बाप ने बेटी को होटेल ले-जा कर चोदा

ही गाइस! मैं ज़राइना सिडईक्वी. ई होप मेरा नाम आपको याद होगा, और आप ने मेरी कहानी का पिछला पार्ट पढ़ा होगा. और अगर नही पढ़ा, तो प्लीज़ पहले उसको पढ़े, फिर यहा आए. सो आगे बढ़ते है.

और आख़िर वो दिन आ गया जिसके लिए मेरी और मेरी फ्रेंड्स की फटत रही थी. 7 मार्च पहला एग्ज़ॅम था. उफ़फ्फ़, इतना पढ़ने के बाद भी हालत खराब थी, और कमर का दर्द हाए. घर से जल्दी-जल्दी करके सेंटर पहुचि. भाईजान बिके पर छ्चोढ़ कर ऑफीस के लिए निकल गये. जाते-जाते बेस्ट ऑफ लक भी किया.

अंदर जाके रोल नो वग़ैरा देखने लगे हम मिल कर. उफ़फ्फ़ इतनी भीड़ थी वाहा. करेक्ट 3 घंटे बाद सेंटर से बाहर निकली. मैं बहुत खुश थी क्यूंकी जितना टेन्षन था, सब का सब निकल गया. क्यूंकी पेपर ही इतना लॉल आया था.

मुश्किल से 4-5 कदम बढ़ाए होंगे, और एक आक्टिव ठीक सामने आके रुकी. उस पर अब्बू थे. मुझे देख अब्बू ने प्यारी सी स्माइल दी, और उन्होने मुझे बैठने का इशारा किया. मैने फ्रेंड्स को बाइ कहा, और अब्बू के पीछे बैठ गयी. रास्ते के बीच में अक्तिवा की स्पीड नॉर्मल थी.

अब्बू: और कैसा गया एग्ज़ॅम?

मैं: अर्रे अब्बू इतना लल पेपर था, की बस पूछो मत.

अब्बू: तो इतने लल पेपर की टेन्षन में पॉर्न देख रही थी?

मैं: वो अब्बू, मुझे पता थोड़ी था की लल पेपर होगा.

अब्बू: वैसे एक बात बोलू?

मैं: हा! आज तो बहुत खुश हू, बोलो.

अब्बू: अगर हम बस एक लास्ट बार सेक्स कर लेते तो, बस ये लास्ट होगा पक्का.

मैं: नही, लास्ट टाइम मैं प्रेग्नेंट होते-होते बची हू.

अब्बू: आज मैं कॉंडम लाया हू. कोई प्राब्लम नही होगी. वैसे भी तेरा एग्ज़ॅम भी तो सही गया है.

मैं: लेकिन लाते हो गये तो अम्मी सवाल करेंगी.

अब्बू: अर्रे उस बेहन की लोदी को मैं संभाल लूँगा. अगर तू रेडी है तो मेरी नज़र में एक जगह है.

मैं: ओके! लेकिन ये बस लास्ट टाइम होगा.

आयेज से अब्बू ने लेफ्ट, फिर रिघ्त, एक और रिघ्त लेके साइड से चलते-चलते एक योयो नाम का होटेल आया. जैसे अब्बू ने फुल तैयारी कर रखी हो. फिर हमने सीधे के ली, और रूम नो 003 के अंदर चल दिए.

बेड पे ट्रॅन्स्परेंट नाइटी थी, मैने वो ली, और चेंज के लिए बातरूम की तरफ चलने लगी.

अब्बू: ज़राइना बेटी, मैं तुझे छोड़ने वाला हू अभी, और तू चेंज करने के लिए बातरूम जेया रही है.

मैं: कुछ तो प्राइवसी होनी चाहिए ना अब्बू?

अब्बू: ट्रॅन्स्परेंट नाइटी है पगली.

बातें आयेज ना बढ़े इसलिए अब्बू मेरे करीब आए. वो मेरी कुरती के बटन अपने हाथो से खोलने लगे. मैं चुप-छाप खड़ी अब्बू की इस हरकत पे थोड़ी हैरान हुई. लेकिन उनकी उत्सुकता देख मैं शर्मा गयी.

अगले ही पल मैं ब्लू रंग की एलास्टिक वाली ब्रा, और ब्लॅक पनटी में आ गयी. मेरा ये रूप देख वो बोले-

अब्बू: क्या बदन है ज़राइना तेरा. पहले तो मैं छोड़ने की जल्दबाज़ी में ध्यान नही दे पाया. लेकिन आज ये मौका जाने नही दूँगा.

मैं: अब्बू अपना हथियार भी तो निकालो. ठीक से मैने भी कहा देखा है.

शायद वो पल आ गया था, जब मैं और अब्बू एक-दूसरे के आमने-सामने पुर नंगे खड़े थे. मैं उनके हथियार को जो अभी बैठा हुआ था, और उसके आस-पास की झाँते बिल्कुल सॉफ थी बस देखे जेया रही थी.

वही अब्बू मेरी छूट जो छ्होटी-छ्होटी झांतो से च्छूपी थी देख कर शायद यही सोच रहे थे की “क्या ये वही च्छेद है जहा मैने 2 दिन पहले अपना लंड डाला था? क्यूंकी इसकी छूट पे कोई फराक तो नही पड़ा”.

कुछ देर तक मैने और अब्बू ने पहले स्मूच किया. इसी बीच मेरे बूब्स अब्बू की छ्चाटी से बिल्कुल डब से गये थे, और उनका लंड जो पहले बैठा था, बिल्कुल तंन गया था. वो मेरी छ्होटी-छ्होटी झांतो को चू रहे थे.

बेड की एक तरफ आ कर अब्बू ने मुझे लिटा कर मेरी टाँगो के बीच घुस कर मेरी छूट चाटने लगे.

“ऑश कसम से जो छूट चटाई में फील आया था, वो बाकी सभी फीलिंग से बिल्कुल उपर था. मुझे पता नही था की अब्बू के अंदर ये हिडन टॅलेंट है.” मैं अपने बूब्स को दबाते हुए बस कामुकता के टॉप फ्लो पर पहुँच चुकी थी.

मेरी छूट पूरी गीली हो चुकी थी, तोड़ा अब्बू की जीभ के कारण, और कुछ मेरी निकली जवानी के कारण. उसके बाद मैं बेड से उतरी तो देखा अब्बू का तन्ना लंड जैसे मेरे मूह में जाने को बेताब था.

उसकी बेताबी को डोर करते हुए उसको अपने हाथो में लेकर हिलाते हुए अपने मूह में भर कर मैं लंड को चूसने लगी. उस समय मुझे नही पता था, की इससे ब्लोवजोब कहते है. लेकिन जैसे-जैसे लंड बदले, मुझे पता गया.

फ्लोर पे पड़ी पंत से माँगो फ्लेवर कॉंडम का डब्बा निकाल कर अब्बू ने एक कॉंडम निकाला, और मेरे हाथो में देते हुए बोले-

अब्बू: ले पहना दे.

मैं( तोड़ा नॉटी होते हुए ): वैसे अब्बू आपका लंड बिना कॉंडम के ही सेक्सी लगता है.

अब्बू ( ओवेर्स्मर्ट बनते हुए): अगर तुझे कोई प्राब्लम नही तो मुझे बता, मैं तो बिना कॉंडम के भी रेडी हू.

तड़प थी, लेकिन मैं रिस्क नही लेना चाहती थी. इसलिए कॉंडम लंड पे चढ़ा दिया, और बेड के उपर आ कर लेट गयी. छूट गीली थी, और तोड़ा और गीला करने के लिए थूक का सहारा लिया.

मेरी टाँगो को तोड़ा और फैलाते हुए मेरी छूट में घुस आए. अचानक से मेरी आहह की चीख सुन कर अब्बू को यकीन हुआ, की चलो आज छूट को खोलने का अछा मौका मिल गया था.

अपने दोनो हाथ साइड में रख कर, मेरी तरफ तोड़ा झुकते हुए अब्बू की नज़र उनके लंड और मेरी छूट के मिलन पे थी, और शायद वो चेक भी कर रहे थे, की मिलन सही भी हो रहा था, या नही.

क्यूंकी बीच-बीच में लंड मेरी छूट से स्लिप भी हो कर बाहर निकल रहा था. लेकिन अब्बू को ज़्यादा टेन्षन ना देते हुए मैं लंड को वापस से अपनी छूट में घुसा देती, जिससे अब्बू की नज़र मुझपे ही रहे.

बहुत रोकते हुए भी मेरे मूह से आहह आहह आ जैसी आवाज़े नही रुक पाई (उस वक़्त तो नही लेकिन अब पता चला की वो आवाज़े निकालना भी कितना हसीन होता है, जिससे पार्ट्नर का जोश और बढ़ता है, और उसकी स्पीड भी और बढ़ती है).

अब्बू की स्पीड में तोड़ा इज़ाफ़ा हुआ, जिससे मेरी आवाज़ भी धीरे-धीरे कामुक होती गयी, और पुर रूम में फैल गयी थी. उस कामुक आवाज़ के साथ एक और आवाज़ थी, जो पुर कमरे में फैली हुई थी. और वो आवाज़ अब्बू के लंड और मेरी छूट के मिलन से निकलती पच पच पच पच की थी.

अब्बू और मैने अपनी पोज़िशन बदली, और डॉगी पोज़िशन में आ गये थे. मज़े की बात ये है, की उस टाइम पोज़िशन के बारे में और उनके नामो से मैं अंजान थी. जब की आज सब नामो के बारे में जानती हू.

तो कुछ पॅलो के लिए अब्बू ने लंड बाहर निकाला, और दोबारा मेरी छूट के अंदर घुसा दिया. उन कुछ पॅलो के लिए लंड से बिछढ़ कर भी मुझसे रहा नही गया था.

लेकिन उस जुदाई को मिटाते हुए लंड घुसा के चुदाई फिरसे शुरू हुई. लेकिन मुझे उस वक़्त समझ नही थी, की आज और 2 दिन पहले लंड तो बिल्कुल सेम था लंबाई-मोटाई और स्पीड भी लगभग सेम ही थी. पर मुझे आज 2 दिन पहले से ज़्यादा मज़ा क्यू आ रहा था.

क्यूँ आज इतने जोश और कामुकता के साथ मैं कामुकता के टॉप फ्लोर पे थी, और ये फीलिंग मुझे 2 दिन पहले क्यूँ नही आई? वो बात तो मुझे आज तक पता नही चली.

खैर चुदाई के लंबे दौर के बाद जैसे अब्बू को अचानक से निकलता फील हुआ, तो 2-3 धक्को में जैसे अब्बू ने अपनी पूरी जान लगा दी हो. तभी अगले ही पल अब्बू निढाल होते हुए अब्बू झाड़ गये.

शूकर था की लंड पे कॉंडम चढ़ा था. लेकिन शायद कॉंडम फटत चुका था, इसलिए अब्बू का गरम-गरम माल मुझे मेरी छूट में फील हो रहा था.

हम दोनो ( मैं और अब्बू) बेड पर एक-दूसरे के अगाल-बगल नंगे लेते रहे. मैं अपनी टांगे फैला कर जितना हो सके माल बाहर निकालने की कोशिश करने लगी. जिससे बेड पे माल का निशान बन गया था.

वही अब्बू मेरी तरफ मूह करके अपना हाथ मेरे बूब्स पे रख कर दबाने लगे.

अब्बू: ज़राइना सच बता, क्या 2 दिन पहले मैने तेरी इसी छूट मैं लंड डाला था?

(अब्बू का सवाल लाज़मी था. क्यूंकी मुझे भी अब्बू का आज पहले की चुदाई से अलग लग रहा था.)

अब्बू: क्या नशा है तेरी इस छूट में बेटी ज़राइना? जो हर बार छोड़ने में अलग ही मज़ा दे जाता है.

मैं: कमाल तो अब्बू आपका लंड भी है.

अगले 15 मिनिट बाद हमने कपड़े पहने, और रूम से बाहर निकालने को तैयार थे. की तभी अब्बू ने मेरा हाथ पकड़ मुझे अपनी बाहों में लेते हुए एक सवाल किया-

अब्बू: क्या आज की चुदाई में तुझे मज़ा आया?

मैं(अब्बू के कंधो पे सहलाते हुए): हा अब्बू, आपकी चूत चटाई से लेकेर चुदाई तक मुझे सब में मज़ा आया था.

अब्बू: तो इसको यहा क्यू रोके?

आयेज भी चलने देते है, जब दोनो को मज़ा आया तो. यही बात मेरे मॅन में भी आई. लेकिन अब्बू के मूह से सुन कर जैसे मैं कुछ उस टाइम कह नही पाई.

तो अभी यही तक रखते है. बाकी की स्टोरी बाद में.

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