Bangalan Bhabhi Ki Yaun Santushti Ki Chahat poori Hui- Part 1

थोड़ी देर बात करने के बाद धीरे-धीरे हम लोग करीब आने लगे, मैं उसका हाथ अपने हाथ में ले कर सहलाने लगा।
मैंने कहा- बहुत कोमल हाथ है।
बोली- इतना भी नहीं।

मैं लगातार उसकी तारीफ करता जा रहा था और सुपर्णा है भी तारीफ के काबिल।
धीरे-धीरे वो मेरे आगोश में सिमटती जा रही थी।

मैंने उसके हाथ के बीच वाली उंगली को अपने मुँह में लेकर चूसा तो वो सिहर उठी। वो मेरे सीने से लग गई.. और उसकी मस्त चूचियाँ मेरे सीने में दब गईं ‘आअह्ह्ह..’
दोस्तो.. मैंने सुपर्णा का फिगर तो बताया ही नहीं.. उसकी 34 साइज़ की चूचियां.. 34 की ही कमर और चूतड़ कम से कम 36 की या ज्यादा ही होगी।
मतलब सुपर्णा का जिस्म एकदम सुडौल है, उसकी कदली और जांघें मोटी सी.. जो मुझे बहुत पसंद आती हैं।

मेरे सीने से लगने के बाद मैंने उसके माथे को चूम लिया.. तो उसने कस कर मुझे अपनी बांहों में कस लिया।
अब मैंने उसका चेहरा ऊपर करके उसके रसीले गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए, मैं उसके होंठों से रसपान करने लगा।

सुपर्णा गर्म होने लगी थी.. वो भी मेरे होंठों को बेतहाशा चूस रही थी, कभी वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर मेरी जीभ से टच कर रही थी.. कभी अपना मुँह खोल कर मेरी जीभ को अन्दर ले रही थी।
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आअह्हह्हह.. क्या बताऊँ… बहुत मज़ा आ रहा था।

मैं उसके लबों को चूसते हुए उसकी एक चूची को सहला रहा था, धीरे-धीरे मैं उसके गाउन को ऊपर भी कर रहा था.. उसे जाँघों तक उठा दिया था। जिससे उसकी मांसल जाँघों को देख के मैं और जोश में आ गया।

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अब मेरा एक हाथ उसके चूचों को और नीचे एक हाथ मोटी जाँघों को सहला रहा था।

अब सुपर्णा ने मेरी टी-शर्ट को निकाल दिया और जीन्स के बटन को खोल दिए। फिर मुझे खड़ा करके मेरी जीन्स को खोल कर निकाल दिया।
अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था। मैंने भी उसे खड़ा करके उसके गाउन को निकाल दिया।

क्या मस्त गदराया हुआ बदन दिख रहा था। सुपर्णा एक डिज़ाइनर ब्रा-पैंटी में थी। वो मेरे सामने खड़ी थी। मैंने उसे पीछे घुमा कर उसकी पीठ को अपने नाख़ून से हल्का-हल्का दबा कर सहलाने लगा.. जिससे वो और मचलने लगी।
मैंने पीछे से ही पकड़ लिया, एक हाथ उसके सेक्सी पेट पर.. दूसरा उसकी चूत पर.. और मेरे होंठ पीछे से उसकी गर्दन पर लगता चल रहे थे।

बहुत मज़ा आ रहा था। मैं कस-कस कर उसकी चूत को रगड़ रहा था और पेट को सहला रहा था, वो लगातार ‘आअह्हह्हह.. आआह्..’ करे जा रही थी।

वो बोल रही थी- अजय और मसलो.. कस के.. आअह्हह जान.. बहुत मज़ा आ रहा है.. बहुत ज्यादा.. बहुत दिन से प्यासी हूँ।
मैं अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल चुका था।

चूंकि.. हम दोनों खड़े थे और मैं उसके पीछे था.. तो मेरा तना हुआ लंड उसके उभरी हुई गाण्ड में लग रहा था। जिसे मैं उसकी गाण्ड पर रगड़ भी रहा था।

पैंटी में हाथ डाल कर उसके चिकनी चूत को मसल रहा था। कभी पूरे हाथ में पकड़ कर जोर से भींच देता था.. तो कभी हल्के से सहला रहा था। उसकी चूत के ऊपर निकले हुई मांस को पकड़ कर खींच दे रहा था.. उसे पूरी मस्ती आ रही थी।

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