पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की कैसे मेरी दीदी की चुदाई उसके ब्फ आयुष और आयुष का दोस्त ने मिल करके होटेल में की थी.
अब आयेज-
चुदाई होने के बाद रानी और मेरी दीदी घर के लिए निकल गये थे. अब मेरी दीदी की एंगेज्मेंट में ज़्यादा दिन नही बचे थे, और सारी शॉपिंग लगभग कंप्लीट भी हो गयी थी दीदी की.
सारे मेहमान भी अब आने शुरू हो गये थे. क्यूंकी अब दीदी की सगाई में बस 2 दिन का ही समय बचा था. इसी में मेरी बुआ का लड़का प्रिन्स भी आने वाला था, और प्रिन्स भी बुआ के साथ मेरे घर आ गया 2 दिन पहले दीदी की सगाई के लिए.
मैं अब हमेशा दीदी के ही चक्कर में रहता था, जब से दीदी की चुदाई के बारे में पता चला था. लेकिन दीदी को अभी पता नही था की मैं उनके बारे में जानता हू.
हमारी प्रिन्स से अची दोस्ती है. हम अपनी बातें आपस में शेर भी करते है. क्यूंकी एक तो प्रिन्स हम लोगों की आगे का ही है, और दूसरा मैं बुआ के घर रहा हू पढ़ाई के लिए. तो वाहा पे हम साथ ही खेले और कूड़े है, तो अची दोस्ती है मेरी उससे.
जिस दिन प्रिन्स मेरे घर आया, उस दिन मुझे मार्केट जाना था शाम में. मैने प्रिन्स को बोला की चलना है तो उसने माना कर दिया. वो बोला आज ही आया हू, आज नही जौंगा. तो मैं अकेले ही मार्केट की तरफ निकल गया.
मेरे घर में ज़्यादा लॅडीस ही है, जेंट्स कम ही है. एक पापा और एक मैं बस. अब प्रिन्स भी आ गया था तो अभी एक प्रिन्स भी था. बाकी अभी ज़्यादा जेंट्स नही आए थे मेरे घर. हा लेकिन लॅडीस आ गयी थी सगाई के लिए. फिर मैं जब मार्केट से आया तो पूछा प्रिन्स कहा है. तो पता चला की सबसे उपर च्चत पे है. मैने सोचा चलता हू, बड़े टाइम के बाद उससे मिलना हो रहा है.
तो मैं दौड़ा-दौड़ा च्चत की और गया. उसके पहले मैं 1स्ट्रीट फ्लोर पे दीदी के रूम में पहले गया. देखा की दीदी भी नही थी. तो फिर सोचा कही दीदी सबसे उपर च्चत पे तो नही थी.
अब मेरे दिमाग़ में दीदी और प्रिन्स दोनो घूमने लगे, की दोनो च्चत पे थे क्या. और धड़कन मेरी बढ़ने लगी थी. फिर मैने आराम-आराम से च्चत की तरफ बढ़ना शुरू किया.
लेकिन मेरी किस्मत ही खराब थी. सीडी पर गाते बंद किया हुआ था बाहर से. मतलब प्रिन्स या दीदी दोनो में से किसी ने गाते बंद किया हुआ था. ताकि कोई आए नही. अब मैं दर्र गया था, और एक उत्सुकता भी अंदर से हो रही थी, की क्या हो रहा होगा. मैं जल्दी से नीचे गया, और बगल वाले घर में बस मा-बेटी रहते थे.
उनसे मैने बोला: आपकी च्चत पे कुछ गिर गया है.
और उनसे पर्मिशन ले करके उनकी च्चत की और जल्दी से भागा. मैने उनकी च्चत पे जाते ही जो देखा वो देख करके शॉक्ड हो गया. प्रिन्स ने मेरी बेहन को अपनी बाहों में लिया हुआ था, और दोनो कुछ बातें कर रहे थे. दीदी ने अपनी ओढनी हटा करके नीचे रख दी थी, और प्रिन्स की बाहों में लिपटी हुई खड़ी थी.
प्रिन्स उससे कुछ पूच रहा था. लेकिन इतना धीरे वो बातें कर रहे थे, ताकि किसी को सुनाई ना दे. और इसलिए मुझे भी सुनाई नही दे रहा था, की दोनो क्या बातें कर रहे थे. लेकिन बात करते-करते बीच-बीच में प्रिन्स दीदी की गांद पकड़ के दबा रहा था ज़ोर से.
अब तो ये देख करके मेरी हालत खराब होने लगी थी. मेरा लंड खड़ा हो चुका था पूरा. मैं अब इस ख़याल में डूब गया की आज तक हम दोनो प्रिन्स और मैं सारी लड़कियों की बातें करते थे. मैं कितनी लड़कियाँ छोड़ा हू, किसको-किसको छोड़ा हू, सब बताया था. और प्रिन्स भी मेरे से सब डीटेल्स में बताता था किस-किस को छोड़ा था वो.
लेकिन मुझे ये नही पता था की वो मेरी ही बेहन के उपर नज़र बनाए रखा था. और साला एक बार भी शक भी नही होने दिया मुझे. इतना मेरे से च्छूपा के रखा हुआ था.
ये सब ही मैं सोच रहा था, की इसका भी क्या लक है प्रिन्स का. 2 दिन में मेरी बेहन की सगाई थी. वो किसी और की होने वाली है, और आज उसी लड़की को अपनी बाहों में ले करके गांद मसल रहा था उसकी.
दोस्तों एक बात तो है. ऐसे रोज़ आप लड़की की चुदाई करो, वो अलग बात है. लेकिन जब लड़की की सगाई का दिन रखा जाए, या शादी का दिन हो, और उस पीरियड में उसकी चुदाई करो, तो जो मज़ा उस पीरियड में चुदाई करने में मिलता है, वो अमेज़िंग होता है कभी एक्सपीरियेन्स करना.
किसी लड़की का शादी का टाइम नज़दीक हो. मतलब 2 से 5 दिन, और उस समय कोई लड़की आपसे छुड़वा ले. वो सुख पूरी ज़िंदगी तुम नही भूल पाओगे. ये सब ही सोचते-सोचते मैं पता नही कहा खो गया की मेरी बेहन का कितना मज़ा ले रहा होगा इस समय प्रिन्स.
जब ध्यान से बाहर आया तो देख रहा था, मेरी बेहन को पूरी आगोश में ले चुका था, और उसके होंठो को पकड़ के चुम्मा-छाती भी चालू हो चुकी थी. मैं तो ये देख करके हैरान था, की मेरी बेहन को मेरा भाई ही आज चूस रहा था.
मैं अपनी किस्मत पे लानत कह रहा था, की इतनी मस्त माल घर में ही थी, जिसका ब्फ छोड़ रहा था. उसका ब्फ अपने दोस्तों से छुड़वा रहा था. रिश्तेदारी का भाई भी छोड़ रहा था, और मैं घर में ही रह करके बस देखता हू. लानत है ऐसी ज़िंदगी पर दोस्तों.
लेकिन मैं भी अब देख करके गरम हो गया था. वो दोनो अब फुल किस में लगे हुए थे. तब तक किसी ने गाते बजा दिया, और वो दोनो एक-दूं से दर्र गये. जल्दी से दीदी ने ओढनी ली, और अपने कपड़े और बाल ठीक किए. फिर एक कोने में जेया करके बैठ गयी.
प्रिन्स जल्दी से अपने लंड को अड्जस्ट करते हुआ गाते की और भागा. उसका लंड भी इस समय उसका साथ देने को तैयार नही था. दीदी के लिप्स का मज़ा ले करके पूरा तंन के खड़ा हुआ था. मैने देखा तो मौसी थी.
वो बोली: तुमको खाना है या नही? सब कोई नीचे बुला रहे है.
प्रिन्स बोला: चलिए मैं आता हू. दोस्त से बातें कर रहा था.
और मौसी नीचे चली गयी. मौसी ने सुष्मिता दीदी को नही देखा था. अब जेया करके दोनो की जान में जान आई, और दोनो गले मिले और नीचे की तरफ चले गये. पहले दीदी गयी, और फिर कुछ देर के बाद प्रिन्स भी चला गया.
आपको ये कहानी कैसी लगी? अगर आपको अची लगी तो आप मुझे एमाइल कर सकते है.
एमाइल ई’द है-
हम कहानी लिखने वालो के लिए आपका एक प्यारा सा ए-मैल ही मोटिवेशन होता है. इसलिए आपको कैसी लगी कहानी ज़रूर से बताईएएगा.