औरत ने ब्लॅकमेलर का माल निकाल कर उसको मात दी

आपने मेरी पिछली स्टोरी में पढ़ा कैसे मैने कमाल को मेरे जिस्म का गुलाम बना दिया. अब मुझे भी कमाल के साथ अछा लगने लगा था. एक दिन मैं और कमाल स्टोर रूम में रोमॅन्स कर रहे थे. मेरे बदन पर सारी और ब्लाउस नही था. मैं सिर्फ़ वाइट ब्रा और पेटिकोट में थी. हम दोनो खड़े थे, और एक-दूसरे को किस कर रहे थे.

कमाल मेरे लिप्स आचे से चूस रहा था, और साथ में मेरे बूब्स दबा रहा था, और पेटिकोट के उपर से मेरी छूट को सहला रहा था. मैं बहुत गरम हो गयी थी. मेरी छूट पानी छ्चोढ़ रही थी. थोड़ी देर बाद एक ज़ोर से आवाज़ आई, और मेरी और कमाल की साँस अटक गयी.

सामने एक आदमी खड़ा था. मैं तो दर्र गयी. मैने तुरंत अपनी सारी से अपना जिस्म धक लिया. वो तकरीबन 45 से उपर की आगे वाला लग रहा था, और बहुत ही काला और बदसूरत था. उसके आधे से ज़्यादा बाल सफेद थे. वो लंबा और तोड़ा मोटा था. और उसने दारू पी रखी थी. उसकी आँखें लाल हो गयी थी, और वो मुझे लगातार घूर रहा था.

मुझे बाद में पता चला उसका नाम प्रकाश था. और गाओं का एक नंबर का आवारा आदमी था. पूरा दिन नशे में धुत रहना और जुआ खेलना उसका पेशा था.

कमाल: पकिया तुम यहा से जाओ. यहा क्यूँ आए हो?

प्रकाश: क्या कर रहे हो दोनो? और कमाल कों है आ रंडी? साली कितने दीनो से गांद मटका कर इस तरफ आ रही है. इसको देखा है तब से मेरा लोड्‍ा खड़ा हो गया है. कमाल कहा से आई है ये?

उसके मूह से रंडी सुन कर मुझे बहुत गुस्सा आया. मॅन कर रहा था उसका सर फोड़ डालु. मैं बहुत दर्र गयी थी. वो मुझे देखे जेया रहा था.

कमाल: पकिया तुम यहा से जाओ. मैं बाद में तुझसे बात करता हू. तुम ये बात किसी को मत बताना.

प्रकाश: क्यूँ बे लोड? क्या समझता है मुझे? मैं यहा ऐसे ही नही आया हू. इस रंडी की मुझे भी चुदाई करनी है. साली को जब से देखा है मेरा मॅन दोल गया है. (मेरे पास आ कर मेरी सारी को खींच लिया) देख इस रंडी को, कैसी पताका है. (मेरे बूब्स को घूुर्टे हुए) कमाल क्या आइटम लाया है तू. साला आज तक ऐसे चूचे नही देखे.

कमाल: अर्रे तू समझ यार. ये कोई रंडी नही है, मेरी मौसी है.

प्रकाश ( हैरान होते हुए): क्या बात कर रहा है मदारचोड़. तू तो बड़ा हरामी निकला रे. अपनी ही मौसी की यहा ठुकाई कर रहा है. ये भी साली यहा तुझसे छुड़वाने के लिए मटकती चली आती है. साली को देख कर ही समझ गया था की पक्का कही छुड़वाने जेया रही होगी.

कमाल ( डरते हुए): तू पकिया जो बोलेगा मैं करूँगा. तुझे दारू का पैसा भी दूँगा. तू यहा से जेया मेरे बाप. और ये बात किसी को बोलना मत.

प्रकाश: अर्रे मैं तो पुर गाओं को बोल दूँगा की कमाल उसकी मौसी की ले रहा था, मैने देखा है.

कमाल: अर्रे तू समझ ना यार. तू चाहता क्या है?

प्रकाश: मैं भी इस रंडी की चुदाई करना चाहता हू.

कमाल प्रकाश को समझने की बहुत कोशिश कर रहा था. पर प्रकाश एक बात नही मान रहा था. जब ऐसा कुछ होता है, तो मेरा दिमाग़ बहुत आचे से काम करता है. और मैने सोच लिया की इस मुसीबत से भाग कर कुछ नही होगा. प्रकाश चला गया तो भी प्राब्लम नही गया तो भी प्राब्लम. और मैने सोच लिया की अब मुझे ही कुछ करना था.

संगीता: ठीक है. तुम जो चाहते हो वो होगा. कमाल तुम बाहर जाओ (मेरी बात सुन कर प्रकाश खुश हो गया).

कमाल: अर्रे मौसी आप ये क्या कर रही हो?

संगीता: कमाल हमे इसकी बात मान लेने के अलावा कोई रास्ता नही है.

अब कमाल रोते हुए स्टोर रूम से बाहर चला गया. मैने रूम फिरसे लॉक कर दिया. अब प्रकाश ने मुझे पीछे से दबोच लिया. और उसने दोनो हाथ मेरे बूब्स पर रख दिए. वो मुझे देख कर पागल हो गया था. वो आदमी नही शैतान था. मैं अपने आप को बहुत कोस रही थी, की ना जाने मेरे से ये क्या हो गया. मैं मेरी इस हालत के लिए खुद ज़िम्मेदार थी.

प्रकाश पीछे से मेरी गर्दन पर किस कर रहा था, और मेरी पूरी पीठ पर चूम रहा था. उसने मुझे घुमा दिया, और मेरे होंठो पर किस करने लगा. उसके मूह से शराब की बू आ रही थी. मुझे दारू पीने वाले लोगों से नफ़रत थी, और आज एक शराबी से छुड़वा रही थी. उस पल मेरी पूरी हिम्मत टूट गयी.

मैने कभी सोचा नही था मुझे ऐसे ऐरे-गैरे बदसूरत शराबी से छुड़वाना पड़ेगा. पर अपना दिमाग़ और शरीर कभी एक नही होता. मुझे बहुत बुरा लगा रहा था, पर प्रकाश के साथ जो हो रहा था, उससे मेरे शरीर को मज़ा आ रहा था. मेरी छूट ने पानी छ्चोड़ना शुरू कर दिया था. अब मैने सोच लिया जो होगा देखा जाएगा. और पीछे मूड कर कुछ होगा नही.

प्रकाश: वाह रंडी, क्या चीज़ है तू. मज़ा आ गया. आज तो मेरा दिन है. तेरी ऐसी चुदाई करूँगा की कभी खेत में जाएगी नही. आज तेरी छूट का भोंसड़ा बना दूँगा.

संगीता ( मैं प्रकाश से डोर हो गयी और खाट पर लेट गयी): आपके पास 2 रास्ते है. एक अगर आप मुझे गाली दोगे, रंडी कहोगे, तो मैं यहा ऐसे ही पड़ी रहूंगी. आप मेरी चाहे चुदाई भी कर लो. मैं गाओं में बोल दूँगी की अपने मेरे साथ ज़बरदस्ती की है (मेरी बात सुन कर प्रकाश की गांद फटत गयी). जब पोलीस आपकी बंद बजाएगी तो आप जानो.

मुझे पता था वो अगर चला गया, फिर भी वो गाओं में मुझे और कमाल को बदनाम करता. मैं सेक्सी अंदाज़ में उसके पास गयी, और उसकी छ्चाटी पर हाथ रख कर बोली-

संगीता: और अगर आपने मेरे से आचे से बर्ताव किया, तो मैं आपको वो सुख दूँगी, की आप कभी भूल नही पाओगे. आप मेरी इज़्ज़त करोगे तो ही मैं आपकी इज़्ज़त करूँगी. आपको आचे से मज़ा दूँगी. अब आप सोच लो आपको क्या करना है.

प्रकाश मेरी बात से पीगाल गया. उसने मुझे घूर्णा भी छ्चोढ़ दिया. उसका नशा उतार गया. मैं फिर खाट पर लेट गयी. मैं कुछ बोल नही रही थी. ऐसे ही प्रकाश की और देख रही थी. प्रकाश ने अब मेरी आँखों में देखा, और मेरे सेक्सी जिस्म को देख रहा था.

मैं वाइट ब्रा और सॅटिन वाइट पेटिकोट में लेती हुई थी. अब मैं प्रकाश की लाचारी देख कर खुश हो रही थी. जो आदमी अभी शेर बन रहा था, मेरे सामने भीगी बिल्ली बन गया था. वो सोच रहा होगा अगर चुदाई की तो भी प्राब्लम, और ऐसी सेक्सी आइटम को नही छोड़ा तो भी पछतावा होगा.

प्रकाश: आप मेरी मजबूरी समझिए. मैने जब से आपको देखा है मैं आपके बारे में सोच-सोच कर पागल हो रहा हू. आपका पीछा करके आज यहा आ गया. मैने आज तक आपके जैसी औरत को नही देखा.

संगीता: तो क्या आप मैं जो बोलू वो करोगे? गाओं में किसी से कहोगे मेरे और कमाल के बारे में?

प्रकाश: मैं किसी से कुछ नही कहूँगा. और आप जो बोलॉगी सब काम करूँगा. आप आज से मुझे अपना गुलाम समझो. मैं आपका कुत्ता बनने को तैयार हू.

मुझे उस दिन पता चला की औरत की खूबसूरती के पीछे मर्द कितना पागल हो जाता है. उसका गुलाम बन जाता है. मैं अब खड़ी हुई, और प्रकाश का शर्ट निकाल दिया. मैं उसकी और देख कर स्माइल कर रही थी, और अब वो शर्मा रहा था. शिकारी खुद शिकार बन गया था. शेर बन कर आया था, मेरे जिस्म को देख कर मेरा कुत्ता बन गया था.

अब मैने प्रकाश की पंत उतार दी, और उसको पूरा नंगा कर दिया. उसकी झाँते बहुत बड़ी थी. उसमे लंड बहुत ही काला था, और पूरा खड़ा हुआ था. मैने अब उसको खाट पर बिता दिया, और उसकी और अपनी गांद करके सेक्सी अंदाज़ में पेटिकोट उतार दिया. मेरी गांद ऐसे हिली की उसका हाथ लंड पर चला गया. मैं अब नीचे बैठ गयी, और उसका लंड हाथ में पकड़ लिया.

संगीता: आप क्यूँ तकलीफ़ करते हो. मैं आपकी सेवा करती हू ना.

मैं अब उसको मेरे बूब्स दिखा कर उसका लंड हिला रही थी. प्रकाश की आ निकल रही थी. मैं उसकी आँखों में देख रही थी, और अपने दांतो से होंठ चबा रही थी. वो तो सातवे आसमान पर था, पर मुझे उसको नीचे उतारना भी आता था. मैने 2-3 मिनिट ऐसे ही लंड हिलाया तो उसका पानी निकल गया. मैने फिर भी हिला-हिला कर सारा पानी निकाल दिया. अब वो कुत्ते की तरह हाँफ रहा था.

प्रकाश ने बहुत कोशिश की, पर उसका लंड खड़ा ही नही हुआ. 15-20 मिनिट ट्राइ करने के बाद भी उसका लंड सोता ही रहा. मुझे प्रकाश से छुड़वाना नही था, और मुझे पता था उसकी उमर हो गयी थी. और एक बार निकल गया तो फिरसे खड़ा नही होगा. मेरा जो प्लान था वो सही गया था. मुझे बहुत हस्सी आई, और मैं अपने आप को रोक नही पाई. फिर मैने कमाल को स्टोर रूम में बुला लिया.

कमाल: मौसी मैं आप दोनो को दरवाज़े में जो होल बन गया है वही से देख रहा था. आप दोनो की बातें भी सुनी. आप कमाल की हो.

संगीता ( मैं अब भी ब्रा-पनटी में थी): तो कमाल तुमने सुना होगा कोई बोल रहा था की कोई मेरी छूट का भोंसड़ा बनाने वाला था. अब उसका खड़ा भी नही हो रहा है.

मैं और कमाल प्रकाश की और देख कर हस्स रहे थे. प्रकाश ने गुस्से में अपने कपड़े पहने, और मेरी और आँखें दिखा रहा था.

कमाल: आबे छूतिए, आँखें किसे दिखा रहा है? अब गाओं में जेया कर कुछ बोला ना तो तेरा पवर कितना है सब को बता दूँगा.

प्रकाश के जाने के बाद मैने कमाल को कस्स कर किस किया, और हमने चुदाई की. मैने कमाल को प्रकाश पर नज़र रखने को कहा, क्यूंकी वो हमारे लिए ख़तरा बन सकता था. कमाल ने अब गाओं में प्रकाश और उसकी फॅमिली पे नज़र रखी और थोड़ी पूच-ताछ करना शुरू कर दिया. 2 दिन बाद हमे प्रकाश की एक बात पता चली, वो मैं आपको नेक्स्ट पार्ट में बतौँगी.

मेरा चुदाई का सफ़र ट्रिलिंग और बहुत एग्ज़ाइटिंग रहा है. मैं आज भी वो दिन याद करती हू. आपको स्टोरी अची लगी हो तो मेरे आडमिन मूडछंगेरबोय@गमाल.कॉम पर मैल करे.

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