हेलो फ्रेंड्स, मैं प्रीथनका अपनी अगली हॉट सेक्स स्टोरी लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. उमीद है मेरी बाकी सेक्स स्टोरीस की तरह ये स्टोरी भी आपके मॅन को भाएगी.
सबसे पहले अपने बारे में बता देती हू. मेरी उमर 23 साल है, और फिगर 34-29-36 है. रंग मेरा गोरा है, और मैं फिटिंग वाले कपड़े पहनती हू. मुझे देख कर लड़कों के मूह से लार बहने लगती है. हर लड़का मुझे नंगी करके छोड़ना चाहता था. अब कहानी पर चलते है.
पिछली गर्मियों में मैं अपनी अक्तिवा पर ऑफीस जेया रही थी, तो अचानक स्कूटर फिसलने से मैं गिर गयी. मेरे पैर में चोट आई, और मुझसे चला नही जेया रहा था. फिर जहाँ मैं गिरी थी, वहीं एक दुकान में बैठ गयी, और पापा को फोन लगाया.
पापा आए, और मुझे गाड़ी में बिता कर सीधा हॉस्पिटल लेके चले गये. डॉक्टर ने बताया की मेरे पैर में फ्रॅक्चर था, और मुझे 4-5 दिन की बेड रेस्ट करनी पड़ेगी.
उन दीनो मम्मी किसी यात्रा पर गयी हुई थी, तो घर पर मेरी केर करने वाला कोई नही था. और ऑफीस तो वैसे भी जाया नही जेया सकता था पैर की वजह से. तो पापा ने मुझे हॉस्पिटल में ही रखने का डिसिशन लिया. उन्होने अलग से रूम बुक कर लिया वहाँ, ताकि मेरी प्रॉपर केर हो सके, और प्राइवसी भी रहे.
फिर जैसे-तैसे मेरे 2 दिन निकले. अब मैं बहुत बोर होने लगी थी. सारा दिन मोबाइल में भी क्या देखती? फिर तीसरी रात मेरी छूट में बहुत खलबली मच रही थी, तो मैने सोचा की क्यूँ ना आज फिंगरिंग की जाए.
पापा रोज़ शाम को आया करते थे. उस दिन वो अभी आए नही थे, तो मैने सोचा उनके आने से पहले काम ख़तम कर देती हू. मैने हॉस्पिटल वाली ड्रेस पहनी थी, जो की ढीला पाजामा और शर्ट थी. फिर मैने अपना हाथ सीधे पाजामे में डाल कर अपनी पनटी में डाल लिया, और छूट को सहलाने लगी.
मैं काफ़ी दीनो बाद ऐसा कर रही थी, इसलिए मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर जैसे ही मैने छूट में उंगली डाली, मुझे दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई. मैने जल्दी से पाजामे से हाथ निकाला, और सीधी हो कर बैठ गयी. पापा आ चुके थे.
पापा को देख कर मेरा सारा मूड खराब हो गया. फिर हम बातें करने लगे, लेकिन मेरा ध्यान फिंगरिंग की तरफ ही था. थोड़ी देर बाद हम दोनो चुप हो गये, और अब मैं पापा के जाने का इंतेज़ार कर रही थी. लेकिन पापा गये नही, और वहीं सो गये.
बड़ी मुश्किल थी. एक तरफ छूट में खुजली बढ़ रही थी, और दूसरी तरफ बाप सामने सोया था. फिर मैने सोचा की दूसरी तरफ मूड कर लेट जाती हू, और धीरे-धीरे अपना काम कर लेती हू.
मैने ऐसा ही किया. मैं मूड कर लेट गयी, और पाजामे में हाथ डाल कर फिंगरिंग करने लगी. मा कसम बहुत मज़ा आ रहा था. ऐसी सिचुयेशन में फिंगरिंग करने का अपना अलग ही स्वॅग होता है. मैं पुर मज़े में थी, और मदहोश हो चुकी थी.
इस सब में मुझे पता ही नही चला की पापा कब उठ गये, और जो मैं कर रही थी, उन्होने देख लिया. ये मुझे तब पता चला, जब पापा मेरे साथ, मेरे पीछे, मेरे बेड पर लेट गये. जब वो लेते, तो मैं बहुत दर्र गयी, और वहीं पॉज़ हो गयी. मुझे समझ नही आ रहा था की मैं क्या करती. मैं ये भी नही जानती थी की पापा ने मुझे फिंगरिंग देखा था या नही, और वो मेरे पीछे क्यूँ लेते थे.
अभी मैं ये सब सोच ही रही थी, की पीछे से पापा का हाथ आया, मेरे पाजामे में गया, और मेरा हाथ हटा कर मेरी छूट सहलाने लगा. मैं कुछ समझ नही पाई. मैने पीछे देखा, तो पापा मुझे देख रहे थे. मैने कहा-
मैं: पापा ये आप क्या कर रहे हो? ये ग़लत है.
पापा: मैं जानता हू बेटी इस उमर में इस सब की कितनी ज़रूरत होती है. मैं तुम्हारी ज़रूरत पूरी करूँगा बेटी.
फिर इससे पहले मैं कुछ बोलती, या कर पाती, पापा ने मेरी पनटी और पाजामा दोनो साथ में नीचे किए, और मुझे नीचे से नंगी कर दिया. तभी मुझे अपनी नंगी जांघों पर पापा की नंगी जांघें महसूस हुई. मैने नीचे देखा, तो पापा पहले से नीचे से नंगे थे.
फिर पापा ने बिना देर किए, मेरी एक टाँग को उपर उठाया, और अपना लंड छूट पर रगड़ते हुए अंदर पेल दिया. उनका लंड मोटा था, तो मेरी आ निकल गयी. छूट गीली थी, तो लंड फिसलता हुआ पूरा छूट में समा गया. मज़ा तो मुझे भी बहुत आया, लेकिन वो मेरे पापा थे.
फिर मैं बोली: पापा मैं आपकी बेटी हू.
पापा: ष्ह!
अब पापा मेरी छूट में लंड अंदर-बाहर करने लगे. मेरी छूट तो पहले से लंड माँग रही थी, इसलिए मैं भी वासना के तूफान में बह गयी, और पापा का साथ देने लगी. मैं आ आ करते हुए मज़े से चूड़ने लगी, और ये देख कर पापा ने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
छूट चुदाई करते हुए पापा ने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए, और ब्रा में से मेरे बूब्स निकाल कर दबाने लगे. इससे मैं और गरम हो गयी, और मेरी छूट ने पानी छ्चोढ़ दिया. लेकिन पापा धड़ा-धड़ धक्के मारे जेया रहे थे. पानी निकालने से छाप-छाप की आवाज़े आने लगी थी. पापा बूब्स इतनी ज़ोर से मसल रहे थे, की वो दर्द करने लगे थे. लेकिन मज़ा पूरा आ रहा था.
फिर पापा ने मेरी छूट से लंड निकाला, और मुझे सीधी करके मेरे उपर आ गये. मेरी साँसे तेज़ थी. हमारी नज़रें मिली, और पापा ने मेरी टाँगें पूरी उपर उठा कर मोड़ दी. ना-जाने कब पापा ने अपना चिकना लंड मेरी गांद के च्छेद पर रखा, और धक्का मार दिया.
मेरी ज़ोर की चीख निकली, लेकिन पापा ने अपने मूह से मेरा मूह बंद कर लिया. मैने गांद में आज तक सिर्फ़ उंगली करी थी, लेकिन पापा ने इतना मोटा लंड घुसा दिया. मैं दर्द से तड़प रही थी, और आँखों से आँसू आ रहे थे. लेकिन पापा को कोई परवाह नही थी. वो धक्का-पेल मेरी गांद छोड़ रहे थे.
कुछ देर बाद मेरी गांद पूरी फटत चुकी थी, और अब मुझे मज़ा आने लगा. फिर पापा ने मेरे होंठ छ्चोढे, और बूब्स चूस्टे हुए गांद चुदाई करने लगे. मैं आ पापा, श पापा, आ पापा कर रही थी. तभी उनके धक्को की स्पीड बढ़ी, और वो आ आ करते हुए मेरी गांद में ही झाड़ गये. मुझे उनका माल अपने अंदर महसूस हो रहा था.
फिर पापा मेरे उपर से उतरे, और मुझे थप्पड़ मार कर बोले: रंडी साली, आज कल की लड़कियों को बाप से चूड़ने में भी शरम नही है.
फिर वो कपड़े पहन कर चले गये, और मैं वहाँ अपनी छूट और गांद का भोंसड़ा बनवा कर पड़ी रही.