बेटे ने खाई, मा की गांद

मैं: मज़ा आ गया. कितना तरस गया था इसको खाने के लिए.

मुझे अलग ही टेस्ट लगता था. पहली बार खाई थी तब से इसका दीवाना बन गया था. मैने छूट उसकी इतनी बार नही खाई जितनी गांद. मुझे उसके बूब्स में ज़्यादा टेस्ट नही आता था.

मों: मुझे भी काफ़ी दीनो बाद मज़ा आया.

सुषमा पहले की तरह नही दिखती थी. पहले स्किन टाइट थी. लगता नही था 57 की थी वो. इन 5.5 सालों में काफ़ी आगे में बदलाव आ गया था. पहले गांद उपर की तरफ होती थी, टाइट सी. मीन्स किसी आंटी की तरह नही थी गांद. अब आगे के साथ लटक गयी थी आंटीस की तरह. मगर फिर भी उनसे बेटर दिखाई दे रही थी. रूबी से कंपॅरिज़न करू उससे काफ़ी बेटर.

मैं: सच में तेरी गांद टेस्टी है. यही कमाया है मैने. ये ना मिलती तो लाइफ अधूरी थी.

मों: बस रहने दो. रूबी को भी यही बोलते होगे.

मैं: बिल्कुल भी नही. मैने कभी नही खाई. मुझे यही खाने में मज़ा आता है.

ऐसे बोलते ही फिरसे खाने लग गया.

मों: अब बस करो. आपको इतनी ही मिलेगी. कपड़े पहन लेती हू.

मैं: ज़्यादा इतराव मत. कितना मनौ तुझे? 2 दिन कुछ भी ना पहनने डू तुझे.

मों: ऐसे कैसे नही पहनने दोगे.

मैं: कपड़े पहन के देख.

सुषमा हासणे लगती है, और ब्लाउस उठा लेती है. मैं उससे चीन लेता हू.

मैं: बतौ तुझे. थप्पड़ खाएगी.

मों: हा यही कमी रह गयी थी. उस दिन का थप्पड़ आज भी याद है.

मैं: अछा जी. तुझे और मारना चाहिए जिस तरीके से तूने मुझे सताया है 5 साल से.

मों: मारो ना फिर.

उसकी गांद पर एक छाँटा मारते हुए उसका ब्लाउस ले लिया. फिर दोनो हाथ उसकी गांद पर रख कर किस करने लगा. थोड़ी देर बाद-

मैं: तुझे प्यार करने का हक़ भी मेरा है, मारने का भी. तू मेरी है. साची पता होता इतना प्यार करने लग जौंगा तुझसे, तो मैं शादी कभी ना करता. तुझे कॅनडा लेके भाग जाता. वाहा ज़िंदगी जीते. बच्चा अडॉप्ट या डॉक्टर से कन्सल्ट करके तुझे मेरे बच्चो की मा बनता.

मों: बस रहने दो. इतने सपने मत दिखाओ. गुस्सा आ जाता है आप पर फिर.

मैं: एक बार पातिदेव बोलो ना.

मों: क्या है. पति ही हो मेरे. लो पैर भी चू लेती हू. कभी नही छुए आपके पैर.

मैं: नही-नही, मत करो.

वो पैर चू लेती है. मैं उसको उपर खींच लेता हू.

मैं: मुझे बस तू मेरे साथ ऐसे ही चाहिए. तुझे छोड़ता राहु, और कही ना जौ.

मों: जितना आपने छोड़ा है, उतना तो आपके पापा ने शादी से अब तक उसका आधा भी नही छोड़ा. और अब भी कमी रह रही है.

मैं: उनका क्या है. उनका काम उस दिन पूरा हो गया था जिस दिन मैं पैदा हुआ था. असली पति तो मैं हू तेरा. तुझे कितना भी छोड़ू. उनका कोई हक़ नही तेरे पर. मुझे बचपन से पता होता असली प्यार तू होगी मेरा. तेरे से शादी होगी मेरी. मैं उनको टच भी ना करने देता तुझे.

मों: अछा जी. मुझे घर से बाहर निकाल देते वो. और तुझे भी.

मैं: ये तो और भी अछा था ना. फिर बिना किसी दर्र के छोड़ता तुझे. तुझे अपने बच्चो की मा बनता.

मों: आपको अफ़सोस है ना मुझे प्रेग्नेंट ना करने का?

मैं: बहुत ज़्यादा. तुझे मम्मी मुझे पापा कहते हमारे बच्चे.

मों: मेरी ही ग़लती है इसमे.

मैने उसको टाइट हग किया. हाथो को उसकी गांद पर सहलाने लगा. उसकी नंगी गांद मुझे पागल कर देती है. एक-दूं से मेरे दिमाग़ में एक ख़याल आया.

मैं: क्यूँ ना सात फेरे भी ले लेते है. उन दीनो मैं मज़ाक मानता था शादी को. सात फेरों वाली शादी करनी है.

मों: वो तो नही कर सकते.

मैं: घर में ही करेंगे.

मों: छ्चोढो ना. पति-पत्नी दिल से मानने से होता है. ये मंगलसूत्रा जो काला धागा बांदा था, आज भी मेरे गले में है. यही होती है शादी.

मैं: ठीक है. मगर उस शादी में हम वेल ड्रेस्ड नही थे. आज होते है. आज मानते है आचे से सुहग्रात.

मैं 5 साल से काफ़ी कुछ सोच रहा था. मेरी ये इक्चा सही से नही हो पाई सुषमा के साथ.

मों: कभी तो कह रहे हो कुछ नही पहनने दूँगा. अब कह रहे तैयार होने के लिए.

मैं: अर्रे ये तो थोड़ी देर ही पहनना है. फिर मैं उतार ही दूँगा.

मों: मैं तो मज़ाक कर रही थी.

फिर सुषमा तैयार हो गयी, और मैं भी. सुषमा बहुत सुंदर लग रही थी लाल लहँगे में. हम घर वाले मंदिर के सामने गये. वाहा के सिंदूर से उसकी माँग भारी. काले धागे को वापस बाँधा. हमने एक दिया जला के उसके चारो तरफ फेरे लिए. उसने पैर छूने की कोशिश की, लेकिन मैने माना कर दिया.

वो बोली: सब कुछ कर ही रहे है. ये भी कर लेते है.

मेरी 5 साल से फॅंटेसी बहुत ज़्यादा हुई पड़ी थी. उसके बाद हमने सेल्फिे ली. सुषमा माना कर रही थी. क्यूंकी कोई फोटो ना देख ले.

मैं: कोई नही देखेगा. एक एमाइल ईद बना के उस पर सवे कर दूँगा. कम से कम एक फोटो तो होनी चाहिए अपनी शादी की.

फिर हम दोनो रूम में आ गये.

मों: हो गयी इक्चा पूरी?

मैं: हा. सॅकी मुझे भी यकीन नही था इस बार इंडिया आने पर ये सब कुछ होगा.

मों: आप सच में पागल हो.

मैं: 5 साल में तूने मुझे बना दिया पागल.

मों: मैने भी सोचा था मैं भी बात नही करूँगी आपसे. मगर जैसे ही आपको देखा, दिल ज़ोर से धड़कने लगा. रहा ही नही गया. पता नही क्यूँ गुस्सा थे 3 महीनो से.

मैं: गुस्सा तो तेरे से हो ही नही सकता. यही था तू नही चाहती तो क्या फ़ायदा बात करने का. चलो छ्चोढो, क्यूँ टाइम खराब कर रहे है? पापा आने के बाद तो कुछ हो ही नही पाएगा.

मैने उसका लहंगा उतरा, फिर ज्यूयलरी उतरी. फिर खुद के कपड़े उतारे. हम दोनो नंगे बेड पर लेट गये.

मैं: याद है पहला दिन मैने तुझे छोड़ा था?

मों: वो दिन कैसे भूल सकती हू. उस दिन नयी ज़िंदगी स्टार्ट हुई थी मेरी.

मैं उसकी गांद पर हाथ रखे हुए था. धीरे-धीरे हाथ को उसकी गांद के च्छेद के पास ले जेया रहा था. और फिर उंगली उसकी गांद में घुसा दी.

मों: दर्द हो रहा है.

मैं: पहले तो नही होता था. दो उंगलियाँ भी दे देता था.

मों: पता नही आज हो रहा है. निकाल दो उंगली को.

मैं: अब बुद्धि हो गयी हो. रहने दो ना प्लीज़ उंगली को अंदर.

मों: सच में पाईं हो रहा है. निकाल दो प्लीज़.

मैने उंगली निकाल दी.

मों: अब पहले की तरह नही रही. वो याद है आपने मुझे 24 घंटो में 7 बार छोड़ा था. अब ना सहन कर पौँगी इतनी चुदाई.

मैं: मैने कहा छोड़ा था. तुमने इस लंड को छोड़ा था. जब भी टाइम मिलता चढ़ जाती इस लंड पर. 7 बार छोड़ने के साथ मूह से भी जान निकाल दी थी इसकी.

मों: सॅकी बहुत आचे दिन थे वो.

मेरा मॅन गांद में उंगली डालने का बहुत हो रहा था. मैने फिरसे डाल दी.

मों: प्लीज़ सॅकी बोल रही हू, दर्द हो रहा है. आपको लगता है मैं माना कर सकती हू आपको. प्लीज़ निकाल दो.

मैं: ठीक है.

मों: आपसे मिलने से पहले मैने सेक्स का कभी ऐसे मज़ा नही लिया था. आपके पापा के साथ मैं बस उनके नीचे और उपर बस. इससे ज़्यादा कुछ ट्राइ नही किया. और किस. रियल सेक्स आपके साथ. मैं सेक्स स्टोरी भी पढ़ती थी आपको खुश रखने के लिए. की क्या नया कर सकती हू आपके साथ. सॅकी आपको बहुत प्यार किया है मैने.

मैं: ऐसे सेनटी ना करो. मैं मानता हू मैं उस वक़्त आचे से बिहेव नही करता था तेरे से. ज़्यादा आचे से प्यार नही दे पाया तेरे को.

हम दोनो फिर किस करने लगे.

मैं: पिछले 5 साल में काफ़ी फॅंटेसी रही तेरे साथ करने में. सोचता था क्यूँ नही किया तेरे साथ. तू कहती थी स्पर्म पीना चाहती हू. मैने माना कर दिया था. अब पियोगी स्पर्म?

मों: आप कहोगे तो टेस्ट कर लूँगी.

मैं: लो मूह में फिर. मैं देख रहा था कब लॉगी अपने आप मूह में. पहले तो इसको खाली नही छ्चोढती थी, कभी छूट में कभी मूह में.

मों: ऐसे कंप्लेंट मत करो.

हर्ट होता है आपको कंप्लेंट करने का मौका दे रही हू. सोचा आज जी भर कर बातें करूँगी. चलो पहले मूह में लेके आपकी इक्चा पूरी करती हू स्पर्म पीने की.

अब सुषमा का स्टॅमिना कम हो चुका था, पहले की तरह नही थी. मुझे इस बात की कंप्लेंट नही है. मगर टाइम चेंज कर देता है सब कुछ. उसमे मूह में लिया, और जीभ के साथ फुल खेली लंड से. चूस्टी गयी. मेरा स्पर्म निकला, और वो पी गयी. उसके बाद उपर आई.

मों: अब खुश. कंप्लेंट मत किया करो. आप नाराज़ हो जाओगे तो मॅन खराब हो जाएगा. लंड का मज़ा आ गया चूस के. लंड चूसना भी तो आपसे ही सीखा है. मैने कभी नही सोचा था लंड मूह में लूँगी. मैं तो यही याद करती रहती हू. क्या-क्या कर लिया मैने सोचा भी नही था.

मैं: सीधा बोलो ना मेरी बारी है.

मों: आप कहोगे तो टेस्ट कर लूँगी.

मैं: लो मूह में फिर. मैं देख रहा था कब लॉगी अपने आप मूह में. पहले तो इसको खाली नही छ्चोढती थी, कभी छूट में कभी मूह में.

मों: ऐसे कंप्लेंट मत करो.

हर्ट होता है आपको कंप्लेंट करने का मौका दे रही हू. सोचा आज जी भर कर बातें करूँगी. चलो पहले मूह में लेके आपकी इक्चा पूरी करती हू स्पर्म पीने की.

अब सुषमा का स्टॅमिना कम हो चुका था, पहले की तरह नही थी. मुझे इस बात की कंप्लेंट नही है. मगर टाइम चेंज कर देता है सब कुछ. उसमे मूह में लिया, और जीभ के साथ फुल खेली लंड से. चूस्टी गयी. मेरा स्पर्म निकला, और वो पी गयी. उसके बाद उपर आई.

मों: अब खुश. कंप्लेंट मत किया करो. आप नाराज़ हो जाओगे तो मॅन खराब हो जाएगा. लंड का मज़ा आ गया चूस के. लंड चूसना भी तो आपसे ही सीखा है. मैने कभी नही सोचा था लंड मूह में लूँगी. मैं तो यही याद करती रहती हू. क्या-क्या कर लिया मैने सोचा भी नही था.

मैं: सीधा बोलो ना मेरी बारी है.

मों (हेस्ट हुए): करो फिर.

मैं: कुटिया पोज़िशन में आजा.

मों: बीवी को कुटिया कह रहे हो या मा को?

मैं: मा को.

मों: फिर ठीक है, कुटिया तेरी मा होगी. बीवी को नही बोलना कुटिया (और हासणे लगी).

मैं: चल मेरी कुटिया.

गांद को उपर करते हुए वो कुटिया स्टाइल में हुई. मैने उसकी गर्दन को बेड में लगा दिया, और गांद को उपर किया. उसके रोज़ बड को देखा. उसको देखे काफ़ी साल हो गये थे.

मैं: सुषमा मैने पहला और आखरी रोज़ बड तेरा ही देखा है. रूबी का भी नही देखा.

मों: देखना भी मत. ये जीभ केवल मेरे च्छेद में ही जाएगी. और जल्दी करो. मेरी गांद में उंगली देने के बाद जो दर्द दिया है, उसको जीभ से ठीक करो.

फिर उसकी गांद के च्छेद को जीभ से छोड़ा. सुषमा मछली की तरह मचल रही थी.

मैं: क्यूँ मचल रही हो, सही से खाने दो ना. कितने दीनो बाद तो मिला है ये च्छेद. अब मचलना मत.

फिरसे खाना स्टार्ट किया. उसकी गांद के च्छेद को जीभ से गीला किया. वो मज़े से मज़े वाली आवाज़ निकाल रही थी. जीभ जब तक नही तक गयी, उस टेस्टी होल को चाट-ता रहा. फिर तक के दोनो फिरसे लेट गये.

आयेज की कहानी नेक्स्ट पार्ट में.

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