरम है की क्या बतौन. उनकी 40 इंच की गांद मेरे हाथो में पूरी भी नही आ रहा था. मा भी गरम हो कर मेरी पंत का बटन और ज़िप खोल कर मेरा लंड सहला रही थी. कुछ देर बाद हमने किस तोड़ी, और मा मेरे लंड से प्री-कम अपनी उंगली में लगाई, और उस उंगली को चूसने लगी.
फिर वो मेरा लंड पकड़ कर मुझे बेड रूम पर ले जाने लगी. ट्रॅन्स्परेंट पुल ओवर के अंदर उनकी पनटी बहुत ही छ्होटी थी, जिससे बस उनकी गांद की दरार के आस-पास का थोड़ी सा हिस्सा ही ढाका हुआ था, जिसके कारण उनकी गांद 90% अनकवर्ड थी.
मा जान-बुझ कर गांद मटका कर चल रही थी, ताकि मैं और उत्तेजित हो जौ. और मा अपने मिशन में सफल भी हो रही थी. मैं उनकी ऑलमोस्ट नंगी गांद को मटकते हुए देख कर पूरी तरह पागल हो रहा था. बेड के पास जाते ही मैने मा को धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया.
मा की बड़ी तानपुरे जैसी गांद मेरी तरफ थी. मैं अपने घुटनो पर बैठ कर, मा की पुल ओवर उपर उठा कर, उनकी पनटी उतार दिया. कल रात से मुझे इस पाल का बेसब्री से इंतेज़ार था. मैने अपने दोनो हाथो से मा के दोनो चूतड़ स्प्रेड किए. उस पल मैं जो फील कर रहा था, उसे बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नही है. क्या नज़ारा था.
इस पोज़िशन में उनकी छूट की लिप्स और भी मोटे लग रहे थे, और उसके जस्ट उपर उनकी गांद का च्छेद. पहले किस च्छेद का मज़ा लू समझ नही आ रहा था. मैने अपना मूह उनकी गांद के बीच डाल दिया, और उनकी गांद को स्मेल करने लगा, और साथ में उनकी छूट भी चाटने लगा. फिर मैं उनकी गांद के च्छेद को चाटने लगा.
मा: उउउंह! क्या कर रहा है बेटा! कितना गंदा है तू.
मैं: गंदा नही, बहुत हॉर्नी हू मैं.
मा: मेरी गांद इतनी पसंद है तुझे?
मैं: मा आपकी गांद बहुत मज़ेदार है. कितनी बड़ी है. मैने आज तक इतनी बड़ी और खूबसूरत गांद सिर्फ़ पॉर्न में देखी थी.
मा: अब से रियल लाइफ में देखने की आदत डाल ले बेटा.
मैं: अगर मुझे ये गांद रोज़ मिली तो मैं धान्या हो जौंगा.
ये बोल कर मैं मा की दोनो गांद को काटने लगा. मा चीख उठी.
मा: आअहह कमीने, काट-काट कर खा जाएगा क्या?
मैं: मॅन तो बहुत कर रहा है. आपकी गांद में बहुत माँस है मा.
मा: काट क्यूँ रहा है? दर्द होता है!
मैं: मैं इस गांद पर अपनी मोहर छाप रहा हू.
मा: टेन्षन मत ले, आज से मैं अपनी गांद सिर्फ़ तेरे आयेज ही फैल्ौंगी.
ये सुन कर मैने ज़ोर से एक थप्पड़ मारा उनकी गांद पे. तुरंत उनकी गांद पे मेरे हाथ के निशान च्चप गये. मा दर्द से चीखने लगी, और उनकी छूट से बहुत पानी निकालने लगा. मा को बहुत मज़ा आ रहा था. उनकी चीखों से मैं और उत्तेजित हो गया. मुझसे रहा नही गया. मैं खड़ा हो कर मा की छूट में अपना लंड रग़ाद-रग़ाद कर उनकी छूट के रस्स से गीला करने लगा.
फिर उनकी छूट में लंड सेट करके एक ही झटके में आधा लंड अंदर डाल दिया. मा ज़ोर-ज़ोर से आहें भरने लगी. मैं बहुत ज़ोर-ज़ोर से उन्हे छोड़ने लगा. मेरे हर झटके से उनकी गांद के टकराव से छपत-छपत आवाज़ आ रही थी.
मैं उनकी दोनो गांद को बारी-बारी से थप्पड़ मारने लगा. उनकी दोनो गांद पूरी तरह लाल हो गयी थी. मेरे हर थप्पड़ पे मा सुख और दर्द से चीख उठती थी. और हर थप्पड़ से उनकी छूट और टाइट होने लगी.
मैं: आपको मज़ा आ रहा है ना मा?
मा: आहह, और ज़ोर-ज़ोर से मार बेटा, बहुत मज़ा आ रहा है.
मैं: मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है मा.
मैं और ज़ोर-ज़ोर से थप्पड़ मारने लगा. फिर मैं मा के बाल पकड़ कर उन्हे ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगा. मा की मोनिंग की आवाज़ मेरे कानो में काम-संगीत जैसी लग रही थी. हमारे बिल्कुल सामने एक मिरर था. उसमे मुझे मा के एक्सप्रेशन्स दिखने लगे. मैने मा के बालों को खींचा ताकि मुझे मा का चेहरा सॉफ सॉफ दिखाई दे. मा एक-दूं चुड़क्कड़ रंडी लग रही थी, जिसे बस अपनी छूट की खुजली मिटानी थी.
मैं: मा आप बिल्कुल रंडी लग रही हो.
मा: तेरी रंडी ही तो हू मैं.
मैं: हा मा, आप बस मेरी रंडी हो. आपका ये रंडी रूप बस मैं देखूँगा, कोई और नही.
मा: हा मेरा रंडी रूप सिर्फ़ तेरे लिए है बेटा. तेरा जब मॅन करे मुझे रंडी बना के छोड़ना.
मैं: आआहह मेरी रंडी मा.
मा: छोड़ बेटा, और ज़ोर-ज़ोर से छोड़ अपनी रंडी मा को. फाड़ दे मेरी छूट.
मैं: अब से घर के बाहर आप मेरी सती-सावित्री मा हो, लेकिन घर की चार दीवारों के बीच आप मेरी रंडी मा हो.
मा: हा बेटा.
मैं: मैं आपकी छूट पर रंडी मा के टॅटू बनौँगा.
मा: जो मर्ज़ी कर लेना बेटा, इस जिस्म का मलिक है तू.
मैं: काश पापा देखते आपको इस हालत में.
मा: तेरे पापा कभी सपने में भी मुझे इतना सुख नही दे पाएगा. मेरे इस रंडी रूप की तो कल्पना भी नही होगी उनसे.
मैं: मैं रोज़ आपको ऐसे ही रंडी बना कर छोड़ूँगा और जन्नत की सैर करौंगा.
मा: हा बेटा.
मैं: रोज़ रात को आप मेरा बिस्तर गरम करोगी आज से.
मा: हा मैं आज से तेरे बिस्तर का रंडी हू.
मैं: मेरी हर बात मानोगी.
मा: हा बेटा, तू जो बोलेगा वो करूँगी.
मैं: चिल्ला-चिल्ला के बोलो आप मेरी रंडी मा हो.
मा: हा बेटा, मैं तेरी रंडी मा हू.
मैं: मेरा निकालने वाला है मा!
मा: अंदर ही डाल दे बेटा. अपने गरम रस्स से मेरी चूत को ठंडा कर दे.
मैं: हा मा मैं आपकी छूट में झाड़ रहा हू मा!
मा: हा बेटे, भर दे मेरी छूट अपने काम-रस्स से.
मैने अपनी आखरी बूँद तक मा की छूट में डाल दी.
आयेज हमने और क्या-क्या किया, जानने के लिए नेक्स्ट पार्ट का इंतेज़ार कीजिए. और अगर मुझसे बात करनी है तो रोहनरॉय7423@गमाल.कॉम ईद पे ग-छत और एमाइल कर सकते है. आपको स्टोरी कैसी लगी फीडबॅक ज़रूर दीजिएगा.