तो जैसा की आप लोग जानते है शिखा को कॉलेज जाना था, तो उसके मम्मी-पापा ने मुझे बोला की, “साथ चलोगे क्या? शिखा को कॉलेज छ्चोढ़ कर, वाहा हॉस्टिल दिला कर, नेक्स्ट दे रिटर्न आ जाएँगे”.
मैने माना कर दिया की अभी 2 दिन तोड़ा बिज़ी हू, जबकि मैं बिल्कुल फ्री था. मैं बस देखना चाह रहा था की मेरी कोई इंपॉर्टेन्स थी या बस यू ही पूछा था मुझसे.
तो वो बोले: ठीक है, फिर हम 3 कल सुबह निकल जाएँगे.
बहनचोड़ दिल टूट गया मेरा. पर फिर शाम में शिखा का कॉल आया.
शिखा: हेलो भैया, लो मुम्मा बात करेंगी आपसे.
सिद्धि: विवेक मैं कह रही थी की 2 दिन बाद फ्री हो ना तुम पक्का? तो फिर हम 2 दिन और रुक जाते है. शिखा के पापा बोल रहे थे विवेक को साथ लिए चलते है. उसे कॉलेज आंड हॉस्टिल का ज़्यादा पता होगा.
विवेक: हा-हा दी, 2 दिन बाद फ्री हू. अगर जल्दी ना हो तो 2 दिन के बाद चलेंगे.
सिद्धि: ओक ठीक है. तो साथ में चलना तुम भी.
2 दिन रेस्ट किया मैने आचे से. उसके बाद जब शिखा को कॉलेज छ्चोढने गया, तो कॉलेज की फॉरमॅलिटीस ख़तम की. उसके पापा हॉस्टिल की इन्फर्मेशन लेने गये
तब तक मैने उसकी मों सिद्धि को बोला की शिखा को हॉस्टिल ना दिला कर उसे किसी प्ग में रूम दिला दे. या उससे भी बेस्ट रहेगा फ्लॅट में रहने दे.
सिद्धि: पर विवेक ये कभी अकेली रही नही है. कैसे मॅनेज करेगी सब?
विवेक: अरे दीदी, अब वो बड़ी हो गयी है, और यही टाइम है उसे ये सब सीखने दो. ताकि जब कुछ ज़रूरत पड़े तो खुद से वो पूरी करे. आप लोग कब तक स्पून फीडिंग करोगे?
सिद्धि को मेरी बात समझ आ गयी. तो उसने अपने हब्बी को भी माना लिया की शिखा को हॉस्टिल नही किसी फ्लॅट में रहने देते है. फिर हमने वही पास में एक फ्लॅट देखा. शिखा को पसंद आया, तो सारी फॉरमॅलिटीस पूरी की और उसे वही छ्चोढ़ कर हम वापस आ गये.
मेरा मॅन तो था उसके पास ही रुक जौ 1 वीक के लिए, पर मेरे एग्ज़ॅम और फिर प्लेसमेंट का पंगा था, तो नही रुका. अब हम दोनो ही तड़प रहे थे एक-दूसरे के लिए. वीडियो कॉल पर हिला कर उंगली करके उतना मज़ा नही आता था, जो रियल में शिखा की लेने में आता था. पर मजबूरी थी. कुछ 15-20 दिन बाद मेरे फ्लॅट की बेल बाजी. मैने डोर ओपन किया और शॉक हो गया.
विवेक: बहनचोड़ तू यहा कैसे?
शिखा: बस अपने कालू की याद आ रही थी, तो चली आई. अब अंदर आने दोगे या यही बाहर ही खड़ी राहु?
मैने उसे पकड़ कर अंदर खींचा और दरवाज़ा बंद किया. गाते के पास खड़े हम दोनो एक-दूसरे को देख रहे थे. फिर मैने उसे हग किया. एक-दूं प्यार वाली फीलिंग थी. उसने गले लगाया तो बहुत सुकून मिला हम दोनो को. पता नही पड़ा कब हम दोनो के आँसू निकल आए.
5 मिनिट तक बिना कुछ बोले हम दोनो एक-दूसरे को हग किए थे, और एक-दूसरे की वॉर्म्त को महसूस कर रहे थे.
विवेक: अछा बता यहा अचानक कैसे?
शिखा: आज शाम बुआ जी के बेटे की एंगेज्मेंट है यही पास में, तो बुआ जी ने ज़िद की, तो चली आई.
विवेक: तो बताया क्यूँ नही मुझे पहले?
शिखा: अछा पहले बता देती तो क्या करते आप? गोली खा कर रेडी रहते मेरी बजाने को?
हम दोनो हासणे लगे. फिर बेड पर बैठ कर बातें की.
शिखा: भैया बहुत मिस किया यार आपको. कितना बुलाती रही, आप आए नही मिलने.
विवेक: यार बहुत बिज़ी हू एग्ज़ॅम आंड प्लेसमेंट की तैयारी में.
शिखा: मतलब आपको मेरी याद नही आई इतने दिन बिल्कुल?
विवेक: अब मैं क्या बतौ? तू ये कालू से पूच. तेरे जाने के बाद ये खड़ा होना ही भूल गया है वैसे.
शिखा: नही भैया, अभी नही, अभी इतना टाइम नही है हमारे पास. अब तो छोड़ना हो तो एंपी आना, तभी मिलेगी शिखा की छूट, वरना नही.
विवेक: पर तुझे कैसे पता मैं एक रौंद की रिक्वेस्ट करने जेया रहा था?
शिखा: सब जानती हू मैं भैया, कहा तक जेया सकती है आपकी सोच.
अछा चलो मैं चलती हू अब. मुझे रेडी होना है और मुम्मा को भी रेडी करना है. अब मिलते है एंपी में, जल्दी ही भैया, प्लीज़.
शिखा चली गयी पर बहनचोड़ मेरे लोड की आग भड़का गयी. अब वो आई थी, तो बिना छोड़े कैसे जाने देता? रात वो तैयार हो कर होटेल गये सब, और पीछे से मैं भी पहुँच गया शिखा को बिना बताए.
उसे वाहा देखा तो मेरे होश उडद गये. कसम से बहुत हॉट दिख रही थी यार ब्लॅक शॉर्ट ड्रेस में. शायद मिद्डी बोलते है उस ड्रेस को.
हाए बहनचोड़ क़यामत लग रही थी. मेरा मायूस शेर जाग गया उसे देख कर. मैने फोन किया उसे-
शिखा: क्या हुआ बहनचोड़, रहा नही जेया रहा क्या मेरी छूट के दर्शन के बिना?
विवेक: हाए क्या बतौ मेरी रंडी, मदारचोड़, ब्लॅक ड्रेस में तो इतनी हॉट दिख रही हो की मॅन कर रहा है तुझे स्टेज पर ही पटक कर पेल डू.
वो यहा-वाहा नज़र घुमा कर मुझे ढूँढने लगी.
शिखा: कहा हो आप? यहा होटेल आए हो क्या? दिख क्यूँ नही रहे?
विवेक: दिख जौंगा, जल्दी से वॉशरूम की तरफ आ.
शिखा: नही-नही भैया, प्लीज़, यहा कुछ ऐसा-वैसा नही करते है. वरना प्राब्लम में आ जाएँगे.
विवेक: अर्रे तू दिमाग़ मत चला, और जल्दी आ. मैं वेट कर रहा हू.
2-3 मिनिट बाद वो आई, तो मैने उसे झट से हग किया. बहुत हॉट दिख रही थी यार. उसके हाथ पकड़ा और वॉशरूम में ले गया, और वेस्टर्न पोत वाले सेक्षन में जेया कर डोर लॉक कर दिया.
शिखा: क्या कर रहे हो भैया यार. क्यूँ मेरी फाड़ने में लगे रहते हो? यहा सब लोग जानते है मुझे. सारे के सारे रिलेटिव्स ही है, बस और कोई नही है. किसी ने देख लिया तो शामत आ जाएगी भैया.
मैं उसकी बात ही नही सुन रहा था. मैं तो बस उसके बूब्स देख रहा था, जो उस ड्रेस में बहुत ग़ज़ब दिख रहे थे. मैने उपर से ही बूब्स पकड़ लिए.
शिखा: आ छ्चोढो भैया ड्रेस खराब हो जाएगा, और अभी टाइम नही है.
विवेक: टाइम-विमे सब है, बस जल्दी से लंड मूह में ले कर तैयार कर दे, और फिर हम शुरू करे. अब तू इतनी डोर से आई है तो बिना लिए तो कैसे जाने डू तुझे मेरी जान?
इतना बोला और उसके होंठो को किस किया.
कैसे उसे छोड़ा, अगले पार्ट में. तब तक हिलाते रहे, और बेहन का भी ध्यान रखे