कहानी जिसमे बेटे ने मा की हलवाई से चुदाई देखी

मेरा नाम अभी है, और ये कहानी मेरे दोस्त की है. उसकी आगे 19 है, और उसका नाम मैं नही बता रहा हू. मैं अपना नाम ही पूरी कहानी में इस्तेमाल करूँगा. उसने मुझसे कहा की मैं इस कहानी को लिखू, सो लेट’स स्टार्ट.

वैसे मैं बता डू, की मेरे घर में 3 लोग है मैं, पापा और मम्मी. पापा की आगे 50 यियर्ज़ है. इस कहानी की हेरोयिन है मेरी मम्मी. उनका नाम रचना है, और आगे 38 है. रंग गोरा सफेद दूध की तरह है, और कमाल का फिगर है.

उनके बड़े-बड़े बूब्स और मोटी गांद है. चिकनी छूट है उनकी, और चिकनी टांगे है. और बहुत ही सुंदर चेहरा है. मोहल्ले के बहुत से अंकल उन पर लाइन मारते है, और मरते है उन पर. वैसे तो मम्मी बहुत मिलनसार और प्यारी बातें करने वाली है.

लेकिन मेरी मम्मी पापा से बहुत ही ज़्यादा झगड़ा करती है. क्यूंकी पापा मम्मी को ठीक से छोड़ नही पाते. मम्मी को चाहिए की पापा उन्हे रग़ाद कर ज़ोर-ज़ोर से 15-20 मिनिट छोड़े. लेकिन पापा सिर्फ़ 2-3 मिनिट में ही झाड़ जाते है, और मम्मी को पूरी संत्ुस्ती नही होती.

मैं ये बहुत बार देख चुका था, की मम्मी बातरूम में कभी छूट में उंगली डालती थी, तो कभी खीरा या मूली. ये देख कर मेरा लंड भी खड़ा हो जाता था. मॅन करता था, की अभी जेया कर लंड छूट में डाल डू.

लेकिन मैं डरता था. फिर एक दिन पापा और मम्मी में ज़बरदस्त लड़ाई हुई. मम्मी ने कहा, की वो अब घर छ्चोढ़ कर जेया रही थी. फिर मौसी का फोन आया तो मौसी को कहा-

मम्मी: मैं तेरे घर आ रही हू.

तब मौसी ने मम्मी को कहा: मैं तो 10 दिन के लिए जाईपुर जेया रही हू. वाहा किसी धर्मशाला में हमारे गुरु जी के प्रवचन है.

तब मम्मी ने कहा: ठीक है, तुम भी आ जाओ. मैं भी वही मिलती हू.

फिर मम्मी ने मुझे कहा: अपना समान पॅक कर लो. हम 10 दिन के लिए बाहर घूमने जेया रहे है.

फिर मैने और मम्मी ने अपना समान पॅक कर लिया, और रवाना हो गये. मम्मी ने मौसी को बोल दिया, की वो भी आ जाए, और हम उनको वही मिलेंगे. फिर हम वाहा पहुँचे, और मौसी को कॉल की.

मौसी ने बोला: मेरे पति के किसी रिस्त्ेदार की मौत हो गयी है, तो मुझे वाहा जाना होगा. मैं नही आ सकती अब. तुम जाओ और 10 दिन एंजाय करो.

फिर हम रात 8 बजे धरामशाला में गये. वाहा एक फॉर्म दिया और बोला गया फॉर्म भर कर 3000 रुपय के साथ जमा करवा दो. और एक पापर और था, जिसमे वाहा होने वाले प्रोग्राम की जानकारी दी थी.

उन्होने कहा की 1 रूम में सिर्फ़ एक फॅमिली ही होगी ताकि चोरी वग़ैरा का दर्र नही हो. लेकिन बाद में अड्जस्ट भी करना पद सकता था. मतलब रूम शेर भी करना पद सकता था.

हमने फॉर्म भर कर सब्मिट कर दिया. फिर हमे 1 लेडी ने रूम दिखा दिया, और रूम 2न्ड फ्लोर पर था सबसे कॉर्नर में. ग्राउंड और 1स्ट्रीट फ्लोर पुर भरे हुए थे. हमारे रूम में 4 जोड़ी बिस्तर थे, क्यूंकी सर्दी का मौसम था, और यहा तेज़ सर्दी पड़ती थी. फिर हम खाना खा कर सो गये.

वाहा का नीयम ये था, की कोई भी झगड़ा नही करेगा और सभी लोग सुबा 8 बजे तक ब्रेकफास्ट करके हॉल में गुरु जी के प्रवचन के लिए आ जाएँगे. जो 8 से 12 तक तक चलेगा. फिर 12 बजे से 3 बजे तक लंच होगा, और आराम का टाइम होगा.

3 से 7 तक वापस प्रवचन होंगे, और फिर 7 से 9:30 डिन्नर का टाइम होगा. और 9:30 से 11:30 तक वापस रात में भजन संध्या होगी. मम्मी को प्रोग्राम की टाइमिंग बहुत अची लगी.

उन्होने कहा: यहा बहुत अछा लग रहा है, नही तो घर पर तेरे पापा दिमाग़ खराब कर देते है.

मैने कहा: हा ठीक है, बस शांति होनी चाहिए, चाहे वो कही भी हो.

फिर सुबा हम उठे, और 8 बजे हॉल में गये तो देखा की माले और फीमेल सब साथ बैठे थे. कोई भी कही भी किसी के साथ बैठ सकता था क्यूंकी ज़्यादातर लोग अपनी फॅमिलीस के साथ आए हुए थे. करीब-करीब 140-150 लोग तो थे.

मैं और मम्मी भी बैठ गये. सब को अछा लग रहा था. बहुत अची बातें बता रहे थे. फिर लंच के टाइम अनाउन्स हुआ, की आप में से कुछ लोग खाना सर्व करने में हेल्प करे. मम्मी हेल्प करने किचन में चली गयी, और हेल्प करने लगी.

मैने तो खाना खा लिया, और फिर मैने देखा मम्मी एक अंकल से हस्स-हस्स कर बात कर रही थी. फिर मैं अपने रूम में चला गया और मम्मी भी खाना खा कर रूम में आ गयी. थोड़ी देर रेस्ट करने बाद 3 बाज गये. फिर हम वापस हॉल में गये.

मैं तो वाहा की लॅडीस को देख रहा था. कुछ लॅडीस तो बहुत ज़्यादा खूबसूरत थी. लेकिन सारी 40 से ज़्यादा आगे की थी, और सब के साथ कोई ना कोई था. वाहा आयेज कुछ गर्ल्स भी थी, तो मैं आयेज जेया कर बैठ गया.

फिर शाम को डिन्नर का टाइम था, तो मैने देखा मम्मी किचन में एक अंकल से हस्स-हस्स के बातें कर रही थी, और अंकल बार-बार मम्मी का हाथ पकड़ रहे थे.

मैने सोचा ये कों है साला? और बार-बार क्या कर रहा है. पहला दिन ऐसे ही निकल गया.

सेकेंड दे-

फिर अगले दिन लंच के टाइम मम्मी ने मुझे एक आदमी से मिलवाया और कहा-

मम्मी: ये यहा की किचन के हलवाई है. खाना ये ही बनाते है.

ये वही आदमी था जो मम्मी से हस्स-हस्स कर बातें कर रहा था. मैने देखा की वो एक हटता-कटता मोटा सा 6 फीट लंबा आदमी था, जिसकी आगे करीब 40-41 होगी. उन्होने अपना नाम विक्रम बताया. फिर मैने अपना नाम बताया, और फिर वो चले गये.

3 बजे मैं और मम्मी हॉल में बैठे थे. तब मम्मी के किसी का फोन आया और उन्होने कॉल अटेंड की. फिर वो उठ कर चली गयी. 30 मिनिट तक जब मम्मी वापस नही आई, तब मैं उठ कर गया, और बाहर निकल कर मम्मी को ढूँढने लगा.

लेकिन मम्मी मुझे कही नही मिली. फिर मैं अपने रूम पर गया, तो रूम अंदर से लॉक्ड था. मैं गाते नॉक करने वाला था, तब मुझे मम्मी की आवाज़ आई. वो किसी से बात कर रही थी.

वो बोल रही थी: प्लीज़ जल्दी करो, कोई आ जाएगा.

तभी किसी मर्द की आवाज़ आई: भाभी जी, कोई नही आएगा. आप टेन्षन मत लो.

हमारे रूम की खिड़की थोड़ी सी खुली हुई थी, तो उसमे से मैने अंदर देखा. अंदर देख कर मेरा दिमाग़ खराब हो गया. मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी.

मैने देखा, की मम्मी की सारी और ब्लाउस बिखरे हुए साइड में पड़े थे, जो सारी मम्मी ने थोड़ी देर पहले पहनी हुई थी. और मम्मी पेटिकोट और ब्रा में एक अंकल का लंड चूस रही थी. ये वो ही अंकल थे जिसको कल रात मम्मी ने मुझसे मिलवाया था.

फिर अंकल ने मम्मी को कहा: अब और मत तड़पाव.

फिर मम्मी अंकल के आयेज लेट गयी, और अंकल मम्मी की टाँगो के बीच आ गये, और अपना लंड मम्मी की छूट के उपर रग़ाद रहे थे. अंकल का लंड करीब 10 इंच लंबा, और मोटा था. तभी मम्मी ने कहा-

मम्मी: जल्दी करो.

फिर अंकल ने एक धक्का मारा, और आधा लंड मम्मी की छूट में घुस गया, और मम्मी की चीख निकल गयी. तब अंकल रुके, और फिर एक धक्का अचानक मार दिया. इससे मम्मी की एक और चीख निकल गयी, और आँख से आँसू आ गये.

लेकिन अंकल रुके नही, और अपना पूरा लंड निकाल कर एक और धक्का मारा, और लंड मम्मी की छूट को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया. मम्मी अंकल को रोकने लगी, लेकिन वो रुके नही, और लगातार चुदाई करते रहे.

इधर मम्मी की सिसकारियाँ निकल रही थी, और बाहर खड़े होकर मैं सोच रहा था की मेरी मम्मी को सिर्फ़ 2 दिन में सेट कर लिया उस हलवाई ने. बहनचोड़ ऐसा क्या है उसमे.

उधर अंकल का लंड घपा घाप मम्मी की छूट में जेया रहा था. फिर अंकल ने धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ा दी, और मम्मी की छूट भी पानी छ्चोढने लगी. उसके 15 मिनिट बाद मम्मी का बदन अकड़ने लगा, और मम्मी की छूट ने अपना अमृत रस्स छ्चोढ़ दिया.

अब वो ठंडी पद गयी थी. वो झाड़ चुकी थी, लेकिन अंकल अभी तक लगे हुए थे, और मम्मी की चुदाई से फॅक फॅक की आवाज़े आनी शुरू हो गयी थी. लगभग 25-30 मिनिट हो गये थे, और अंकल ताबाद-तोड़ चुदाई करने में लगे हुए थे.

ऐसा लग रहा था की बहुत दीनो बाद उन्हे छूट मिली थी. इधर मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था. फिर अंकल मम्मी की छूट में ही झाड़ गये. ऐसा लग रहा था की मम्मी की छूट का तो हलवा ही बना दिया हो हलवाई ने. फिर वो मम्मी को किस करने लगे.

मम्मी ने कहा: उठो अब जल्दी से, मेरा बेटा आ सकता है.

फिर अंकल उठे, और कपड़े पहन कर बाहर आने वाले थे. तभी मैं वाहा से भाग गया, और बातरूम में जेया कर मूठ मारने लगा. आज मेरा बहुत सारा वीर्या निकला था. फिर मैं जल्दी से जेया कर हॉल में बैठ गया, और बाद में मम्मी भी वाहा आई.

उनकी चाल कुछ बदल चुकी थी, और मम्मी के लिप्स से लिपस्टिक गायब थी. वो बहुत खुश लग रही थी. तब मम्मी मेरे पास आ कर बैठ गयी. फिर मैने उनसे पूछा-

मैं: क्या हुआ?

तब मम्मी ने कहा: पापा का फोन आया था. उनसे बात कर रही थी.

ये सुन कर मुझे हस्सी आई, और मैने कहा ठीक है. फिर मैने सोचा साली मेरी मम्मी एक गैर मर्द से छुड़वा कर इतनी खुश कैसे हो सकती थी. मैने देखा मम्मी का चेहरा कुछ ज़्यादा ही खिला हुआ था, और वो बार-बार स्माइल कर रही थी. मतलब अंकल ने तबीयत से रग़ाद कर छोड़ा था.

ओके बाइ, बाकी अगले पार्ट में बताता हू.

आपको मेरी स्टोरी अची लगी हो, तो मुझे मैल करके बताना. मेरी मैल ईद है



अगर कोई ग़लती हो गयी हो तो मुझे माफ़ करना.

यह कहानी भी पड़े  गाँव की गोरियाँ देसी छोरियां


error: Content is protected !!