बेटा बना बाप और अपनी मा को चोदा

आमेड कॉलेज से घर आया तो देखा उसकी अम्मी के हंतो मेी एक लेटर था. जिससे अपने हाथो मे पकड़े वो बहुत रो रही थी. आमेड उनके पास गया…

आमेड : क्या हुआ अम्मी? तुम रो क्यू रही हो??

लेकिन वो बस एक रोए ही जा रही थी. आमेड किचन मे गया और एक ग्लास पानी ला कर अम्मी के हाथो से लेटर लेकर ग्लास पकड़ा दिया…

आमेड : तुम पहले पानी पियो और रोना बंद करो.

पानी का ग्लास हंत मे लेकर उनका पीने का मॅन नही था पर पानी पी ही लिया. ये देख आहेंड ने लेटर को पढ़ना शुरू किया…

“बेहन फ़ातिमा, तुम्हे ये सुनकर बड़ा दुख होगा की हमारे अब्बू का इंतेकाल हो गया हा. आयेज कुछ जाड़ा नही लिख पहूँगा बस तुम जल्दी आ जाओ.”

लेटर पढ़ आमेड ने फोरॉं अब्बू को फोन लगाया और सारी बात बताई और जल्दी से ट्रेन की टिकेट बुक करी, ट्रेन शाम की थी. लेकिन आमेड की अम्मी का अभी भी रो रो के बुरा हाल था. इसलिए वो अम्मी के कमरे मे गया और एक बाग मेी मम्मी के कुछ कपड़े पॅक करने लगा. फिर अपने कमरे मे आकर अपना भी बाग पॅक कर शाम की गाड़ी से गाओं के लिए निकल गये.

(सुबा करीब 8-9 बजे वो गाओं के स्टेशन पे उतरे और आधे घंटे मे घर पे पहुच गये.)

नाना को कब्रिस्तान ले जाने की तैयार कर रहे थे. साबी की आँखे रो रो के नाम सी हो गयइ थी. तभी अम्मी भी वाहा पहुचि और अपने अब्बू के सरीर को देख वो पागलो की तरह भागी और बॉडी पे गिर कर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी. अम्मी की ये हालत देख बाकी भी रोने लगे.

बाकी सब ने जेसे तेसे अम्मी को शंबाला और नाना के बॉडी को रवाना किया.

केसे हुआ?? कब हुआ?? बीमारी क्या थी? केसी थी ब्ला ब्ला.. शाम हो गयी थी ये सब पूछते पूछते.

रात को गयी, किसी ने खाना खाया किसनी ने नही भी खाया. नानी ने आमेड को खाने की प्लेट पकड़ा के बोला :- अपनी अम्मी को खिला दे जाके.

मैं ताली अम्मी के कमरे मे लेकर अंदर गुस्स गया देखा. तो अम्मी की आँखे अभी भी रो रो के लाल हो चुकी थी. आमेड अम्मी के करीब गया और खाने की प्लेट शाने पास ही टेबल पे रख दी.

आमेड :- अम्मी लो अब बस खा लो.

अम्मी :- तू जा मैं खा लूँगी.

आमेड:- नही मैं आपको खाना खीलये बिना नही जौंगा.

अम्मी के आँखो से फिर आँसू बहाने लगते है. आमेड अम्मी के और करीब आके अपने हंतो से अम्मी के अंशु पोछने लगता है.

अब अम्मी उसके हंतो के चुंगल से बचते बचते आमेड के करीब पहुच जाती है. बस आमेड और अम्मी के होंठ के बीच की दूरी बस करीब 6 इंच थी. अम्मी की सांसो की गर्मी आमेड को महसूर हो रही थी. तभी आमेड अम्मी के होंठो को चूम लेता है.

अम्मी भी बिना कुछ हीले दुले वो भी आमेड की किस मे अपना आतंशहमर्पण देते हुए उसके मूह को पकड़ कर आमेड को चूमने लगती है. तभी बाहर से मामा की आने की आवाज़ आ रही होती हा जिसे सुनकर आहेंड और उसकी अम्मी दोनो अलग हो खाने की पलते ले लेती है.

मामा :- आमेड बेटा!!

आमेड :- मामू?

मामा :- सारे कमरे भर गये हा तो तू क्या आज इसी कमरे मे अपनी अम्मी के साथ सो जाएगा??

आमेड :- हॅन मामू मैं अम्मी के साथ मॅनेज कर लूँगा.

मामा :- ठीक फिर गुड नाइट..

आमेड : गुड नाइट!

अम्मी के हंतो मे प्लेट देख के आमेड-

आमेड :- इससे सिर्फ़ देखना नही हा बल्कि खाना भी हा अम्मी!!

अम्मी :- आमेड…मैं खाना कहूँगी बस एक शर्त पे.

अम्मी :- आज की रात तू मुझे अपनी अम्मी नही बल्कि मेरा बाप बानिया और मुझे अपनी बेटी समझ के देर सारा प्यार कर. मुझे अपनी गोध मे ले कर झूला झूला. मेरी ग़लती पे मुझे मुर्गा चाड़ी से मार सब कुछ…

आमेड :- क्या आज की रात ही क्यू??

अम्मी :- बस आज की रात मैं बहोट अकेला महसूर कर रही हू.. बता मानेगा मेरी बात?

आमेड :- कमरे से बाहर निकल चारो तरफ देख देख कर वापस अंदर आ कर दरवाजे लगा कर अम्मी के करीब आ जाता है.

आमेड (गले की थोड़ी कारास ठीक करके) :- फ़ातिमा! अभी तक तूने खाना नही खाया.

फ़ातिमा :- अब्बू खा रही हू…

आमेड :- इसकी तुझे सज़ा मिलेगी, आ ज़मीन पे और बैठ अपने गुटनो पे.

फ़ातिमा :- हन अब्बू आई.

गुटनो पे बैठी फ़ातिमा के मूह के शमने आमेड अपनी पंत से लंड निकल कर फ़ातिमा के होंठो के सामने रख देता है.

आमेड :- ले चूस इससे और तब तक चूस जब तक ये शांत ना हो जाए.

फ़ातिमा मूह मे लंड ले चॉकलते ली तरह कभी लंड के तटो को चटनी तो लॉलिपोप की तरह उससे अपने होंठो से लगा के चुस्ती जाती है.

आमेड :- लंड तो तू सही चूष रही हा, चल तेरी ये ग़लती मैं माफ़ करता हू.

फ़ातिमा गुटनो से अपने पैरो पे खड़ी हो जाती है तभी फ़ातिमा की मोटी चुचि पकड़ कर अपने करीब ले आता है.

आमेड :- ये क्या हा फ़ातिमा???

फ़ातिमा :- ये मेरी छूसीया हा…

आमेड :- चल फिर दिखा मुझे, देखु सिर्फ़ चुनने मे बड़े हा या दिखाते भी बड़े है.

फ़ातिमा :- अपनी सलवार कमीज़ उतार कर काली पनटी मे और पिंक ब्रा मे आमेड के शमने खादिहटी हा.

आहेंड :- ये ब्रा भी तो उतार दे फ़ातिमा बेटी.

फिर आमेड फिर पूरा नंगा हो दोनो पलंग पे चाड कर फ़ातिमा आमेड का लंड चूसने लगती है. और आमेड अपनी उंगली से फ़ातिमा की गंद मे उंगली करने लगता है.

थोड़ी देर बाद फ़ातिमा को लेता कर उसकी टॅंगो के पीछे गुस कर फ़ातिमा की छूट चाटना चालू कर देता है. फ़ातिमा का एक हंत आमेड के सर पे जो उससे अपनी छूट पे दबाए हुए थी और दूसरे से अपने बूब्स को मसले जा रही थी.

आहेंड अपना लंड लिए फ़ातिमा की छूट मे डालने को तैयार ही था लेकिन डाल नही रहा था, तबी-

फ़ातिमा :- रुक क्यू गये अब्बू डालो ना.

आमेड :- मैं तुम्हे अम्मी के रूम मे ही छोड़ना चटा हू,अब बस मुझे नही होगा ये रोल वोले. वेसए भी ये सब करके क्या मिल रहा हा तुम्हे.

फ़ातिमा :- बस आज रात बेटा मेरा अब्बू बन कर मुझे छोड़ ही फिर लाइफ टाइम तू मुझे अम्मी के होश मे छोड़ लियो प्लीज़..

आमेड :- क्यू पहले कारण बताओ…

फ़ातिमा :- मैने अब्बू से वाडा किया था.

आमेड :- मतलब?

फ़ातिमा :- अब्बू की आख़िरी खुवैश थी की, इंटेकल से पहले बस एक बार मेरी जी भर के चुदाई करना छाते थे, बस इसलिए.

आमेड :- तो फ़ातिमा बेटी तैयार हाँ..

दोबारा हंत मे लंड लिए फ़ातिमा की छूट मेी गुस्सा कर अपना आधा वजन फ़ातिमा के उपर गिरा कर उसके चुचियो को पकड़ कर धीरे धीरे ढाको के साथ अपना पूरा लंड घुसा देता है.

फिर तो बस ज़ोर और जिस रफ़्तार से आमेड का लंड फ़ातिमा की छूट से निकलता हा ठीक उससी रफ़्तार से वापस अंदर चला भी जाता है.

बस इसी घपा घाप मे कब रात से 10 बजे से अंडरे मे 3 बजेजाते हा. इस बीच आमेड ना जाने कितने बार झाड़ा और जाने कितनी बार फ़ातिमा ने उसे मूह मे ले कर लंड मे एनर्जी भर के दोबारा खड़ा किया.

सुबा तो चुकी थी. फ़ातिमा की चुचियो पे अभी भी आमेड का हंत था. और उसका लंड उसकी गंद से चिपका हुआ था. आमेड को जगाने के किए फ़ातिमा आमेड के लंड को खड़ा करने मे लग जाती है. आमेड अपनी आँखे खोल अब खड़ा कर ही दिया हा तो बिता भी दे.

उस रात के बाद बाकी के कमरे खाली हो गये और आहेंड और फ़ातिमा के बीच दूरी आ गयी. ठीक 3 दिन बाद, आमेड और फ़ातिमा वापस सहर के लिए ट्रेन ले लेकिन इस बार. ट्रेन के कॅबिन मे सिर्फ़ आहेंड और फ़ातिमा अकेले थे.

और जैसा की फ़ातिमा ने कहा फ़ातिमा पूरे सफ़र अहमद के लंड लिए आमेड से चुड्ती रही…चुड्ती रही…

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