फॅमिली सेक्स स्टोरी अब आयेज-
रेखा: आप लोग खाना खाओ, मैं पापा जी को उनके कमरे में खाना देके आती हू.
मनोज: हा ठीक है देदे पापा जी को खाना.
रेखा ने खाना लगाया, और अपने ससुर जी के बड़े से रूम में जाने लगी. उसको देखते ही ससुर जी होंठ चबाने लगे, और घग्रा चोली में उसका कॅसा हुआ मुलायम पेट घूर्ने लगे. रेखा ने मुस्कुराते हुए खाना रख दिया, और जाने लगी. लेकिन तभी ससुर जी उसकी कमर पकड़ी, और खींच कर अपनी गोदी में बिताया, और उसका मुलायम पेट मसालने लगे.
रेखा: आ श.
धरम पल: कहाँ जेया रही है मेरी बहू. अपने हाथो से खाना तो खिला दे मुझे.
रेखा: आ ससुर जी, आप खाना नही मुझे ही खा जाओगे.
धरम पल: उउम्म्म्म, बोल तो सही रही है तू.
और इतना बोलते ही उसने रेखा का चुचा चोली के उपर से दबा दिया. रेखा की आँखें बंद हो गयी.
रेखा: आपका मॅन नही भरा पापा जी. दोपहर को ही तो आपने मुझे रग़ाद दिया था.
धरम पल: पर रात बाकी है मेरी बहू आ.
और ससुर जी रेखा की चोली में हाथ घुसा कर उसका चुचा बाहर निकालने लगे.
रेखा: आ अफ, अभी मनोज बाहर ही है. हा, देख लेगा कोई.
धरम पल: उसकी औकात नही है अपने बाप से कुछ बोलने की. अभी उसको औकात बताता हू.
तभी वहीं अपने रूम से धरम पल गुस्से में चिल्लाते हुए बोला-
धरम पल: आबे दोनो के दोनो जल्दी से खेतो में जाओ. और वहीं जाके रखवाली करो, और खाना खाओ.
तभी नीचे से आवाज़ आई: जी पिता जी, अभी जेया रहे है.
धरम पल और रेखा दोनो मुस्कुराने लगे. फिर धरम पल ने रेखा की चोली खींच कर फाड़ दी, और सीधा उसके निपल पर दाँत से काट कर चूसने लगा.
रेखा: आ आराम से पापा जी.
धरम पल कुत्ते की तरह हाथ पकड़ कर रेखा के निपल चबा कर चूसने लगा. फिर कुछ देर बाद नीचे से भी रेखा को नंगी करके पूरी रात धरम पल ने कुटिया की तरह छोड़-छोड़ कर अधमरा कर दिया. बेचारी ने अभी खाना भी नही खाया था, और धरम पल ने उसको पूरी रात छोड़ कर बेहोश कर डाला.
सुबह हुई, रेखा और धरम पल नंगे एक-दूसरे के साथ सो रहे थे. उमर के साथ धरम पल की हवस बढ़ती जेया रही थी, और उसके पास पैसे की भी कोई कमी नही थी. बड़े-बड़े खेत और एक कोठी में वो फुल आयशी करता, और अपने दोस्तों के साथ भी फुल मज़े करता.
पूरी रात कुटिया की तरह चुड कर रेखा ने सुबह कुछ देर आराम करा, और फिर से काम पर लग गयी. फिर उसने देखा की ससुर जी बाहर आके हुक्का पी रहे थे. वो गयी और ससुर जी के पैर दबाते हुए उनको अपनी गरम दूध से भारी च्चती दिखाने लगी.
धरम पल: आहह, बहुत दिन हो गये तेरा दूध नही निचोढ़ा मैने.
रेखा (मुस्कुराते हुए): आज ऐसे दूध नही मिलेगा पापा जी आपको. आपसे मैं नाराज़ हू.
धरम पल (रेखा के चुचे घूरते हुए): अछा मेरी जान? क्यूँ नाराज़ है तू?
रेखा: आप ही देखो ना. कब से मेरी कमर और गले पर कोई चैन नही है. आप नही चाहते क्या आपकी सुंदर बहू सोने के गहने पहने?
धरम पल: उउंम्म. बात तो तेरी सही है. तेरे जैसी मादक जवानी से भारी हुई बहू को तो सोने से सज़ा कर रखना चाहिए.
रेखा खुश हो गयी, और ससुर जी का हाथ अपनी च्चती पर रख कर मसालने लगी.
रेखा: तो चलो ना पापा जी, चलते है.
धरम पल (रेखा की च्चती नोचते हुए): अभी पहले तेरा ये दूध तो पी लू.
रेखा: हुहह अब मेरा दूध बंद हो गया पापा जी.
धरम पल: अर्रे क्यूँ बंद हो गया? पहले तो आता था.
रेखा (शरमाते हुए): वो तो जब आपने मेरे पेट में अपना बच्चा कर दिया था, और मैं मा बन गयी थी. तब मेरा दूध बना था.
धरम पल ने रेखा का एक मोटा चुचा बाहर निकाल लिया, और दबाने लगा.
धरम पल: ह्म, इसका मतलब तेरा दूध पीने के लिए फिर से तुझे मा बनाना पड़ेगा?
रेखा शर्मा कर मुस्कुराने लगी. तभी धरम पल ने अपनी सोने की चैन उतार कर रेखा के चुचो में दबा दी.
धरम पल: ये ले तेरे लिए.
रेखा: क्या पापा जी बस यही?
धरम पल: अर्रे मेरी जान, नाराज़ मत हो. आज तुझे दुल्हन बना कर सज़ा दूँगा. फिर तेरे साथ सुहग्रात माना कर तेरे इस मुलायम पेट में फिर से बच्चा डाल दूँगा.
रेखा शर्मा गयी. इतने में मनोज और जग्गू भी खेत से वापस आ गये, और रेखा रसोई में काम करने चली गयी.
धरम पल: हा भाई, खेतों में सब ठीक है?
मनोज: जी बापू जी.
जग्गू: जी बापू जी.
तभी धरम पल ने अपनी जेब से नोटो की गद्दी निकाल कर दोनो को दी.
धरम पल: ये तुम दोनो रखो, खेत की कमाई तुम्हारे लिए भी है. तुम्हारा बाप हू, तो इसलिए तुम्हारा ख़याल भी रखता हू.
वो दोनो खुश हो गये, और अपने बाप के पैर छ्छूने लगे.
धरम पल: अर्रे सुन मनोज. मैं रेखा को कहीं बाहर लेके जेया रहा हू मंदिर में. हफ्ते तक वापस आ जौंगा.
मनोज: जी बापू जी. मैं रेखा को बोल देता हू, वो तैयार हो जाएगी.
धरम पल मॅन ही मॅन हासणे लगा. फिर अंदर जाके मनोज ने रेखा को बताया और रेखा ने उसको सोने की चैन दिखाई.
मनोज: बापू जी सच में हमारा बड़ा ख़याल रखते है. देखो आज मुझे भी पैसे दिए है.
रेखा मॅन ही मॅन मुस्कुराने लगी. दोपहर होते होते धरम पल रेखा को लेके बड़ी कार में निकल पड़ा, जो पुर गाओं में बस उसके पास त्ीी. ड्राइवर ने कार चला दी, और घर से बाहर निकलते ही ससुर जी ने रेखा की कमर में हाथ डाला, और अपने से चिपका लिया. रेखा भी मुस्कुराते हुए अपने ससुर जी की जाँघ मसालने लगी.
धरम पल (रेखा की चिकनी कमर नोचते हुए): अब तो तू 1 हफ्ते के लिए बस मेरी है.
रेखा: 1 हफ़्ता, पर घर तो…
धरम पल: अर्रे तू चिंता मत कर, मैने दोनो लड़कों को बोल दिया है की बहू 1 हफ्ते तक मेरे साथ मंदिर के दर्शन और पूजा के लिए साथ रहेगी. उनकी हिम्मत है तो कुछ बोल जाए अपने बाप से.
रेखा (शरमाते हुए): 1 हफ़्ता पापा जी.
धरम पल: हा मेरी जान. 1 हफ़्ता तुझे दुल्हन की तरह सज़ा कर तेरे साथ रोज़ सुहग्रात बना कर तुझे फिर मा बना दूँगा. और फिर रोज़ तेरी गरम च्चती से दूध निचोढ़ कर पियुंगा.
रेखा शर्मा गयी. ससुर जी ने रेखा को अपनी गोदी में लिटा दिया, और उसके मुलायम पेट और चुचे मसल कर मज़ा करने लगे.
धरम पल: आहह, तेरा मुलायम पेट. साली क्या मेरा गीयी पी-पी कर तू भी मादक हो गयी है.
चटाक़, एक थप्पड़ धरम पल ने अपनी बहू के पेट पर मारा और मसालने लगा.
रेखा: आ श.
पीछे की सीट पर धरम पल फुल मज़ा कर रहा था, की दुकान आ गयी.
धरम पल: चल आजा तुझे आज घग्रा चोली दिखता हू.
दोनो उतार गये, और दुकान में जाने लगे. दुकान में जाके धरम पल अपनी बहू के लिए घग्रा चोली देखने लगा. उसने 3-4 घग्रा चोली उठाई, और रेखा को डेडी. वो घग्रा चोली दिखने में भी बहुत छ्होटी लग रही थी. और एक काफ़ी डीप ब्लाउस वाली थी.
रेखा (शरमाते हुए): ये तो बहुत छ्होटी है.
धरम पल: अर्रे सब ठीक है. जेया तू पहन कर दिखा मुझे.
रेखा लेके गयी और पीछे बने रूम में चेंज करने लगी. कुछ देर बाद आई तो ससुर जी के साथ दुकानदार का भी लंड खड़ा हो गया. इतनी टाइट चोली में उसके चुचे बिल्कुल डब गये थे, और फटने को हो रहे थे. आधे से ज़्यादा उसके चुचे बाहर निकल गये थे. और उसका मुलायम पेट पूरा सॉफ चमक रहा था. पीछे से मोटी गांद की लाइन भी सॉफ दिखने लगी. धरम पल ने वहीं बैठे हुए अपना लंड मसल लिया, और रेखा शर्मा कर मूह झुका कर खड़ी थी.
धरम पल: हा तू अची लग रही है.
रेखा श्रमा कर दुकानदार से अपने चुचे और पेट च्छुपाने लगी.
रेखा (शरमाते हुए): पर पापा जी ये तोड़ा टाइट है.
धरम पल: अर्रे कुछ टाइट नही है, तू चुप कर. दुकानदार, ऐसी 10-12 घग्रा चोली पॅक कर दे. ये ले पैसे.
रेखा शर्मा गयी. तभी धरम पल ने एक बहुत डीप ब्लाउस भी उठाया, और बोला-
धरम पल: सुन मुझे ये भी पहन कर दिखा.
रेखा ने देखा वो काफ़ी डीप ब्लाउस था. उसको दर्र था अब की उसके चुचे जो ससुर जी ने रोज़ नोच-नोच कर, मसल-मसल कर, मोटे कर दिए थे. वो इस ब्लाउस में फिट हो जाएँगे. पर वो माना नही कर सकती थी. फिर उसने ब्लाउस उठाया, और जाने लगी.
कुछ देर बाद वो आई. उम्म, रेखा की च्चती बीच में से पूरी दिख रही थी. वो ब्लाउस उसके काससे हुए मोटे चुचो से फटने को हो रहा था. धरम पल ने देखा की उसने अपने चुचो के निपल पर हाथ लगा रखा था.
धरम पल: अर्रे हाथ हटा तो ज़रा.
दुकानदार तो फुल मज़ा ले रहा था. रेखा शर्मा गयी, और पीछे हो गयी. ससुर जी खड़े हुए, और अंदर ले गये.
धरम पल: अर्रे क्यूँ इतना शर्मा रही है. ब्लाउस ही तो है.
तभी ससुर जी ने रेखा ना हाथ हटाया तो उसके दोनो निपल उस डीप ब्लाउस में से बाहर निकल रहे थे, जिनको वो दुकानदार के सामने च्छूपा रही थी. ये देखते ही ससुर जी का लंड खड़ा हो गया.
धरम पल: उउम्म्म्मम, साली बहुत मादक चीज़ है तू. तेरे कड़क निपल ने मेरा लंड खड़ा कर दिया.
ससुर जी ने रेखा के हाथ नीचे करे, और सीधा उसके निपल पर टूट पड़े.
रेखा: आ आ श आ अफ.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.