बाप अपनी बेटी के उपर चढ़ गया

मेरा नाम सलीमा है, और मैं 20 साल की हू. मेरे दो छ्होटे-छ्होटे भाई और 2 बहने है. मेरा फिगर 34-26-36 है, जिसे देख कर मेरे पड़ोस के सभी मर्द आहें भरते है. और काई मर्द तो मेरी मटकती गांद देखने के लिए पीछा भी करते है.

काई बार तो मुझे लोवे लेटर भी मिले है, लेकिन मैने हर बार उन्हे इग्नोर ही किया है. मैं अम्मी के साथ बहुत घुली मिली हू, और उनसे सब कुछ खुल कर शेर करती हू. मैने उनसे अपने बढ़ते हुए परिवार के बारे में भी बात की.

मैं: अम्मी, अब्बू को समझते क्यू नही, की इस महँगाई में इतना बड़ा परिवार कैसे संभालेगा?

अम्मी: मैं क्या करू सलीमा?तेरे अब्बू तो बस आ कर मुझ पर चढ़ जाते है. जब तेरा निगा होगा ना, तो तेरे साथ भी यही होगा.

वो हर बार यही कह कर मेरा मूह बंद करवा देती थी.

एक सुबा जब मैं जल्दी उठ कर खेतो की तरफ गयी, तो मुझे वाहा पर लेटर पड़ा मिला. शायद वो मेरे लिए ही था. जब उस लेटर को खोल कर पढ़ा, तो उसमे लिखा था-

“मेरी प्यारी सलीमा, जब से तुम्हे देखा है, तब से मैं तुम्हारे हुस्न का कायल हो गया हू. और जब भी तुम्हारे भरे हुए जिस्म की तरफ निगाहें फेरता हू, मेरा गुलिस्ताँ भर जाता है. जी करता है तुम्हारे गुलाबी होंठो को अपने होंठो से मिला कर आनंद सागर में डूब जौ.”

लेटर पढ़ कर मुझे समझ नही आ रहा था की मैं क्या करू. मैं फ़ौरन इस लेटर को अब्बू के रूम में लेकर गयी, तो देखा अब्बू सुबा-सुबा अम्मी पर चढ़े हुए थे. दोनो बिल्कुल नंगे एक-दूसरे के जिस्म से चिपके हुए थे.

ये देख कर मैं वापस से आ गयी, और सोफे पर बैठ गयी. वाहा पर एक डाइयरी थी, जो अब्बू की थी. जब डाइयरी खोली, तो मुझे अपनी आँखों पर भरोसा नही हुआ.

डाइयरी के पहले पन्ने पर मेरी न्यूड फोटो रखी हुई थी, और जैसे-जैसे पन्ने पलटाते गयी, अब्बू की राइटिंग उस लेटर की राइटिंग से हूबहू मिलती गयी. मैं दोबारे अब्बू के रूम की तरफ गयी, और इस बार की आवाज़े सुन कर मेरा पूरा शरीर काँप गया.

अब्बू अम्मी की चुदाई करते समय मेरा नाम ज़ोर-ज़ोर से ले रहे थे. फिर कुछ देर में वो निढाल हो गये और अम्मी वाहा से उठ कर बातरूम चली गयी. मैं भी घर से बाहर आ गयी.

जब अम्मी घर के बाहर आई, और मैने अम्मी से सॉफ-सॉफ पूछा, तो अम्मी ने कहा-

अम्मी: हा ये सही है. और वो फोटो मैने ही खींची है. काई बार वो उन्होने तुम्हारे नाम की मूठ भी मारी है.

मैं: लेकिन ऐसा क्यूँ?

अम्मी: एक मर्द ऐसा क्यू करता है, ये तुम्हे पता है.

मैं: और आप इसमे उनका साथ दे रही हो?

अम्मी: और मैं कर भी क्या सकती हू?

मैं: तो अब मैं क्या करू?

अम्मी: मेरी जगह लेलो जाके.

मैं: ये नही हो सकता.

अम्मी: मैं प्रेग्नेंट हू?

मैं: नही-नही, ये नही हो सकता.

अम्मी: किसी को पता नही चलेगा.

ये बातें सुन कर मुझे समझ नही आ रहा था, की मैं क्या करू?

रात को जब सब खाना खाने बैठे, तो अब्बू जान-बूझ कर अपना हाथ मेरे बूब्स पे टच कर रहे थे. कभी-कभी तो वो अपने हाथो से मेरी जाँघ को भी सहला रहे थे.

फिर जैसे ही अब्बू का खाना ख़तम हुआ, अब्बू मुझे अचानक पकड़ कर अम्मी के सामने ही मेरे होंठो को चूमने लगे. वो हाथो से मेरे बूब्स को मसालने लगे. मुझे समझ नही आ रहा था, की ये सब क्या हो रहा था.

मेरे भाई-बेहन भी सब हम दोनो को ही देख रहे थे. करीब 5-10 मिनिट बाद अब्बू और मैं अलग हुए. फिर वो मुझे अपने पास आयिल रखने को कह कर अपने रूम में चले गये. फिर मैं खाना खाने लगी. तभी अम्मी बोली-

अम्मी: अपने अब्बू को खुश रखना.

ये कह कर अम्मी भी वाहा से उठ कर भाई और बहनो को उनके रूम में ले गयी. ठीक 12 बजे अब्बू रूम में आए, और मेरी पाजामी को उतार कर मेरी गांद को सहलाने लगे.

फिर उन्होने आयिल की बॉटल माँगी, और उसको अपने लंड पर लगा कर मेरी गांद में डाल दिया. इसका दर्द मुझसे सहन नही हो रहा था.

तभी अब्बू ने मेरे मूह में रुमाल डाल दिया, और मेरी गांद में अपना लंड आयेज-पीछे करने लगे. फिर अब्बू अपना कुर्ता और मेरी कुरती उतारने लगे, और मेरे बूब्स को अपने दोनो हाथो में भर कर चूसने लगे. वो साथ ही साथ धक्के भी मारने लगे.

थोड़ी देर बाद अब्बू उठे, और मेरे पैरों को मोड़ कर मेरी छूट चाटने लगे. चाट-चाट कर उन्होने मेरी छूट पूरी गीली कर दी थी. फिर अपना लंड टीका कर एक ही झटके में मेरी छूट की सील तक पहुँचा दिया.

उनके हर एक धक्के से उनका लंड मेरी सील की दीवार पर दस्तक दे रहा था. ऐसा लग रहा था, जैसे थोड़ी देर में वो दीवार गिर जाएगी.

और कुछ हुआ भी ऐसा ही. जब मेरी सील की दीवार गिरी तो खून की नादिया मेरी छूट से बहने लगी. और अब्बू का लंड पूरा लाल हो गया. लेकिन अब्बू को इससे कोई फराक नही पद रहा था.

ये देख कर उन्होने अपनी स्पीड और तेज़ कर दी, और अपनी पूरी ताक़त से धक्के मार-मार के मेरी छूट का पूरा आनंद ले रहे थे.

करीब 30-45 मिनिट की चुदाई के बाद मुझे ऐसा लगा मानो मेरी छूट से खून के अलावा भी कुछ निकालने वाला था. तभी मेरी छूट ने पानी की बौछार कर दी. अब्बू ने मेरे होंठो को अपने होंठो में समा लिया, और छूट में अपने लंड की रफ़्तार और बढ़ा दी.

उनकी रफ़्तार से ऐसा लग रहा था, की उनके लंड से भी पानी की बरसात होने वाली थी. फिर ठीक कुछ मिंटो बाद अब्बू के झड़ने से मेरी पूरी छूट भर गयी, और साथ ही खून से पूरा बिस्तर भर गया. और हम उसी खून में लथपथ सो गये.

लेकिन अब्बू की नींद जब-जब खुली, तब-तब अब्बू का लंड मेरी छूट में आयेज-पीछे होता हुआ महसूस होता. मेरी आँख सुबा 10 बजे खुली, और देखा तो अब्बू का लंड मेरी गांद में फ़ससा हुआ था.

जब अब्बू की नींद खुली तो अब्बू का लंड कड़क हो गया, और सुबा-सुबा ही अब्बू ने अपनी शुरुआत मेरी गांद मार कर की. मेरी गांद की चुदाई अम्मी अपने आँखों से देख रही थी, और जब अब्बू झाडे, तो उन्होने सारा पानी मेरे पेट पर गिरा दिया.

ये देख कर अम्मी बोली: अब तुम दोनो उठो, मुझे सॉफ-सफाई करने दो.

फिर मैं बातरूम में फ्रेश होने चली गयी. लेकिन अब्बू वाहा पर भी नही माने, और वाहा पर भी मेरी छूट और गांद में अपना लोहे जैसे लंड से चुदाई करने लगे.

उस पुर दिन अब्बू मेरे पीछे रहे. जहा मौका मिलता, अब्बू वही शुरू हो जाते. जब तक अम्मी की डेलिवरी नही हुई, तब तक मैं अम्मी की जगह ही थी, और हमारे घर में एक और मेहमान आ गया था.

उसके 2-3 हफ़्तो बाद मेरा निगाह फिक्स हो गया, और मैं निगाह करके दूसरे गाओं चली गयी. फिर उसके बाद मैं दोबारा कभी अपने अब्बू-अम्मी के पास नही गयी. क्यूंकी मेरे हज़्बेंड ने कभी जाने ही नही दिया.

मेरे हज़्बेंड भी अब्बू की तरह ही मुझ पर चढ़े रहते है.

यह कहानी भी पड़े  चाची ने गिफ्ट मे दी मामी की चूत


error: Content is protected !!