बहन को सेक्स करते रंगे हाथ पकड़ा

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की कैसे मेरी दीदी और प्रिन्स सगाई के जस्ट 1 दिन पहले सिटी गये हुए थे.

अब आयेज-

मेरा पूरा दिन मॅन नही लग रहा था. मैं यही सोच रहा था की इस समय मेरी दीदी और प्रिन्स क्या कर रहे होंगे, और मैं उनके आने का इंतेज़ार कर रहा था.

ऐसे ही किसी तरह शाम हुई, और शाम के 7 बजे प्रिन्स और दीदी घर आए. जब वो घर आए, तो दीदी बदली-बदली सी लग रही थी. मतलब इतना तो पता था की ब्यूटी पार्लर में अछा-ख़ासा वर्क हुआ था दीदी के उपर.

मे: कैसा रहा दीदी आज का दिन?

दीदी: अछा ही था भाई, बस तक गयी हू पुर दिन घूम-घूम करके.

मे: तो क्या हुआ दीदी, कितनी सनडर लग रही है तू रे.

दीदी: सही में क्या बाबू? सच में अची दिख रही हू क्या?

मे: हा दीदी बहुत ही ज़बरदस्त लग रही हो.

दीदी: अछा भाई, मैं तोड़ा आराम कर लू.

और दीदी ये बोल कर के चली गयी. मैं थोड़े टाइम के बाद ऐसे ही बात करने के लिए दीदी के रूम में गया तो देखा वाहा वो नही थी. मुझे वाय्स रेकॉर्डर निकालने का अछा समय लगा, इसलिए मैने वाय्स रेकॉर्डर निकाल लिया. वो रेकॉर्डर अपने आप ऑफ भी हो गया था. टाइम ड्यूरेशन उसका 10 अवर्स का ही था, और अब 10 घंटे से ज़्यादा का टाइम हो रहा था.

अब मैं दीदी और प्रिन्स के पीछे ही था, की ये दोनो कर क्या रहे थे. मुझे वाय्स रेकॉर्डर सुनने के लिए बहुत सारा समय चाहिए था. इसलिए मैने डिसाइड किया की कल सगाई थी, तो सगाई के बाद सुनूँगा. क्यूंकी आज रात का बस टाइम था, और मैं दीदी और प्रिन्स के पीछे लगा हुआ था.

रात के 10 बजे तक सब कोई खा करके सो गये थे. मैं भी अपने रूम में चला गया था. प्रिन्स आज अलग ही सोया था. मैं अपने रूम का लाइट ऑफ करके अपनी खिड़की से दीदी के रूम का दरवाज़ा ही देख रहा था, की कोई अंदर तो नही ना जेया रहा. या कोई बाहर तो नही ना निकल रहा.

जैसे ही 10:40 के आस-पास हुए, दीदी अपने रूम से धीरे से निकली. मैं देख करके शॉक हो गया की कहा जाएगी इस समय दीदी, और वो भी हाफ शॉर्ट्स पहने हुए थी उस समय. दीदी के निकलते ही में भी जल्दी से अपने रूम से निकला और आराम-आराम से दीदी से बच करके पीछे-पीछे चल दिया.

सबसे पहले दीदी च्चत पे गयी. मैं तो सोच रहा था की मैं भी च्चत पे पहले से ही होता तो बहुत मज़ा आता. लेकिन लक ही खराब था.

बहुत देर वेट करने के बाद देखा की दीदी नीचे आ रही थी. शायद प्रिन्स टाइम पे नही पहुँचा था. थकान से शायद उसको नींद आ गयी हो, और दीदी अपना मोबाइल रूम में ही छ्चोढ़ के आई थी.

दीदी के नीचे आते ही मैं सीडी से हॅट गया. फिर जैसे ही दीदी नीचे चली गयी, मैं च्चत पे तुरंत से जेया करके पानी की टंकी के पीछे च्छूप गया. वही एक सेफ जगह मुझे देखी. करीब 10 मिनिट्स के बाद पहले दीदी आई, और फिर थोड़ी देर में प्रिन्स भी आ गया.

दीदी: कितना समय वेस्ट कर दिया. पता है ना कल मेरी सगाई है. थोड़ी देर में मेहंदी भी लगवानी है हाथ में. तुमको बोली थी 10:30 तक पहुँच जाना. कहा था तू अभी तक?

दीदी गुस्से में बोल रही थी.

प्रिन्स: अर्रे यार नींद पता नही कैसे लग गयी. मैं खा के गया और टाइम का ही वेट कर रहा था की नींद ही लग गयी.

उस समय 11 बाज गये थे.

दीदी: अब कुछ नही हो सकता है. कभी भी मेहंदी लगाने वाली आ जाएँगी. बोली थी 12 बजे के बाद अवँगी.

प्रिन्स: अर्रे तो अभी 1 घंटा है. डेडॉ ना. अब पता नही मिलॉगी या नही. सगाई के बाद मैं चला जौंगा, और सीधे आपकी शादी में मुलाकात होगी यार.

दीदी कुछ नही बोली. तो प्रिन्स आयेज बढ़ा, और दीदी को किस करने लगा. दीदी भी साथ दे रही थी प्रिन्स का. प्रिन्स बहुत जल्दी में था. किस करते-करते वो दीदी के बूब्स दबाने लगा, और दीदी की त-शर्ट निकाल करके बाहर कर दी.

दीदी: पहले गाते तो लॉक कर दो पागल.

प्रिन्स ने जल्दी से सीडी का गाते लॉक किया, और आ करके दोबारा किस करने लगे, और बूब्स दबाने लगा. दीदी अब धीरे-धीरे गरम होने लगी थी, क्यूंकी मोन करने लगी थी.

ये मेरे साथ पहली बार ऐसा हो रहा था. मैं फोटो और वीडियो में तो देखा था अभी तक. लेकिन सामने से दीदी को नंगा होते और ये सब काम होते पहली बार देख रहा था. मेरा भी लंड दीदी को देख कर के अब अपनी असली ताक़त में आने लगा था, और खड़ा होना शुरू होने लगा था.

मैने देखा की प्रिन्स के अब दोनो हाथ मेरी दीदी को गरम करने के काम पे लग गये थे. प्रिन्स किस लगातार किए जेया रहा था. साथ ही साथ, एक हाथ से बूब्स दबा रहा था, तो दूसरा हाथ सीधे दीदी की छूट पे रख दिया शॉर्ट्स के उपर से ही.

वो दीदी की इतनी प्यारी सी, मुनिया जैसी छूट को लगातार मसल रहा था. ये देख करके मैं गरम हो गया, की कैसे मेरी बेहन किसी और से अपनी छूट मसलवा रही थी, और प्रिन्स मसालते जेया रहा था.

फिर क्या था. अब दीदी पूरी गरम हो चुकी थी, तो प्रिन्स ने अपनी पंत उतार दी. उसका 7 इंच लंबा लंड एक-दूं से बाहर आ गया. साला ये पहली बार मैं आज प्रिन्स का लंड देखा था. जब की हम दोनो की दोस्ती बरसो पुरानी है.

दीदी लंड को ही देख रही थी. शायद लग रहा था प्रिन्स आज पहली बार ही दीदी को छोड़ने वाला था. फिर दीदी ने अपने हाथो से पकड़ करके लंड को हल्का-हल्का हिलना शुरू किया, और किस तो अब बहुत ही गर्मी के साथ हो रही थी, जैसे सारी जान लिप्स पे ही निकाल देनी हो.

दोनो एक-दूसरे की लिप्स को खाने में लगे हुए थे.

ये देख करके मेरा लंड अब फटने के जैसा हो गया था. मेरे से बर्दस्त ही नही हो रहा था. फिर प्रिन्स दीदी को नीचे बैठ करके लंड चूसने का इशारा किया, और दीदी नीचे बैठ गयी. प्रिन्स अभी भी खड़ा ही था.

अब प्रिन्स ने अपना लंड दीदी के मूह के सामने कर दिया. दीदी ने पहले उसको अपनी जीभ से चाट-चाट करके सॉफ किया. चारों तरफ चटाई करके सूपड़ा सीधे मूह के अंदर ले ली.

मेरी बेहन किसी और का लंड अपने मूह में मेरे सामने ले रही थी. ये दृश्या शायद ही किसी को मिला होगा, जिसकी बेहन उसके भाई के सामने किसी और का लंड चूज़, और भाई देख कर एंजाय कर रहा हो.

प्रिन्स ने अब दीदी के बाल पकड़ लिए, और मूह को ही छोड़ने लगा अपनी कमर आयेज-पीछे करके. दीदी का मूह फॅक फॅक कर रहा था चुदाई से. उस रात में वो फॅक फॅक की आवाज़ आज तक मुझे याद है जो दीदी के मूह से आ रही थी.

प्रिन्स तो जैसे जोश में आ गया हो. वो दीदी का सिर पूरा पकड़ लिया था, और जैसे मूह पे ही चढ़ गया हो ऐसे उसने पूरा का पूरा लंड दीदी के मूह में उतार दिया था. दीदी को साँस भी नही आ रही थी. वो कैसे भी करके प्रिन्स को धक्का दी और अपने उपर से हटाई.

दीदी: सेयेल कुत्ते, ऐसे मूह में लंड दिया जाता है!

प्रिन्स: जोश दीदी जोश, मेरे से नही रहा गया.

और इतना कह करके फिरसे दीदी का मूह पकड़ करके लंड घुसा दिया, और चुदाई शुरू कर दी. थोड़ी देर मूह छोड़ने के बाद अब प्रिन्स दीदी को प्रॉपर छोड़ना चाहता था. उसने दीदी को नीचे लेटने को कहा और दीदी का शॉर्ट्स निकाल करके साइड में रखा. अब दीदी पूरी तरह से नंगी हो गयी थी. सयद उसने आज पनटी नही पहनी हुई थी.

मेरे सामने दीदी पूरी नंगी लेती हुई थी. जिस बेहन के साथ मैं बचपन से खेला था, वो बेहन आज मेरे सामने नंगी लेती हुई थी. प्रिन्स नीचे गया, और छूट को चाटना शुरू कर दिया. प्रिन्स लगातार छूट चाट रहा था. अब मेरे से रहा नही जेया रहा था.

मैं सोचा की मेरी बेहन के चाचा का लड़का ही ब्फ था. उसके दोस्त भी छोड़े थे. बुआ का लड़का प्रिन्स भी छोड़ लिया. फिर मैं क्यूँ यहा च्छूप के देख रहा थे. मेरे सामने ही मेरी दीदी चुड रही थी. मेरे अंदर पता नही क्या ऐसा हुआ, की मुझे ये मॅन में आया की अब बहुत हुई च्छुपान-च्छुपाई.

फिर मैने डिसाइड किया की अब बाहर आना चाहिए. वैसे भी अब मुझे दीदी आचे से पसंद आने लगी थी. फिर क्या था, जैसे ही प्रिन्स दीदी का छूट चूस करके उठा, मैं पानी की टंकी के पीछे से उठा, और बाहर निकल आया.

जब मैं बाहर आया तब का दृश्या- दीदी च्चत पे एक चादर बिछा कर नीचे पूरी नंगी लेती हुई थी. उसके दोनो पैर हवा में थे, और छूट पूरी खुल के सामने आई हुई थी. प्रिन्स भी पूरा नंगा दीदी के उपर लेता हुआ लंड सहला रहा था. वो दीदी की छूट को अपने लंड से मसल रहा था.

इस पोज़िशन में आपको पता ही होगा लड़का-लड़की कितनी गरम होते है, और तभी कोई आ जाए. मैं उनके सामने आ गया था. दीदी का फेस देखने लायक था. जैसे वो बेहोश सी हो गयी हो, और प्रिन्स को भी जैसे लकवा मार दिया हो.

ऐसा लग रहा था जैसे दोनो अफ़सोस अभी से ही करने लगे हो की चुदाई क्यूँ की. अब आयेज की कहानी अगले पार्ट में. आयेज पढ़िए की आयेज क्या होगा. अब मेरा और मेरी बेहन का रिश्ता बदलने वाला था सब कुछ.

अगर आपको कहानी अची लगी है तो आप मुझे एमाइल श्रीस्टीसिंघ1559@गमाल.कॉम

पे जवाब दे सकते है. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.

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