Bangalan Bhabhi Ki Yaun Santushti Ki Chahat poori Hui- Part 2

हम दोनों फिर से एक-दूसरे से लिपट गए। दिल कह रहा था कि समय रुक जाओ.. हवाओ, और ठंडी हो जाओ.. जब मैं प्यार करूँ तो सब दिशाएं देखो..
सही में क्या मस्त नज़ारा था, काश वो सब आप भी महसूस कर पाते।

दोस्तो, जब भी मैं किसी के चेहरे पर परम सुख का भाव देखता हूँ.. तो मुझे बहुत अच्छा लगता है।
जब मुझसे कोई भाभी या आंटी के चेहरे पर सुख का भाव देखता हूँ.. तो ऐसा लगता है.. जैसे मेरी मेहनत सफल हो गई।

खैर दोस्तो.. लिपटे हुए हम लोग एक-दूजे के बदन को सहला रहे थे, वो मेरी गाण्ड को कस कर दबा रही थी, कभी मेरी गाण्ड के छेद में उंगली डालने की कोशिश कर रही थी।
बहुत मज़ा आ रहा था, मैं उसके चूचों की चटनी बना रहा था, उसके दूधों को कस-कस कर मींज रहा था, उसके कड़क निप्पलों को अपनी उंगली में दबा कर घुमा रहा था, दोनों हाथों से दोनों चूची को मसल रहा था।

अब मैंने उसकी मस्त चूची को पीना शुरू कर दिया, कभी एक को पीता तो दूसरी दबाता.. कभी दूसरी को चूसता तो चूत को सहलाता।
भाभी पागल हो रही थी ‘आअह्ह्ह्ह.. आह्ह्ह..’ उसके मुँह से मादक सिसकारी निकल रही थी.. जिससे मुझे और जोश आ रहा था।

अब मैं चूची छोड़ कर पेट को चाट रहा था। साथ ही उसके पूरे बदन को चाटना जारी था।
फिर जैसे ही मैंने नाभि में जीभ डाली.. तो उसका शरीर कांप गया।

कुछ देर बाद हम लोग 69 पोजीशन में आ गए। वो मेरे लंड को सहला रही थी। मैं उसकी जाँघों को चाट रहा था।

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थोड़ी सी जांघें फैला कर बुर के ऊपर झाँटों वाली जगह पर किस किया, फिर चूत के ऊपरी भाग को चूमा।
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आह्ह्ह.. मस्त मज़ा आ रहा था। चूत के ऊपर वाली चमड़ी को अपने होंठों में ले कर थोड़ा सा खींचा.. जिससे वो ‘आह्ह्ह.. आह्ह्ह..’ करने लगी।
मैं उसे लण्ड डालने से पहले बहुत गर्म कर देना चाहता था जिससे वो खुद ही लंड डलवाने को बेचैन हो जाए।
इससे औरतों को बहुत मज़ा आता है।

अब मैंने उसकी बुर को अपने हाथों से थोड़ा फैला दिया और जीभ को उसके गुलाबी भाग पर रख कर चाटने लगा, सुपर्णा बेचैन होने लगी।
अब मैंने एक बार फिर से अपना लण्ड उसके मुँह में दे दिया था, वो लण्ड को अच्छे से चूस रही थी, उसकी बुर बहुत गीली हो रही थी, वो अपनी कमर हिला रही थी, मैं भी उसके मुँह को चोद रहा था।

भाभी बोली- अब लण्ड को चूत में दे दो अजय.. पेल दो।
मैंने भी देर करना उचित नहीं समझा, चूत चाटना छोड़ कर मैंने उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया लगाया, दोनों पैर अपने कंधे पर रख कर लण्ड को चूत पर लगा दिया।

चूत और लंड दोनों गीले थे, मैं लंड को चूत के छेद पर रगड़ रहा था, बहुत मज़ा आ रहा था, वो भी अपनी कमर हिला कर मज़ा ले रही थी।

तभी मैंने एक तेज़ झटका मारा और पूरा लण्ड अन्दर।
‘आअह्हह्हह..’ उसके मुँह से एक सिसकारी निकली।
अब तेज़ रफ़्तार से मैंने चोदना शुरू किया, पूरा लण्ड बाहर निकालता और फिर से पूरा पेल देता।

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‘आआह्ह्ह आह्ह्ह हहह..’ क्या मस्त चुदाई चल रही थी, मैं सुपर्णा के दोनों चूचों को पकड़ कर चोद रहा था, कभी उसके निप्पल को चूसता.. तो कभी उसके रसीले होंठों को, नीचे तो उसके चूत की चटनी तो बना ही रहा था।
मैंने कहा- मेरी जान अब तुम ऊपर आ कर मुझे चोदो।
उसने कहा- ठीक है।

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