तो मेरे एग्ज़ॅम्स ख़तम हो गये थे फाइनल एअर के, और अब प्लेसमेंट स्टार्ट होने थे. अब मेरे पास ऑलमोस्ट 7-10 दिन का गॅप था. 1 दिन फुल रेस्ट किया. फिर 2न्ड दे सारे इंपॉर्टेंट डॉक्युमेंट्स तैयार करने के लिए अप्लाइ किया, और अब वेट करने के अलावा कोई काम नही था.
3र्ड दे बहुत बोर हुआ, तो सोचा की चलो शिखा को सर्प्राइज़ देते है. रात को बस पकड़ी और सुबह 4 बजे उसकी कॉलोनी के बाहर पहुँचा. गेट्कीपर से सारी फॉरमॅलिटीस पूरी की, और उसके फ्लॅट पर पहुँचा. फिर शिखा को कॉल किया-
शिखा: हेलो भैया, क्या हुआ, इतनी सुबह-सुबह क्यूँ कॉल किया?
विवेक: बस मुझे याद आ रही थी अपनी जान की.
शिखा: आपको या आपके…
मैने बेल बजाई उसके फ्लॅट की.
शिखा: अर्रे यार इतनी सुबह-सुबह कों आ गया?
भैया मैं आपको 2 मिनिट में कॉल करती हू, कोई आया है डोर पर. वो 2 मिनिट बाद आई, गाते खोला, और मुझे देख कर पहले तो एक-दूं शॉक्ड, फिर खुशी से लिपट गयी मुझसे.
शिखा: ई लोवे योउ भैया. क्या सर्प्राइज़ दिया है यार. मैं मिस भी कर रही थी आपको बहुत.
और कहते-कहते मुझे चेहरे पर किस करने लगी. इतने में अंदर वाले रूम से उसकी कोई फ्रेंड आ गयी.
फ्रेंड: अर्रे क्या हुआ शिखा? क्यूँ शोर कर रही है?
उसे देख कर शिखा ने मुझे छ्चोढा और तोड़ा नॉर्मल हुई.
शिखा: अर्रे यार ये विवेक भैया है. मैने बताया था ना इनके बारे में? मुझे सर्प्राइज़ देने के लिए बिना बताए आ गये आज. ई’म सो हॅपी यार. चलो अंदर आओ भैया. तू जेया सो जेया अंदर. मैं और भैया यही बाहर बैठ कर बातें करेंगे.
उसकी फ्रेंड अंदर गयी, और सो गयी.
शिखा: और बताओ भैया, अचानक सर्प्राइज़ कैसे?
विवेक: बस एग्ज़ॅम ख़तम हुए है. 1 वीक ऑफ है अभी, तो सोचा मिल अओ अपनी जान से.
शिखा: अछा जी सिर्फ़ मिलने आए हो ना?
और वो हासणे लग गयी. हम दोनो वही सोफे पर बैठे थे. फिर वो मेरे पास आई, और मेरी गोद में बैठ कर मुझे हग करी.
शिखा: अफ भैया, मैं बता नही सकती कितनी खुश हू मैं आपको यहा देख कर, और आपको ऐसे हग करके. कितनी वॉर्म्त है आपकी बॉडी में भैया.
मैने भी उसे कस्स कर जाकड़ लिया, और हम दोनो ही टाइट्ली हग किए बैठे रहे बिना कुछ बोले. फिर मैं उसे गोद में लिए ही उठा, और अंदर वाले रूम का डोर बाहर से लॉक कर दिया. शिखा ने मुझे ये करते देखा और स्माइल करने लगी.
शिखा: नही मानोगे आप भैया! आते ही शुरू करना है आपको यार? रुक जाओ, सुबह होने दो. ये चली जाएगी फिर सारा दिन हमारा है, सारी रात हमारी है यार.
विवेक: ये चली जाएगी, फिर क्या मज़ा आएगा? मज़ा तो इसके यहा होते हुए आएगा ना पागल.
मैने उसे सोफे पर बिताया, और वॉशरूम गया. फिर हाथ-मूह धोए, ब्रश किया, आचे से सॉफ किया, और वापस आया. वापस आ कर शिखा को धक्का दिया, और सोफे पर लिटा दिया.
शिखा: अर्रे-अर्रे क्या हुआ?
विवेक: सस्स्सह, कुछ मत बोलना, ना रोकना, ना टोकना, बहुत तडपा हू.
वो भी बिना कुछ बोले चुप-छाप सोफे पर लेट गयी. मैने उसके शॉर्ट्स और अंडरवेर पकड़ कर निकाल दिया. हाए उसकी फूली हुई छूट क्या लग रही थी. मैने चेहरा उसकी छूट के पास किया, और उसे स्मेल किया. फिर अपनी जीभ से उसकी छूट के उपर टच किया जीभ की नोक से. वो सिहार उठी. बहुत दीनो बाद छूट को च्छुआ था किसी ने.
शिखा: उम्म्म्म भैया, मैने उसकी छूट में अपनी जीभ उतार दी, और जितना हो सका उसकी छूट को मूह में भर लिया, और चूसने लगा.
अचानक हुए हमले को वो झेल नही पाई. मगर चिल्ला भी नही सकी. एक हाथ उसने अपने मूह पर रखा, और एक हाथ मेरे सिर पर. मैं चाबाद-चाबाद उसकी छूट चूस रहा था, और वो भी मज़े से अपनी कमर हिला-हिला कर अपनी छूट मेरे मूह में और अंदर तक घुसा रही थी, और हाथ से मेरा सिर दबा रही थी.
शिखा: एम्म एम्म आअहह भैया एस चूसो यार कब से तड़प रही थी साली अपने यार के लिए. एम्म्म फक, चूसो.
2 मिनिट की चुसाई में ही शिखा की छूट ने सारा पानी छ्चोढ़ दिया, और मैं उसकी छूट के दोनो लिप्स को अलग करके जीतने अंदर तक मूह पेल सकता था पेले हुए चूस रहा था. उसकी छूट के अंदर की सॉफ्ट स्किन को जीभ से चाट रहा था कुरेड-कुरेड कर.
शिखा: बस-बस भैया, अब डालो मेरे राजा को मेरे अंदर यार, और मत तड़पाव छूट को. मेरी रानी को मिलाओ उसके राजा से जल्दी.
मैं उठा और अपने लंड निकाल कर उसकी छूट पर सेट किया. फिर झुक कर उसे एक किस किया होंठो पर. उसके बाद एक झटके में पूरा लंड उतार दिया उसकी छूट में.
शिखा: आ भैया, मुझे पता था आप आआहह एक झटके में पूरा मूसल दे मारोगे.
विवेक: अछा, कैसे पता था?
शिखा: क्यूंकी मेरी फ्रेंड अंदर सो रही है ना.
विवेक: तो उससे क्या?
शिखा: उससे ये की मुझे पता चल गया है आपको मुझे तडपा कर छोड़ने में ज़्यादा मज़ा आता है, जब कोई हो आस-पास, और पकड़े जाने का दर्र हो. तो आप अपना लंड पूरी ताक़त से पेलते हो, ताकि मेरी चीख निकले जो की मुझे निकालनी नही है, और मैं ताडपू, और कंट्रोल करू, और उससे आपको और जोश आए
मैने लंड बाहर निकाला, और फिरसे एक झटके में ही पूरा पेल दिया. वो तड़प कर रह गयी, और स्माइल करते हुए बोली-
शिखा: देखा मैने बोला था ना मेरे राजा को तड़पने में मज़ा आता है.
बस फिर क्या था छूट ने लंड को आचे से चिकना कर दिया था, सो चल पड़ी रेल-गाड़ी. मैं डीप स्ट्रोक्स दे-दे कर उसे छोड़ रहा था, और कोशिश कर रहा था की आवाज़ ना आए जब उसकी बॉडी से मेरी बॉडी टकराए. और उधर शिखा कोशिश कर रही थी की वो मज़े से चिल्ला ना दे.
शिखा: उम्म्म भैया यार, तोड़ा धीरे से पेलो ना. आअहह मा रे, मार दिया सेयेल कुत्ते.
मैने उसकी नेक को बीते किया. फिर उसके बूब्स को चूसने लगा, और नीचे से लंड तो पेल रहा था.
शिखा: अया आअहह एस उफ़फ्फ़ मदारचोड़ एस, पेलो भैया एस, पियो इन्हे. बहुत भारी हो गये है जब से आपने खाली करना छ्चोढा है.
वो ये सब बड़बड़ा रही थी दबी-दबी आवाज़ में. मैं उठा, और उसे उठा कर अंदर वाले कमरे के गाते के पास खड़ा कर दिया पलट कर, और एक लंड पेल दिया एक झटके में.
शिखा: आअहह.
और पलट कर मुझे मारा
और स्माइल करते हुए फिरसे चुदाई में खो गयी. मैने बूब्स को पकड़ कर फिरसे धक्के पेलना शुरू कर दिया. वो भी अपनी गांद पीछे करके लंड और अंदर तक ले रही थी. ऐसे ही 5 मिनिट तक छोड़ा, तो उसकी छूट फिर नदी की तरह पानी छ्चोढ़ गयी.
मैं नीचे बैठा, और घूम कर उसकी छूट को मूह में भर लिया, और चाट-चाट कर उसका रस्स पिया. फिर वापस सोफे पर आ कर उसे साइड लिटाया और लंड पेल दिया. उसके बाद 20 मिनिट तक साइड फक किया.
शिखा: आअहह बहनचोड़, अब झाड़ भी जाओ भैया. मा छोड़ देते हो आप एक ही रौंद में यार. अगर ऐसे नही झाड़ रहा तो मूह में डेडॉ, मैं चूस कर निकाल डू.
विवेक: नही-नही, मेरी रंडी बस होने को है बोल पीना है.
शिखा: नही भैया, अभी तो आप मेरी छूट में ही भर दो. बहुत तड़प रही है अपने यार के माल को. छोड़ो इसे, और दो इसको इसकी डोस. आहह धीरे.
विवेक: बस तोड़ा झेल ले यार, मेरा होने को है मेरी जान. साली रंडी ले अपने यार का माल अपनी छूट में साली छिनाल कुटिया.
शिखा: आअहह मा फक. उफफफ्फ़ हा, हा, आअहह भर दे मेरी छूट बहनचोड़ अपने माल से. बहुत तदपि है साली अपने यार के लंड को अया मा.
और 4-5 झटके मार कर मैं उसकी छूट में ही झाड़ गया. उसे पीछे से टाइट पकड़ कर लंड एंड तक पेले हुए था. बूब्स लाल पद गये थे उसके, इतनी टाइट्ली पकड़ कर रखा था. 10 मिनिट बाद हम दोनो उठे, बातरूम गये, और एक-दूसरे को आचे से सॉफ किया.
फिर कपड़े पहने, और सोफा कम बेड को बेड बनाया, और सो गये. उसके बाद उसकी फ्रेंड ने उठाया लगभग 10 बजे. वो अपने रूम को गयी तो हम दोनो फ्री थे, और मैं पूरा दिन खुले सांड़ की तरह अपनी गाए की सवारी करता रहा.
शिखा: अब मैं समझी की आपने मुझे हॉस्टिल या प्ग में क्यूँ नही रहने दिया. बड़े हरामी हो बहनचोड़. बहुत डोर की सोच कर चलते हो.
फ्लॅट पर जब जी चाहा आ गये, पेला, और चले गये, सही है भैया.