हेलो दोस्तों, मैं सोनू. जैसा की मैने पिछले पार्ट में आपको बताया था की मेरी गैर मौजूदगी में बड़े पापा मम्मी को छोड़ने में कामयाब हो चुके थे. और बड़े पापा की वजह से मेरा और मम्मी का चुदाई करना भी मुश्किल हो गया था. अब आयेज-
मैं जागा हुआ था, बस आँखें बंद करके लेता हुआ था. कुछ देर बाद बड़े पापा हमारे रूम का दरवाज़ा खटखटाए. मम्मी उठी, और जाके दरवाज़ा खोली (मैं अभी भी आँखें बंद करके लेता हुआ था). बड़े पापा धीमी आवाज़ में बोले-
सुरेश: अर्रे बहू, मैं तेरे को बोला था आज रात मेरे रूम में आना. तू आई क्यूँ नही?
मम्मी: जेठ जी मैं बोली थी ना की मैं शायद ही अवँगी.
सुरेश: शायद-वायद कुछ नही. तू अभी मेरे साथ रूम में चल.
फिर बड़े पापा मम्मी का हाथ पकड़ के मम्मी को अपने रूम ले-जाने लगते है. मैं भी चुप-छाप उठ के जाके देखता हू, तो बड़े पापा मम्मी को अपने रूम में ले-जाके रूम का दरवाज़ा बंद कर देते है. फिर मैं बड़े पापा के रूम की खिड़की के पास जाता हू, तो खिड़की थोड़ी सी खुली रहती है, और अंदर का पूरा नज़ारा सॉफ दिखाई देता है.
मैं वही खिड़की से रूम के अंदर देखने लगता हू. बड़े पापा मम्मी को दीवार पे टीका देते है, और मम्मी को चूमने चाटने लग जाते है.
मम्मी बोली: जेठ जी, मत करो, सोनू उठ गया तो दिक्कत हो जायागी.
सुरेश: अर्रे तेरी जैसी मादक औरत को मैं ऐसे नही छ्चोधुंगा. चाहे आज कुछ भी हो जाए. लेकिन मैं तेरे को छोड़ कर ही रहूँगा.
फिर बड़े पापा मम्मी की नाइटी फाड़ देते है, और अब मम्मी सिर्फ़ चड्डी ब्रा में होती है. बड़े पापा मम्मी की ब्रा और चड्डी को भी खींच के फाड़ देते है. फिर मम्मी को ज़ोर से बिस्तर में पटक देते है. वो खुद भी नंगे हो जाते है, और मम्मी के उपर चढ़ जाते है, और फिर मम्मी के चुचे को मूह में लेकर चूसने लगते है.
मम्मी: उम्म्म आ जेठ जी अया उःम्म्म.
बड़े पापा मम्मी के दोनो चुचो को बारी-बारी चूस रहे होते है. मम्मी को भी मज़ा आने लगता है, और मम्मी बड़े पापा के सर को पकड़ के अपने दूध में दबा लेती है.
मम्मी: आ उम्म, और चूसो जेठ जी. आ मज़ा आ रहा है आहह उम्म्म्म.
कुछ देर चुचे चूसने के बाद बड़े पापा मम्मी के पेट को चूमते हुए छूट तक आते है. फिर मम्मी की छूट में अपना मूह डाल के जीभ से चाटने लगते है.
मम्मी: अयाया अयाया अयाया ऑश अया.
वो भी बड़े पापा का सर को पकड़ के छूट में दबा लेती है, और पूरा मज़ा लेती रहती है.
मम्मी: आ जेठ जी आ, मज़ा आ रहा है आ. और छातो आ, और छातो ऑश.
कुछ देर छूट चाटने के बाद मम्मी बड़े पापा के मूह में ही झाड़ जाती है, और बड़े पापा मम्मी का सारा छूट रस्स पी जाते है.
सुरेश: तेरी छूट रस्स का स्वाद कमाल का है.
मम्मी भी हस्स देती है. फिर मम्मी बड़े पापा को अपनी तरफ खींच कर बिस्तर में लिटा देती है, और बड़े पापा के लंड को हाथ में पकड़ के हिलती है. बड़े पापा का लंड लंबा और अछा मोटा रहता है, और एक-दूं काला रहता है.
मम्मी हेस्ट हुए बड़े पापा के लंड को मूह में लेकर चूसने लग जाती है. वो एक-दूं रंडी की तरह लंड चूस रही होती है.
सुरेश: क्या मस्त लंड चूस्टी है बहू तू. बहुत मज़ा आ रहा है, और चूस रंडी.
मम्मी मज़े से लंड चूस रही होती है, और बड़े पापा मम्मी के बालों को पकड़े रहते है. फिर कुछ देर लंड चूसने का बाद मम्मी उठती है, और बड़े पापा के लंड को अपनी छूट में घुसा के बैठ जाती है, और ज़ोर-ज़ोर से कूदने लगती है.
मम्मी: अया जेठ जी अया, मज़ा आ रहा है आहह, और छोड़ो मेरे को अया अयाया अयाया अया.
सुरेश: साली क्या कमाल की चीज़ है तू.
फिर बड़े पापा मम्मी को अपनी तरफ झुका लेते है, और मम्मी का छूतदों को पकड़ के उपर उठा के नीचे से एक-दूं तेज़ रफ़्तार से छोड़ने लगते है.
मम्मी: आआआः, मज़ा आ रहा है जेठ जी, और ज़ोर से छोड़ो मेरे को आहह.
फिर कुछ देर बाद बड़े पापा मम्मी को बिस्तेर में लिटा देते है, और खुद मम्मी के उपर चढ़ के मम्मी की छूट में अपना लंड घुसा के ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगते है.
मम्मी: आआआः आ अया आ श मज़ा आ गया आ.
सुरेश: तेरे को तो ज़ोरदार मज़ा दूँगा मेरी रानी.
मम्मी: अया जेठ जी अया अयाया अया.
मेरे को भी ये सब देख कर मज़ा आते रहता है, और मैं भी खिड़की से सब देखते हुए मूठ मारते रहता हू.
फिर कुछ देर बाद बड़े पापा मम्मी की छूट में ही झाड़ जाते है, और फिर बड़े पापा मम्मी के उपर ही सुस्त पद के गिर जाते है.
मैं मम्मी का चेहरा देखता हू तो मम्मी तोड़ा उदास दिखाई देती है. ऐसा लग रहा था की मम्मी पूरी तरह शांत नही हो पाई थी.
दोनो की चुदाई देखते हुए मैं भी मूठ मार के झाड़ चुका रहता हू. मम्मी और बड़े पापा दोनो ही तक कर सो जाते है. फिर मैं भी अपने रूम में आके सो जाता हू.
फिर अगले दिन सुबा मैं उठता हू तो मम्मी रूम में नही रहती है. मैं नहा धो कर हॉल में जाता हू. मम्मी वाहा भी नही रहती, और ना ही किचन में. मैं समझ जाता हू की मम्मी बड़े पापा के रूम में उनसे चुड रही होंगी.
फिर मैं बड़े पापा के रूम जाता हू, तो रूम का दरवाज़ा खुला रहता है. मैं चुप-छाप जाके देखता हू तो मम्मी और बड़े पापा रूम में नही होते है. तभी मेरे को बड़े पापा के रूम के बातरूम से कुछ आवाज़ सुनाई देती है, और बातरूम का दरवाज़ा भी खुला रहता है.
मैं धीरे से बातरूम के अंदर झाँक के देखता हू, तो बड़े पापा और मम्मी शवर में नहाते हुए चुदाई करते रहते है. मम्मी अपने दोनो हाथ दीवार में रख के खड़ी रहती है, और पीछे से बड़े पापा मम्मी का चूतड़ पकड़ के ज़ोर-ज़ोर से मम्मी की छूट छोड़ते रहते है.
लेकिन मेरे आने में थोड़ी सी देर हो गयी होती है, क्यूंकी बड़े पापा बस झड़ने ही वाले होते है. फिर कुछ सेकेंड्स में वो झाड़ भी जाते है. उसके बाद मम्मी और बड़े पापा नहा के बाहर आने लगते है. मैं तुरंत अपने रूम में चला जाता हू, और चुप-छाप बैठ जाता हू.
कुछ देर बाद मम्मी नंगी ही रूम में आती है अपने फटते कपड़ों को हाथ में लेकर, और मेरे को देखती है. फिर तुरंत रूम का दरवाज़ा बंद कर देती है, और मेरे सामने अपने नंगे जिस्म को पोंछते हुए बोलती है-
मम्मी: बेटा रात में जेठ जी मेरे को अपने रूम में ले गये और खूब छोड़े है. मैं रात भर उनके रूम में ही थी. फिर अभी सुबा मेरे को अपने साथ नहाने ले गये, और नहाते हुए भी मेरे को छोड़ दिए.
सोनू: हा मम्मी मैं सब जान रहा हू. पर आपको भी तो उनसे चूड़ने में मज़ा आ रहा है.
मम्मी: हा मज़ा आ रहा है, पर मेरी प्यास नही बुझ रही है. मेरी प्यास तेरे से चुड के ही बुझेगी.
सोनू (मैं मज़ाक करते हुए): झूठ बोल रही हो आप. कल रात मैं देखा हू आप खूब मज़े लेकर बड़े पापा से चुड रही थी.
मम्मी: हा बेटा मेरे को मज़ा आ रहा था, क्यूंकी जब औरत की छूट में लंड जाता है तो मज़ा आता है. लेकिन प्यास तो तब बुझती है जब उस औरत को उसका पसंदीदा लंड मिले. और मेरे पसंदीदा लंड तेरी चड्डी के अंदर है. और जेठ जी से चुड के मेरी प्यास नही बुझी है. मेरी प्यास तभी बुझेगी जब मैं तेरे से चुड़ूँगी.
सोनू: हा मम्मी, प्यासा तो मैं भी हू. लेकिन आप सिर्फ़ अपने जेठ जी की प्यास बुझा रही हो. मेरे बारे में तो सोच ही नही रही हो.
मम्मी: ऐसी बात नही है बेटा. मैं तेरे बारे में सोच रही हू. मैं खुद तेरे से चूड़ना चाह रही हू. लेकिन जेठ जी हर समय मेरे उपर नज़र रखे हुए है. मेरे को बस इसी बात का दर्र है, की कही उनको हमारे बारे में पता ना चल जाए.
सोनू: हा मम्मी. लेकिन अभी हम लोगों के पास मौका है. चलो अभी चुप-छाप चुदाई कर लेते है.
मम्मी: चल ठीक है.
फिर मैं मम्मी को चूमते रहता हू, और मम्मी मेरे को चूमते रहती है. तभी बड़े पापा हमारे रूम का दरवाज़ा खटखटा देते है. मैं और मम्मी तुरंत अलग होते है, और मम्मी को मैं बातरूम में भेज देता हू. फिर मैं रूम का दरवाज़ा खोलता हू, तो बड़े पापा खड़े रहते है, और बोलते है-
सुरेश: अर्रे बेटा सोनू, तेरी मम्मी कहा है?
सोनू: मम्मी बातरूम में नहा रही है. क्या हुआ, कुछ काम है आपको?
सुरेश: हा बेटा भूख लग रही है. वो तेरी मम्मी तोड़ा नाश्ता बना देती.
सोनू: हा मम्मी बस आके नाश्ता ही बनाएगी. तब तक आप अपने रूम में बैठो.
लेकिन बड़े पापा हॉल में बैठ जाते है. फिर मम्मी भी बातरूम से निकलती है, और कपड़े पहनने लगती है. मैं बोला-
सोनू: मम्मी ये भोंसड़ी वाला हम दोनो को चुदाई करने ही नही देगा.
मम्मी: हा बेटा, इसकी वजह से हम दोनो को एक-दूसरे के लिए टाइम ही नही मिल रहा है.
सोनू: हा.
मम्मी: चल मैं नाश्ता बनाने जेया रही हू.
सोनू: हा ठीक है.
फिर मम्मी किचन में नाश्ता बनाने चली जाती है, और मैं हॉल में आके बड़े पापा के साथ बैठ जाता हू. कुछ देर में हम लोग नाश्ता कर लेते है. मैं हॉल में ही अपना लॅपटॉप लेकर अपना बिज़्नेस का काम करते बैठ जाता हू, और मम्मी डिन्निंग टेबल एप्र सब्ज़ी काट-ती रहती है. बड़े पापा टीवी देखते रहते है.
मैं ये सोचते रहता हू आज खाना-वाना खाने के बाद दोपहर में मम्मी को छोड़ूँगा.
अगले पार्ट में बतौँगा मैं मम्मी को छोड़ पाता हू या नही. कहानी पढ़ कर अपना फीडबॅक ज़रूर दे.